"2019 के चुनाव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी स्मृति इरानी के साथ पूरी ताकत से अमेठी में खड़े थे। इस समय चुनाव आयोग भी बेहद सक्रिय था। इसके चलते प्रशासन के स्वार्थी तत्व भी अपनी मनमानी नहीं कर पा रहे थे।
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कहा गया कि इस सख्ती की वजह से इस बार कांग्रेस की तरफ से पैसे नहीं बंट पाये। हालांकि कई अफसर अब भी कांग्रेस का राग अलापने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उनको भी अपने करियर की चिन्ता थी। लिहाजा ज्यादातर खामोशी से, पर न्यायपूर्ण ढंग से काम करने में लगे रहे।"
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Italian Queen bhee Rae Bareli mein aise hee jetati hai. 2024 mein usko bhee Mallapuram ke Bagal mein Bhejo.
Read how Pappu used to win Amethi.
"लोकसभा चुनावों में 2019 के पहले तक कांग्रेस के उम्मीदवार सात से दस दिन तक चुनाव लड़ने के लिए अमेठी आते थे। थोड़ा बहुत जनसम्पर्क होता था। फिर गेस्ट हाउस में अपने रहने के लिए बने विशेष कमरों में रुककर, चुनिन्दा लोगों से मुलाकात कर वापस लौट जाते थे। 1/
पर्चा दाखिल कर कांग्रेस उम्मीदवार के अमेठी से लौट जाने के बाद असली खेल शुरू होता था। मतदान के सप्ताह भर पहले ब्लॉक स्तर पर लिफाफे की राजनीति शुरू होती थी। 2/
भारतीय जनता पार्टी या कोई भी मुख्य विपक्षी दल अमेठी में लोकसभा चुनाव के लिए गम्भीरता से नहीं उतरता था, लिहाजा कांग्रेस को जीत मिल जाती थी। देशभर के मीडिया में इस बात को प्रचारित किया जाता था कि यह गाँधी परिवार का गढ़ है। 3/
कांग्रेस की इस रणनीति की काट के लिए 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने कार्यकर्ताओं को तैयार कर लिया था। 4/
जैसे ही ये सूचना मिलती थी कि कांग्रेस की कोई गाड़ी निकली है और आशंका है कि उसमें पैसे हैं, तो उसके पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता कैमरा लेकर निकल जाते थे।पिछले चुनावों में कुछ ऐसे राजनीतिक कार्यकर्ता थे जो दूसरी पार्टियों को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में आये थे।5/
इनमें से कुछ लोगों ने गड़बड़ियाँ कीं और बूथ मैनेजमेंट के लिए भारतीय जनता पार्टी की ओर से दी गयी राशि लेकर भाग गये। 6/
राशि बड़ी नहीं थी, लेकिन पैसे लेकर काम नहीं करने और भाग जाने की प्रवृत्ति बहुत बड़ी मानी गयी इसलिए 2019 के चुनाव के पहले पैसे लेकर गायब हो जानेवाले ऐसे लोगों की भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने एक सूची बनाई थी। 7/
अगर ऐसे किसी प्रधान के पास कांग्रेस का कोई आदमी जाता था, तो उसके तुरन्त बाद आरएसएस या भारतीय जनता पार्टी का आदमी जाता था। उससे पूछताछ करता था और प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से बता देता था कि पैसे अगर लिए भी हैं तो बांटना मत। 8/
भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का दावा है कि उनको पता था कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बांटने के लिए पैसे कांग्रेसियों ने कहाँ रखे थे। लेकिन वो छापेमारी कर कोई संवेदनशील मुद्दा कांग्रेस को नहीं देना चाहते थे। 9/
लिफाफे के इस खेल को रोकने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं के अलावा स्थानीय लोगों ने भी भारतीय जनता पार्टी की मदद की और पैसे बंटने की सूचना आने लगीं।10/
चुनावी धाँधली रोकने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आनुषंगिक संगठनों के अधिकारियों ने जिलाधिकारी और जिले में तैनात सभी अनुमंडल अधिकारियों के साथ बैठक की थी। 11/
उस बैठक में जिले में चुनाव के लिए जिम्मेदार सभी अफसरों और पुलिस अधिकारियों को साफ शब्दों में बता दिया गया था कि इस बार किसी भी कीमत पर पैसे नहीं बंटने देने हैं। 12/
स्मृति इरानी के चुनाव में सक्रिय भूमिका निभा रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक बड़े अधिकारी ने परोक्ष रूप से ये सन्देश भी दे दिया था कि अगर पैसे बंटे तो अधिकारी परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें। 13/
चूँकि सूबे और केन्द्र में भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी इसलिए कांग्रेस को इस बार अपनी पुरानी रणनीति पर काम करने में दिक्कत हो रही थी। कुछ बड़े चुनावी ठेकेदारों तक पैसे पहुँचे भी, लेकिन वो सही तरीके से बंट नहीं सके। 14/
उसकी भी निगरानी हो रही थी। जिसके पास भी पैसे पहुँचने का शक होता था, उसके पीछे उसके विरोधी को लगा दिया जाता था कि अगर वह नीचे पैसे बांटने की कोशिश करे तो फौरन इसकी जानकारी भारतीय जनता पार्टी के चुनाव प्रबन्धकों तक पहुँचे। 15/
नतीजतन पैसा बंटा तो सही पर छोटे ठेकेदारों तक नहीं पहुँच पाया। बाहर से जो लोग आये थे, उनको दिल्ली और फुर्सतगंज हवाई अड्डे पर भी दिक्कत होने लगी थी। बाहर से आये लोग जिस स्वच्छन्दता से एयरपोर्ट से निकलते और क्षेत्र में विचरण करते, उन पर भी नजर रखी जाने लगी थी।" 16/
" राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोगों ने इस बात को भाँप लिया था कि अमेठी के मतदाताओं का नेहरू-गाँधी परिवार से न तो कोई रागात्मक रिश्ता है और न ही वे नेहरू-गाँधी परिवार के उम्मीदवारों को अपने परिवार का हिस्सा समझते हैं।" @iMac_too
