भारतीय एवम् सनातन संस्कृति का आधार वेद है,
अत: किसी भी अन्य ग्रन्थ को पढने से पहले वेदों को पढा जाना ही उचित है,
प्रस्तुत थ्रेड में महिलाओं का वेदों में क्या स्थान है उस पर एक नजर देखते हैं,
१- यजुर्वेद २०.९
स्त्री और पुरुष दोनों को शासक चुने जाने का समान अधिकार है |
स्त्रियों की भी सेना हो | स्त्रियों को युद्ध में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें |
३- यजुर्वेद १०.२६
शासकों की स्त्रियां अन्यों को राजनीति की शिक्षा दें | जैसे राजा, लोगों का न्याय करते हैं वैसे ही रानी भी न्याय करने वाली हों |
४- अथर्ववेद ११.५.१८
इस मंत्र में कन्याओं के लिए भी ब्रह्मचर्य और विद्या ग्रहण करने के बाद ही विवाह करने के लिए कहा गया है | यह सूक्त लड़कों के समान ही कन्याओं की शिक्षा को भी विशेष महत्त्व देता है |
कन्याएं ब्रह्मचर्य के सेवन से पूर्ण विदुषी और युवती होकर ही विवाह करें
5- अथर्ववेद १४.१.६
माता- पिता अपनी कन्या को पति के घर जाते समय बुद्धीमत्ता और विद्याबल का उपहार दें | वे उसे ज्ञान का दहेज़ दें |
6- अथर्ववेद १४.१.२०
हे पत्नी ! हमें ज्ञान का उपदेश कर |
वधू अपनी विद्वत्ता और शुभ गुणों से पति के घर में सब को प्रसन्न कर दे |
7- अथर्ववेद ७.४६.३
पति को संपत्ति कमाने के तरीके बता |
संतानों को पालने वाली, निश्चित ज्ञान वाली, सह्त्रों स्तुति वाली और चारों ओर प्रभाव डालने वाली स्त्री, तुम ऐश्वर्य पाती हो | हे सुयोग्य पति की पत्नी, अपने पति को संपत्ति के लिए आगे बढ़ाओ |
8- अथर्ववेद ७.४७.१
हे स्त्री ! तुम सभी कर्मों को जानती हो |
हे स्त्री ! तुम हमें ऐश्वर्य और समृद्धि दो |
9- अथर्ववेद ७.४७.२
तुम सब कुछ जानने वाली हमें धन – धान्य से समर्थ कर दो |
हे स्त्री ! तुम हमारे धन और समृद्धि को बढ़ाओ |
10-अथर्ववेद ७.४८.२
तुम हमें बुद्धि से धन दो |
विदुषी, सम्माननीय, विचारशील, प्रसन्नचित्त पत्नी संपत्ति की रक्षा और वृद्धि करती है और घर में सुख़ लाती है |
11- अथर्ववेद १४.१.६४
हे स्त्री ! तुम हमारे घर की प्रत्येक दिशा में ब्रह्म अर्थात् वैदिक ज्ञान का प्रयोग करो |
हे वधू ! विद्वानों के घर में पहुंच कर कल्याणकारिणी और सुखदायिनी होकर तुम विराजमान हो |
12- अथर्ववेद २.३६.५
हे वधू ! तुम ऐश्वर्य की नौका पर चढ़ो और अपने पति को जो कि तुमने स्वयं पसंद किया है, संसार – सागर के पार पहुंचा दो |
हे वधू ! ऐश्वर्य कि अटूट नाव पर चढ़ और अपने पति को सफ़लता के तट पर ले चल |
13-अथर्ववेद १.१४.३
हे वर ! यह वधू तुम्हारे कुल की रक्षा करने वाली है |
हे वर ! यह कन्या तुम्हारे कुल की रक्षा करने वाली है | यह बहुत काल तक तुम्हारे घर में निवास करे और बुद्धिमत्ता के बीज बोये |
14-अथर्ववेद २.३६.३
यह वधू पति के घर जा कर रानी बने और वहां प्रकाशित हो |
15-अथर्ववेद ११.१.१७
