हिन्दू समाज अपनी कब्र कैसे खोदता है?

पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता ने सन 2002 में तमिलनाडु में धर्मान्तरण विरोध बिल लागु किया था। इस विधेयक के अंतर्गत किसी भी प्रकार के प्रलोभन अथवा दबाव में कोई किसी का धर्मान्तरण करता हैं। तो वह दंडनीय होगा एवं उसमें सजा का भी प्रावधान होगा।
स्वाभाविक रूप से धर्मान्तरण विधेयक का सबसे अधिक विरोध ईसाई मिशनरी ने करना था। तत्कालीन विपक्षी पार्टियों DMK एवं कांग्रेस द्वारा जयललिता के इस कदम का पुरजोर विरोध किया गया। उनका लक्ष्य ईसाई, मुसलमानों, कम्युनिस्ट आदि को इस विधेयक के विरोध में संगठित करना था। जबकि जयललिता का
लक्ष्य इस विधेयक के समर्थन में हिन्दू वोटबैंक को संगठित करना था। इस विधेयक के समर्थन में विधान सभा में जयललिता ने महात्मा गाँधी द्वारा ईसाई धर्मान्तरण के विरोध में दिए गए वक्तव्यो को भी पक्ष में प्रस्तुत किया था। जिसके विरोध में कांग्रेस पार्टी DMK के साथ में खड़ी थी।
सरकार के इस कदम का शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती ने समर्थन किया। इससे पूर्व भी जयललिता रामजन्मभूमि मंदिर और समान नागरिक संहिता जैसे विषयों का समर्थन कर चुकीं थी। इससे पहले भी डॉ एमजीआर की 1982 की सरकार के समय कन्याकुमारी में हिन्दू-ईसाई दंगे हुए थे। उन दंगों की जाँच के लिए एक
आयोग बैठाया गया था। जिसकी अध्यक्षता द्रविड़ समर्थक नेता वेणुगोपाल ने की थी। वेणुगोपाल ने अपनी जाँच में पाया कि कन्याकुमारी में भारी मात्रा में हिन्दू विरोधी साहित्य ईसाई मिशनरी द्वारा प्रकाशित किया गया है। उनका कथन तो यह भी था कि ईसाई मिशनरियों का उद्देश्य कन्याकुमारी का
नाम परिवर्तन कर कनिमैरी अर्थात कुंवारी मैरी करने का प्रतीत होता है। उस समय आयोग के यह प्रस्ताव दिया था कि डॉ mgr की सरकार को भी ओड़िसा, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, MP के समान धर्म परिवर्तन विधेयक लागु करना चाहिए। जयललिता ने संभवत उसी छूटे हुए कार्य को पूरा करने का प्रयत्न किया था।
विरोधी पार्टियों के अनेक नेता उनके कार्यक्रमों में शामिल होकर सरकार का विरोध करने लगे। अंदर से चर्च की संस्थाएँ जो अपनी मान्यताओं और कार्य को लेकर विभाजित थी। इस कदम के विरोध में संगठित हो गई। उनका संगठन एक वोट बैंक के रूप में खड़ा हो गया। जयललिता को ब्राह्मण वाद को बढ़ावा देने
का आरोप लगाया गया। इस परिस्थिति को लुभाने में विपक्ष ने कोई कसर बाकि नहीं छोड़ी। इधर हिन्दू संगठन गहरी नींद में सोये रहे। इसका परिणाम अगले संसदीय चुनाव में सामने आया।जयललिता तमिलनाडु से एक भी लोकसभा की सीट निकालने में असफल रही। परिणाम जयललिता ने इस विधेयक को न केवल निरस्त कर दिया
अपितु शंकराचार्य को दीवाली के दिन गिरफ्तार कर अपनी ब्राह्मणवादी छवि को सुधारने का प्रयास किया। बाकि सब अब इतिहास है
मैंने इसलिए लिखा है क्योंकि इसके निष्कर्ष पर हिंदू वादी संगठन अगर आज भी ध्यान देते है। तो उनकी आने वाली पीढ़ियां बच जाएगी। जयललिता हिन्दू समाज का हित करना चाहती थी।
