रामायण से जुड़े रहस्य जिनसे दुनिया अभी भी अनजान है-
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रामायण के हर 1000 श्लोक के बाद आने वाले पहले अक्षर से गायत्री मंत्र बनता हैl
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#Ramnavmi #रामनवमी2021
#रामनवमी_की_हार्दिक_शुभकामनाएं 🚩😊
गायत्री मंत्र में 24 अक्षर होते हैं और वाल्मीकि रामायण में 24,000 श्लोक हैंl रामायण के हर 1000 श्लोक के बाद आने वाले पहले अक्षर से गायत्री मंत्र बनता हैl यह मंत्र इस पवित्र महाकाव्य का सार हैl गायत्री मंत्र को सर्वप्रथम ऋग्वेद में उल्लिखित किया गया हैl
#गायत्री_मंत्र 🚩🙏
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राम और उनके भाइयों के अलावा राजा दशरथ एक पुत्री के भी पिता थेl
श्रीराम के माता-पिता एवं भाइयों के बारे में तो प्रायः सभी जानते हैं, लेकिन बहुत कम लोगों को यह मालूम है कि राम की एक बहन भी थीं, जिनका नाम “शांता” थाl वे आयु में चारों भाईयों से काफी बड़ी थींl
उनकी माता कौशल्या थींl ऐसी मान्यता है कि एक बार अंगदेश के राजा रोमपद और उनकी रानी वर्षिणी अयोध्या आएl उनको कोई संतान नहीं थीl बातचीत के दौरान राजा दशरथ को जब यह बात मालूम हुई तो उन्होंने कहा, मैं अपनी बेटी शांता आपको संतान के रूप में दूंगाl यह सुनकर रोमपद और वर्षिणी बहुत खुश हुएl
एक दिन राजा रोमपद अपनी पुत्री से बातें कर रहे थे, उसी समय द्वार पर एक ब्राह्मण आए और उन्होंने राजा से प्रार्थना की कि वर्षा के दिनों में वे खेतों की जुताई में राज दरबार की ओर से मदद प्रदान करेंl राजा को यह सुनाई नहीं दिया और वे पुत्री के साथ बातचीत करते रहेl
द्वार पर आए नागरिक की याचना न सुनने से ब्राह्मण को दुख हुआ और वे राजा रोमपद का राज्य छोड़कर चले गएl वह ब्राह्मण इन्द्र के भक्त थेl अपने भक्त की ऐसी अनदेखी पर इन्द्र देव राजा रोमपद पर क्रुद्ध हुए और उन्होंने उनके राज्य में पर्याप्त वर्षा नहीं कीl
खेतों में खड़ी फसलें मुरझाने लगीl
इस संकट की घड़ी में राजा रोमपद ऋष्यशृंग ऋषि के पास गए और उनसे उपाय पूछाl ऋषि ने बताया कि वे इन्द्रदेव को प्रसन्न करने के लिए यज्ञ करेंl ऋषि ने यज्ञ किया और खेत-खलिहान पानी से भर गएl इसके बाद ऋष्यशृंग ऋषि का विवाह शांता से हो गया और वे सुखपूर्वक रहने लगेl
बाद में ऋष्यशृंग ने ही दशरथ की पुत्र कामना के लिए पुत्रकामेष्टि यज्ञ करवाया थाl जिस स्थान पर उन्होंने यह यज्ञ करवाया था, वह अयोध्या से लगभग 39 कि.मी. पूर्व में था और वहाँ आज भी उनका आश्रम है और उनकी तथा उनकी पत्नी की समाधियाँ हैंl
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राम विष्णु के अवतार हैं लेकिन उनके अन्य भाई किसके अवतार थेl
राम को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है लेकिन आपको पता है कि उनके अन्य भाई किसके अवतार थे? लक्ष्मण को शेषनाग का अवतार माना जाता है जो क्षीरसागर में भगवान विष्णु का आसन हैl
जबकि भरत और शत्रुघ्न को क्रमशः भगवान विष्णु द्वारा हाथों में धारण किए गए सुदर्शन-चक्र और शंख-शैल का अवतार माना जाता हैl
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सीता स्वयंवर में प्रयुक्त भगवान शिव के धनुष का नामl

राम का सीता से विवाह एक स्वयंवर के माध्यम से हुआ थाlस्वंयवर के लिए भगवान शिव के धनुष का इस्तेमाल किया गया था, जिस पर सभी राजकुमारों को प्रत्यंचा चढ़ाना थाl पर कम लोगों को पता होगा कि भगवान शिव के उस धनुष का नाम “पिनाक” थाl
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लक्ष्मण को “गुदाकेश” के नाम से भी जाना जाता हैl