ये स्त्रियां शुद्ध, पवित्र और यज्ञीय ( यज्ञ समान पूजनीय ) हैं, ये प्रजा, पशु और अन्न देतीं हैं |
यह स्त्रियां शुद्ध स्वभाव वाली, पवित्र आचरण वाली, पूजनीय, सेवा योग्य, शुभ चरित्र वाली और विद्वत्तापूर्ण हैं | यह समाज को प्रजा, पशु और सुख़ पहुँचाती हैं |
16-अथर्ववेद १२.१.२५
हे मातृभूमि ! कन्याओं में जो तेज होता है, वह हमें दो |
स्त्रियों में जो सेवनीय ऐश्वर्य और कांति है, हे भूमि ! उस के साथ हमें भी मिला |
17-अथर्ववेद १२.२.३१
स्त्रियां कभी दुख से रोयें नहीं, इन्हें निरोग रखा जाए और रत्न, आभूषण इत्यादि पहनने को दिए जाएं |
18-अथर्ववेद १४.१.२०
हे वधू ! तुम पति के घर में जा कर गृहपत्नी और सब को वश में रखने वाली बनों |
19-अथर्ववेद १४.१.५०
हे पत्नी ! अपने सौभाग्य के लिए मैं तेरा हाथ पकड़ता हूं |
20-अथर्ववेद १४.२ .२६
हे वधू ! तुम कल्याण करने वाली हो और घरों को उद्देश्य तक पहुंचाने वाली हो |
21-अथर्ववेद १४.२.७१
हे पत्नी ! मैं ज्ञानवान हूं तू भी ज्ञानवती है, मैं सामवेद हूं तो तू ऋग्वेद है |
22-अथर्ववेद १४.२.७४
यह वधू विराट अर्थात् चमकने वाली है, इस ने सब को जीत लिया है |
यह वधू बड़े ऐश्वर्य वाली और पुरुषार्थिनी हो |
23,24-अथर्ववेद ७.३८.४ और १२.३.५२
सभा और समिति में जा कर स्त्रियां भाग लें और अपने विचार प्रकट करें |
ऋग्वेद १०.८५.७
माता- पिता अपनी कन्या को पति के घर जाते समय बुद्धिमत्ता और विद्याबल उपहार में दें | माता- पिता को चाहिए कि वे अपनी कन्या को दहेज़ भी दें तो वह ज्ञान का दहेज़ हो |
ऋग्वेद ३.३१.१
पुत्रों की ही भांति पुत्री भी अपने पिता की संपत्ति में समान रूप से उत्तराधिकारी है
इसके अलावा ऋग्वेद १० .१ .५९ , ऋग्वेद १.१६४.४१,ऋग्वेद १०.८५.४६ में भी सनातन धर्म की नारियों का उल्लेख मिलता है,
सनातन धर्म में ही रानी विषपला का उल्लेख मिलता है जिनका युद्ध के दौरान पैर क//ट गया था व लोहे का पैर लगाया गया था अर्थात् पुरूषों के समकक्ष स्त्रियां युद्ध करतीं थीं।
आइये श्लोकों के माध्यम से वेदों में यज्ञ कराने वाली महिलाओं विदुषियों का उल्लेख देखते हैं।
घोषा गोधा विश्ववारा ,अपालोपनिषन्नयत्।
ब्रह्म जाय जुहूर्नाम् अगस्तस्य स्वसादिति।।
ऋग्वेद ब्रह्म देवता के 24 वें अध्याय का श्लोक 84
इन्द्राणी चेन्द्र माता च सरमा रोमशोर्वशी ।
लोपामुद्रा च नद्यश्च यमी नारी च शाश्वती।। 85
श्रीर्लक्ष्मी: सार्प राज्ञी वाक् श्रद्धा मेघा च दक्षिणा।
रात्री सूर्या च सावित्री ब्रह्म वादिन्य ईरिता: ।।86
अर्थात् :- घोषा,गोधा,विश्ववारा,अपाला,उपनिषत्,निषत्,जुहू,अदिति,इन्द्राणी,सरमा,रोमसा,उर्वशी,लोपामुद्रा,यमी,शाश्वती,सूर्या,सावित्री आदि ब्रह्मवादिनी हैं।
इसलिये सनातन धर्म पर उंगली उठाने से पहले ये तय कर लें कि जिस धर्म के होकर वो उंगली उठा रहे हैं क्या उस धर्म की महिला को उनके धर्मस्थल पर पूजा,अर्चना या मुख्य पुजारी होने का भी अधिकार है क्या?
