*विश्व की पहली सम्राज्ञी सातकर्णी सम्राज्य की महारानी "नागनिका सातकर्णि"*
भारत के बिके हुवे कम्युनिस्ट इतिहासकारो ने सनातनी इतिहास मिटाने के लिए कोई कसर नही छोड़ी। इस्लामियों के महिमा मंडन में इन्होंने एक काला झूठ रजिया सुल्तान
नाम की म्लेंच्छ स्त्री को भारत की पहली महिला शासक बताया जिसने काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ने की कोशिश की थी।*
*सम्राट पुष्यमित्र शुंग के शासनकाल के बाद लगभग 518 वर्षों तक सातवाहन ( शालिवाहन ) राजवंश का समृद्ध इतिहास मिलता है।
इसी वंश की तीसरी पीढ़ी की राज-शासिका थी-‘नागनिका’।उपन्यास की नायिका नागनिका सम्राट सिमुक सातवाहन की पुत्रवधू तथा
श्री सातकर्णी की पत्नी थी।*
*युवावस्था में ही श्री सातकर्णी का निधन हो जाने से वह राज्य-कार्यभार संभालती है सातवाहन काल में राज्य शासन केंद्र था बृहद् महाराष्ट्र
जिसमें कर्नाटक-कोंकण तक सम्मिलित थे जिसकी राजधानी प्रतिष्ठान (पैठण) थी।*
*महारानी नागनिका कहने को तो शक-कन्या थी लेकिन सातवाहन के ब्राह्मण कुल से सम्बद्ध होते ही वह सनातन हिन्दू संस्कृति के संरक्षण एवं समृद्धि के लिए तन-मन से योगदान करती है शासन की व्यवस्था में जहाँ वह
सर्वजन हिताय समर्पित है वहीं गृहकलह के कारण साम्राज्य विघटित न हो इसके लिए स्वजन को भी दंडित करने में नहीं हिचकती।उपन्यास ‘नागनिका’ में सातवाहन सम्राट श्री सातकर्णी, नायिका नागनिका तथा उसके दोनों पुत्रों-वेदिश्री और शक्तिश्री का चरित्र प्रमुख रूप से निरूपित हुआ है।*
*सातवाहन (शालिवाहन) काल में सीरिया, बेबीलोनिया के असुरी शक्तिओ का प्रभाव था यह इतने क्रुर थे जहाँ भी जाते थे ना केवल लूटपाट मचाते थे सनातन संस्कृति को नष्ट करना इनका मूल उद्देश्य होता था। जब श्री सातकर्णि शालिवाहन सम्राट का युद्ध में निधन हुआ तो असुरी शक्ति के प्रभाव से
शालिवाहन साम्राज्य को नुकसान भी हुआ था वस्तुतः राष्ट्रनिर्माण हो जाने पर राष्ट्रविकास की संकल्पना को पूर्ण करते समय प्रथम और सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कार्य सीमा रक्षण का होता है जिसमे चूंक होना विनाश का बुलावा होता है।*
*आज भी इन बातों पर गम्भीरता से विचार करने की आवश्यकता है राज्य सबल, सुन्दर, विकसित और सम्पन्न तभी हो सकेगा जब राष्ट्र निर्भय होगा। हम शान्तिप्रिय हैं और हम अहिंसा के पुजारी हैं इसका कोई,मनमाना अर्थ न निकाल ले इसलिए हमें अपने राष्ट्र को सामर्थ्यशाली साधन सम्पन्न बनाना चाहिए।*
*महारानी नागनिका ने कहा -भविष्य में हम अपने राष्ट्र में अन्तरिम और बाह्य कैसे भी विद्रोह अथवा आक्रमण को क्षमा नहीं करेंगे। महामन्त्री सुशर्मा !