बदले में हिन्दुओं से राजनीतिक समर्थन वोट बैंक के रूप में लेना चाहती थी।हिन्दू समाज ने जातिवाद, बाहुबल,प्रांतवाद,भाई-भतीजावाद के चलते उनका साथ न दिया।हिन्दू समाज ने अपने आंशिक तात्कालिक हित के लिए दूरगामी हित की अनदेखी कर दी। 2002 से आज-तक तमिलनाडु में हजारों लोग ईसाई बन चुकें हैं
ये सभी हिन्दू न केवल ईसाई होने से बच जाते, अपितु जो बन चुकें थे। वे भी वापिस आ जाते। मगर ऐसा नहीं हुआ। अपनी कब्र खोदने का कार्य जैसा तमिलनाडु में हिन्दुओं ने किया वैसा पुरे देश में भी हिन्दू कर रहा हैं। आगे आपको सोचना आपको है कि आपका हित किस कार्य में है

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29 Mar
ख्वाजा युनूस नेमका कोण होता,कसा होता
तो पळून गेला,कस्टडीत मारला गेला आणि त्याला बेपत्ता घोषित केले गेले
तो दोषी होता की निर्दोष होता
ह्याबद्दल मला तितकीशी माहिती नाही
पण मला "नवाकाळ" ची त्यावेळची हेडलाइन अजून नजरेसमोर आहे
"ख्वाजा युनूस प्रकरणात एन्काऊंटर एक्का सचिन वाझे गिरफ्तार"
ख्वाजा च्या आत्मा आज कर्मफळाचा सिद्धांत मानू लागला असेल
भले इस्लामी विचारधारा हे असले महान सिद्धांत वगैरे काही मानत नाही
त्यांचा आत्मा (रुह)ही शरीराबरोबर कबरीत रहातो कयामत च्या दिवशी होणाऱ्या आखरी नमाज आणि आखरी हिसाब च्या वेळी सशरीर कबरीबाहेर येऊन जन्नत की जहन्नूम चा फैसला घेतो
ह्यावरून 1 सहजपणे मनात प्रश्न आला
सशरीर बाहेर येणार म्हणजे "रुह" ही येणार
आणि कयामत तर अजून आलेली नाही केव्हा येणार हे ही कुणालाही माहिती नाही
1 भाबडा प्रश्न येतो मनात
एकाच कबरीत कालांतराने बरेच मृतदेह गाडले जातात,भले तिथे अगोदरच कोण असेल गाडलेला, कालांतराने सगळं शरीर मातीत
Read 4 tweets
29 Mar
धन्यवाद मोदी सरकार!

२०१४ मध्ये केंद्रात भाजप सरकार सत्तेवर आल्यानंतर इतिहासाच्या पाठ्यपुस्तकांमध्ये योग्य ते बदल करण्याचे प्रयत्न झाले नाहीत, अशी माझ्या सारख्या असंख्य लोकांची गेली सहा वर्षे तक्रार होती. 'हिंदुत्ववादी किंवा संघ परिवाराची मते पाठ्यपुस्तकांत डोकावू लागली आहेत'
असं जरी कोणी किती बोंबलंत बसलं तरी घंटा फरक पडत नाही, पण डावे व सेक्युलर लोकांचा अजेंडा राबवण्यासाठी शिक्षण यंत्रणेचा वापर थांबणे आवश्यक आहे हे सांगून आम्ही दमलो होतो. मोदी सरकारने आता याची दखल घेऊन काही महत्त्वाचे बदल यात केले आहेत आणि लिब्रांडू जमातीचा बीपी यामुळे वाढणार आहे,
यूजीसीने पदवी शिक्षणासाठी नव्याने तयार केलेल्या इतिहासाच्या अभ्यासक्रमात हिंदू पुराणे व धार्मिक साहित्याला स्थान देण्यात आले असून, मुस्लिम राजवटीला दिलेले फालतू महत्त्व कमी करण्यात आले आहे!
फालतू इतिहासकार आर.एस.शर्मा, इरफान हबीब यांची पुस्तके संदर्भ म्हणून आता वापरता येणार नाहीत
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29 Mar
म्हणूनच तर
ही तडफड सत्तेसाठी नक्कीच नाही
राजकीय आयुष्याच्या उतारवयात स्वतःला वाचवण्याची ही तगमग आहे
पण वेळ तेंव्हाच निघून गेली होती जेंव्हा अलिबाग च्या चिंतन शिबिरात हिंदू दहशतवादाची मुहूर्तमेढ रोवली गेली होती.
कोण काहीही व कसाही विचार करू देत
भगवा आतंकवादी हा शब्द भले ह्याचं
अपत्य नसेल पण सुरुवात मात्र ह्यानेच करून दिली,आणि इतरेजनांना सत्तासुंदरी कायमस्वरूपी हातात ठेवण्यासाठी 1 नवीन मार्ग उपलब्ध करून दिला,नंतर काँग्रेस ने त्या भगव्या आतंकवादाच्या शिरपेचात अजून 1 तुरा चढवला.
