1― बीज खरीदने के लिए सब्सिडी।
2― कृषि उपकरण खरीदने के लिए सब्सिडी।
3― यूरिया (खाद) खरीदने के लिए सब्सिडी।
4― ट्रेक्टर ट्रोली खरीदने पर सब्सिडी।
5― पशुधन खरीदने पर सब्सिडी।
6― खेती पर लगने वाले अन्य खर्च के लिए सब्सिडी युक्त कर्ज।
7― किसान क्रेडिट कार्ड से कर्ज।
8― जैविक खेती करने पर सब्सिडी।
9― खेत में डिग्गी बनाने हेतू सब्सिडी।
10― फसल प्रदर्शन हेतू सब्सिडी।
11― फसल का बीमा।
12― सिंचाई पाईप लाईन हेतू सब्सिडी।
13― स्वचालित कृषि पद्धति अपनाने वाले किसानों को सब्सिडी।
14― जैव उर्वरक खरीदने पर सब्सिडी।
15― नई तरह की खेती करने वालो को फ्री प्रशिक्षण।
16― कृषि विषय पर पढ़ने वाले बच्चों को अनुदान।
17― सोलर एनर्जी के लिए सब्सिडी।
18― बागवानी के लिए सब्सिडी।
19― पंप चलाने हेतु डीजल में सब्सिडी।
20― खेतो में बिजली उपयोग पर सब्सिडी।
इसके अलावा
21― सूखा आए तो मुआवजा।
22― बाढ़ आए तो मुआवजा।
23― टिड्डी-कीट जैसे आपदा पर मुआवजा।
24― सरकार बदलते ही सभी तरह के कर्ज माफी।
25―सरकार ने किसानों को आत्मनिर्भर व सशक्त बनाने के लिए अनेकों और तरह की योजनाएं बनाई है,जिसमें डेयरी उत्पाद मत्स्य पालन बागवानी फल व सब्जी पर भी अनेकों प्रकार की सब्सिडी दे रही है।
और इसके अलावा
26― इन्हीं से 20 रुपए किलो गेहूं खरीद कर 2 रुपए किलो में इन्हें दिया जा रहा है।
27― पक्के मकान बनाने के लिए 3 लाख रुपए तक सब्सिडी दी जा रही है।
28― शौचालय निर्माण फ्री में किया जा रहा है।
29― घर पर गंदा पानी की निकासी के लिए होद फ्री में बनवाई जा रही है।
30― साफ पीने का पानी फ्री में दिया जा रहा है।
31― बच्चों को पढ़ने खेलने व अन्य तरह के प्रशिक्षण फ्री में करवाए जा रहे हैं।
32― साल के 6000 रुपए खाते में फ्री में आ रहे हैं।
33― तरह-तरह की पेंशन वगैरा आ रही है।
34― मनरेगा में बिना कार्य किए रुपए दिए जा रहे हैं।
अगर उसके बावजूद भी इस देश के किसानों को सरकार से अपना हक नहीं मिल रहा तो शायद कभी नहीं मिलेगा।-
और मध्यमवर्गीय परिवार करदाता बनकर इस बोझ का वहन कर रहा है।
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जब वह खुद को हिन्दू नहीं मानते... जब संविधान भी यही कहता हो.. जब उन्होंने रीति रिवाज अलग कर लिए हों,जब तिलक और जनेऊ से उन्हें आपत्ति हो....जब राम कृष्ण को वह सम्मान न देते हों... जब अलगावादियों और घोषित आतंकियों को सम्मान देते हों... उनके चित्र अपने घर की दीवारों पर सजाते हों...
जब वह 15 वर्ष लंबे चले आतंकवाद में मारे गए... हज़ारों सनातनियों की मौत को जायज़ ठहराते हो... जब वह अपना अलग देश मांगते हों...
जब उन्होंने हमारे पूजा स्थलों में आना बंद कर दिया हो.... दीपावली में दीपक जलाना बन्द कर दिया हो...
जब लंगरों और उनके इबादतगाहों पर हमारा अपमान हो....
जब हों वह बगलगीर किसी विदेशी मज़हब के... और हमें दुत्कारते का कोई मौका न छोड़ते हों.... मीनारें बनाने वालों से उनकी गलबहियां और मूर्तिभंजकों से हों... औऱ हो उनकी यारियां !
बस एक ही रास्ता है,
कल अक्षय कुमार,अजय देवगन,अनिल कपूर, ऋतिक-राकेश रोशन, तनिष्क,पारले और बजाज ने अपनी केंचुली उतार फेंकी ! मैं यह नहीं समझता कि इस तमाशे के लिए.... सिर्फ मोमिन साम्प्रदायिकता, दाऊद गिरोह,दुबई नेक्सस या पेट्रो डॉलर ज़िम्मेदार होंगे !...
जिन लोगों ने अक्षय कुमार की 'OMG' देखी होगी... वह इस शख्स द्वारा 'द गब्बर इज़ बैक' और देशप्रेम-राष्ट्रवाद पर आधारित कुछ फिल्मों से गढ़ी गई इमेज से कभी प्रभावित नहीं होंगे ! अक्षय कुमार की सोंच अपनी पत्नी ट्विंकल खन्ना से अलग नहीं हो सकती जो खुद को हिन्दू नहीं...
मात्र भारतीय मानते हैं... अमिताभ की तरह..
