सच्चिदानन्दरूपाय विश्वोत्पत्त्यादिहेतवे।
तापत्रयविनाशाय श्रीकृष्णाय वयं नुमः॥
!१/१!

सच्चिदानन्दस्वरूप भगवान् श्रीकृष्णको हम नमस्कार करते हैं, जो जगत् की उत्पत्ति, स्थिति और विनाशके हेतु तथा आध्यात्मिक, आधिदैविक और आधिभौतिक~ तीनों प्रकारके तापोंका नाश करनेवाले हैं॥१!!#जयश्रीकृष्ण Image
यं प्रव्रजन्तमनुपेतमपेतकृत्यं
द्वैपायनो विरहकातर आजुहाव।
पुत्रेति तन्मयतया तरवोऽभिनेदु-
स्तं सर्वभूतहृदयं मुनिमानतोऽस्मि॥
!१/२!

जिस समय शुकदेवजीका बिना यज्ञोपवीत-संस्कार हुए संन्यासके लिए जाते देखकर पिता व्यासजी पुकारने लगे~बेटा!कहां जारहे हो?उस समय वृक्षोंने उत्तर दिया था॥२!!🙏 ImageImage
नैमिषे सूतमासीनमभिवाद्य महामतिम्।
कथामृतरसास्वादकुशलः शौनकोऽब्रवीत्॥
!१/३!

एक बार भगवत्कथामृतका रसास्वादन करनेमें कुशल मुनिवर शौनकजीने नैमिषारण्य क्षेत्रमें विराजमान महामति सूतजीको नमस्कार करके उनसे पूछा॥३!!

#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम्
#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam Image
!शौनक उवाच!

अज्ञानध्वान्तविध्वंसकोटिसूर्यसमप्रभ।
सूताख्याहि कथासारं मम कर्णरसायनम्॥
!१/४!

शौनकजी बोले-- सूतजी! आपका ज्ञान अज्ञानान्धकारको नष्ट करनेके लिये करोड़ों सूर्योंके समान है। आप हमारे कानोंके लिये रसायन--अमृतस्वरूप सारगर्भित कथा कहिये॥४!!

#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम् Image
भक्तिज्ञानविरागाप्तो विवेको वर्धते महान्।
मायामोहनिरासश्च वैष्णवैः क्रियते कथम्॥
!१/५!

भक्ति, ज्ञान और वैराग्यसे प्राप्त होनेवाले महान् विवेककी वृद्धि किस प्रकार होती है तथा वैष्णवलोग किस तरह इस माया-मोहसे अपना पीछा छुड़ाते हैं?॥५!!

#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam Image
इह घोरे कलौ प्रायो जीवश्चासुरतां गतः।
क्लेशाक्रान्तस्य तस्यैव शोधेने किं परायणम्॥
!१/६!

इस घोर कलिकालमें जीव प्रायः आसुरी स्वभावके हो गये हैं, विविध क्लेशोंसे आक्रांत इन जीवोंको शुद्ध (दैवीशक्ति-सम्पन्न) बनानेका सर्वश्रेष्ठ उपाय क्या है?॥६!!

#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम् 🚩🙏 Image
श्रेयसां यद्भवेच्छ्रेयः पावनानां च पावनम्।
कृष्णप्राप्तिकरं शश्वत्साधनं तद्वदाधुना॥
!१/७!

सूतजी! आप हमें कोई ऐसा शाश्वत साधन बताइये, जो सबसे अधिक कल्याणकारी तथा पवित्र करनेवालोंमें भी पवित्र हो तथा जो भगवान् श्रीकृष्णकी प्राप्ति करा दे॥७!!

#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam Image
चिन्तामणिर्लोकसुखं सुरद्रुः स्वर्गसम्पदम्।
प्रयच्छति गुरः प्रीतो वैकुण्ठं योगिदुर्लभम्॥
!१/८!

चिंतामणि केवल लौकिक सुख दे सकती है और कल्पवृक्ष अधिक-से-अधिक स्वर्गीय स्म्पत्ति दे सकता है; परन्तु गुरूदेव प्रसन्न होकर भगवान् का योगिदुर्लभ नित्य वैकुण्ठ धाम दे देते हैं॥८!!#जयश्रीराधे Image
!सूत उवाच!

प्रीति: शौनक चित्ते ते ह्यतो वच्मि विचार्य च।
सर्वसिद्धान्तनिष्पन्नं संसारभयनाशनम्॥
!१/९!

सूतजीने कहा~ शौनकजी! तुम्हारे हृदयमें भगवान् का प्रेम है; इसलिये मैं विचारकर तुम्हें सम्पूर्ण सिद्धान्तोंका निष्कर्ष सुनाता हूं, जो जन्म-मृत्युके भयका नाश कर देता है॥९!#श्रीराधे Image
भक्त्योघवर्धनं यच्च कृष्णसंतोषहेतुकम्।
तदहं तेऽभिधास्यामि सावधानतया श्रृणु॥
!१/१०!

जो भक्तिके प्रवाहको बढ़ाता है और भगवान् श्रीकृष्णकी प्रसन्नताका प्रधान कारण है, मैं तुम्हें वह साधन बतलाता हूं; उसे सावधान होकर सुनो॥१०!!

#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम्

@SbbsSansthanam Image
कालव्यालमुखग्रासत्रासनिर्णाशहेतवे।
श्रीमद्भागवतं शास्त्रं कलौ कीरेण भाषितम्॥
!१/११!