आप इस समाचार को त्वरित प्रसारित करने की व्यवस्था कीजिए !’’– महारानी नागनिका ने गर्जना की*
*वीरांगना सम्राज्ञी नागनिका सातकर्णि ने शालिवाहन साम्राज्य और वैदिक हिन्दू संस्कृति के सूर्य को कभी अस्त नहीं होने दिया।
सम्राज्ञी नागनिका के समय 781-764(ई.पूर्व) 6युद्ध हुये अस्सीरिया मेसोपोटामिया के असुरों के खिलाफ शाल्मनेसेर चतुर्थ 773(ई.पूर्व)और आशूर निरारि पंचम 755 (ई.पूर्व)
यह असुर प्रजाति के थे यह जिस राज्य में कदम रखते थे वहाँ के नारियों को यह अपना निशाना बनाते थे दर्दनाक शारीरिक यातनाओं से गुजरना पड़ता था ना केवल धन लूटते थे संस्कृति के विनाश कर देते थे।*
*यह कोई सौ पचास हज़ार की तादात के सेना लेकर नहीं आते थे यह मेसोपोटेमिया के असुर दल
लाखों की संख्या में सेना लेकर आते थे सम्राज्ञी नागनिका के राज्यशासन की राजधानी महाराष्ट्र मे थी इन्होंने कई लड़ाईयां लड़ी शाल्मनेसेर चतुर्थ के साथ प्रथम लड़ाई लड़ी गई थी जहाँ इतिहासकार “रोबर्ट वालमन” ने अपनी पुस्तक “वर्ल्ड फर्स्ट वारियर” में लिखा हैं “सम्राज्ञी नागनिका" ने अरब तक
राज्य विस्तार की थी उनके तलवार के आगे 157 विदेशी असुरों ने घुटने टेक दिये थे”*
*आगे “शुभांगी भदभदे” नाम की इतिहासकार “सम्राज्ञी नागनिका नामक उपन्यास” में लिखती हैं “असुर- निरारि पंचम की 1,36,000 संख्या वाली दानव शक्ति के पुजारियों को भारत की पुण्यभूमि से बहुत बुरी तरह खदेड़ दिया।
भारत की सीमाएं सम्राज्ञी नागनिका के मृत्यु के पश्चात भी इन दानवों की हिम्मत नहीं हो पायी दोबारा आर्यावर्त पे आक्रमण करने की सम्राज्ञी नागनिका बेबीलोनिया, मेसोपोटेमिया और अरबी हमलावरों को भारत से ना केवल खदेडती थी अपितु उनका पूर्णरूप से विनाश कर देती थी ताकि दोबारा सनातन राष्ट्र
भारत पर आक्रमण करने का सोच भी ना सके यह प्रसिद्ध लड़ाइया कर्नाटक-कोंकण पैठण में लड़ी गयी थी।”*
*सम्राज्ञी नागनिका ना केवल एक कुशल महारानी साथ ही साथ सनातन हिन्दू संस्कृति के संरक्षण के लिए अवतरित हुई एक विलक्षण,रण कौशलिनी, युद्ध के 49 कला से निपुण शासिका थी।
शत्रुओं के बल और दर्प (घमण्ड) का अन्त तो करती थी साथ ही साथ अगर ज़रूरत होती थी तो शत्रु का पूर्णरूप से मा दुर्गा की तरह नाश कर देती थी।
यह बात तबकी हैं जब यूरोप में कोई शासिका बनना तो दूर घर से चौखट लांग कर जाने तक के लिए पूछना पड़ता था।तब हमारे भारत की
नारी सम्राज्ञी बन कर भारत का सनातनी भगवा ध्वज ज्ञात दुनियामें लहराई थी।*
*अब जो लोग अक्सर सनातन धर्म में नारियों की स्वतंत्रता को लेकर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं मैं उन सभी से प्रश्न करना चाहूँगा की इससे बड़ी आज़ादी,सम्मान नारियों को किस धर्म में मिला है?*
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दिल्ली में एक चाय वाला 7 सालों से केवल एक ही पाठ पढ़ और पढ़ा रहा है
भारत से 14489 किलोमीटर दूर डोमिनिका पुलिस की हिरासत में सूजी हुई आंख और लगभग अधमरी हालत में लंगड़ाते लड़खड़ाते हुए चल रहे मेहुल चोक्सी का वीडियो लगभग पूरा हिन्दूस्तान देख चुका है।
मेहुल की वो हालत यह बता रही है कि डोमिनिका पुलिस की हिरासत में पहुंचाने से पहले उसे एंटीग्वा से उठा लेने वाली टीम ने रुई की तरह धुना है। बुरी तरह से उसकी कुटाई की है। चोक्सी की पत्नी और वकील लगातार यह कह रहे हैं कि चोक्सी को उठाने वाले लोगों में भारतीय एजेंसियों
के कुछ अफसर थे।
दूसरी घटना केवल ढाई वर्ष पहले की है। मां बेटा बेटी दामाद की 2 नंबरी कमाई को खपाने, सेट करने का काम करने वाले कुख्यात आंतरराष्ट्रीय दलाल राजीव सक्सेना को उसके घर के बाथरूम से घसीट कर दुबई के एक निजी हवाई अड्डे पर खड़े भारतीय हवाई जहाज में बिना किसी
@INCIndia बंद करो ये विधवा विलाप
याद है जस्टीस बहरुल इस्लाम?
