गाड़ी चलाते हुए अगर कोई #बच्चा सामने आ जाए तो पहले कोशिश करे कि गाड़ी को रोक लें मगर यह मुमकिन न हो तो फिर बच्चे के पीछे से निकालें क्यों कि साधारणतया बच्चा आगे की तरफ दोड़ता है।
इसी प्रकार कोई #बुजुर्ग गाड़ी के सामने आ जाए तो उसके आगे से गाड़ी निकालें क्यों कि वृद्धजन नॉर्मली पीछे की और हटते है।
यदि कोई युवा #पुरुष गाड़ी के सामने आता दिखता है तो अपनी सीधी रौ में चलते हुए गाड़ी थोड़ी धीमी कर लें।
पुरूष गाड़ी पास आने पर अपने आप ही फुर्ती से आगे पीछे हो जाएगा या जम्प ही लगा लेगा।
लेकिन ईश्वर न करे कोई #महिला आपकी गाड़ी के सामने आ जाए तो हर हाल में गाड़ी रोकने का प्रयास करें.
क्योंकि ईश्वर की यह अद्भुत और निराली रचना पहले आगे की तरफ भागती है फिर हड़बड़ा कर वापस पीछे की ओर उल्टे पैर भागेगी....
और अंत में जब कुछ समझ न आएगा तो दोनों कानों पर हाथ रखकर सड़क के बीचों बीच खड़ी हो जाएगी।
😂😄😄😁
(आधे विश्व से गुस्ताखी माफ)
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एक बड़े शहर में " Get Husband " नामक एक स्टोर
खुला। यह 6 मंजिला स्टोर था और हर मंजिल पर हसबेंड पसंद
किया जा सकता था।
पहली मंजिल से आगे बढ़ते जाने पर और
बढ़िया हसबेंड
की गारंटी थी। हर मंजिल
पर लिखा था कि वहाँ किन विशेषताओं वाले
आदमी मिलेंगे।
एक महिला हसबेंड पसंद करने उस स्टोर में गयी।
पहली मंजिल--- इन पुरुषों के पास
नौकरी है।
महिला आगे बढ़ गयी और दूसरी मंजिल
पर गयी।
दूसरी मंजिल--- इन पुरुषों के पास
नौकरी भी है और ये
बच्चों को भी प्यार करते हैं।
महिला और आगे बढ़ी।
तीसरी मंजिल--- इन पुरुषों के पास
नौकरी है। ये बच्चों को प्यार भी करते
हैं और बहुत खूबसूरत भी हैं।
"वाह"....महिला ने सोचा लेकिन वह और आगे बढ़ी।
चौथी मंजिल--- इन पुरुषों के पास
नौकरी है। ये बच्चों को प्यार करते हैं। बहुत
खूबसूरत भी हैं और ये घरेलू कामों में हाँथ
भी बंटाते हैं।
"
गुलामी के दिन थे। प्रयाग में कुम्भ मेला चल रहा था। एक अंग्रेज़ अपने द्विभाषिये के साथ वहाँ आया। गंगा के किनारे एकत्रित अपार जन समूह को देख अंग्रेज़ चकरा गया।
उसने द्विभाषिये से पूछा, "इतने लोग यहाँ क्यों इकट्टा हुए हैं?"
द्विभाषिया बोला, "गंगा स्नान के लिये आये हैं सर।"
अंग्रेज़ बोला, "गंगा तो यहां रोज ही बहती है फिर आज ही इतनी भीड़ क्यों इकट्ठा है?"
द्विभाषीया: - "सर आज इनका कोई मुख्य स्नान पर्व होगा।"
अंग्रेज़ - " पता करो कौन सा पर्व है ?"
द्विभाषिये ने एक आदमी से पूछा तो पता चला कि आज बसंत पंचमी है।
अंग्रेज़- "इतने सारे लोगों को एक साथ कैसे मालूम हुआ कि आज ही बसंत पंचमी है?"
* न ऋतु बदली.. न मौसम
* न कक्षा बदली... न सत्र
* न फसल बदली...न खेती
* न पेड़ पौधों की रंगत
* न सूर्य चाँद सितारों की दिशा
* ना ही नक्षत्र।।
1 जनवरी आने से पहले ही सब नववर्ष की बधाई देने लगते हैं। मानो कितना बड़ा पर्व है।
नया केवल एक दिन ही नही होता..
