🙏🏻*बुद्धि और भाग्य*
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एक बार बुद्धि और भाग्य में झगड़ा हुआ। बुद्धि ने कहा, मेरी शक्ति अधिक है। मैं जिसे चाहूँ सुखी कर दूँ। मेरे बिना कोई बड़ा नहीं हो सकता।’’ भाग्य ने कहा, मेरी शक्ति अधिक है। मैं तेरे बिना काम कर सकता हूँ। तू मेरे बिना काम नहीं कर सकती।’’
२)इस तरह दोनों ने अपनी-अपनी तरफ की दलीलें जोर-शोर से दीं।जब झगड़ा दलीलों से समाप्त न हुआ तो बुद्धिने भाग्यसे कहा कि यदि तुम उस गड़रिए को जो जंगल में भेड़ें चरारहा है,मेरी सहायता केबिना राजा बना दोतो समझूँ कि तुमबड़े हो।यह सुनकर भाग्य ने उसके राजा बनाने का यत्न करना आरंभ कर दिया।
३)उसने एक बहुत कीमती खड़ाऊँ की जोड़ी, जिसमें लाखों रुपए के नग लगे थे, लाकर गड़रिए के सामने रख दी। गड़रिया उनको पहनकर चलने फिरने लगा। फिर भाग्य ने एक व्यापारी को वहाँ पहुँचा दिया।
व्यापारी उन खड़ाउँओं को देखकर विस्मित हो गया। उसने गड़रिए से कहा। तुम ये खड़ाऊँ बेच दो।’
४)’ गड़रिए ने कहा, ‘ले लीजिए।’’ व्यापारी ने उनका मूल्य पूछा। गड़रिए ने कहा, ‘‘क्या बतलाऊँ मुझे रोटी खाने रोज गाँव जाना पड़ता है। यदि तुम मुझे दो मन भुने चने दे दो तो मैं यहाँ बैठे-बैठे चने चबाकर भेड़ों का दूध पी लिया करूँगा। इस भाँति मैं गाँव जाने के कष्ट से बच जाऊँगा
५)और आपको भी खड़ाऊँ मिल जाएँगी। सारांश यह कि उस बुद्धिमान गड़रिए ने वो अनमोल खड़ाऊँ, जिनमें एक-एक हीरा करोड़ों रुपए का था, दो मन चनों के बदले में बेच डालीं। यह देखकर भाग्य ने और प्रयत्न किया। अब उस व्यापारी ने वे खड़ाऊँ राजा को भेंट की तो राजा देखकर हैरान हो गया।
६)उसने व्यापारी से पूछा, ‘‘तुमने ये खड़ाऊँ कहाँ से पाईं ? व्यापारी ने कहा ‘‘महाराज एक राजा मेरा मित्र है उसने ये मुझे दीं।’’
तब राजा ने पूछा, ‘‘क्या उस राजा के पास ऐसी और भी खड़ाऊँ हैं ?’’ व्यापारी ने कहा हाँ, है।’’ यह सुनकर राजा ने कहा, ‘‘अच्छा जाओ, मेरी लड़की की सगाई
७)उसके लड़के से करा दो।’’ व्यापारी जब भाग्यदेव की प्रेरणा से सब बातें कह चुका, तब राजा की अंतिम बात सुनकर बहुत घबराया और सोचने लगा कि खड़ाऊँ तो उसने गड़रिए से ली हैं; न कोई राजा है, न कोई राजा का लड़का। किंतु इन झूठी बातों को कह चुकने के कारण व्यापारी ने सोचा कि यदि
८) मैं इस कथन को अस्वीकार करता हूँ तो न मालूम राजा साहब मुझे क्या दंडे दें। यह सोचकर उसने तय कर लिया कि जैसे भी हो, इस राजा के नगर से निकल जाना चाहिए। अत उसने राजा से कहा, ‘‘ठीक है, तो अब मैं आपकी लड़की की सगाई पक्की करने जाता हूँ।’’ यह कहकर वह जिस ओर से आया था उसी ओर को चल दिया
९)और जब उस स्थान पर पहुँचा, जहाँ वह गड़रिए से मिला था, तो क्या देखता है कि गड़रिया उससे भी मूल्यवान खड़ाऊँ पहने है।