आसाम का निवासी
AMU से कानून की पढ़ाई की,आसाम में प्रैक्टिस की।1962 से 68 तक तुमने इसे राज्यसभा भेज दिया।68 के बाद इसे फिर तुमने राज्यसभा भेज दिया, इस कार्यकाल को पूरा होने का समय था 1974 किंतु 1972 मे तुमने इससे
इस्तीफा लेकर इसे गुवाहाटी हायकोर्ट का जज बना दिया।यानी सीधे तुम्हारी पार्टी के सांसद पद से
हायकोर्ट का जज बन गया।7 जुलै 1979 मार्च 1980 तक हायकोर्ट का जज बना रहा।रिटायर होने के बाद इसे सुप्रीम कोर्ट का जज बना दिया गया।
और इस बार PM थी इंदिरा गांधी।
क्या भारतीय इतिहास में ऐसा अन्य कोई उदाहरण है जिसमे हायकोर्ट का जज रिटायर होने के बाद सुप्रीम कोर्ट का जज बना हो ?
तेरी कहानी अभी बाकी है मेरे दोस्त
जज की कुर्सी संभालते ही उसने सब पहला निर्णय बिहार के CM जगन्नाथ मिश्रा को
अर्बन को.ऑपरेटिव घोटाले से बरी करना, समझ गए ना इसे
@ImranKhanPTI इसकी कॅसेट ऐसी उलझी है के अब इधर खाई तो उधर कुआ
USA ने तय किया के वो पाकिस्तान मे अपना एअर बेस बनायेगा।जमीन तो पाकिस्तान को देनी ही पडेगी।
प्रेसिडेंट चुनाव के वक्त सारे पाकिस्तान मे मुस्लिम फॉर बायडेन का ट्रेंड चला के फंड भी जमा कर के दिया गया।
कितनी बार US से धोखा
खाते खाते इस बार भी धोखा ही मिला
भले US ने किसीसे वादा किया हो,वो वादा US निभाये या ना निभाये मगर कोई US से सपने मे भी वादा करता है तो उसे निभाना ही पडता है।
यहा तो इनका विदेशमंत्री खुद बोल के आ गया।
कल तालिबान ने प्रेस कॉन्फरन्स लेके साफ कर दिया,US फोर्स जाने के बाद हम अपने देश
को अच्छी तरिके से संभालेंगे अगर सत्ता मे आते है।
(सत्ता मे तालिबान का आना तो तय है)
और अगर कोई भी देश हमारे खिलाफ किसीभी देश को अपनी जमीन देता है तो हम उससे सख्ती से निपटेंगे।
माना के आर्मी के लिहाज से अफगाणिस्तान इतना बडा नही है के पाकिस्तान को दो टुक उत्तर दे सके।
लेकिन इतना तो
पुढील 6 महिने जियो पॉलिटिकली फार महत्त्वाचे आहेत.शाह मेहमूद कुरेशी तुर्की विमानाने US ला गेला.तिथे बायडेन ने सिज फायर करायला लावतो अशी मखलाशी केली (आयर्न डोम ची उपयुक्तता S400 च्या अगोदर सिद्ध झाल्याने सिज फायर हे होणारच होते.फक्त इस्रायल मध्ये खुसपट काढून हमास ला उकसवले गेले)
कुरेशी खुश झाला आणि तिथल्या पत्रकारांना मुलाखती देऊन तोंडावर पडला,तिथून इकडे यायला निघायला प्लेन मध्ये बसल्यावर पेंटागोन चे अधिकृतपणे बयान आले की पाकिस्तान अमेरिकेत अधिकृतपणे एअर बेस द्यायला तयार झालाय.
