संविधान की दुहाई देने वाली "काँग्रेस को #लोकतंत्र से इतना प्यार रहा है कि सौ बार से अधिक बात-बात पर चुनी हुई सरकारों को #बर्खास्त करती रही.....आप किसी सज्जन व्यक्ति का इससे अधिक अपमान क्या कर सकते हैं कि उसे #काँग्रेसी कह दें....है न...
लेकिन निलर्ज्जों पर क्या फर्क....कांग्रेस कहो या देशविरोधी कहों...बात एक ही है!!!
बहरहाल पराजय की पीड़ा को अपने आचरण से ठीक करने की जगह मरती हुई कांग्रेस अब किसानो के नाम पर फुर्सत मे रहने वाले फुंकनी फूंकने वाले और नोटों पर वेश बदलने वाले तथाकथित किसानों के कंधे का
सहारा लेकर कॉंग्रेस अराजकता फैला रही है...आम किसानों के नाम पर शुरू हुये इस आंदोलन के पीछे खालिस्तानी आतंकवादी,जेहादी,कांगी है जो भारत की सरकारी संपत्ति को नुकसान ही नही पहुंचा रहें है बल्कि इंदिरा को ठोंका है मोदी को भी ठोंकने वाली अपराधिक मानसिकता वाली भाषा बोलने वाले
किसान वेशधारी खालिस्तानी आतंकी अब आम जनता को तकलीफ़ पहुंचा रहें है.......ये लोग तलवार व लठ लेकर शांतिपूर्ण आंदोलन की बात करते है...यह कांग्रेस की एक और देश विरोधी साजिश है....सोचिये ये वो किसान है....
जो भिंडरावाले की फोटो सामने रख कर इन कथित किसानो का रूप धरे आतंकियो द्वारा धरने पर हिन्दुत्व को गालियाँ दी जा रही है हिन्दू धर्म को बुरा भला कहते हुये हिन्दुओं को धमकियाँ दी जा रही है ये किसान हो सकते हैं...ये अन्नदाता हो सकतें हैं..??
राज करेगा खालसा लिखे भिंडरावाले के पोस्टर के साथ धरना देने और ट्रेन रोकने वाले ये कौन से किसान है ....??
दरअसल ये किसान हैं ही नही....ये तो कांग्रेस के ब्रेनवाश्ड कुंठित लो लेवल वर्कर हैं,जिनके साथ खालिस्तानी मानसिकता के लोग है और हर कदम पर पिटे हुये जेहादी हैं....
तभी तो शाहीन बाग मे खालिस्तानियों द्वारा पहुंचाई गई बिरयानी का कर्ज जेहादी सोच वाले इनके लिये पुलाव बिरयानी पहुंचा कर मुस्लिम कर्ज की अदायगी कर रहें है.....और असलियत तो यह है कि इस आंदोलन की नकेल भी हर देशविरोधी सो कॉल्ड आंदोलन की तरह विनष्ट होती फिरंगन और लाल
पिछवाड़े वाले कलपते कीड़ों के हाथ मे है....बाकी इस अराजक भीड़ को किसानो का आंदोलन बताने का काम भांड मीडिया की प्रीपेड नगरवधुयें कायदे से कर ही रहीं है.....सोचिये कि जब पंजाब सरकार ने किसान बिल २०२० को लागू ही नही किया है तो इन कथित किसानो के गुर्दों मे इतनी आग कहां से लगी...
किसने लगाई और क्यों लगाई....?????????
फिलहाल इन ड्रामेबाज किसानो को मुंहतोड़ जवाब देने के लिये सरकार अपने तरीके से काम कर ही रही है लेकिन अब समय आ गया है कि देश के वास्तविक किसानो को भी अब खुल कर सामने आना ही नही चाहिये
वरन् ऐसे भेड़िया वेशधारी किसानों की सच्चाई देश के सामने लाना भी चाहिये....यह भी एक राष्ट्रहित का काम है जिसे करना मां भारती के सच्चे सपूतों के लिये आवश्यक है.....वरना ये यूं ही चंद सिक्कों पर कपड़े उतार कर नग्न नृत्य करके उत्पात मचाते रहेंगे....!
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नरेंद्र मोदी जी ने पिछले दिनों IAS लॉबी की ओर संकेत करते हुए कहा था कि इन लोगों ने मेरे 5 साल बर्बाद कर दिए...और यह बात एक नहीं कई कई बार सिद्ध भी हुई है कि लोगों को भले लगता हो कि नेता अथवा मंत्री ने ये काम किया या करवाया....
लेकिन वैसा अधिकांशतः होता नहीं है, इस देश के ब्यूरोक्रेट्स ही इस देश के पिछड़ेपन की असल वजह हैं।
इनके पास काम करने नहीं बल्कि न करने के हज़ार तरीक़े होते हैं....काम होगा क्यों नहीं ये इन्हें बख़ूबी पता होता है, होगा कैसे इस पर अधिक दिमाग़ ख़र्च नहीं करते.
..ये समाजशास्त्र, नागरिक शास्त्र, इतिहास और इस्लामिक स्टडीज जैसे विषय लेकर एग्जाम पास कर ऐसा सोचने लगते हैं कि इनसे ज़्यादा जानकार कोई और है ही नहीं ये मेडिकल के ज्ञाता हो जाते हैं, सेना के, शोध संस्थाओं के हर जगह बैठ जाएंगे जबकि उस फील्ड का ढेला नहीं जानते होंगे।
अहमद शाह अब्दाली का साथ दिया था आला सिंह ने जिसने लाखों सिक्खों का क़त्लेआम किया..जिसके एवज में अब्दाली ने इनको 300 गाँव भेंट में दिए थे जिससे नींव पड़ी पटियाला स्टेट की.....इन्ही की पीढ़ी में आगे चल के महाराजा ऑफ पटियाला हुए भूपेंद्र सिंह...