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"अमेठी लोकसभा क्षेत्र 1967 में बना था और तब से ज्यादातर चुनावों में कांग्रेस को ही सफलता मिलती रही, लेकिन इस इलाके का विकास नहीं हुआ। इस इलाके में गरीबी, अशिक्षा और भुखमरी थी जिसकी ओर किसी का ध्यान नहीं गया था।
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सच तो यही था कि अमेठी में कांग्रेस कभी लोकप्रिय रही ही नहीं। वह तो हमेशा धनबल के आधार पर चुनाव लड़ती रही थी।"
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"इस चुनाव के दौरान संजीव बाल्यान ने कांग्रेस के उन सभी स्थानीय लोगों से मुलाकात की जिनके ऊपर मतदाताओं को पैसे बांटने की जिम्मेदारी की बात सामने आती रहती थी। बाल्यान ने ऐसे लोगों के एक-एक मूवमेंट पर नजर रखने का तन्त्र भी विकसित किया।
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कैप्टन सतीश शर्मा और छत्तीसगढ़ के मुख्यमन्त्री भूपेश बघेल के पीछे तो चौबीस घंटे एक-दो आदमी लगे रहते थे, जो उनके हर मूवमेंट की खबर सीधे संजीव बाल्यान को देते थे। @iMac_too
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इस तरह का तन्त्र विकसित किया गया था कि भारतीय जनता पार्टी का भी अगर कोई कार्यकर्ता कांग्रेस के नेताओं से मिलता था, तो उसकी जानकारी भी संजीव बाल्यान तक पहुँच जाती थी।"
Watch the spiral path taken by the sun moving around the galactic center. But this is the easy part. Visualize the geocentric view of the apparent motion of the sun. 1/3
According to @jayasartn, the oscillatory model of the precession in Surya Siddhanta (ie tropical vernal equinox oscillating around side-real vernal equinox with an amplitude of 27° amplitude) is based on this spiral motion of the sun.
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Just finished reading 3 parts of her four-part series published in famous BV Raman's reputed Astrological magazine. #MindBlown
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Just as an imaginary language Proto Indo-European was created by Western Padre Linguists to explain the presence of Sanskrit words in European languages, the same way this "GapodBazi" of Indians borrowing astronomy knowledge from Greeks and Babylonians has been perpetuated.
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Check appendix VI and VII of this book by Prof Beena Mookherjie Khaṇḍa Khādyaka (a 7th century text by BrahmaGupta).@jayasartn
Prof KS Shukla summarizes it as follows:
"Aryabhata-I hypothesized that planets move in eccentric circles and epicycles. 2/
See this. The tragic story of Padre Indology of White man taking Hindu texts and interpreting them in the light of his own ideas declaring ancient Hindus a fool and copy cat (everything came from outside) continues. @jayasartn 1/ insa.nic.in/writereaddata/…
The saddest part is Hindus with the "scientific attitude and logical acumen" (attained with grace from Gora master) keep doing the same to unwashed Hindus after the Gora master is long gone.
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The interesting point about the use of ecliptic coordinates coordinate system by Indians in ancient times (as claimed in the paper) instead of polar coordinates (as told by Gora master) is the following:
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Hamare Saadhu-Mahatma kahate hain agar need na aaye to Vedanta ka koi text padho aur turant need aa jaayegi. 🤣
So here is something very interesting I came across during last night's bedtime reading. It's about Darwinian evolution and the Upanishads (Vedanta).
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"Darwin’s theory of evolution is related to Biological evolution from viruses to unicellular to complex life forms ending up with human beings or Homo sapiens.
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According to Prof. Julian Huxley, evolution has peaked with the specialization of conceptual thought processes for humans.
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Someone asked me why only three Vedas mentioned by Manu here? Why not four? Probably hinting at Padre Indologist claim that original Vedas were only three and not four.
Here is the explanation. It's in Hindi though. 1/
"वेद चार प्रकार का है- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद । पहले तीन वेदों का नाम ऋक् आदि तीन प्रकार की रचना के अनुरोध से हुआ और चौथे अथर्व-वेद का नाम अध्ययन के कारण से हुआ।
आशय यह है कि जहांपर छन्दके वश पाद(भाग या हिस्सा) की व्यवस्था की जाय वह ऋक्; जहां गान के अनुकूल व्यवस्था हो वह साम; और जहां छन्द तथा गानसे अतिरिक्त गद्यभाग हो वह यजु कहलाता है । यहः ऋक्, साम तथा, यजु का लक्षण जैमिनि-मुनि ने कहाहै- :