सिंधु बार्डर पर बैठे गद्दार आंदोलनकारियों के खिलाफ फूटा आसपास के गांवों के किसानों का गुस्सा. भारी झड़प..
कल ग्रामीणों के सिंधु बार्डर खाली करवाने के अल्टीमेटम के बाद भी पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठे रही. लेकिन आज ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा और खालिस्तान मुर्दाबाद,
तिरंगे का अपमान नही सहेगा हिंदुस्तान. जैसे नारो के साथ देशभक्त किसानों ने किसानों के वेश में सिंधु बार्डर पर बैठे गद्दारो को सड़के खाली करवाने के लिए पुनः पुलिस से अपील की..
लेकिन जब पुलिस ने इन्हें रोका तो भीड़ ने खुद ही आंदोलन कारियो के तम्बू उखाड़ने शुरू कर दिए.
जिसे देखते हुए आंदोलनकारियों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी. ताजा समाचार मिलने तक झड़प चालू है. लेकिन पुलिस गद्दारो को हटाने की बजाए दूसरी भीड़ को हटा रही है.
मोटा भाई अब छोड़िए लोकतंत्र का तमाशा अन्यथा जनता निराश हो जाएगी. जो आपमे पूर्व गृहमंत्री सरदार पटेल की छवि देखती है.
दिल्ली पुलिस आपके हाथों में है. जनता आपके साथ है. कीजिए सिंधु बार्डर से लेकर गाजियाबाद तक सख्त कार्यवाही.
तिरंगे का अपमान करने वालो का अभी तक सड़को पर बैठे रहना जनता में रोष भर रहा है जो गृहयुद्ध के संकेत है. जरूरत से अधिक लोकतंत्र अराजकता का जनक है.
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भारत में जब उच्च स्तरीय परीक्षा होते हैं, औरतों से मंगलसूत्र कान की बाली तक उतरवा ली जाती है, गले के लॉकट ताबीज तक उतरवा लिए जाते हैं।
मगर सिक्खों को कृपाण ले जाने की इजाजत है।
भारत में हवाई जहाज सफ़र में जेब में गलती से नेल कटर रह जाए तो हड़कम्प मच जाता है।
मगर सिक्खों को कृपाण ले जाने की इजाजत है।
अदालत में एक गवाह को कृपाण ले जाने से रोका गया, उस ने हाई कोर्ट में अपील किया, कोर्ट बोला ये हथियार नहीं, बल्कि यह सिखों का धार्मिक प्रतीक है और उन्हें इसे धारण करने का पूर्ण अधिकार है।
ये कुछ साल पुरानी बात है,
लंदन की अदालत में भी ऐसा ही कुछ मामला सामने आया, एक स्कूल ने बच्चे को कृपाण लाने से मना कर दिया, तब कोई “सर” मोटा सिंह ने कहा ‘‘मैं इस बात में कोई समस्या नहीं पाता कि किसी युवा सिख को कृपाण पहनने की अनुमति दी जाए। मैं पिछले 35-40 वर्षों से कृपाण धारण करता हूं.
राकेश टिकैत खुद को जाट बताकर जो सहानुभूति कार्ड खेल रहे है. जाट भाईयो टिकैत के जातिवाद में उलझकर भावनाओं में बहने की बजाए टिकैत से प्रश्न पूछो 2013 के वक्त ये कहां थे ?? जब जाट समुदाय को इनकी सबसे अधिक जरूरत थी. तब इन्हें जाटो की याद नही आई.
जाट भाइयो याद करो उस वक्त आपके साथ कौन खड़े थे ? किन्होंने आपके लिए सड़कों पर उतरकर साथ दिया था.
2013 में जब आजम के इशारे पर शांतिदूतों ने जाटों पर जानलेवा हमला किया था, तब टिकैत जाट समुदाय को अकेला छोड़कर कहां छुप गए थे. उस वक्त जाटो की मदद संजीव बालियान, सोमदत्त जैसे
भाजपा नेताओं ने की थी. लेकिन कांग्रेस, राहुल, प्रियंका, अखिलेश और टिकैत चुपचाप तमाशा देख रहे थे.
आज वही टिकैत कांग्रेस के गुणगान कर रहे है. जिनके पिता महेंद्र टिकैत को राजीव गांधी ने आंदोलन से बैरंग अपमानित कर लौटाया था. वो टिकैत कांग्रेस संग गलबहियां कर रहे है
कल रात यह 64 दिन का प्रहसन समाप्त हो जाना चाहिए था, जितना ज़हर अकेले इस टिकैत ने घोला है,इसकी मिसाल मिलनी मुश्किल है ! न BJP विधायक परिदृश्य में आये और बमुश्किल 30-40 नागरिक , पिछले 64 दिन की तकलीफों को लेकर, काफी दूर, थोड़ी बहुत नारे बाज़ी करते दिखाई पड़े थे...
