#सनातन_धर्म
जिस बातों का शाश्वत महत्व हो वही सनातन कही गई है, जैसे सत्य सनातन है, ईश्वर ही सत्य है, आत्मा ही सत्य है, मोक्ष ही सत्य है और इस सत्य के मार्ग को बताने वाला धर्म ही सनातन धर्म भी सत्य है, वह सत्य जो अनादि काल से चला आ रहा है और जिसका कभी भी अंत नहीं होगा वह ही
(2)सनातन या शाश्वत है, जिनका न प्रारंभ है और जिनका न अंत है उस सत्य को ही सनातन कहते हैं, यही सनातन धर्म का सत्य है।
वैदिक या हिंदू धर्म को इसलिये सनातन धर्म कहा जाता है क्योंकि यही एकमात्र धर्म है जो ईश्वर, आत्मा और मोक्ष को तत्व और ध्यान से जानने का मार्ग बताता है,
(3)आप ऐसा भी कह सकते हो कि मोक्ष का कांसेप्ट इसी धर्म की देन हैं। एकनिष्ठता, योग, ध्यान, मौन और तप सहित यम-नियम के अभ्यास और जागरण मोक्ष का मार्ग है, अन्य कोई मोक्ष का मार्ग नहीं है, मोक्ष से ही आत्मज्ञान और ईश्वर का ज्ञान होता है, यही सनातन धर्म का सत्य है।
(4) सनातन धर्म के मूल तत्व सत्य, अहिंसा, दया, क्षमा, दान, जप, तप, यम-नियम हैं जिनका शाश्वत महत्व है, अन्य प्रमुख धर्मों के उदय के पूर्व वेदों में इन सिद्धान्तों को प्रतिपादित कर दिया गया था- "असतो मा सदगमय, तमसो मा ज्योर्तिगमय, मृत्योर्मा अमृतं गमय" यानी हे ईश्वर,
(5)मुझे असत्य से सत्य की ओर ले चलो, अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो, मृत्यु से अमृत की ओर ले चलो।
पूर्णमद: पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते।।
"सत्य सत् और तत् से मिलकर बना है, सत का अर्थ यह और तत का अर्थ वह, दोनों ही सत्य है,
(6)"अहं ब्रह्मास्मी और तत्वमसि" यानी मैं ही ब्रह्म हूँ और तुम भी ब्रह्म हो, यह संपूर्ण जगत ब्रह्ममय है, ब्रह्म पूर्ण है, यह जगत् भी पूर्ण है,पूर्ण जगत्की उत्पत्ति पूर्ण ब्रह्म से हुई है, पूर्ण ब्रह्म से पूर्ण जगत् की उत्पत्ति होने पर भी ब्रह्म की पूर्णता में कोई न्यूनता नहीं आती,
(7)वह शेष रूप में भी पूर्ण ही रहता है, यही सनातन सत्य है"।
जड़ पाँच तत्व से दृश्यमान है- आकाश, वायु, जल, अग्नि और पृथ्वी, यह सभी शाश्वत सत्य की श्रेणी में आते हैं, यह अपना रूप बदलते रहते हैं किंतु समाप्त नहीं होते, प्राण की भी अपनी अवस्थायें हैं, प्राण, अपान, समान और यम,
(8)उसी तरह आत्मा की अवस्थायें हैं- जाग्रत, स्वप्न, सुसुप्ति और तुर्या।
"ज्ञानी लोग ब्रह्म को निर्गुण और सगुण कहते हैं, उक्त सारे भेद तब तक विद्यमान रहते हैं जब तक कि आत्मा मोक्ष प्राप्त न कर ले, यही सनातन धर्म का सत्य है, ब्रह्म महाआकाश है तो आत्मा घटाकाश, आत्मा का मोक्ष परायण
(9)हो जाना ही ब्रह्म में लीन हो जाना है, इसीलिये भाई-बहनों, कहते हैं कि ब्रह्म सत्य है, और जगत मिथ्या, यही सनातन सत्य है और इस शाश्वत सत्य को जानने या मानने वाला ही सनातनी कहलाता है"।
धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष में मोक्ष अंतिम लक्ष्य है, यम, नियम, अभ्यास और