कुछ दिन तो नई अनुभूति होनी ही चाहिए। आखिर हमारा देश त्योहारों का देश है।
ईस्वी संवत का नया साल 1 जनवरी को और भारतीय नववर्ष (विक्रमी संवत) चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। आईये देखते हैं दोनों का तुलनात्मक अंतर:
1. प्रकृति-
1 जनवरी को कोई अंतर नही जैसा दिसम्बर वैसी जनवरी.. चैत्र मास में चारो तरफ फूल खिल जाते हैं, पेड़ो पर नए पत्ते आ जाते हैं। चारो तरफ हरियाली मानो प्रकृति नया साल मना रही हो I
2. वस्त्र-
दिसम्बर और जनवरी में वही वस्त्र, कंबल, रजाई, ठिठुरते हाथ पैर..
हमारे राजा शिवि ने एक कबूतर की रक्षा के प्रण के लिए गिद्ध की क्षुधा शांत करने को अपना मांस काट काटकर तराजू पर तोला, अंत में स्वयं तराजू में चढ़कर उसकी रक्षा की।
ऋषि दधीचि ने अनंत पीड़ा सहन करके भी अपनी रीढ़ की हड्डी का दान किया,
ताकि दुर्जनों का अंत हो सके।
जटायु जैसे पक्षी राज ने भी दुर्बल होते हुए दशानन रावण से लड़कर नारि की रक्षा का धर्म निभाया और बलिदान हुए।
महामहिम भीष्म पितामह जो अर्जुन के सैकड़ो तीरों से छलनी होकर भी कई दिनों तक बाणों के बिस्तर मे पुरे होश मे रहे और आध्यात्म, अमूल्य प्रवचन,
और ज्ञान देने के बाद अपनी इच्छानुसार मकर संक्रांति को प्राण त्यागें ।
राजस्थान की धरती पर भी ऐसे कई वीर हुए जिनके शीश कटने के बाद भी शरीर लड़ता रहा, जब तक शरीर से प्राण नही निकले।
ये भारत भूमि राम कृष्ण त्याग, समर्पण,आध्यात्म और ज्ञान की भूमि है,
कुछ लोगों ने नीचे वाली पहली तस्वीर शेयर करके अफवाह उड़ा रखी है कि अम्बानी गेंहू भी बेच रहा है जिओ का 😂😂
अबे मंद बुद्धि चमचों पहली बात तो यह है कि ये बोरियाँ सिर्फ जिओ की लोकप्रियता के चलते छापी है किसी व्यापारी ने
जैसे बड़े ब्रांड की कॉपी करके चिप्स के पैकेट बिग बॉस या मोटू पतलू के नाम से आ जाते हैं वैसे ही इसका अम्बानी या जिओ से कोई लेना देना नही है और यह काम लोकल सेलर लोकल लेवल पर करते है
दूसरी बात इन बोरियो में गेंहू नही क्या है आप वह स्वयम देखिये
अब तीसरा फोटू देखिये जिओ का गुटखा
मने चमचों के हिसाब से तो जिओ का गुटखा भी अम्बानी चिचा ही निकाले होंगे
अबे चमचों फिर तुम बोलते हो कि हम अम्बानी अडानी के लिए बैटिंग करते है
अबे मंडबुद्धियो जब तुम्हारे में अक्ल ही नही है कि विरोध की राजनीति से ऊपर उठ के देख पाओ तो हम तो खंडन करेंगे ही तुम्हारे झूठ का
अक्सर जब हम मंदिर जाते है तो पंडित जी हमें भगवान का चरणामृत देते है.
क्या कभी हमने ये जानने की कोशिश की. कि चरणामृतका क्या महत्व है.
शास्त्रों में कहा गया है
अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम्।
विष्णो: पादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते ।।
"अर्थात भगवान विष्णु के चरण का अमृत रूपी जल समस्त पाप-व्याधियोंका शमन करने वाला है तथा औषधी के समान है।
जो चरणामृत पीता है उसका पुनः जन्म नहीं होता" जल तब तक जल ही रहता है जब तक भगवान के चरणों से नहीं लगता,
जैसे ही भगवान के चरणों से लगा तो अमृत रूप हो गया और चरणामृत बन जाता है.
जब भगवान का वामन अवतार हुआ, और वे राजा बलि की यज्ञ शाला में दान लेने गए तब उन्होंने
तीन पग में तीन लोक नाप लिए जब उन्होंने पहले पग में नीचे के लोक नाप लिए और दूसरे में ऊपर के लोक नापने लगे तो जैसे ही ब्रह्म लोक में उनका चरण गया तो ब्रह्मा जी ने अपने
कमंडलु में से जल लेकर भगवान