This incident quoted from the book on Irani's victory in Amethi should give you some idea about the chameleon stuntbaaj character of Nehru-Gandhi family presently displayed by Pappu very often but exposed by SM. @iMac_too
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"फूलपुर इलाहाबाद से करीब तीस किलोमीटर दूर स्थित एक कस्बा है। भारत के पहले प्रधानमन्त्री का संसदीय क्षेत्र होने के बाद भी यहाँ विकास की कोई गति ही नहीं।
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नेहरू-गाँधी परिवार के लिए इस क्षेत्र का पिछड़ापन वह सीढ़ी था, जिससे उनके करिश्माई व्यक्तित्व को वह मजबूती मिलती थी जिससे वे चुनाव जीतते थे। पुराने लोग पंडित नेहरू के जमाने का एक किस्सा बताते हैं।
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नए-नए आजाद हुए देश में जब पहली बार लोकसभा चुनाव हुए, तो पंडित जवाहरलाल नेहरू अपनी संसदीय सीट पर प्रचार करने पहुँचे। उस जमाने में राजनीतिक सभाओं के लिए मंच नहीं बनते थे। चाहे जितना भी बड़ा नेता हो, चौकी पर सफेद चादर बिछाई और सभा शुरू।
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कहते हैं इसी दौरान स्थानीय रियासत का राजा हाथी पर सवार हो सभास्थल पर पहुँचा, तो जिलाधिकारी ने रोक दिया। दोनों में बहस शुरू हो गयी।
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राजा अपने ही राज्य में किसी और को अपने से विशिष्ट समझे जाने की नई व्यवस्था को स्वीकार नहीं कर पा रहा था। उधर जिलाधिकारी लोकतान्त्रिक व्यवस्था में कार्यपालिका प्रमुख प्रधानमन्त्री के मान-सम्मान की रक्षा के लिए अडिग था।
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पंडित नेहरू ने यह नजारा देखा और भाग कर राजा के पास पहुँचे। उन्होंने ‘महाराज की जय हो’ कहा और जनता ने भी नेहरू की देखा देखी ‘महाराज की जय हो’ का नारा लगाना शुरू कर दिया।
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बस फिर क्या था, राजा साहब ने हाथी की सवारी त्यागी और पंडित नेहरू का हाथ पकड़ उनकी प्रचार चौकी पर न केवल जा बिराजे, बल्कि पंडित नेहरू के कहने पर उनके लिए वोट की अपील भी कर दी।
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बुजुर्ग लोग बताते हैं कि दिल्ली लौटते समय प्रधानमन्त्री नेहरू ने युवा कलेक्टर को नसीहत दी कि राजा को जय-जयकार की जरूरत थी और नेहरू को वोट की। मैंने राजा को उनका चाहा दिया और उन्होंने मुझे मेरा चाहा।
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इसमें लोकतन्त्र को, मुझे, कोई दिक्कत नहीं तो फिर तुम्हें भी परेशानी नहीं होनी चाहिये, यंग मैन!"
Obviously, this Sekoolar-Savarna लुटिया is resorting to the time tested Lutyenmedia technique of fake anecdote. Whichever locality she lives in, Hindus should boycott such people lest their progeny gets corrupted and become trash due to bad company.
The poem @Janaki_Sr refers to was written by rabid Islamist (with the mask of atheist) Dad of Shabana Aazmi after the removal of Babri mosque from to guilt trip Hindus per larger political agenda of Ashraf and their Dhimmi companion Sekoolar-Savarnas. 1/ kavitakosh.org/kk/index.php?t…
For all his pretensions as an atheist and left-leaning intellectual Kaifi Aazmi never wrote a poem condemning the gangster deeds, not to mention subhuman acts like abducting, raping, selling into slavery women etc, of the followers of Islam.
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Here are a few possibilities. 1) Modi-Shah are incompetent and fool 2) They were outsmarted by Urban Naxals 3) Or they see something which isn't so obvious to us.
On this watch from 13:40-14:45. May be Tikait is just a bait to trap Modi.
"2019 के चुनाव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी स्मृति इरानी के साथ पूरी ताकत से अमेठी में खड़े थे। इस समय चुनाव आयोग भी बेहद सक्रिय था। इसके चलते प्रशासन के स्वार्थी तत्व भी अपनी मनमानी नहीं कर पा रहे थे।
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कहा गया कि इस सख्ती की वजह से इस बार कांग्रेस की तरफ से पैसे नहीं बंट पाये। हालांकि कई अफसर अब भी कांग्रेस का राग अलापने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उनको भी अपने करियर की चिन्ता थी। लिहाजा ज्यादातर खामोशी से, पर न्यायपूर्ण ढंग से काम करने में लगे रहे।"
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Watch the spiral path taken by the sun moving around the galactic center. But this is the easy part. Visualize the geocentric view of the apparent motion of the sun. 1/3
According to @jayasartn, the oscillatory model of the precession in Surya Siddhanta (ie tropical vernal equinox oscillating around side-real vernal equinox with an amplitude of 27° amplitude) is based on this spiral motion of the sun.
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Just finished reading 3 parts of her four-part series published in famous BV Raman's reputed Astrological magazine. #MindBlown
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Just as an imaginary language Proto Indo-European was created by Western Padre Linguists to explain the presence of Sanskrit words in European languages, the same way this "GapodBazi" of Indians borrowing astronomy knowledge from Greeks and Babylonians has been perpetuated.
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Check appendix VI and VII of this book by Prof Beena Mookherjie Khaṇḍa Khādyaka (a 7th century text by BrahmaGupta).@jayasartn
Prof KS Shukla summarizes it as follows:
"Aryabhata-I hypothesized that planets move in eccentric circles and epicycles. 2/
See this. The tragic story of Padre Indology of White man taking Hindu texts and interpreting them in the light of his own ideas declaring ancient Hindus a fool and copy cat (everything came from outside) continues. @jayasartn 1/ insa.nic.in/writereaddata/…
The saddest part is Hindus with the "scientific attitude and logical acumen" (attained with grace from Gora master) keep doing the same to unwashed Hindus after the Gora master is long gone.
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The interesting point about the use of ecliptic coordinates coordinate system by Indians in ancient times (as claimed in the paper) instead of polar coordinates (as told by Gora master) is the following:
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