अगर मुझे हमारे देश की तुलना किसी देश से करनी होगी तो मैं जापान से करूँगा पूरे विश्व में परमाणु बम की मार झेलने वाला अकेला देश है मगर शिक्षा, स्वास्थय, तकनीकी, आर्थिक, राजनीतिक स्थिति में हमसे कही आगे है जापान पर 1945 में हमला हुआ और हम 1947 में आज़ाद हुये
उनकी सकारात्मक सोच का ही नतीजा है कि वे परमाणु हमला करने वालों देशों से भी कोई द्वेष नहीं रखते और हम उठते बैठते एक ही देश का नाम रटते रहते हैं जो मानव विकास में बहुत पिछड़ा हुआ है
होना तो चाहिए कि देश का हर नागरिक स्वस्थ हो, कर्म करने को तत्पर हो और हर व्यक्ति को रोज़गार
उपलब्ध हो। हर व्यक्ति इस मंशा से अपना उत्तरदायित्व पूरा करे जैसे कि देश को मज़बूत करने की ज़िम्मेदारी उसे ही दी गयी है
हमारी शिक्षा ऐसी हो जो हमें केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रखे बल्कि हर सीखने वाले का बौद्धिक विकास करे ताकि कोई भूखा रहकर मरने की बात न करे
बल्कि जी तोड़ मेहनत करके देश को समर्द्ध बनाये
जब हर नागरिक के पास रोज़गार होगा तो परिवार ख़ुश होगा समाज ख़ुशहाल होगा और देश मज़बूत होगा
कोई शरारती देश भी ख़ुशहाल व मज़बूत देश पर हमला नहीं करता। आपने सुना है किसी ने चीन पर हमला किया हो
आपने कभी सोचा है किसान आत्महत्या क्यों
करते हैं इतनी बात तो वे भी समझते हैं कि उनके बाद उनके परिवार की स्थिति और भी ख़राब होने वाली है मगर साल दर साल ख़राब होती फसल महँगे होते बीज और डीज़ल, मंडी में बर्बाद होती फसल और हर साल बढ़ता क़र्ज़, उसे इन सब से छुटकारे का कोई रास्ता नज़र नहीं आता तब जाकर वह निराशा का रास्ता
पकड़ लेता है
देश वो तरक़्क़ी करते हैं जहाँ के नागरिक आज़ाद होतें हैं आज़ाद नागरिक वो होते हैं जिनकी अपनी स्वतंत्र सोच होती है। जो पहले या दूसरे दल की चापलूसी करते रहते हैं वो केवल वोट बैंक होते हैं देश के हितैषी नहीं, आप क्या हैं तय कर लें
अमेरिक में नागरिक विरोध कर रहें हैं 5G के टावरों का क्योकि उनका मानना है कि इसे विकिरण बढ़ेगा वातावरण में गरमी बढ़ेगी व स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा
हमारे यहाँ तो महँगी शिक्षा व शिक्षा के गिरते स्तर तक का विरोध नहीं होता। जब हमारी पीढ़ी उचित शिक्षा ही नहीं ले पायेगी तो
जागरूक कैसे होगी
अपनी या अपने कार्य की तारीफ, प्रचार करने के लिये सत्ता के पास सैकड़ों साधन होते हैं और भरपूर धन भी। उसमें आपके बढ चढ़ कर हिस्सा लेने की ज़रूरत नहीं हैं सत्ता के पास साधन और तरीक़े दोनों है कि अगर आप नहीं भी देखना सुनना चाहेंगे तो भी आपको दिखा सुना देगी
सत्ता को डर लगता है आलोचना से और आपको डर लगता है सत्ता की आलोचना करने से
हमारे देश की बहुत सारी समस्याएँ हैं मगर एक समस्या जो हमेशा रही है वो है स्तुति, महिमामंडन, गुणगान, बखान, मिजाजपुर्सी, तारीफ, चापलूसी, भूरि भूरि प्रशंसा, मक्खन लगाना, चमचागिरी और अंत में तलवे चाटना।
आप किसी भी समय का इतिहास उठा कर देख लें यह चित्रण आपको मिल जायेगा
आपने कभी सोचा है कि हम इतनी पुरानी संस्कृति हैं फिर भी सुई से लेकर हवाई जहाज़ तक किसी का भी अविष्कार हमारे यहाँ क्यों नहीं हुआ
क्यों हमारे देश को इतने कम नोबेल पुरूस्कार मिले हैं जब कि हम को ख़ुद को विश्वगुरू
कहते हैं। इसके दो ही कारण हैं पहला स्वतंत्र सोच का अभाव और दूसरा चापलूसी
अगर कोई स्वतंत्र सोच रखता है तो सारे चापलूस उसके पीछे पड़ जाते हैं उस सोच को दबाने, मारने के लिये। कही स्वतंत्र सोच पनप गई तो चापलूसों भांडा फूट जायेगा
अगर केवल धार्मिक जयकारों या देशभक्ति के नारों से देश
विकसित होता तो हम कब के पहले पायदन पर होते, कोई राशन के अभाव में भूखा नहीं मरता, कोई अस्पताल दूर होने के कारण दम नहीं तोड़ देता, किसी अस्पताल में बच्चे आक्सीजन के अभाव में नहीं मरते, लेकिन यही सब हो रहा है
क्योकि देश के करोड़ों लोगों ने अपनी सोच को पूर्ण विराम दिया हुआ है
लोगों ने अपनी सोच की जगह रिक्त स्थान रखा है जहाँ कोई भी लच्छेदार भाषण वाला आकर अपनी सोच को बैठा देता है फिर लोग उसी की coded भाषा को अपनी भाषा समझकर बोलने लगते हैं और तर्क की संभावना को ख़त्म कर देते हैं
क्या नागरिकों की आँखें और समझ सक्षम नहीं है यह देख पाने में कि देश में
क्या हो रहा है, सब कुछ बिक रहा है और हम हाथ पर हाथ रखकर बैठे हैं
लेकिन नही, जनता की समझ पर क़ब्ज़ा किसी और का है और वो zombies की तरह behave कर रहे हैं
देश इस तरह से तरक़्क़ी नहीं करेगा देश आगे तब बढ़ेगा जब नारे लगाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी और सब को साथ लेकर चला जायेगा
जब असहमति को दबाया नहीं जायेगा बल्कि ग़ौर से सुना जायेगा जब संस्थाएँ बेची नहीं जायेंगी बल्कि नई और बनाई जाएंगी

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6 Feb
आज आप लोगों को जबरदस्त बोर करने का मन कर रहा है
Some of the problems faced by Bankers

1. Aadhar is not mandatory for Bank Account opening but it is must to avail all government social schemes and all government benefits are passed through bank accounts
Every person has Bank accounts in 2-3 Banks and availing different govt benefits in different accounts
Once customer seed Aadhar in one Bank, his Aadhar number from previous bank account will be deleted by NCPI
This make customers to visit branch again and again and staff
have to seed number in Bank account every time.
This not only increase work load of staff but also develop acrimony between staff and customers

2. There are cases of name mismatch of customer in different documents
While opening a bank account or any other bank services onus
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