ऐसा माना जाता है कि वनवास के 14 वर्षों के दौरान अपने भाई और भाभी की रक्षा करने के उद्देश्य से लक्ष्मण कभी सोते नहीं थेl इसके कारण उन्हें “गुदाकेश” के नाम से भी जाना जाता हैl
वनवास की पहली रात को जब राम और सीता सो रहे थे तो निद्रा देवी लक्ष्मण के सामने प्रकट हुईंl उस समय लक्ष्मण ने निद्रा देवी से अनुरोध किया कि उन्हें ऐसा वरदान दें कि वनवास के 14 वर्षों के दौरान उन्हें नींद ना आए और वह अपने प्रिय भाई और भाभी की रक्षा कर सकेl
निद्रा देवी इस बात पर प्रसन्न होकर बोली कि अगर कोई तुम्हारे बदले 14 वर्षों तक सोए तो तुम्हें यह वरदान प्राप्त हो सकता हैl फिरलक्ष्मण की सलाह पर निद्रा देवी लक्ष्मण की पत्नी व सीता की बहन “उर्मिला” के पास पहुंचीl उर्मिला ने लक्ष्मण के बदले सोना स्वीकार कर लिया व14 वर्षों तक सोई।
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उस जंगल का नाम जहाँ राम, लक्ष्मण और सीता वनवास के दौरान रूके थेl

रामायण महाकाव्य की कहानी के बारे में हम सभी जानते हैं कि राम और सीता, लक्ष्मण के साथ 14 वर्षों के लिए वनवास गए थे और राक्षसों के राजा रावण को हराकर वापस अपने राज्य लौटे थेl
हम में से अधिकांश लोगों को पता है कि राम, लक्ष्मण और सीता ने कई साल वन में बिताए थे, लेकिन कुछ ही लोगों को उस वन के नाम की जानकारी होगीl उस वन का नाम दंडकारण्य था जिसमें राम, सीता और लक्ष्मण ने अपना वनवास बिताया थाl यह वन लगभग 35,600 वर्ग मील में फैला हुआ था।
जिसमें वर्तमान छत्तीसगढ़, उड़ीसा, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश के कुछ हिस्से शामिल थेl उस समय यह वन सबसे भयंकर राक्षसों का घर माना जाता थाl इसलिए इसका नाम दंडकारण्य था जहाँ “दंड” का अर्थ “सजा देना” और “अरण्य” का अर्थ “वन” है।
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राम ने सरयू नदी में डूबकी लगाकर पृथ्वीलोक का परित्याग किया था l
 
ऐसा माना जाता है कि जब सीता ने पृथ्वी के अन्दर समाहित होकर अपने शरीर का परित्याग कर दिया तो उसके बाद राम ने सरयू नदी में जल समाधि लेकर पृथ्वीलोक का परित्याग किया था|

#Ramnavmi #जयश्रीराम
(Ref-@Jagranjosh)

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12 Mar
छप्पनभोग प्रसाद का कथा और सभी का नाम --

जब इंद्र देवता गोवर्धन वासियों पर क्रोधित हो गए थे और अपना गुस्सा दिखाने के लिए झमझम बरसने लगे थे। इतना बरसे कि कहर बरपा दिया, ना किसी को और, ना किसी को ठौर। पूरा गाँव जैसे डूब ही गया था कि सबने कन्हैया से बिनती की।

#जयश्रीकृष्ण
#छप्पनभोग
अब कन्हैया का तो था ही ऐसा कि किसी ने भी पुकारा और बस चल दिए। उस दिन भी कन्हैया को आना ही पड़ा। सीधे गए और गोवर्धन पर्वत को ही उठा लिया अपनी कनिष्ठा पर और सारे गाँव वालों को खड़ा कर लिया उसके नीचे।

#छप्पनभोग #जय_श्री_राधे_कृष्ण
बस सात दिनतक बिना कुछ खाये-पिए कान्हा सबको संभाले रहे जबतक कि इंद्र थक कर हार नहीं मान लिए।अब कान्हा तो बढ़िया जमकर आठों पहर खाना खाया करते थे पर गाँव वालों को बचाने के लिए कुछ ना खाया ना पीया।बाद में गाँव वालों ने मिलकर सात दिन और आठ पहर छप्पन भोग बनाकर कान्हा को अर्पण करते दिए।
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7 Jan
अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य और भगवान परशुराम ये सात महामानव चिरंजीवी हैं। यदि इन सात महामानवों और आठवे ऋषि मार्कण्डेय का नित्य स्मरण किया जाए तो शरीर के सारे रोग समाप्त हो जाते है और 100 वर्ष की आयु प्राप्त होती है।

#श्रीमदभगवद्गीता
#पद्मपुराण
#सुप्रभात Image
जहाँ विद्या का सम्बन्ध होता है,
वहाँ पक्षपात नहीं होता,

पर जहाँ कौटुम्बिक सम्बन्ध होता है,
वहाँ स्नेहवश पक्षपात हो जाता है।

#श्रीमदभगवद्गीता 🚩
#जय_श्री_कृष्णा 🙏 Image
अग्निदो गरदश्चैव शस्त्रपाणिध्धनापहः।
क्षेत्रदारापहर्ता च षडेते ह्याततायिनः॥
(वसिष्ठस्मृति ३। १९)

आग लगानेवाला, विष देनेवाला,हाथमें शस्त्र लेकर मारनेको उद्यत हुआ,धनका हरण करनेवाला, जमीन छीननेवाला और स्त्रीका हरण करनेवाला-ये छहों ही आततायी हैं।

#श्रीमदभगवद्गीता 🚩
#जय_श्री_कृष्णा Image
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