दीप सिद्धू ने हिंसा कर दी। दीप सिद्धू को मोदी ने सीखा दिया था कि किसानों को बदनाम कर दो। दीप सिद्धू की तस्वीर फलाँ के साथ है। अरे भाई, जब ऐसा है तो लटका दो फाँसी पर उसको। हम तो कल भी कह रहे थे कि वो खालिस्तानी है और आज भी कह रहे हैं कि वो खालिस्तानी है, देशद्रोही है।
बरखा दत्त के शो में उसने भिंडरवाले का बचाव किया था। यही अंतर है। हम कल भी उसके खिलाफ थे, आज भी हैं। कल वो तुम्हारा बाप था, आज वो दुश्मन हो गया। जब तुम गिरोह के लोग अपनों के सगे नहीं हो तो किसी और के क्या होगे। हम कह रहे सिद्धू को लटका दो।
तुम में ये कहने की हिम्मत है कि राकेश टिकैत को फाँसी दो?
अब भी ऐसे बेशर्म लोग हैं इन दंगाइयों का बचाव कर रहे हैं। भाई, 300 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। 300.. उनके बाल-बच्चों का क्या? उनके परिवारों का क्या? तुम्हारे बाप की जागीर हैं वो जो उन्हें मारते-पीटते हो?
उनके पास बंदूकें थीं, लाठियाँ थीं - लेकिन उन्होंने धैर्य दिखाया। लट्ठ बजाना बड़ा आसान है, लेकिन उन्होंने लाठी सहा। कल ये साबित हो गया कि । सब दगाबाज हैं। सेना में बलिदान हुए और इस्लामी आक्रांताओं के हाथों जान गँवाने वाले सिखों का अपमान है ये।
मोदी सरकार को अब दिखाना चाहिए कि असली हिटलरशाही क्या होती है। वैसे भी ये दिन भर मोदी को तानाशाह-तानाशाह कहते रहते हैं। 2-4 को पकड़ के इतना मारो कि नानी याद आ जाए, आगे ये सड़क पर निकलने के लिए भी सोचेंगे। देश साथ है, फिर कैसी झिझक? कैसा डर?
ये पहले से बेनकाब हैं, और क्या पोल खोलना उनकी। वो पहले से नँगे हैं। इनके एक-एक नेता को पकड़ के पेलो तो सही, इनके समर्थकों को हम तो देख ही रहे रोज। भीमा-कोरेगाँव हो या दिल्ली दंगा या ये खालिस्तानी उपद्रव - ये सब हिंदुओं के खिलाफ युद्ध है। किसी कानून से कोई मतलब नहीं इन्हें।
बचाव करने वाले कह रहे हैं कि फलाँ साल की चिलाँ तारीख को भी तो श्याम ने अब्दुल को थप्पड़ मार दिया था? फलाँ हिंदूवादी ने भी तो ताजमहल से चिलाँ किलोमीटर की दूरी पर एक भगवा झंडे के साथ तस्वीर क्लिक करवाई थी। फलाँ आंदोलन में भी तो एक कागज का टुकड़ा हिंदुओं ने फेंक दिया था।
इसीलिए सब जायज है जब वो सोच रहे हैं कि ये जंग है और इसमें जब वाजिब है, फिर आप इनके आकाओं की पीठ पर लाठी क्यों नहीं तोड़ रहे?80 साल का वरवरा राव जेल में है,33 साल का उमर खालिद जेल में है.ऐसे सभी को ठूँसो. ऐसे केस बनाओ कि ये साले 25सालतक निकलने न पाएँ बाहर चाहे किसी कोर्ट में जाएँ
भाजपा को याद रखना चाहिए कि बार-बार किसी एक पार्टी को बहुमत नहीं मिलता। क्या पता कल को आप 270 पर रुक जाएँ? फिर सरकार आप नहीं, बल्कि गठबंधन की वो पार्टी चलाएगी जिसके पास मात्र 3 सीट होगी।