श्रीशुकदेवजीने कलियुगमें जीवोंके कालरूपी सर्पके मुखका ग्रास होनेके त्रासका आत्यन्तिक नाश करनेके लिए श्रीमद्भागवतशास्त्रका प्रवचन किया है॥११!!

#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam

#जयश्रीकृष्ण Image
एतस्मादपरं किञ्चिन्मनःशुद्ध्यै न विद्यते।
जन्मान्तरे भवेत्पुण्यं तदा भागवतं लभेत्॥
!१/१२!

मनकी शुद्धिके लिये इससे बढ़कर कोई साधन नहीं है। जब मनुष्यके जन्म-जन्मान्तरका पुण्य उदय होता है , तभी उसे इस भागवतशास्त्रकी प्राप्ति होती है॥१२!!

#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम्
#जयश्रीराधे Image
परीक्षिते कथां वक्तुं सभायां संस्थिते शुके।
सुधाकुम्भं गृहीत्वैव देवास्तत्र समागमन्॥
!१/१३!

जब शुकदेवजी राजा परीक्षित् को यह कथा सुनानेके लिये सभामें विराजमान हुए, तब देवतालोग उनके पास अमृतका कलश लेकर आये॥१३!!

#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam

@SbbsSansthanam #जयश्रीराधे Image
शुकं नत्वावदन् सर्वे स्वकार्यकुशलाः सुराः।
कथासुधां प्रयच्छस्व गृहीत्वैव सुधामिमाम्॥
!१/१४!

देवता अपना काम बनानेमें बड़े कुशल होते हैं; अतः यहाँ भी सबने शुकदेवमुनिको नमस्कार करके कहा; 'आप यह अमृत लेकर बदलेमें हमें कथामृतका दान दीजिये॥१४!!

#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम् #राधेजू Image
एवं विनिमये जाते सुधा राज्ञा प्रपीयताम्।
प्रपास्यामो वयं सर्वे श्रीमद्भागवतामृतम्॥
!१/१५!

इस प्रकार परस्पर विनिमय (अदला-बदली) हो जानेपर राजा परीक्षित् अमृतका पान करें और हम सब श्रीमद्भागवतरूप अमृतका पान करेंगे'॥१५!!

#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam

@SbbsSansthanam 🚩🙏🚩 Image
क्व सुधा क्व कथा लोके क्व काचः क्व मणिर्महान्।
ब्रह्मरातो विचार्यैवं तदा देवाञ्जहास ह॥
!१/१६!

इस संसारमें कहाँ काँच और कहाँ महामूल्य मणि तथा कहाँ सुधा और कहाँ कथा ? श्रीशुकदेवजीने (यह सोचकर) उस समय देवताओंकी हँसी उड़ा दी॥१६!!

#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम्

@SbbsSansthanam 🚩 Image
अभक्तांस्तांश्च विज्ञाय न ददौ स कथामृतम्।
श्रीमद्भागवती वार्ता सुराणामपि दुर्लभा॥
!१/१७!

उन्हें भक्तिशून्य (कथाका अनधिकारी) जानकर कथामृतका दान नहीं किया। इस प्रकार यह श्रीमद्भागवतकी कथा देवताओंको भी दुर्लभ है॥१७!!

#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam
@SbbsSansthanam #श्रीराधे Image
राज्ञो मोक्षं तथा वीक्ष्य पुरा धातापि विस्मितः।
सत्यलोके तुलां बद्ध्वातोलयत्साधनान्यजः॥
!१/१८!

पूर्वकालमें श्रीमद्भागवतके श्रवणसे ही राजा परीक्षित्-की मुक्ति देखकर ब्रह्माजीको भी बड़ा आश्चर्य हुआ था। उन्होंने सत्यलोकमें तराजू बाँधकर सब साधनोंको तौला॥१८!!

@SbbsSansthanam 🚩🙏🚩 Image
लघून्यन्यानि जातानि गौरवेण इदं महत्।
तदा ऋषिगणाः सर्वे विस्मयं परमं ययुः॥
!१/१९!

अन्य सभी साधन तौलमें हलके पड़ गये, अपने महत्त्वके कारण भागवत ही सबसे भारी रहा। यह देखकर सभी ऋषियोंको बड़ा विस्मय हुआ॥१९!!

#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam
#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम् Image
मेनिरे भगवद्रूपं शास्त्रं भागवतं कलौ।
पठनाच्छ्रवणात्सद्यो वैकुण्ठफलदायकम्॥
!१/२०!

उन्होंने कलियुगमें इस भगवद्रूप भागवतशास्त्रको ही पढ़ने-सुननेसे तत्काल मोक्ष देनेवाला निश्चय किया॥२०!!

#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम्
#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam

@SbbsSansthanam 🚩🙏🚩 Image
सप्ताहेन श्रुतं चैतत्सर्वथा मुक्तिदायकम्।
सनकाद्यैः पुरा प्रोक्तं नारदाय दयापरैः॥
!१/२१!

सप्ताह-विधिसे श्रवण करनेपर यह निश्चय भक्ति प्रदान करता है। पूर्वकालमें इसे दयापरायण सनकादिने देवर्षि नारदको सुनाया था॥२१!!

#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Samsthanam

#जयश्रीराम @SbbsSansthanam Image
यद्यपि ब्रह्मसम्बन्धाच्छ्रुतमेतत्सुरर्षिणा।
सप्ताहश्रवणविधिः कुमारैस्तस्य भाषितः॥
!१/२२!