लेकिन टिकैत ने कथित किसानों को पीटे जाने का झूठा वितंडा खड़ा कर दिया... दिखावटी रोना धोना शुरू कर दिया... यूपी पुलिस और सरकार दवाब में आ गई ! अस्वस्थ होने का भी नाटक किया.... बहरहाल मौज से टिकैत ने रात में खाना खाया, रात में नींद भी ली ! ढाक के वही तीन पात !
गाजीपुर में सेकुलर मीडिया लगातार रोते हुए टिकैत की बाइट शेयर कर रहा है !
गाजीपुर फ्लाईओवर देश का सबसे बड़ा और सबसे चौड़ा फ्लाईओवर है, दिल्ली की लाइफ लाइन है, पिछले 64 दिन से फ्लाईओवर के बीचोबीच सबसे ऊंचे स्थान पर कम से 50 मीटर चौड़ाई में टिकैत ने
अरे वो लालकिले में घुसे थे तो अपनी मर्जी से !
पर ये बताओ कि निकले किसकी मर्जी से ??
लालकिले को तहस नहस करके अपने घोड़ो (ट्रैक्टरों) पर सवार होकर, तलवार लहराते, लाठी भांजते, तिरंगे को पैरों तले रौंदते और खालिस्तान के जयकारे लगाते...वो हरामखोर देशद्रोही लालकिले से निकले कैसे ???
तुम्हारा आई टी सेल और तुम्हारे मंत्री और प्रवक्ता कह रहे हैं कि क्या एक और जलियांवाला होने देते ??
शर्म नहीं आयी इस सरकार को यह मूर्खता और कायरतापूर्ण बकवास दलील देते हुए ?!
अरे भीतरघातियों जलियांवाला बाग में राष्ट्र प्रेमी जुटे थे....आजादी के मतवाले जुटे थे।
यहां कौन सा राष्ट्र प्रेमी था लालकिले में...जो तुम इन गद्दार देशद्रोहियों की तुलना जलियांवाला बाग के वीर पुत्रों से कर रहे हो ??
अपनी नपुंसकता कब तक छुपाओगे तुम ???
नरेंद्र मोदी आपको जवाब देना पड़ेगा। इतिहास आपको कभी माफ नहीं करेगा।
कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए यदि सुरक्षा बलों को लगाया जाता है तो उन्हें कम से कम आत्म रक्षा का अधिकार तो दिया ही जाना चाहिए।
वैकल्पिक वर्ण व्यवस्था में वैकल्पिक राजा और वैकल्पिक क्षत्रिय अपना धर्म निभा ही नहीं सकते।
देश और समाज की सुरक्षा का खतरा इन्हीं वैकल्पिक वर्णों से है।
वैकल्पिक ब्राम्हण - निशुल्क शिक्षा नहीं दे सकता।
वैकल्पिक क्षत्रिय - दूसरों की रक्षा की व्यवस्था नहीं कर सकता।
वैकल्पिक वणिक - स्वरोजगार के प्रकल्प नहीं विकसित कर सकता।
वैकल्पिक शूद्र - सेवा भाव से सेवा नहीं कर सकता। और न ही मैन्युफैक्चरिंग कर सकता है।
इन तीन व्यवस्थाओं से ही समाज आज भी चल रहा है - पूरे विश्व में।
नाम बदल देने से सत्य का स्वरूप नहीं बदल सकता।
जल को वाटर बोलने से उसके गुण धर्म में कोई परिवर्तन हो सकता है क्या?
1― बीज खरीदने के लिए सब्सिडी।
2― कृषि उपकरण खरीदने के लिए सब्सिडी।
3― यूरिया (खाद) खरीदने के लिए सब्सिडी।
4― ट्रेक्टर ट्रोली खरीदने पर सब्सिडी।
5― पशुधन खरीदने पर सब्सिडी।
6― खेती पर लगने वाले अन्य खर्च के लिए सब्सिडी युक्त कर्ज।
7― किसान क्रेडिट कार्ड से कर्ज।
8― जैविक खेती करने पर सब्सिडी।
9― खेत में डिग्गी बनाने हेतू सब्सिडी।
10― फसल प्रदर्शन हेतू सब्सिडी।
11― फसल का बीमा।
12― सिंचाई पाईप लाईन हेतू सब्सिडी।
13― स्वचालित कृषि पद्धति अपनाने वाले किसानों को सब्सिडी।
14― जैव उर्वरक खरीदने पर सब्सिडी।
15― नई तरह की खेती करने वालो को फ्री प्रशिक्षण।
16― कृषि विषय पर पढ़ने वाले बच्चों को अनुदान।
17― सोलर एनर्जी के लिए सब्सिडी।
18― बागवानी के लिए सब्सिडी।
19― पंप चलाने हेतु डीजल में सब्सिडी।
20― खेतो में बिजली उपयोग पर सब्सिडी।