ढोल गंवार शुद्र पशु नारी
सकल तारणा के अधिकारी
१.ढोल (वाद्य यंत्र)
ढोल को हमारे #सनातन_संस्कृति में उत्साह प्रतीक माना है इसके थाप से हमें नयी ऊर्जा मिलती है.जीवन स्फूर्तिमय,उत्साहमय हो जाता है.विभिन्न अवसरों पर ढोलक बजाया जाता है शुभ माना जाता है @DeepaShreeAB@Official_Sherni
२.गंवार {गांव के रहने वाले लोग)
गाँव के लोग छल-प्रपंच से दूर अत्यंत ही सरल स्वभाव के होते हैं.अत्यधिक परिश्रमी होते है जो अपने परिश्रम से धरती माता की कोख से अन्न इत्यादि पैदा कर संसार में सबका भूख मिटाते हैं.आदि काल से ही अनेकों देवी-देवता और संत गाँव में ही उत्पन्न होते रहे हैं
३. शुद्र (जो अपने कर्म व सेवाभाव से इस लोक की दरिद्रता को दूर करे)-
सेवा व कर्म से ही हमारे जीवन व दूसरों के जीवन का भी उद्धार होता है और जो इस सेवा व कर्म भाव से लोक का कल्याण करे वही ईश्वर का प्रिय पात्र होता है. कर्म ही पूजा है @AnkitaBnsl
पशु (जो एक निश्चित पाश में रहकर हमारे लिए उपयोगी हो)
प्राचीन काल और आज भी हम अपने दैनिक जीवन में भी पशुओं से उपकृत होते रहे हैं.पहले तो वाहन और कृषि कार्य में भी पशुओं का उपयोग किया जाता था.आज भी हम दूध,दही. घी विभिन्न प्रकार के मिष्ठान्न के लिए हम पशुओं पर ही निर्भर हैं.
नारी(जगत जननी,आदि-शक्ति,मातृ-शक्ति
के बिना चराचर जगत की कल्पना मिथ्या है जीवन में माँ,बहन बेटी इत्यादि के रूप में बहुत बड़ा योगदान है.नारी के ममत्व से हम अपने जीवन को सुगमता से व्यतीत कर पाते हैं. विशेष परिस्थिति में नारी पुरुष जैसा कठिन कार्य करने से भी पीछे नहीं हटती है
सकल तारणा के अधिकारी से यह तात्पर्य है-
१. सकल=सबका
२. तारणा=उद्धार करना
३.अधिकारी =अधिकार रखना
उपरोक्त सभी से हमारे जीवन का उद्धार होता है इसलिए इसे उद्धार करने का अधिकारी कहा गया है.सनातन सबके लिए कल्याणकारी था कल्याणकारी है और सदा कल्याणकारी ही रहेगा. @DograTishaa#जय_श्रीराम
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