अगर दोबारा पूर्ण बहुमत मिला है तो इसीलिए मिला है, ताकि आप हिंदुओं की रक्षा/सुरक्षा के ऐसे इंतजाम कीजिए कि आप सत्ता में न भी रहें तो हमें कोई परेशानी न हो। जैसे कॉन्ग्रेस ने 55 वर्ष सत्ता चलाई और ऐसे कुत्ते तैयार किए जो उनके लिए आज भी भूँकते हैं और नैरेटिव बनाते हैं।
हमें एक इकोसिस्टम तैयार करना है, कुत्तों का नहीं बल्कि शेरों का।
हाँ, 10 अगर गोली से मारे जाएँ तो ये सरकार को क्रूर कह के नैरेटिव बनाएँगे। लेकिन जब मुंगेर के अनुराग पोद्दार को सिर्फ इसीलिए सिर में गोली कर दी जाती है क्योंकि वो माँ दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन कर रहा था,
तो हमारा विश्वास डिगेगा ही। अनुराग की उसकी माँ की गोद में पड़ी लाश और दूर अलग निकल कर पड़ा हुआ उसका दिमाग.. ये तस्वीर भूले नहीं है हम। जिन पुलिसकर्मियों ने ऐसा किया, उन सबकी पदोन्नति हो रही। सरकार में आप भी साझेदार हैं। जवाब देना होगा। हिंदुओं के लिए अलग नियम और
खालिस्तानियों/इस्लामियों के लिए अलग? ये कैसी सत्ता चला रहे आप?
बहुत हो गया विकास। अब हमारी राह में रोड़ा बनने वालों पर लाठियाँ तोड़ी जाएँ। ऐन न हो कि हिन्दू भीड़ खुद निकल कर इन्हें घर से निकाल-निकाल कर मारने लगे। अमित शाह ने किस हिसाब से तनिष्क के उस विवाद को गैर-जरूरी बताया था
जिसमें 'लव जिहाद' को प्रमोट किया गया था? हिंदुओं को गाली देने वाले मौलानाओं पद्म श्री मिल रहा है लेकिन वो आपकी एक न सुन रहे। आप सबका विश्वास जीतने की कोशिश लाख कर लो, जो आज तक देश के नहीं हुए वो आपके नहीं होंगे। विश्वास जीतने वाली राजनीति छोड़िए और सारी रणनीतियों को त्याग कर
शस्त्र उठाईये सरकार।बाकी कुछ लोग ऐसे हैं जो कह रहे कि वो कृषि कानूनों के तो विरोध में हैं लेकिन 26 जनवरी को हुई हिंसा की भी निंदा करते हैं। अरे ये वही दंगाई तो हैं जो 3 महीने से कृषि कानूनों का विरोध कर रहे। हम कल से इन्हें खालिस्तानी/दंगाई कह रहे, आप अब मजबूरी में कह रहे हैं
क्योंकि इन्होंने खुद को ही बेनकाब कर दिया। कल ऐसे ही जब तक वीडियो सामने नहीं आया था तुम हमें मूर्ख बना रहे थे कि तिरंगे का अपमान नहीं हुआ। अब अलग बहाना। सरकार झुकी, सुप्रीम कोर्ट झुकी, लेकिन हिन्दू नहीं झुकेंगे। हम कायर सरकार नहीं हैं। ये हमारा देश है, तुम्हारे बाप का नहीं।
अब एक ही उपाय है। एक-एक को चुन कर जेल में डाला जाए। योगेंद्र यादव से लेकर राकेश टिकैत तक को। राजदीप सरदेसाई ने किसान को पुलिस द्वारा गोली मारे जाने की अफवाह फैलाई, जबकि वो खुद स्टंट करते हुए मरा ट्रैक्टर पलटने से। उसे भी जेल में डालो। कौन रोक रहा आपको?