यद्यपि देवर्षिने पहले ब्रह्माजीके मुखसे इसे श्रवण कर लिया था, तथापि सप्ताहश्रवणकी विधि तो उन्हें सनकादिने ही बतायी थी॥२२!!

#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम्

@SbbsSansthanam #जय_श्री_कृष्णा Image
!शौनक उवाच!

लोकविग्रहमुक्तस्य नारदस्यास्थिरस्य च।
विधिश्रवे कुतः प्रीतिः संयोगः कुत्र तैः सह॥
!१/२३!

शौनकजीने पूछा~सांसारिक प्रपञ्चसे मुक्त एवं विचरणशील नारदजीका सनकादिके साथ संयोग कहाँ हुआ और विधि-विधानके श्रवणमें उनकी प्रीति कैसे हुई?॥२३!#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam Image
!सूत उवाच!

अत्र ते कीर्तयिष्यामि भक्तियुक्तं कथानकम्।
शुकेन मम यत्प्रोक्तं रहः शिष्यं विचार्य च॥
!१/२४!

सूतजीने कहा~ अब मैं तुम्हें वह भक्तिपूर्ण कथानक सुनाता हूँ, जो श्रीशुकदेवजीने मुझे अपना अनन्य शिष्य जानकर एकान्तमें सुनाया था॥२४!!

#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम् #श्रीराधे Image
एकदा हि विशालायां चत्वार ऋषयोऽमलाः।
सत्सङ्गार्थं समायाता ददृशुस्तत्र नारदम्॥
!१/२५!

एक दिन विशालापुरीमें वे चारों निर्मल ऋषि सत्सङ्गके लिये आये। वहाँ उन्होंने नारदजीको देखा॥२५!!

#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam
#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम्
#जय_श्रीकृष्ण @SbbsSansthanam Image
!कुमारा ऊचुः!

कथं ब्रह्मन्दीनमुखः कुतश्चिन्तातुरो भवान्।
त्वरितं गम्यते कुत्र कुतश्चागमनं तव॥
!१/२६!

सनकादिने पूछा~ ब्रह्मन्! आपका मुख उदास क्यों हो रहा है? आप चिन्तातुर कैसे हैं? इतनी जल्दी-जल्दी आप कहाँ जा रहे हैं? और आपका आगमन कहाँसे हो रहा है?॥२६!!
#RepublicDay #गणतंत्रदिवस ImageImage
इदानीं शून्यचित्तोऽसि गतवित्तो यथा जनः।
तवेदं मुक्तसङ्गस्य नोचितं वद कारणम्॥
!१/२७!

इस समय तो आप उस पुरुषके समान व्याकुल जान पड़ते हैं जिसका सारा धन लुट गया हो; आप-जैसे आसक्तिरहित पुरुषोंके लिये यह उचित नहीं है। इसका कारण बताइये॥२७!!

#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam
#राधे Image
!नारद उवाच!

अहं तु पृथिवीं यातो ज्ञात्वा सर्वोत्तमामिति।
पुष्करं च प्रयागं च काशीं गोदावरीं तथा॥
!१/२८!

नारदजीने कहा-- मैं सर्वोत्तम लोक समझकर पृथ्वीमें आया था। यहाँ पुष्कर, प्रयाग, काशी, गोदावरी (नासिक)...॥२८!!

#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम्

Please Follow @SbbsSansthanam 🚩 Image
हरिक्षेत्रं कुरुक्षेत्रं श्रीरङ्गं सेतुबन्धनम्।
एवमादिषु तीर्थेषु भ्रममाण इतस्ततः॥
!१/२९!

हरिद्वार, कुरुक्षेत्र, श्रीरङ्ग और सेतुबन्ध आदि कई तीर्थोमें मैं इधर-उधर विचरता रहा;...॥२९!!

#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam
#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम् #जयश्रीकृष्ण #जयश्रीराधे Image
नापश्यं कुत्रचिच्छर्म मनःसंतोषकारकम्।
कलिनाधर्ममित्रेण धरेयं बाधिताधुना॥
!१/३०!

...किन्तु मुझे कहीं भी मनको संतोष देनेवाली शान्ति नहीं मिली। इस समय अधर्मके सहायक कलियुगने सारी पृथ्वीको पीड़ित कर रखा है॥३०!!

#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम्
#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam Image
सत्यं नास्ति तपः शौचं दया दानं न विद्यते।
उदरम्भरिणो जीवा वराकाः कूटभाषिणः॥
!१/३१!

अब यहाँ सत्य,तप,शौच(बाहर-भीतरकी पवित्रता),दया,दान आदि कुछ भी नहीं है। बेचारे जीव केवल अपना पेट पालनेमें लगे हुए हैं;...॥३१!!

#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam
#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम् Image
मन्दाः सुमन्दमतयो मन्दभाग्या ह्युपद्रुताः।
पाखण्डनिरताः सन्तो विरक्ताः सपरिग्रहाः॥
!१/३२!

वे असत्यभाषी,आलसी,मन्दबुद्धि,भाग्यहीन,उपद्रवग्रस्त हो गये हैं।जो साधु-संत कहे जाते हैं,वे पूरे पाखण्डी हो गये हैं; देखनेमें तो वे विरक्त हैं,किन्तु स्त्री-धन आदि सभीका परिग्रह करते हैं॥३२!! Image
तरुणीप्रभुता गेहे श्यालको बुद्धिदायकः।
कन्याविक्रयिणो लोभाद्दम्पतीनां च कल्कनम्॥
!१/३३!

