रामायण का पहला श्लोक ही संस्कृत साहित्य का पहला श्लोक है। रामायण ही संस्कृत साहित्य का पहला महाकाव्य है सबसे रोचक बात ये है कि इस श्लोक में एक श्राप दिया गया है. जानिए इस श्राप की कहानी -

श्लोक-
मां निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः ।
यत्क्रौंचमिथुनादेकम् अवधीः काममोहितम् ॥
मां निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः ।
यत्क्रौंचमिथुनादेकम् अवधीः काममोहितम् ॥

अर्थ : हे निषाद ! तुमको अनंत काल तक (प्रतिष्ठा) शांति न मिले, क्योकि तुमने प्रेम, प्रणय-क्रिया में लीन असावधान क्रौंच पक्षी के जोड़े में से एक की हत्या कर दी.
First Shloka of Ramayana in Sanskrit – संस्कृत का पहला श्लोक कैसे बना :
एक दिन ब्रह्ममूहूर्त में वाल्मीकि ऋषि स्नान, नित्य कर्मादि के लिए गंगा नदी को जा रहे थे. वाल्मीकि ऋषि के वस्त्र साथ में चल रहे उनके शिष्य भारद्वाज मुनि लिए हुए थे. मार्ग में उन्हें तमसा नामक नदी मिलती है.
वाल्मीकि ने देखा कि इस धारा का जल शुद्ध और निर्मल था. वो भारद्वाज मुनि से बोले – इस नदी का जल इतना स्वच्छ है जैसे कि किसी निष्पाप मनुष्य का मन. आज मैं यही स्नान करूँगा.

जब ऋषि धारा में प्रवेश करने के लिए उपयुक्त स्थान ढूंढ रहे रहे थे तो ....
तो उन्होंने प्रणय-क्रिया में लीन क्रौंच पक्षी के जोड़े को देखा. प्रसन्न पक्षी युगल को देखकर वाल्मीकि ऋषि को भी हर्ष हुआ.
तभी अचानक कहीं से एक बाण आकर नर पक्षी को लग जाता है नर पक्षी चीत्कार करते, तड़पते हुए वृक्ष से गिर जाता है मादा पक्षी इस शोक से व्याकुल होकर विलाप करने लगती है
ऋषि वाल्मीकि यह दृश्य देखकर हतप्रभ रह जाते हैं. तभी उस स्थान पर वह बहेलिया दौड़ते हुए आता है, जिसने पक्षी पर बाण चलाया था.

इस दुखद घटना से क्षुब्ध होकर वाल्मीकि ऋषि के मुख से अनायास ही बहेलिये के लिए एक श्राप निकल जाता है. संस्कृत भाषा में बोला गया यह श्राप इस प्रकार है :-
मां निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः ।
यत्क्रौंचमिथुनादेकम् अवधीः काममोहितम् ॥

अर्थ : हे निषाद ! तुमको अनंत काल तक (प्रतिष्ठा) शांति न मिले, क्योकि तुमने प्रेम, प्रणय-क्रिया में लीन असावधान क्रौंच पक्षी के जोड़े में से एक की हत्या कर दी.
श्राप देने के बाद वाल्मीकि ऋषि विचार मग्न हो गये कि यह छन्दबद्ध वाक्य उनके मुख से क्यों निकला. यह बात उन्होंने भारद्वाज मुनि को बताई.
ऋषि ने कहा – मेरे मुख से यह इतना छन्दबद्ध वाक्य क्यों निकला, यह एक आश्चर्य है. यह वाक्य 8 अक्षरों के 4 चरण से मिलकर बना है. मैं इस छन्दबद्ध वाक्य को श्लोक का नाम देता हूँ. श्लोक की उत्पत्ति तो किसी काव्य रचना का आधार होना चाहिए, पर मेरे पास लिखने को तो कोई विषय ही नहीं है.
वाल्मीकि यही विचार मंथन करते हुए अपने आश्रम लौट आये. जब वह ध्यानमुद्रा में बैठे तो भगवान ब्रह्मा ने उन्हें दर्शन दिया.

ब्रह्मा ने उन्हें नारद मुनि द्वारा सुनाई गयी श्री राम कथा का स्मरण कराया. ब्रह्मा ने उन्हें प्रेरित किया और आशीर्वाद दिया कि ...
वो मर्यादा पुरुषोत्तम राम की कथा श्लोक द्वारा रचकर एक काव्य का निर्माण करें.

इस प्रकार ऋषि वाल्मीकि द्वारा संस्कृत के पहले श्लोक की उत्पत्ति हुई और रामायण महाकाव्य का निर्माण भी संभव हुआ.
Jai Shri Ram 🚩

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#हर____हर___महादेव #ॐ_नमः_शिवाय
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According to the scriptures, construction of this lingam had to be in the southern hemisphere which symbolised the 'mouth of the snake'...
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This temple's foundation was laid on Shivratri in 1999 in Minto -- Sydney's suburb.

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