उनके चट्टों-बट्टों के साथ। नैरेटिव हम संभाल लेंगे क्योंकि विरोध करने वाले तो ये भी कह रहे हैं कि अरे आवेश आ गया तो लाल किला पर चढ़ गए, विद्रोह ऐसा ही होता है। अच्छा? आवेश में कोई रेप कर दे तो उसका भी बचाव करोगे?जब विद्रोह में जब जायज है तो विद्रोह के दमन के लिए भी सब जायज होगा अब
याचना नही अब तो रण होगा
संघर्ष बडा ही भीषण होगा
जय हिंद
जय मा भारती
वंदे मातरम
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इस्रायल ला अरब देश आता मान्यता देत सुटतील
UAE ,बहरिन झालं
अझरबैझन हा सर्वप्रथम मान्यता देणारा पहिला इस्लामी देश
पाकिस्तान तर इस्रायल ला आतापर्यंत पाण्यात बघतो
सौदी हा देश तर इस्लाम चे उगमस्थान आहे तोच सौदी आता मान्यता देण्याच्या रेस मध्ये अग्रेसर आहे
त्यामुळे पाकिस्तान आता केव्हाही इस्रायल ला मान्यता देईल.
आणि जेरुसलेम मधील ज्या पवित्र वास्तूची दुहाई देत इस्लाम यहुदी लोकांशी टोकाचे वैर आजवर निभावत आलाय त्या वैराचाच बळी दिला जाईल
आणखीही 1 नवल असे की
अझरबैझन हा इस्रायल ला मान्यता देणारा पहिला इस्लामी देश
त्यामुळे आर्मेनियाविरुद्ध युद्धात इस्रायल ने अझरबैझन ची साथ दिली
आणि पाकिस्तान ही अझरबैझन 1 इस्लामी देश आहे असे कारण दाखवून इस्रायल च्या जोडीने युद्धात उतरण्याची घोषणा केली तेव्हाच अंदाज आला की इस्रायल ला
शाबाश सिंह सपूतों, गुरु के खालसाओं ! आज हमारी छाती फूल कर चौड़ी हो गई ! ट्रेक्टर लेकर लाल किला फतह कर लिया ! अब अपने ट्रैक्टरों का रुख ननकाना साहब, करतारपुर साहब और उस लाहौर की तरफ़ भी मोड़ लो, जिसके क़िले की प्राचीर पर कभी महाराजा रणजीतसिंहजी का झण्डा फहराया करता था,
ननकाना साहब की तरफ़ भी बढ़ो, “हिन्दुओं की औरतों को अहमद शाह अब्दाली के चंगुल से छुड़ा कर लाने वाले” सिंहों, पाकिस्तान में मुख्य गुरुद्वारे के ग्रन्थी रागी की बेटी को मुल्लों से छुड़ा लाओ, भारत विभाजन के दौरान बिछड़े हुए गुरुद्वारों को फिर से अपने कब्जे में ले लो,
जिसके लिए आप हमेशा अरदास करते हो ! आप के लिए कुछ भी असम्भव नहीं ! वीरता दिखाओगे ना खालसाओं.?
अरे फर्जी आन्दोलन वालो 1984 में इतनी हिम्मत दिखाए होते तो निर्दोष सिक्खों को गर्दन में जलते टायर डालकर कांग्रेसी नहीं जला पाते
🎭 👉 दिल्ली पंजाब हायवे के होटलों में पड़े थे सारे नेता
सुना है होटल खाली करके अपनी अपनी SUV लेकर भाग लिये हैं और ट्रॅक्टर ट्रॉलीया भी वापिस भाग रही हैं...
आज एक बात साबित हो गई हर पगड़ी वाला भगत सिंह नही होता है....
यही रात अंतिम यही रात भारी ...
धैर्य रखिये तिरंगे के अपमान की पूरी कीमत वसूल होगी बॉर्डर सील हो चुके हैं नेट बन्द हो चुके हैं ...
वो मज़दूर पैदल ओर भूखे ही गांव चल पड़े *लॉकडाउन* मे लेकिन इतनी घटिया हरकत नहीं कि उन्होनें जो आज फर्जी किसानों ने दिल्ली में की...
1 तारीख का आंदोलन भी स्थगित कर दिया गया है
सबकी अब फटने लगी है
आंदोलन में फूट🤔
योगेंद्र यादव का बयान आया है कि : सिंधु बॉर्डर पर हमारे संगठन के कोई किसान नही है, वहीं टिकैत के गुंडे कह रहे हैं हम योगेंद्र के यादव को नही जानते वो कौन है..