घरोंमें स्त्रियोंका राज्य है, साले सलाहकार बने हुए हैं, लोभसे लोग कन्याविक्रय करते हैं और स्त्री-पुरुषोंमें कलह मचा रहता है॥३३!!

#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam

@SbbsSansthanam 🚩🙏 Image
आश्रमा यवनै रुद्धास्तीर्थानि सरितस्तथा।
देवतायतनान्यत्र दुष्टैर्नष्टानि भूरिशः॥
!१/३४!

महात्माओंके आश्रम, तीर्थ और नदियोंपर यवनों- (विधर्मियों-) का अधिकार हो गया है; उन दुष्टोंने बहुत-से देवालय भी नष्ट कर दिये हैं॥३४!!

#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम्

@SbbsSansthanam #श्रीकृष्ण Image
न योगी नैव सिद्धो वा न ज्ञानी सत्क्रियो नरः।
कलिदावानलेनाद्य साधनं भस्मतां गतम्॥
!१/३५!

इस समय यहाँ न कोई योगी है न सिद्ध है; न ज्ञानी है और न सत्कर्म करनेवाला ही है। सारे साधन इस समय कलिरूप दावानलसे जलकर भस्म हो गये हैं॥३५!!

#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam

#जयश्रीकृष्ण Image
अट्टशूला जनपदाः शिवशूला द्विजातयः।
कामिन्यः केशशूलिन्यः सम्भवन्ति कलाविह॥
!१/३६!

इस कलियुगमें सभी देशवासी बाजारोंमें अन्न बेचने लगे हैं, ब्राह्मणलोग पैसा लेकर वेद पढ़ाते हैं और स्त्रियाँ वेश्या-वृत्तिसे निर्वाह करने लगी हैं॥३६!!

#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम्
#जयश्रीकृष्ण #राम Image
एवं पश्यन् कलेर्दोषान् पर्यटन्नवनीमहम्।
यामुनं तटमापन्नो यत्र लीला हरेरभूत्॥
!१/३७!

इस तरह कलियुगके दोष देखता और पृथ्वीपर विचरता हुआ मैं यमुनाजीके तटपर पहुंचा, जहाँ भगवान् श्रीकृष्णकी अनेकों लीलाएँ हो चुकी हैं॥३७!!

#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam

🚩 #JaiShriKrishna 🚩🙏 Image
तत्राश्चर्यं मया दृष्टं श्रूयतां तन्मुनीश्वराः।
एका तु तरुणी तत्र निषण्णा खिन्नमानसा॥
!१/३८!

मुनिवरो ! सुनिये, वहाँ मैंने एक बड़ा आश्चर्य देखा। वहाँ एक युवती स्त्री खिन्न मनसे बैठी थी॥३८!!

#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम्
#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam

#जयश्रीराधे 🚩😠 Image
वृद्धौ द्वौ पतितौ पार्श्वे निःश्वसन्तावचेतनौ।
शुश्रूषन्ती प्रबोधन्ती रुदती च तयोः पुरः॥
!१/३९!

उसके पास दो वृद्ध पुरुष अचेत अवस्थामें पड़े जोर-जोरसे साँस ले रहे थे। वह तरुणी उनकी सेवा करती हुई कभी उन्हें चेत करानेका प्रयत्न करती और कभी उनके आगे रोने लगती थी॥३९!!

#ShriRadheShyam Image
दशदिक्षु निरीक्षन्ती रक्षितारं निजं वपुः।
वीज्यमाना शतस्त्रीभिर्बोध्यमाना मुहुर्मुहुः॥
!१/४०!

वह अपने शरीरके रक्षक परमात्माको दशों दिशाओंमें देख रही थी। उसके चारों ओर सैकड़ों स्त्रियाँ उसे पंखा झल रही थीं और बार-बार समझाती जाती थीं॥४०!!

#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम् Image
दृष्ट्वा दूराद्गतः सोऽहं कौतुकेन तदन्तिकम्।
मां दृष्ट्वा चोत्थिता बाला विह्वला चाब्रवीद्वचः॥
!१/४१!

दूरसे यह सब चरित देखकर मैं कुतूहलवश उसके पास चला गया। मुझे देखकर वह युवती खड़ी हो गयी और बड़ी व्याकुल होकर कहने लगी॥४१!!

#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam
#नरकनिवारणचतुर्दशी Image
!बालोवाच!

भो भोः साधो क्षणं तिष्ठ मच्चिन्तामपि नाशय।
दर्शनं तव लोकस्य सर्वथाघहरं परम्॥
!१/४२!

युवतीने कहा -- अजी महात्माजी ! क्षणभर ठहर जाइये और मेरी चिन्ताको भी नष्ट कर दीजिये। आपका दर्शन तो संसारके सभी पापोंको सर्वथा नष्ट कर देनेवाला है॥४२!!

#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम् Image
बहुधा तव वाक्येन दुःखशान्तिर्भविष्यति।
यदा भाग्यं भवेद्भूरि भवतो दर्शनं तदा॥
!१/४३!

आपके बचनोंसे मेरे दुःखकी भी बहुत कुछ शान्ति हो जायगी। मनुष्यका जब बड़ा भाग्य होता है, तभी आपके दर्शन हुआ करते हैं॥४३!!

#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam
#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम् 🚩🙏 Image
!नारद उवाच!