हे बेणं जमिनीवर उतरल्या उतरल्या घेरलं गेल्यावर नंतर बोलला की आम्ही बेस देणार
नाही.बेस ह्यांचा बाप देईल.
आता होणारेय असे
11 सप्टेंबर पर्यत US फौजा अफगाणिस्तान मधून काढून घेण्याची घोषणा बायडेन करून मोकळा झालाय.त्यानंतर पाकिस्तान पैशासाठी चीन ला अफगाणिस्तान मध्ये उतरवू शकतो.
हेच नेमके US ला नकोय
आणि महत्त्वाचे म्हणजे US ने मागितलेला बेस हा ग्वादर पासून जवळ
फॅक्ट
व्यक्तीशः मी त्यावेळी मोदींचा भयंकर राग करत होतो, डोभाल नी ज्यावेळी BJP अध्यक्ष अमित शहांची घरी जाऊन भेट घेतली आणि दुसऱ्याच दिवशी मुफ्ती सरकार पाडले
आईशपथ तेंव्हा मनातल्या मनात बोललोय
370,35A गेलं आता
पण कसलं काय? त्यावर नंतर महिने गेले.मी पुन्हा शिव्या घालून स्वतःची लायकी
स्वतःलाच दाखवत होतो (स्वतःच्या लायकी चा विषय 5 ऑगस्ट ला समजला)
किती हा संयम?किती ही देशद्रोही शक्ती चिरडण्यासाठी दाखवलेला सोशीकता?
नंतर सोडून दिलं मोदिशांच्या निर्णयावर भाष्य करणे
किंवा टीका करणे.
तरीही परत बंगाल च्या बाबतीत स्वतःच्या लायकीवर गेलोच पण एकच दिवस होतो त्या लायकीत
पुढची होणारी बातमी मिळाली पण चिन्हे अजूनही स्पष्टपणे दिसत नाहीयेत पण मी शांत आहे
म्हणून @NileshPatriot ला बोललो शांतपणे चाललेला हलाल प्रोग्राम बघ,तो पर्सनल घेतो.
बकरी किंवा डुक्कर हलाल होत असताना त्यांना समजत असते की आपली मान उडवली जातेय
ही हलाल करण्याची निर्दयता इतकी निष्ठुर
हिमालयात् समारभ्य सिंधू,वितस्ता(झेलम),सतलज,रावी,
(असीक्नी) चिनाब ह्या नद्या कराची येथे सागराला जाऊन मिळतात,जो पाकिस्तान चा सिंध प्रांत म्हणून ओळखला जातो
इस्लाम चा उदय झाल्यानंतर जागोजागी इस्लाम चा प्रचार करण्यासाठी
इस्लामी लढवय्ये तलवार घेऊन निघाले.(जागोजागी हा शब्द इतक्याच साठी की कबिलाई वर्चस्ववादी धोरणात देश ही संकल्पना कितपत असणारेय)
सिंध प्रांतावर अखेरचा हिंदू राजा दाहीर सेन चे समृद्ध राज्य होते.इस्लामी उदय झाल्यानंतर इसवी 632 ते 711 अशी 75 आक्रमणे वेगवेगळ्या तब्बल 9 खलिफाच्या मुख्य
नेतृत्वाखाली सेनापतीनी केलीत.त्यातीलच 1 सेनापती होता केवळ 17 वर्षाचा
मोहम्मद बिन कासीम.ह्याने इसवीसन 20 जून 712 ह्या वर्षी आताच्या ग्वादर जवळील मकरान च्या समुद्रकिनारी भागातून येऊन सिंध वर भीषण हल्ला चढवला.त्यावेळी राजा दाहीर ला कोणीही साथ दिली नाही
632 ते 711 अशी 75 आक्रमणे