इनका नाम इतिहास में हुवा जलियांवाला कांड को मूक सहमति देने के कारण....इन्होंने जनरल डायर को लेटर लिख के जलियावाला कांड को ब्रिटिश की तरफ़ से सही उठाया गया कदम माना था ..जिसके एवज में इनको भी ब्रिटिश सरकार ने पैसा शौहरत और कई उपाधियों से नवाजा था........
इन्ही भूपेंद्र सिंह के पोते है कैप्टन अमरिंदर सिंह..अंतर बस इतना है कि इनके दादा अंग्रेजो की चाटते थे ये इटेलियन की...अभी दो दिन पहले हरियाणा सीएम खट्टर जी ने फोन पे इनसे बात की इन्होंने बोला "खट्टर तू अपना राज्य संभाल मुझे नसीहत मत दे"....एक्जेक्टली सेम वर्ड.....
जूता लेकर टूट पड़ने के अलावा...
...कोई और विकल्प क्या शेष रह जाता है.?😊
आज सवेरे 8 बजे तक आंकड़ा बता रहा है कि दिल्ली से 11 गुना अधिक (22 करोड़) जनसंख्या वाले उत्तर प्रदेश में अब तक 7697 मौतें हुईं हैं. जबकि केवल 2 करोड़ जनसंख्या वाली दिल्ली में कोरोना
वायरस से अब तक 8909 मौतें हो चुकी हैं.
लेकिन आजकल लखनऊ में डेरा डाले पड़ा हुआ AAP गैंग का गुर्गा संजय सिंह रोज यह बयान दे रहा है कि यूपी में कोरोना वायरस के संक्रमण को नियंत्रित करने की व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है और मुख्यमंत्री योगी यूपी में कोरोना वायरस के संक्रमण से लड़ने में बुरी तरह असफल हुए हैं.
मेरी शंका और सन्देह का घेरा सोनिया गांधी के इर्द गिर्द और ज्यादा कसता जा रहा है...
किसान के भेष में घूम रहे खूनी गुंडे पंजाब से दिल्ली तक नारा लगा रहे हैं कि "पहले इंदिरा की छाती में ठोंकी अब मोदी की छाती में ठोंक देंगे."
किसान के भेष में दिल्ली में घुसने की कोशिश कर रहे यही खूनी गुंडे मीडिया के कैमरों पर खुलेआम बोल रहे हैं कि "इमरान खान तो हमारा यार है, हमारा दुश्मन तो दिल्ली में बैठा है."
पंजाब से दिल्ली तक मंडरा रहे इन खूनी गुंडों आतंकवादियों के जत्थों में आतंकवादी भिंडरावाले के पोस्टर और खालिस्तानी झंडे भी लहरा रहे हैं, खालिस्तानी नारे भी गूंज रहे हैं.
"पैरों में जंजीर और गले में फन्दा",
दल्लो ने कुछ यूँ किया था किसानों का "धन्धा"।।
सन 1960-70 के आसपास देश में कांग्रेसी सरकार ने एक कानून पास किया जिसका नाम था - "APMC Act"
इस एक्ट में यह प्रावधान किया गया था कि किसान अपनी उपज केवल सरकार द्वारा तय स्थान अर्थात सरकारी मंडी में ही बेच सकता है।
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इस मंडी के बाहर किसान अपनी उपज नहीं बेच सकता। और इस मंडी में कृषि उपज की खरीद भी वो ही व्यक्ति कर सकता था जो apmc act में registered हो,अन्य दूसरा नही।
इन registered person को देशी भाषा में कहते हैं "आढ़तिया" यानि "commission agent".....
अब मोदी सरकार द्वारा किसानों की हालत सुधारने के लिये तीन अध्यादेश लाये गये हैं, जिसमे निम्नलिखित सुधार किए गये.....
1. अब किसान मंडी के बाहर भी अपनी फसल बेच सकता है और मंडी के अंदर भी.
भारत की सरकारी संपत्ति को नुकसान ही नही पहुँचा रहे बल्कि इंदिरा को ठोंका था, अब मोदी की बारी है" वाली मानसिकता वेषधारी ये खालिस्तानी आतंकियों का समूह अब आम जनता को तकलीफ पहुँचा रहा है। तलवार और लट्ठ लेकर छिपे जेहादियों के भेष में शाहीनबाग़ 2 दोहराने की कोशिश हो सकती है।
ऐसे दुष्टों को अन्नदाता समझना भारी भूल हो सकती है, हमने देखें हैं उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार झारखंड महाराष्ट्र के किसानों को, जिन्हें देखकर अन्नदाता वाली फीलिंग आती है। कृषि क़ानून पूरे देश में लागू हुआ है अकेले पंजाब हरियाणा में नहीं,
देश विरोधी मानसिकता किसानों की नही दलालों की होती है, देश भर के किसानों को बदनाम करने वाले खतरनाक मंसूबों के साथ पंजाब, हरियाणा से आती हुई कांग्रेसियों, बामपंथियों जेहादियों और खालिस्तानियों के झुंड जिनके हाथों में देशद्रोही नारों के स्लोगन हों इनको खालिस किसान समझना राष्ट्र