आइए आज एक कॉरपोरेट fraud पर प्रकाश डालते हैं ।
Fraud Amount - 86,188 करोड़।
Frauding companies
1 RELIANCE COMMUNICATIONS
2 RELIANCE INFRATEL
3 RELIANCE TELECOM

OWNER - ANIL AMBANI
NET WORTH - DOLLAR 42 BILLION
#StopPrivatization_saveGovjob
#StopPrivatizationOfPSBs
Fraud complained by
State bank of india
Bank of india
Indian overseas Bank
ये वही रिलायंस कंपनी है जिसकी तरक्की के लिए BSNL जैसी सरकारी कंपनी का पतन किया गया ।
#StopPrivatization_saveGovjob
#StopPrivatizationOfPSBs
नीरव मोदी ने 7409.07 करोड़ का fraud किया था विजय माल्या ने 9000 करोड़ का fraud किया था अनिल अंबानी का ये fraud उससे कहीं ज़्यादा बड़ा है । लगभग 10 गुना ज़्यादा बड़ा।
#StopPrivatization_saveGovjob
#StopPrivatizationOfPSBs
हमारी FM का कहना है कि सरकारी बैंक घाटे में है क्यूंकि NPA ज़्यादा है जब मोदी जी के मित्र गण ही लोन लेंगे और इतनी संपत्ति के मालिक होते हुए भी लोन नहीं भरेंगे तो आपको क्या लगता है कोई मैनेजर कोई RO recovery करवा सकता है उनसे है किसी में हिम्मत ?
#StopPrivatization_saveGovjob
क्या मोदी जी को इन सब frauds का ज्ञान नहीं है क्यूं नहीं बोल देते हैं अपने मित्रों से की लोन भर दो भाई इसलिए नहीं बोलते है क्युकी 42 BILLION DOLLAR की कीमत सरकारी बैंकों सरकारी कर्मचारियों और गरीब जनता किसानों कि कीमत से ज़्यादा है मोदी जी के लिए।
#StopPrivatization_saveGovjob

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24 Feb
सन 1969 में बैंकों का राष्ट्रीकरण किया गया कारण था कि निजी बैंकों में जो जनता का पैसा होता था वो अर्थव्यस्था में इस्तमाल नहीं हो पाता था कुछ पूंजीपतियों के हाथो में ही रह जाता था गाओ और गरीब लोगों को बैंक कि सुविधा का लाभ नहीं मिल पाता था उस बीच
#StopPrivatization_SaveGovtJob
बीच बहुत से बैंकों ने फ्रौड़ भी किया तो कुल मिला कर जनता का पैसा सुरक्छित रहे और सबको बैंकिंग सेवाओं का लाभ मिले इसलिए राष्ट्रीयकरण किया गया । राष्ट्रीयकरण की दिशा में बैंकों ने काम भी बहुत कुशलता से किया लोगों तक सरकार की हर सुविधा पहोचाई । गांव को किसानों को भी बैंकों से जोड़ा
पर पीछले सात सालों से सरकारी बैंक पतन के रास्ते पे हैं और इसका पतन कर रही है वर्तमान सरकार चुकी ये सरकार व्यापार में विश्वास रखती है इस सरकार को हर संस्था से लाभ चाहिए पर सरकारी बैंक तो जनकल्याण के लिए बनी है । तो बड़े ही सोचे समझे तरीके से निजीकरण की तरफ बैंकों को धकेला जा रहा
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