सूखे,कांटेदार और बिलबिलाकर कर रख देने वाले शब्दों का मैं यूहीं चितेरा नहीं बन गया हूँ .... साफ कहता हूं... जो लोग हिंदुत्व-सनातन के अर्चक नहीं हैं... जो लोग हिंदुत्व को देश से बड़ा नहीं मानते....
एक समय पारसी धर्म ईरान का प्राचीन धर्म हुआ करता था, ईरान के बाहर रोमन साम्राज्य और यूरोप के विशाल क्षेत्रों में भी इसका प्रचार-प्रसार था,
परन्तु ईरान पर इस्लामी विजय के पश्चात पारसियों को इस्लाम कबूल करना पड़ा,
वहीं अपने धर्म को बचाने के लिए अनेक पारसियो ने अपना गृहदेश छोड़कर भारत में शरण ली,
इस्लामिक अत्याचार से त्रस्त होकर पारसियों का पहला समूह लगभग 766 ईस्वी में दमण और दीव पहुंचा, यहां से वे गुजरात और कुछ लोग मुंबई में बस गए,
एक समय जो धर्म दुनिया के एक बड़े भूभाग पर फैला हुआ था
आज उस पारसी धर्म के अनुयायियों की पूरी दुनिया में कुल आबादी सम्भवतः 1 लाख से अधिक नहीं है, ईरान में कुछ हजार पारसियों को छोड़कर लगभग सभी पारसी अब भारत में ही रहते हैं और उनमें से भी अधिकांश अब मुंबई में हैं,
टाटा समूह के संचालक रतनदेव टाटा और सायरस मिस्त्री दोनो ही उसी
कहाँ गए प्यार के पैरोकार.. इश्क के ठेकेदार.. मोहब्बत के कद्रदान.. ??
कहाँ बुरके में छिप गई तथाकथित आधुनिक सोच, उदारवादी फिलासफी वाली फमिनिस्ट.. ??
कहाँ गायब हो गई "ब्राह्मण लड़की धलित लड़के" के प्यार की ठेकेदार बनकर "हल्ला बोलने" वाली अंजना कश्यप और आजतक ??
दिल्ली में एक 19 वर्ष के नौजवान राहुल को सिर्फ इसलिये पीट-पीटकर निर्ममतापूर्वक मार दिया गया क्योंकि उसकी एक मुस्लिम लड़की से मित्रता थी ..
मुस्लिम लड़की के घरवालों ने राहुल की मात्र इसलिए हत्या कर दी क्योंकि वह गैर-मज़हबी था..
कहाँ गए वे भौंपू जो दिन-रात प्यार का धर्म नही होता कहकर बजते थे ??
कहाँ गए मुरारी बापू, जो रामकथा की आड़ में प्रेम पर लेक्चर देते हैं ??
लवजिहाद का समर्थन करने वाली सेक्युलर गैंग पर्दे की ओट में क्यों छिप गई ??..
और कहाँ गए केजरीवाल जो झारखंड के तरबेज पर छाती पीटते है..
यह रही बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की सार्वजनिक स्वीकृति। वीडियो में प्रज्ञा ठाकुर साफ बोल रही हैं, परमबीर ने बेल्ट से उनकी पिटाई की। ठाणे पुलिस कमिश्नर रहते हुए परमबीर सिंह ने उन पर शारिरिक प्रताड़ना की।
वाकई हैरान करती है प्रज्ञा ठाकुर की खामोशी! इनकी निष्क्रियता।
जो सांसद बनने के बाद भी आज तक IPC की धारा 330 और 331 के तहत मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के खिलाफ FIR दर्ज कराने का साहस ना जुटा सकीं ? या फिर मामला "नूरा कुश्ती" का है।
यदि सत्तारूढ़ पार्टी का सांसद अपने ऊपर हुए ही अत्याचार,
कानून के हनन पर "न्याय" की लड़ाई लड़ने का साहस नहीं कर पा रहा है तो लाखों-करोड़ों "विशेषाधिकार विहीन" समाज से क्या अपेक्षा करेंगे ?
किसी आम आदमी के लिए तो पुलिस का अदना सा सिपाही भी "आतंक" है। ऐसा सांसद या नेता क्या दूसरों का ? अपने समाज का संघर्ष करेगा ?
ये न्यूज चैनल आजतक, इंडिया टीवी, NDTV या ABP न्यूज आदि नहीं बल्कि जॉर्ज सोरेस का 7 हज़ार करोड़ रूपया बोल रहा हैं...
बहुत ध्यान से पढ़िए...🙏
कांग्रेस शासित राजस्थान में बलात्कार सरीखे जघन्य अपराध की दर उत्तरप्रदेश की तुलना में 5 गुना से अधिक है.
पिछले 12 दिनों में नाबालिग बालिकाओं के साथ बलात्कार की 16 घटनाएं राजस्थान में हो चुकी हैं. लेकिन न्यूजचैनल आजतक, इंडिया टीवी, NDTV या ABP न्यूज की कोई टीम कभी राजस्थान नहीं गयी.पर इन न्यूजचैनलों की टीम पिछले 5 दिनों से उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लहू की प्यासी है
उनके खिलाफ सफ़ेद झूठ का भयानक ज़हर और आग उगल के उत्तरप्रदेश को जातीय दंगों की आग में झोंकने में जुटी हुई हैं. यह सब अनायास या अचानक नहीं हो रहा है.
केवल सवा 4 महीने पहले दावोस में एक ईसाई मिशनरी के अरबपति गुर्गे जॉर्ज सोरोस ने बाकायदा प्रेसवार्ता कर के अंतरराष्ट्रीय मीडिया के