हमास ने सोचा था हजारो रॉकेट्स दागकर इस्रायल में खून की नदियां बहा देगा और जबतक इस्रायल जवाब देगा तबतक सारी दुनिया शांतिपाठ चिल्लाने लगेगी और वो बच जाएगा। लेकिन दांव उल्टा पड़ा अकेला आयर्न डोम ने सारे रॉकेट्स की औकात बता दी। इस्रायली PM ने आंतरराष्ट्रीय बिरादरी को 2 टूक बता दिया "
इस्रायल अपनी रक्षा करना बखूबी जानता है। हमें किसी की मदद की जरूरत नहीं। जबतक हमास का समूल नाश इस्रायल नहीं कर देता युद्ध बंद नहीं होगा"। सारा इस्रायल 1 स्वर में अपने PM के पीछे खड़ा हो गया। क्या पक्ष क्या विपक्ष। कोई चुपके चुपके #छुप_छुप कर हमास से नहीं मिल रहा। @RahulGandhi
कोई इस्रायली अपनी सेना से #प्रमाण@ArvindKejriwal नहीं मांग रहा। बस इसी राष्ट्रीय चेतना, राष्ट्र और मातृभूमि पर मर मिटने की इस्रायली प्रण के आगे तुर्की,पाक,इराण की सिट्टी पिट्टी गुम। हमास के अनुसार अबतक उसके 6 टॉप कमांडरों सहित 30 लड़ाके मारे गए हैं और 170 से ज्यादा घायल हैं।
इस थ्रेड का इशारा भारत के उन गद्दारों से है जो अपने सेना और देश के प्रधानमंत्री @narendramodi पर विपरीत परिस्थिति मे तंज कसते हैं और सर्जिकल स्ट्राइक जैसे विषयों पर सबूत मांगते हैं।
जय हिंद
जय मा भारती
वंदे मातरम
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ये तो होना ही था।
ये बात भी लिखित रखो
अगर केंद्र मे BJP सरकार रहते पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध हुआ तो भारत मे भी यही होगा।
आज नही तो कल ये होगा ही होगा
पाकिस्तान जब टूटने की कगार पे पहूचेगा
तब उम्मा का हवाला दे के भारत मे भी ऐसा ही होगा
मोदिशा का मिशन ही है अखंड भारत,इसके लिये
पाक
का टूटना बेहद जरुरी है।कमर तोडने के लिये ही नोटबंदी की गयी थी।
पाकिस्तान जब मरता क्या ना करता इस स्थिती मे आयेगा तो वातावरण बनाने के लिये,जनता को 1 जुट करने के लीये उसके पास भारत पे हमले के सिवा दुसरा कोई रास्ता नही बचेगा।
जब ये हमला होगा तब देशद्रोही विपक्षी और चंद
नागरीक पाक का साथ अवश्य देंगे।मोदिशा को दोनो फ्रंट पे लढाई लडनी पडेगी,और इसिलीये बाकी के उम्मा देश का समर्थन मोदिशा ने पहले ही भारत की ताकत बढा के जुटा के पाकिस्तान को अन्य उम्मा देश अलग थलग किया है।
जो भी देश पाक का पक्ष लेता है ,मोदिशा उसे नाको चने चबाने मजबूर करते है।(मलेशिया)
@Awhadspeaks सर
आपण"सेव गाझा"सेव ह्युम्यानिटी"म्हणता
योग्य विचार करता की आपल्या मतदारांना खुश करण्यासाठी हे सगळे प्रताप करता?
तुम्हाला तिथली ग्राउंड रिऍलिटी माहितीय काय?
आता जे रणकंदन माजलेले आहे,ते फक्त प्रॉपर्टीच्या मालकी हक्कावरून झालेले आहे.10 मे रोजीच इस्रायल चे सुप्रीम
कोर्ट मालकी हक्कांबाबत निर्णय देणार होते व तो निर्णय यहुदींच्या बाजूने जाणार ह्याची खात्री होती
कारण सर्व ऐतिहासिक तसेच इतर पुरावे हे सांगत होते की इथे यहुदी लोकांचीच मालकी आहे
जसे आपल्याकडे SC मध्ये सुद्धा पुराव्याने सिद्ध झाले की रामजन्मभूमी च्या जागेवरचे उभे मंदिर पाडून बाबरने
मशीद उभारली.तरीही काही लोकं तसेच त्यांच्या मतांवर निवडून येणारे फुटकळ नेते मतपेटी साठी SC च्या निर्णयाला सुद्धा मानत नाहीत,आणि
लष्कर-ए-तोयबा चा प्रमुख हाफिज सईद ने ऑन रेकॉर्ड सांगितले की इशरत जहाँ आमची एजंट होती तरीही इथे तिला शहीद चा दर्जा देऊन देश की बेटी संबोधून तिच्या नावाने
Khalsa Aid
कभी भी गाझा में रॉकेट लंगर शुरू कर सकता है।
अब इस अब नरसंहार को रोकने का केवल एक ही तरीका है।
भारतीय सुप्रीम कोर्ट को इस्रायल संकट के बारे में स्वत: संज्ञान लेते हुए तत्काल युद्ध विराम वाला आदेश पारित कर हुए हमास और इस्रायल को 1₹ का भुगतान करने का आदेश देना चाहिये।
