RBI released annual report of the Ombudsman Schemes of the Researve Bank for 2019-20 on 9th feb 2021. Its surprisingly that complaints against NBFCs have increased. Banking ombudsman had received a total of 19432 complaints in FY 20 as against 3991 in FY 19 #बैंकों_रक्षति_रक्षितः
The highest number of complaints in NBFCs were against Bajaj Finance Limited followed by Imdiabulls and HDB Financial Services Limited.
The total number of complaints against SBI and nationalised banks has decreased to 2.25% from 2019 to 2020 while in private bank increased to 3.92%.
Now this data shows PSBs give better services or Private banks.
जब कुछ अच्छा हो तो समर्थन करना चाहिए न कि विरोध। सालो से दबी कुचली और सुविधाओं से वंचित RRBs को जब सरकार एक अच्छा विकल्प देने जा रही है तो कुछ लोगो को ये बात भी खटक रही है। मैं सरकार का समर्थन नही कर रहा हु। विरोध कीजिये लेकिन अनुचित Policy पर न कि उचित Policy पर।
मुझे ये समझ नही आ रहा है कि जब हमें एक BPS के जगह CPC मिलने जा रहा है तो दिक्कत क्या हो रहा है। सभी बैंकर्स CPC की राह देख रहे है और जब मिलने की बात हो रही है तो राजनीति शुरू किया जा रहा है। बहुत से बैंकर्स ऐसे है जो दूसरे राज्य के RRBs में कार्य कर रहे है,
और बिना उम्मीद के अपनी जिम्मेदारी निभा रहे है कि कभी उन्हें भी अपने होम टाउन पोस्टिंग मिलेगा। साहब लोग 15000 करोड़ वाले IPPB को देख रहे है, लेकिन मर्जर के बाद मिलने वाली सुविधा को नही देख रही है। सबको अपनी पड़ी है , थोड़ा उनसे भी पूछ लो
1) उर्जित पटेल का हाल ही में एक बयान आया कि केंद्र सरकार चाहती थी कि RBI कर्ज न चुकाने वाले के खिलाफ नरम रहे। साहब को अब कही से अटेंसन नही मिल रहा तो बेतुके बयान शुरू कर दिए। एक हमारे और RBI गवर्नर थे रघुराम राजन, ये भी जॉब में रहते कुछ ज्यादा नही कर पाए
2) तो अब ये देश की आर्थिक स्थिति सुधारने की सलाह देते फिर रहे है। एक है हमारे शक्तिकांत दास जी, फिलहाल अभी ये चुप है क्योंकि इनको ये ओहदा केंद्र सरकार ने खैरात में दी है। इनको अभी मुफ्त में पब्लिसिटी मिल रही है, शायद इसीलिए इनके बयान केंद्र सरकार के खिलाफ अभी तक नही आ रहे है।
3) लाइमलाइट में रहने वाले को रिटायरमेंट के बाद कि जिंदगी शायद काल कोठरी जैसी लगती है। खुद से जब कुछ नही हो पाए फिर अपनी पूरी भड़ास मौजूदा सरकार पर थोप देना, जैसे हमारे पप्पू खान(यहाँ भावनाओ को समझना है) है। इन लोगो को जब कही से अटेंसन मिलना बंद हो जाता है
क्या पोलिटिकल पार्टियों को क्रिमिनालाइज किया जा रहा है?
पिछले 2019 लोकसभा चुनाव में लगभग 50% ऐसे नेता चुनाव जीते जिनपर क्रिमिनल केस था। इसका जिम्मेदार कौन है? एक क्रिमिनल को चुनाव जिताकर हम क्या सिद्ध करना चाहते है? #StopCriminalPolitics
अगर नेता सही होगा, देश सही होगा । उस नेता से कुछ उम्मीद नही कर सकते जो खुद क्रिमिनल है। किसी क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले नेता के पास अपनी समस्या लेकर एक आम इंसान जाने से पहले 50 बार सोचेगा की वो नेता हमारी मदद कर सकता है कि नही। #StopCriminalPolitics
कृपया पूरा डेटा पढ़े-
नेताओ का एक छोटा सा क्रिमिनल डेटा:-
*लोकसभा चुनाव 2009 में 543 उम्मीदवारों में से 162 MPs ऐसे थे जिनपर क्रिमिनल केस था , यानी 2009 में 30% क्रिमिनल नेता चुने गए थे। #StopCriminalPolitcs