कासि त्वं काविमौ चेमा नार्यः काः पद्मलोचनाः।
वद देवि सविस्तारं स्वस्य दुःखस्य कारणम्॥
!१/४४!

नारदजी कहते हैं~तबमैंने उसस्त्रीसे पूछा~देवि!तुम कौनहो?येदोनों पुरुष तुम्हारे क्या होतेहैं?& तुम्हारे पासये कमलनयनी देवियाँ कौनहैं?तुमहमें विस्तारसे अपने दुःखका कारण बताओ॥४४ Image
!बालोवाच!

अहं भक्तिरिति ख्याता इमौ मे तनयौ मतौ।
ज्ञानवैराग्यनामानौ कालयोगेन जर्जरौ॥
!१/४५!

युवतीने कहा ~मेरा नाम भक्ति है, ये ज्ञान और वैराग्य नामक मेरे पुत्र हैं। समयके फेरसे ही ये ऐसे जर्जर हो गये हैं॥४५!

#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam
#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम् Image
गङ्गाद्याः सरितश्चेमा मत्सेवार्थं समागताः।
तथापि न च मे श्रेयः सेवितायाः सुरैरपि॥
!१/४६!

ये देवियाँ गङ्गाजी आदि नदियाँ हैं। ये सब मेरी सेवा करनेके लिये ही आयी हैं। इस प्रकार साक्षात् देवियोंके द्वारा सेवित होनेपर भी मुझे सुख-शान्ति नहीं है॥४६!!

#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम्🚩 Image
इदानीं शृणु मद्वार्तां सचित्तस्त्वं तपोधन।
वार्ता मे वितताप्यस्ति तां श्रुत्वा सुखमावह॥
!१/४७!

तपोधन ! अब ध्यान देकर मेरा वृत्तान्त सुनिये। मेरी कथा वैसे तो प्रसिद्ध है, फिर भी उसे सुनकर आप मुझे शान्ति प्रदान करें॥४७!!
#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम्
#VasantPanchami #सरस्वतीपूजा Image
उत्पन्ना द्रविडे साहं वृद्धिं कर्णाटके गता।
क्वचित्क्वचिन्महाराष्ट्रे गुर्जरे जीर्णतां गता॥
!१/४८!

मैं द्रविड़ देशमें उत्पन्न हुई, कर्णाटकमें बढ़ी, कहीं-कहीं महाराष्ट्रमें सम्मानित हुई; किन्तु गुजरातमें मुझको बुढ़ापेने आ घेरा॥४८!!

#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम्

#SaraswatiPuja ImageImage
तत्र घोरकलेोगात्पाखण्डैः खण्डिताङ्गका।
दुर्बलाहं चिरं याता पुत्राभ्यां सह मन्दताम्॥
!१/४९!

वहाँ घोर कलियुगके प्रभावसे पाखण्डियोंने मुझे अङ्ग-भङ्ग कर दिया। चिरकालतक यह अवस्था रहनेके कारण मैं अपने पुत्रोंके साथ दुर्बल और निस्तेज हो गयी॥४९!!

#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam ImageImage
वृन्दावनं पुनः प्राप्य नवीनेव सुरूपिणी।
जाताहं युवती सम्यक्प्रेष्ठरूपा तु साम्प्रतम्॥
!१/५०!

अब जबसे मैं वृन्दावन आयी, तबसे पुनः परम सुन्दरी रूपा सुरूपवती नवयुवती हो गयी हूँ॥५०!!

#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम्
#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam

Follow @SbbsSansthanam 🚩🙏 ImageImage
इमौ तु शयितावत्र सुतौ मे क्लिश्यतः श्रमात्।
इदं स्थानं परित्यज्य विदेशं गम्यते मया॥
!१/५१!

किन्तु सामने पड़े हुए ये दोनों मेरे पुत्र थके-माँदे दुःखी हो रहे हैं। अब मैं यह स्थान छोड़कर अन्यत्र जाना चाहती हूँ॥५१!!

#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam
#श्रीभगवतभागवतसेवासंस्थानम् Image
जरठत्वं समायातौ तेन दुःखेन दुःखिता।
साहं तु तरुणी कस्मात्सुतौ वृद्धाविमौ कुतः॥
!१/५२!

ये दोनों बूढ़े हो गये हैं - इसी दुःखसे मैं दुःखी हूँ। मैं तरुणी क्यों और ये दोनों मेरे पुत्र बूढ़े क्यों?॥५२!!

#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम्
#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam
#जयश्रीराम Image
त्रयाणां सहचारित्वाद्वैपरीत्यं कुतः स्थितम्।
घटते जरठा माता तरुणौ तनयाविति॥
!१/५३!

हम तीनों साथ - साथ रहनेवाले हैं। फिर यह विपरीतता क्यों? होना तो यह चाहिये कि माता बूढ़ी हो और पुत्र तरुण॥५३!!

#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam
#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम्

#JaiShriRam🚩 Image
अतः शोचामि चात्मानं विस्मयाविष्टमानसा।
वद योगनिधे धीमन् कारणं चात्र किं भवेत्॥
!१/५४!

इसीसे मैं आश्चर्यचकित चित्तसे अपनी इस अवस्थापर शोक करती रहती हूँ। आप परम बुद्धिमान् एवं योगनिधि हैं; इसका क्या कारण हो सकता है, बताइये ?॥५४!!

#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम्

@SbbsSansthanam🚩 Image
!नारद उवाच!

ज्ञानेनात्मनि पश्यामि सर्वमेतत्तवानघे।
न विषादस्त्वया कार्यो हरिः शं ते करिष्यति॥
!१/५५!