तांडव की पूरी शूटिंग पटौदी-पैलेस में हुईं थी !
निर्देशक अली अब्बास जफ़र सल्लू मियां का बेहद खास है !
सुल्तान (2016), टाईगर जिंदा है (2017) और भारत (2019)
इसी ने डाइरेक्ट की थीं !
तांडव का राइटर गौरव सोलंकी पहले "तहलका" में काम कर चुका है !
इंडिया में अमेजॉन प्राईम विडिओ की बॉस अपर्णा अधिकारी को हिंदू-धर्म से एलर्जी है !
लेकिन इसमे अनूप सोनी, सुनील ग्रोवर और डिंपल कपाडिया भी तो थे !
इनको अपने धर्म का अश्लील मज़ाक वो भी मुसलमान ऐक्टर्स द्वारा..उड़ते देखकर कुछ बुरा नहीं लगा ?
यही तो है प्रोब्लेम! हमारी तो कश्ती डूबती ही वहां है जहाँ पानी कम होता है !
"मोहम्मद" पर फ़िल्म बन रही थी! किसी मुसलमान को वो रोल करने की इजाजत मौलानाओं से नहीं मिली और किसी हिंदू ने गर्दन उतरने के ख़ौफ़ से किया नहीं!
मामु ने उस फ़िल्म को भी बैन कर दिया !
पंजाबी कलाकार और एक तरह से खालिस्तानी समर्थक 'दीप संधू' की एक फोटो बीजेपी के नेताओं के साथ दिख गई तो वो भाजपाई हो गया नहीं तो अभी तक वो क्रांतिकारी आंदोलनकारी और किसानों के लिए आवाज़ उठाने वाला था ; लेकिन 2019 में चुनाव लड़ चुका 'गुरनाम चढूनी',
आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ चुका 'योगेंद्र यादव', और 2014 में रालोद से चुनाव लड़ चुका 'राकेश टिकैत', सीपीआई का नेता 'हन्नान मोल्ला' और नक्सली 'दर्शन पाल', निष्पक्ष किसान नेता हैं।
ये है इन गुंडों का बचाव करने वालो का फेक नैरेटिव।
अब पूरे जोर लगाए जा रहे है सब कुछ सरकार पर मढ़ने के लिए, पर सरकार और समाज ने थोड़ा नुकसान सहकर इन सभी देशद्रोहियों की साजिश को नाकाम कर दिया। दुख की बात ये है कि चुनावी हार न पचा पाने वाले लोकदलिये, कांग्रेसी और अन्य दलों के भी हज़ारों गुर्गे खुले आम इन तत्वों का
लाल किले पर निशान साहिब का झंडा आपने इतनी आसानी से लहरा दिया क्योंकि ये जो शासक है वह आपको अपना मानता है।।
(याद रहे सन 1984 मे आपकी मर्दानगी छिन ली थी एक प्रधानमंत्री ने)।
अगर वो चाहता तो आपको चार कदम भी न हिलने देता...
अगर आप समझते हो कि आप मोदी को एक्सपोज़ किये हो तो भूल है.
उसने आपको एक्सपोज़ कर दिया.
उसने उस साजिश की पोल खोल दी कि कैसे हर नॅशनल डे तक किसी भी आंदोलन को खींचा जाता है और उसे शाहीन बाग जैसी घृणित आंदोलन की शक्ल दी जाती है.
आप हार गए मोदी जीत गया.
जिसे आप तानाशाह साबित करने पर तुले थे उसने आपकी अराजकता को पूरी दुनिया के सामने दिखा दिया
कि आप एक paid आंदोलन में शामिल थे जिसकी आयु 26 जनवरी तक थी और दुनिया के सामने यह संदेश देना चाहते थे कि मोदी तानाशाह है..!
लेकिन मोदी ने आपके क्रियाकलाप का भीषण विरोध न करके आपको जल बिन मछली बना दिया...
और यह संदेश दिया कि वह तानाशाह नही बल्कि आप अराजक हो..!