"कम्युनल हिंसा बिल" भले हे बिल BJP ने पास होऊ दिले नाही,पण काँग्रेसला बळ आले
होते की आपण वाकड्याच्या 4 पावले पुढे टाकली
पण ह्या राक्षसांना कुठे माहिती होते की
हिंदूंना त्यांच्याच मातृभूमीत आतंकवादी ठरवून किंवा ठरवण्याचा प्रयत्न करून स्वतःच्याच ताबूत मध्ये शेवटचा खिळा स्वतःच्याच हाताने ठोकतोय
त्यांना कुठे माहिती होते की नियतीने त्यांच्या ह्या मनसुब्यावर
Read 6 tweets
29 Mar
#होळी_सणाचा_खरा_मूलनिवासी_इतिहास*
#Bग्रेडी_चष्म्यातुन...
भौऊजन-मुळविनाशी बंधूंनो (आणि बंधूंच्या भगिनींनो,)
आज 'होळी' अर्थात् जगातील पहीले 'फायरप्रुफ जॅकेट' बनवणारी 'राजकुमारी होलका' यांचा हौतात्म्यदिन.
😔
पुरातन काळात 'बॉम्बसेल्फ' नांवाचे एक विशाल व समृद्ध राज्य होते.
सुप्रसिद्ध विज्ञानवादी आधूनिक शहर 'ढम्मनगर' ही त्या राज्याची राजधानी होती.
बॉम्बसेल्फ राज्यातल्या मुळविनाशी लोकांना 'बॉम्बसेल्फी' म्हटले जाई. त्या महान राज्याचे स्वामी होते 'सम्राट हिरण्यकासपू महाराज'.
त्यांच्या बहिण 'राजकुमारी होलका' ह्या एक प्रचंड शुर, विद्वान आणि राजकारण
धुरंधर 'महिला शास्त्रज्ञ' होत्या.
(संदर्भग्रंथ :- 'होलकाची आई' लेखक :- श्री येडे गुरूजी. किंमत :- दिड-दमडी)
😊😊😊
.
परंतू नुकत्याच 'युरेशिया' मधून आलेल्या 'मणूवादी आर्यन' जमातीतील लूटारू लोकांंनी 'सम्राट हिरण्यकासपु महाराज' यांच्या बॉम्बसेल्फ राज्यातील मुळविनाशी बॉम्बसेल्फी
Read 19 tweets
28 Mar
कभी गुजरात सिर्फ में भारत ही नहीं बल्कि एशिया का सबसे सूखा प्रदेश माना जाता था।
उसमें कच्छ तो एकदम सूखा था।कच्छ के तमाम लोग अपनी मातृभूमि को छोड़कर भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के दूसरे देशों में बसने को मजबूर हो गए थे क्योंकि इंसान के लिए पानी की सबसे मूलभूत जरूरत होती है।
सौराष्ट्र का भी हालत ऐसा ही था वहां भी पानी बिल्कुल नहीं था।
गुजरात से होकर सिर्फ नर्मदा नदी ही एकमात्र ऐसी नदी थी जो हर वक्त पानी से भरी रहती थी लेकिन यह गुजरात में बहुत कम दूरी तय करती है और गुजरात में भरूच के पास समुद्र में जा कर समाती है।
आजादी के बाद से ही गुजरात में नर्मदा नदी पर डैम बनाने का सपना सरदार वल्लभ भाई पटेल ने देखा था और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने नर्मदा पर बांध बनाने की मंजूरी दी।लेकिन कुछ सालों बाद सरदार वल्लभभाई पटेल का निधन हो गया।
केंद्र में कांग्रेस और लगभग पूरे भारत में कांग्रेस की सरकार होने के
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28 Mar
यह बंग्लादेश की तस्वीर है। जहाँ भारत का यह बुजुर्ग प्रधानमंत्री चुपचाप बदलते युग की तस्वीर बना बैठा है। हाथ जोड़ कर, नतमस्तक हो कर।भारत के इस हिस्से को अलग करने के लिए डायरेक्ट एक्शन के नाम पर कभी जिन्ना ने लाखों हिन्दुओं को निर्दयता से मरवा दिया था, और असंख्य माताओं के
साथ क्रूरतम अत्याचार किया था। यह वही बंग्लादेश है, जहाँ महीने भर पहले ही हिन्दुओं के एक पूरे गाँव को फूँक दिया गया था। वही बंग्लादेश जहाँ 1992 में हिन्दुओं के साथ एक बार फिर 1947 वाली क्रूर कहानी दुहराई गयी थी। जिस बंगलादेश से अबतक केवल मन्दिर तोड़े जाने तोड़े की खबर आती थी
आज उसी भूभाग पर हमारे घर का यह बुजुर्ग चुपचाप माँ तारा की पूजा कर रहा है। इस खबर का अर्थ समझ रहे हैं आप? युग इसी तरह बदलता है।
आप महसूस कर सकते हों तो महसूस कीजिये इस बदलाव को, मैं सुन पा रहा हूँ उस मंदिर में गाये जा रहे मन्त्रों की ध्वनि!
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