नारदजीने कहा~साध्वि! मैं अपने हृदयमें ज्ञानदृष्टि से तुम्हारे सम्पूर्ण दुःखका कारण देखता हूँ, तुम्हें विषाद नहीं करना चाहिये। श्रीहरि तुम्हारा कल्याण करेंगे॥५५!!
@SbbsSansthanam Image
!सूत उवाच!

क्षणमात्रेण तज्ज्ञात्वा वाक्यमूचे मुनीश्वरः॥
!१/५६!

सूतजी कहते हैं -- मुनिवर नारदजीने एक क्षणमें ही उसका कारण जानकर कहा॥५६!!

#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम्
#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam
#श्रीभगवतभागवतसेवासंस्थानम् #LikeRetweetComment #JaiShriKrishna 🚩🙏 Image
!नारद उवाच!

शृणुष्वावहिता बाले युगोऽयं दारुणः कलिः।
तेन लुप्तः सदाचारो योगमार्गस्तपांसि च॥
!१/५७!

नारदजीने कहा - देवि ! सावधान होकर सुनो। यह दारुण कलियुग है। इसीसे इस समय सदाचार, योगमार्ग और तप आदि सभी लुप्त हो गये हैं॥५७!!

#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam

#JaiShriRam🚩 Image
जना अघासुरायन्ते शाठ्यदुष्कर्मकारिणः।
इह सन्तो विषीदन्ति प्रहष्यन्ति ह्यसाधवः।
धत्ते धैर्यं तु यो धीमान् स धीरः पण्डितोऽथवा॥
!१/५८!

लोगशठता&दुष्कर्ममेंलगकरअघासुरबनरहेहैं।जहाँदेखोवहींसत्पुरुषदुःखसेम्लानहैं&दुष्टसुखीहोरहाहै।जिसबुद्धिमानपुरुषकाधैर्यबनारहे,वहीबड़ाज्ञानीयापण्डितहै॥५८ Image
अस्पृश्यानवलोक्येयं शेषभारकरी धरा।
वर्षे वर्षे क्रमाज्जाता मङ्गलं नापि दृश्यते॥
!१/५९!

पृथ्वी क्रमशः प्रतिवर्ष शेषजीके लिये भाररूप होती जा रही है। अब यह छूनेयोग्य तो क्या, देखनेयोग्य भी नहीं रह गयी है और न इसमें कहीं मङ्गल ही दिखायी देता है॥५९!!

#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम् Image
न त्वामपि सुतैः साकं कोऽपि पश्यति साम्प्रतम्।
उपेक्षितानुरागान्धैर्जर्जरत्वेन संस्थिता॥
!१/६०!

अब किसीको पुत्रोंके साथ तुम्हारा दर्शन भी नहीं होता। विषयानुरागके कारण अंधे बने हुए जीवोंसे उपेक्षित होकर तुम जर्जर हो रही थी॥६०!!

#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam

#JaiShriRam Image
वृन्दावनस्य संयोगात्पुनस्त्वं तरुणी नवा।
धन्यं वृन्दावनं तेन भक्तिर्नृत्यति यत्र च॥
!१/६१!

वृन्दावनके संयोगसे तुम फिर नवीन तरुणी हो गयी हो। अतः यह वृन्दावनधाम धन्य है, जहाँ भक्ति सर्वत्र नृत्य कर रही है॥६१!!

#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम्
#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam Image
अत्रेमौ ग्राहकाभावान्न जरामपि मुञ्चतः।
किञ्चिदात्मसुखेनेह प्रसुप्तिर्मन्यतेऽनयोः॥
!१/६२!

परंतु तुम्हारे इन दोनों पुत्रोंका यहाँ कोई ग्राहक नहीं है,इसलिये इनका बुढ़ापा नहीं छूट रहा है।यहाँ इनको कुछ आत्मसुख(भगवत्स्पर्शजनित आनन्द)की प्राप्ति होनेके कारण ये सोते-से जान पड़ते हैं॥६२! Image
!भक्तिरुवाच!

कथं परीक्षिता राज्ञा स्थापितो ह्यशुचिः कलिः।
प्रवृत्ते तु कलौ सर्वसारः कुत्र गतो महान्॥
!१/६३!

भक्तिने कहा - राजा परीक्षित्ने इस पापी कलियुगको क्यों रहने दिया? इसके आते ही सब वस्तुओंका सार न जाने कहाँ चला गया?॥६३!!

#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम्
#JaiShriKrishna🚩 Image
करुणापरेण हरिणाप्यधर्मः कथमीक्ष्यते।
इमं मे संशयं छिन्धि त्वद्वाचा सुखितास्म्यहम्॥
!१/६४!

करुणामय श्रीहरिसे भी यह अधर्म कैसे देखा जाता है? मुने! मेरा यह संदेह दूर कीजिये, आपके बचनोंसे मुझे बड़ी शान्ति मिली है॥६४!
#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam
#श्रीभगवतभागवतसेवासंस्थानम् Image
!नारद उवाच!

यदि पृष्टस्त्वया बाले प्रेमतः श्रवणं कुरु।
सर्वं वक्ष्यामि ते भद्रे कश्मलं ते गमिष्यति॥
!१/६५!