क्योंकि न तो बौद्ध धर्म में कोई बौद्ध भिक्षुणी होती,न ईसाइयत में कोई मदर प्रीस्ट।
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"United against hate" by the name one thing in your mind comes what a good name we should support it anyhow and be in the ideology of it.
Same is with left ecosystem they keep their name to decieve the innocent people. tfipost.com/2020/11/united…
Similarly a group name was "Pinja tod gang" looks like it is talking about freedom but which freedom?
Freedom to disturb the India?
Freedom to deceive the innocent people?
Freedom to abuse one religion and appease another?
Similarly leftist ecosystem works.
After shaheenbagh these groups have joined the farmer agitation in delhi to convert it into a riot and to deceive again the innocent people of india.
As in anti caa movement there is nothing to do with the actual people of India similarly in new Farm bill there is nothing wrong.
But now if we study our vedas we will find 4 dimensional world where life exists.
These are
Satya loka
Tapa loka
Jana loka
Mahar loka
Svar loka
Bhuvar loka
Bhu loka
Atala loka
Vital loka
Sutal loka
Talatal loka
Mahatal loka
Rasatal loka
Patal loka
अब आप ये कहेंगे कि इसमें कौन सा आश्चर्य है मन्दिर का आधार बाकी के 69 पिलर पर होगा कुछ यही थ्योरी ब्रिटिश इन्जीनियर हैमिल्टन ने दी थी और उसने झूलते पिलर पर हथौड़े से काफी वार किये तो पता चला कि कुल 25 पिलर पर दरारें आ गयीं अर्थात् मन्दिर का आधार झूलता पिलर है। @Real_Vishal_
इस मन्दिर का निर्माण 1583 में हुआ था यहां एक स्वयंभू शिवलिंग भी है जिसे वीरभद्रावतार माना जाता है मन्दिर का निर्माण विरूपन्ना और वीरन्ना नामक दो भाइयों ने कराया था जो कि विजयनगर राज्य में कार्य करते थे। @Brand_Netan
रानी गाइदिन्ल्यू कितने लोग जानते हैं इनको?
शायद नागालैंड के लोगों या मणिपुर के लोगों को छोड़कर एक भी नहीं।
इनका जन्म 26 जनवरी 1915 को नंग्कओ ग्राम,रंगमई,मणिपुर में हुआ था।
इनके पिता कोबाई कबीले के नागाई की पुरोहिताई करते थे।
13 साल की उम्र में ये अपने चचेरे भाई के साथ हेरा आन्दोलन में जुड़ीं थीं जो कि मिशनरियोॆ के खिलाफ धर्म परिवर्तन को लेकर था।
29/08/1931 को जदोनांग को अंग्रेजों ने फां//सी दे दी।
फिर नागालैंड की दसवीं कक्षा में पढने वाली इस रानी ने आन्दोलन की बागडोर अपने हाथ में संभाली +
अंग्रेजों ने वहां गांव के गांव ज///ला दिये परन्तु आदिवासियों का विश्वास न डगा सके।
गोरिल्ला युद्ध की तकनीक जानने के चलते स्थान बदलकर काफी युद्ध किये रानी किला बनाना चाहती थी जिसमें 4000 सैनिक एकसाथ रह सकें परन्तु काम बीच में चलते ही अंग्रेजों ने युद्ध कर दिया +