BJPसरकार को भी शांति वार्ता के लिए
जीतूद्दीन आवाल को गाझा भेजना चाहिए ताकि हमेशा-हमेशा के लिए इस्रायल-पॅलेस्टाईन संघर्ष का हल निकाला जा सके बशर्ते नेतन्याहू गारंटी दे कि उनकी कार पर कोई खरोंच तक नही आयेगी।
वही inc को राहुल विंची को ग्रीष्मकालीन अवकाश पर भेज देना चाहिए।
ताकि बाद मे रणदीप सुजेवाला 1 PC को संबोधित करते हुए बताये कि वह नेतन्याहू द्वारा फिलिस्तीनियों के उत्पीड़न के लिए नरेंद्र मोदी को दोषी ठहराते हुए संकट को हल करने के लिए विंची गाझा गए थे।
राकेश टिकैत और योगेंद्र यादव को पॅलेस्टाईन भेजकर इस्रायल से आने वाली सारी सड़को को
लोकतंत्र इसे कहते है। @INCIndia इसे कहते है लोकतंत्र।
मुश्किल की घडी थी और है हमारे देश मे।
नेतन्याहू को सदन में मुश्किल से बहुमत मिला था।
मगर आज आतंकी हमले पर पूरा विपक्ष साथ खड़ा है।इसे कहते है राष्ट्र के प्रति समर्पण।
@RahulGandhi जी ने अपना एक स्टेटमेंट दिया है:-
"भारत विश्व के लिये खतरा बन सकता है! भारत की कोरोना पॉलिसी ट्रान्सपरंट नहीं है"।
मतलब राहुल दुनिया को ये समझाने की हरसम्भव कोशिश कर रहा कि ये वायरस वुहान का नहीं भारत का है! दुनिया को भारत से दूर रहना चाहिए
कोई इन्वेस्टमेंट भारत नहीं आना चाहिए !
अमेरिका, ब्राजील और यूरोप की टोटल जनसंख्या भी शायद भारत से कम हो, लेकिन अमेरिका में ज़ब रोज 6 लाख पॉजिटिव और 5 हज़ार मौते हों रहीं थीं तब वहां के विपक्ष ने ऐसे स्टेटमेंट दिए थे क्या ?
ब्राजील या UK के विपक्ष ने ऐसे स्टेटमेंट दिए थे?
आणि गणेशजी
हे थांबणार नाही एवढ्यावरच
हमास ला सगळी शस्त्रे इराण पुरवतोय
गाझा ची 1 बाजू इजिप्त ला लागून आहे एक बाजू समुद्र आणि 2 बाजू इस्रायल
इराण ची शस्त्रे विनासायास हमास पर्यत पोचताहेत ह्याला जबाबदार 1 मेव अमेरिका
कोण काहीही म्हणो मी हेच म्हणतो
म्हणजे माझ्या म्हणण्याचा अर्थ हा
घेऊच नका की इराण,अमेरिका ह्यांचे इस्रायल विरोधात कारस्थान आहे.नक्कीच नाही,पण दूरदृष्टी नसलेला 1 जरी नेता लाभला एखाद्या देशाला लाभला आणि त्याचा तिथल्या थिंक टॅंक चा निर्णय झाला,अंमलात आला आणि तो पायउतार झाल्यावर आजवर जोडलेले विदेशी संबंध तसेच राखताना नंतर सत्तेवर येणाऱ्याची कशी
हबेलहंडी उडते त्याचे मूर्तिमंत उदाहरण म्हणजे
आताची USA व जो बायडेन
मी डोनाल्ड ट्रम्प बद्दल बोलत नाहीये
आता खरोखर तो जरी असता तरी ह्या परिस्थितीत
त्याची ही अवस्था ह्याहून वेगळी नसती.
जराजरी 1 ठिणगी अजून
सगळा सत्यानाश
उद्या बोलतो,दमलोय, झोपतो
11 मे ये दिन जुडी है पोखरण विस्फोट से जुडी गद्दारी और उसके ईनाम की एक सत्य कहानी
“लक्ष्मी चंद जैन" भारत का वह राजदूत जिसने दक्षिणआफ्रीका में तैनाती के दौरान अपने ही देश के निर्णय का विरोध किया और उसे इस विरोध के पुरस्कार स्वरूप देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान “पदम् विभूषण"
दिया गया।
1998 मे जब तत्कालीन PM श्री अटलबिहारी वाजपेयी जी की सरकार द्वारा पोखरण में परमाणु परीक्षण किए गए थे और परीक्षणों के बाद, दक्षिण आफ्रीका में तैनात भारत के राजदूत लक्ष्मी चंद जैन ने वाजपेयी सरकार द्वारा किए गए परमाणु परीक्षणों का खुलकर विरोध किया।
इस कृत्य की जरा कल्पना करें कि देश की जिस उपलब्धि पर देश का प्रत्येक नागरिक को गर्व की अनुभूति हो रही थी तब भारत का एक राजदूत परमाणु परीक्षण जैसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील नीतिगत निर्णय पर विदेश में बैठा अपने ही देश का विरोध कर रहा था। न केवल विरोध कर रहा था बल्कि दक्षिण अफ्रीका