नारदजीने कहा - बाले ! यदि तुमने पूछा है, तो प्रेमसे सुनो; कल्याणी ! मैं तुम्हें सब बताऊँगा और तुम्हारा दुःख दूर हो जायगा॥६५!!
#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम्
#जयश्रीहनुमान Image
यदा मुकुन्दो भगवान् क्ष्मां त्यक्त्वा स्वपदं गतः।
तद्दिनात्कलिरायातः सर्वसाधनबाधकः॥
!१/६६!

जिस दिन भगवान् श्रीकृष्ण इस भूलोकको छोड़कर अपने परमधामको पधारे, उसी दिनसे यहाँ सम्पूर्ण साधनोंमें बाधा डालनेवाला कलियुग आ गया॥६६!!

#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam

@SbbsSansthanam Image
दृष्टो दिग्विजये राज्ञा दीनवच्छरणं गतः।
न मया मारणीयोऽयं सारङ्ग इव सारभुक्॥
!१/६७!

दिग्विजयके समय राजा परीक्षित की दृष्टि पड़नेपर कलियुग दीनके समान उनकी शरणमें आया। भम्ररके समान सारग्राही राजाने यह निश्चय किया कि इसका वध मुझे नहीं करना चाहिये॥६७!!
#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम् Image
यत्फलं नास्ति तपसा न योगेन समाधिना।
तत्फलं लभते सम्यक्कलौ केशवकीर्तनात्॥
!१/६८!

क्योंकि जो फल तपस्या, योग एवं समाधिसे भी नहीं मिलता, कलियुगमें वही फल श्रीहरिकीर्तनसे ही भलीभाँति मिल जाता है॥६८!!

#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam
#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम्

#जयश्रीराधे Image
एकाकारं कलिं दृष्ट्वा सारवत्सारनीरसम्।
विष्णुरातः स्थापितवान् कलिजानं सुखाय च॥
!१/६९!

इस प्रकार सारहीन होनेपर भी उसे इस एक ही दृष्टिसे सारयुक्त देखकर उन्होंने कलियुगमें उत्पन्न होनेवाले जीवोंके सुखके लिये ही इसे रहने दिया था॥६९!!

#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम्

@SbbsSansthanam Image
कुकर्माचरणात्सारः सर्वतो निर्गतोऽधुना।
पदार्थाः संस्थिता भूमौ बीजहीनास्तुषा यथा॥
!१/७०!

इस प्रकार लोगोंके कुकर्ममें प्रवृत्त होनेके कारण सभी वस्तुओंका सार निकल गया है और पृथ्वीके सारे पदार्थ बीजहीन भूसीके समान हो गये हैं॥७०!!

#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam
#ॐ_नमः_शिवायः ImageImage
विप्रैर्भागवती वार्ता गेहे गेहे जने जने।
कारिता कणलोभेन कथासारस्ततो गतः॥
!१/७१!

ब्राह्मण केवल अन्न-धनादिके लोभवश घर-घर एवं जन-जनको भागवतकी कथा सुनाने लगे हैं, इसलिये कथाका सार चला गया॥७१!!

#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम्
#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam
#शिव_दर्शन #हरिओम् Image
अत्युग्रभूरिकर्माणो नास्तिका गैरवा जनाः।
तेऽपि तिष्ठन्ति तीर्थेषु तीर्थसारस्ततो गतः॥
!१/७२!

तीर्थोंमें नाना प्रकारके अत्यन्त घोर कर्म करनेवाले, नास्तिक और नारकी पुरुष भी रहने लगे हैं; इसलिये तीर्थोंका भी प्रभाव जाता रहा॥७२!!

#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam
#जय_श्रीहनुमान Image
कामक्रोधमहालोभतृष्णाव्याकुलचेतसः।
तेऽपि तिष्ठन्ति तपसि तपःसारस्ततो गतः॥
!१/७३!

मनपर काबू न होनेके कारण तथा लोभ, दम्भ और पाखण्डका आश्रय लेनके कारण एवं शास्त्रका अभ्यास न करनेसे ध्यानयोगका फल मिट गया॥७३!!

#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम्
#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam
🙏🚩 Image
मनसश्चाजयाल्लोभाद्दम्भात्पाखण्डसंश्रयात्।
शास्त्रानभ्यसनाच्चैव ध्यानयोगफलं गतम्॥
!१/७४!

जिनका चित्त निरन्तर काम, क्रोध, महान् लोभ और तृष्णासे तपता रहता है, वे भी तपस्याका ढोंग करने लगे हैं, इसलिये तपका भी सार निकल गया॥७४!!

#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam

@SbbsSansthanam Image
पण्डितास्तु कलत्रेण रमन्ते महिषा इव।
पुत्रस्योत्पादने दक्षा अदक्षा मुक्तिसाधने॥
!१/७५!

पण्डितोंको यह दशा है कि वे अपनी स्त्रियोंके साथ भैंसोंकी तरह रमण करते हैं; उनमें संतान पैदा करनेकी ही कुशलता पायी जाती है, मुक्तिसाधनमें वे सर्वथा अकुशल हैं॥७५!
#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम् Image
न हि वैष्णवता कुत्र सम्प्रदायपुरःसरा।
एवं प्रलयतां प्राप्तो वस्तुसारः स्थले स्थले॥
!१/७६!

सम्प्रदायानुसार प्राप्त हुई वैष्णवता भी कहीं देखनेमें नहीं आती। इस प्रकार जगह-जगह सभी वस्तुओंका सार लुप्त होगया है॥७६

#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam
#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम् Image
अयं तु युगधर्मो हि वर्तते कस्य दूषणम्।
अतस्तु पुण्डरीकाक्षः सहते निकटे स्थितः॥
!१/७७!