(10)जागरण से ही मोक्ष मार्ग पुष्ट होता है, जन्म और मृत्यु मिथ्या है, जगत भ्रमपूर्ण है, ब्रह्म और मोक्ष ही सत्य है, मोक्ष से ही ब्रह्म हुआ जा सकता है, इसके अलावा स्वयं के अस्तित्व को कायम करने का कोई उपाय नहीं, ब्रह्म के प्रति ही समर्पित रहने वाले को ब्राह्मण और ब्रह्म को
(11)जानने वाले को ब्रह्मर्षि और ब्रह्म को जानकर ब्रह्ममय हो जाने वाले को ही ब्रह्मलीन कहते हैं।
वेद कहते हैं ईश्वर अजन्मा है, उसे जन्म लेने की आवश्यकता नहीं, उसने कभी जन्म नहीं लिया और वह कभी जन्म नहीं लेगा, ईश्वर तो एक ही है यही सनातन सत्य हैं, सत्य को धारण करने के लिये
(12)प्रात: योग और प्राणायाम करें तथा दिनभर कर्मयोग करें, वेद-पुराणों को समझे, गौ माता और ब्राह्मण को सम्मान दें, ऋषि परंपराओं को जीवन में अपनायें, यही सनातनी जीवन हैं।
🙏जय श्री परशुराम🙏 🙏सनातन धर्म की जय हो 🙏
()सनातन या शाश्वत है, जिनका न प्रारंभ है और जिनका न अंत है उस सत्य को ही सनातन कहते हैं, यही सनातन धर्म का सत्य है।
वैदिक या हिंदू धर्म को इसलिये सनातन धर्म कहा जाता है क्योंकि यही एकमात्र धर्म है जो ईश्वर, आत्मा और मोक्ष को तत्व और ध्यान से जानने का मार्ग बताता है,
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आज मैने देखा कि कई लोग इस ⬇️ट्रेंड पे #ArrestBhimArmyWorker ट्वीट नही कर रहे थे।जबकि कई लोग #Active थे।फर्जी की ट्वीट कर रहे थे।
यह ट्रेंड इसलिय किया गया था कि एक भीम आर्मी के कार्यकर्ता ने
2):-ब्राह्मण और ठाकुर की बहन बिटियो को गलत बोला था और उनके साथ गलत करने को बोला था
कुछ लोग इस ट्रेंड पे इसलिय नही आये
क्योंकि उनको लगा कि ये ट्रेंड ब्राह्मण के लिय चलाया गया था
कई राजपुतो ने इस ट्रेंड पे सहयोग किया जबकि कई ने नही किये।जिसने किया उन्होंने इंसान होने का फर्ज निभाया
3):- मै it सेल के दलालों की बात करके टाइम खराब नही करूँगा।
यहाँ कई राजपूत और ब्राह्मण आपस मे गाली गलौच करते है।
इनमें तो कुछ पार्टी के होते है,
कुछ it सेल के और कुछ संगठन के।
जिनका मकसद मुद्दों से ध्यान भटकाना है।
आपस मे लड़ना है!ऐसे लोग किसी काम के नही है।
ऐसे लोगो से दूर रहो
🙏🏻*बुद्धि और भाग्य*
🙏🙏
एक बार बुद्धि और भाग्य में झगड़ा हुआ। बुद्धि ने कहा, मेरी शक्ति अधिक है। मैं जिसे चाहूँ सुखी कर दूँ। मेरे बिना कोई बड़ा नहीं हो सकता।’’ भाग्य ने कहा, मेरी शक्ति अधिक है। मैं तेरे बिना काम कर सकता हूँ। तू मेरे बिना काम नहीं कर सकती।’’
२)इस तरह दोनों ने अपनी-अपनी तरफ की दलीलें जोर-शोर से दीं।जब झगड़ा दलीलों से समाप्त न हुआ तो बुद्धिने भाग्यसे कहा कि यदि तुम उस गड़रिए को जो जंगल में भेड़ें चरारहा है,मेरी सहायता केबिना राजा बना दोतो समझूँ कि तुमबड़े हो।यह सुनकर भाग्य ने उसके राजा बनाने का यत्न करना आरंभ कर दिया।
३)उसने एक बहुत कीमती खड़ाऊँ की जोड़ी, जिसमें लाखों रुपए के नग लगे थे, लाकर गड़रिए के सामने रख दी। गड़रिया उनको पहनकर चलने फिरने लगा। फिर भाग्य ने एक व्यापारी को वहाँ पहुँचा दिया।
व्यापारी उन खड़ाउँओं को देखकर विस्मित हो गया। उसने गड़रिए से कहा। तुम ये खड़ाऊँ बेच दो।’