यह तो इस युगका स्वभाव ही है, इसमें किसीका दोष नहीं है। इसीसे पुण्डरीकाक्षभगवान् बहुत समीप रहते हुए भी यह सब सह रहे हैं॥७७!
#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam
#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम् Image
!सूत उवाच!

इति तद्वचनं श्रुत्वा विस्मयं परमं गता।
भक्तिरूचे वचो भूयः श्रूयतां तच्च शौनक॥
!१/७८!

सूतजी कहते हैं - शौनकजी ! इस प्रकार देवर्षि नारदके वचन सुनकर भक्तिको बड़ा आश्चर्य हुआ; फिर उसने जो कुछ कहा, उसे सुनिये॥७८!! Image
!भक्तिरुवाच!

सुरर्षे त्वं हि धन्योऽसि मद्भाग्येन समागतः।
साधूनां दर्शनं लोके सर्वसिद्धिकरं परम्॥
!१/७९!

भक्तिने कहा-देवर्षे! आप धन्य हैं! मेरा बड़ा सौभाग्य था, जो आपका समागम हुआ। संसारमें साधुओंका दर्शन ही समस्त सिद्धियोंका परम कारण है॥७९!
#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam
जयति जगति मायां यस्य कायाधवस्ते
वचनरचनमेकं केवलं चाकलय्य।
ध्रुवपदमपि यातो यत्कृपातो ध्रुवोऽयं
सकलकुशलपात्रं ब्रह्मपुत्रं नतास्मि॥
!१/८०!

आपकेउपदेशसेप्रह्लादनेमायापरविजयप्राप्तकरली।ध्रुवआपकीकृपासेध्रुवपदप्राप्तकिया।आपसर्वमङ्गलमय&साक्षातब्रह्माजीकेपुत्रहैं,मैंआपकोनमस्कारकरतीहूँ॥८० Image
नारद उवाच

वृथा खेदयसे बाले अहो चिन्तातुरा कथम्।
श्रीकृष्णचरणाम्भोजं स्मर दुःखं गमिष्यति॥
!२/१!

नारदजी ने कहा~बाले!तुम व्यर्थ ही अपनेको क्यों खेदमें डाल रही हो?अरे!तुम इतनी चिन्तातुर क्योंहो?भगवान् श्रीकृष्णके चरणकमलोंका चिन्तन करो,उनकी कृपासे तुम्हारा सारा दुःख दूर हो जायगा॥१!! Image
द्रौपदी च परित्राता येन कौरवकश्मलात्।
पालिता गोपसुन्दर्यः स कृष्णः क्वापि नो गतः॥
!२/२!

जिन्होंने कौरवोंके अत्याचारसे द्रौपदीकी रक्षा की थी और गोपसुन्दरियोंको सनाथ किया था,वे श्रीकृष्ण कहीं चले थोड़े ही गये हैं॥२
#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam
#श्रीभगवतभागवतसेवासंस्थानम् Image
त्वं तु भक्तिः प्रिया तस्य सततं प्राणतोऽधिका।
त्वयाऽऽहूतस्तु भगवान् याति नीचगृहेष्वपि॥
!२/३!

फिर तुम तो भक्ति हो और सदा उन्हें प्राणोंसे भी प्यारी हो; तुम्हारे बुलानेपर तो भगवान् नीचोंके घरोंमें भी चले जाते हैं॥३!!

#Shri_Bhagavat_Bhagwat_Seva_Sansthanam

@SbbsSansthanam 🚩🙏🚩 Image
सत्यादित्रियुगे बोधवैराग्यौ मुक्तिसाधकौ।
कलौ तु केवला भक्तिर्ब्रह्मसायुज्यकारिणी॥
!२/४!

सत्य, त्रेता और द्वापर -इन तीन युगोंमें ज्ञान और वैराग्य मुक्तिके साधन थे; किन्तु कलियुगमें तो केवल भक्ति ही ब्रह्मसायुज्य (मोक्ष) की प्राप्ति करानेवाली है॥४!!
#श्री_भगवत_भागवत_सेवा_संस्थानम् Image

• • •

Missing some Tweet in this thread? You can try to force a refresh
 

Keep Current with श्री भगवत भागवत सेवा संस्थानम्

श्री भगवत भागवत सेवा संस्थानम् Profile picture

Stay in touch and get notified when new unrolls are available from this author!

Read all threads

This Thread may be Removed Anytime!

PDF

Twitter may remove this content at anytime! Save it as PDF for later use!

Try unrolling a thread yourself!

how to unroll video
  1. Follow @ThreadReaderApp to mention us!

  2. From a Twitter thread mention us with a keyword "unroll"
@threadreaderapp unroll

Practice here first or read more on our help page!

Did Thread Reader help you today?

Support us! We are indie developers!


This site is made by just two indie developers on a laptop doing marketing, support and development! Read more about the story.

Become a Premium Member ($3/month or $30/year) and get exclusive features!

Become Premium

Don't want to be a Premium member but still want to support us?

Make a small donation by buying us coffee ($5) or help with server cost ($10)

Donate via Paypal

Or Donate anonymously using crypto!

Ethereum

0xfe58350B80634f60Fa6Dc149a72b4DFbc17D341E copy

Bitcoin

3ATGMxNzCUFzxpMCHL5sWSt4DVtS8UqXpi copy

Thank you for your support!

Follow Us!

:(