व्यापारी यह देखकर हैरान हो गया और उसने सोचा कि हो न हो, यह कोई सिद्ध महात्मा है। तभी तो ऐसी वस्तुएँ उसे स्वयं मिल जाती हैं। उसने निश्चय किया कि यहाँ रहकर
१०)इसका पता लगाना चाहिए। सोचकर उसने वही डेरा लगा दिया और अपना बहुत सा ताँबा लदा हुआ सब सामान एक ओर पेड़ के नीचे रख दिया। जब दोपहर हुई तो गड़रिया धूप से व्याकुल हो उस पेड़ के नीचे आया, जहाँ ताँबे के ढेर पड़े हुए थे। वह ढेर के सहारे सिर रखकर सो गया। भाग्य ने
११)उस ताँबें के ढेर को सोना कर दिया। जब व्यापारी ने यह देखा तो सोचा कि जिस व्यक्ति के छू जाने से ताँबा सोना हो जाता है, उसको राजा बनाना कोई बड़ी बात नहीं। यह सोचकर उस व्यापारी ने वहीं जमीन खरीदी और किला बनवाना आरंभ कर दिया। सेना भर्ती की जाने लगी और जब सब सामान तैयार हो गया
१२)तो व्यापारी गड़रिए को पकड़कर किले में ले गया। उसको अच्छे-अच्छे मूल्यवान वस्त्र पहनवाए; मंत्री सेवक इत्यादि कर्मचारी नौकर रखे और फिर उस लड़की वाले राजा को पत्र लिखा कि हमारे राजा जी ने सगाई स्वीकार कर ली है। अतः जो तिथि विवाह की निश्चिय करो, लिखो; उसी दिन बारात आ जाएगी।
१३)पत्रोत्तर में राजा ने तिथि लिख दी। इसपर विवाह का प्रबंध होने लगा।एक दिन जब राजसभा हो रही थी, सब मंत्री मुसाहिब बैठे हुए थे और वह गड़रिया राजसिंहासन पर तकिया लगाए राजा बना बैठा था,तब गड़रिए ने व्यापारी से कहा, ‘‘भाई देखो,तुम मुझे छोड़ दो,मेरी भेड़ें किसी के खेत में न चली जाएँ,
१४)कहीं मैं मारा न जाऊँ।’’ यह सुनकर सब लोग हँस पड़े। व्यापारी भी बड़ी हैरान हुआ। उसने सोचा कि इसका क्या प्रबंध किया जाए ? कहीं इसने राजा के सामने भी ऐसा ही कह दिया तो मैं तो उसी समय मारा जाऊँगा। उसने गड़रिए से कहा, ‘‘यदि तुम फिर कभी ऐसी बात कहोगे तो मैं तुम्हें उसी समय
१५)तलवार से मार डालूँगा। जो कुछ कहना हो, चुपके से मेरे कान में कहा करो।’’
कुछ समय बाद विवाह की तिथि आ गई। व्यापारी बारात लेकर चल दिया। जब लड़की वाले राजा का नगर निकट आ गया और उधर से मंत्री, बहुत से नौकर चाकर सेना अस्त्र-शस्त्र हाथी-घोड़े इत्यादि राजा की अगवानी के लिए आए
१६)तो गड़रिए ने विचार किया कि कदाचित् मेरी भेड़ें इनके खेत में चली गई हैं और ये मेरे कपड़े-लत्ते छीनने आ रहे हैं। अतः उसने झट व्यापारी से कहा, ये सब मेरे कपड़े-लत्ते छीनने के लिए आ रहे हैं। चूँकि यह बात कान में कही गई थी, अतः उस व्यापारी के सिवा और किसी को मालूम नहीं हुई।
१७)लोगों ने व्यापारी से पूछा, ‘‘कुँवर जी क्या आज्ञा दे रहे हैं ? व्यापारी ने कहा, कुँवर जी कहते हैं कि जितने आदमी स्वागत में आए हैं, प्रत्येक को पाँच-पाँच लाख रुपया पुरस्कार में दिया जाए।’’ फिर क्या था, बात की बात में यह फैल गया कि किसी बड़े भारी सम्राट् के कुँवर की बारात आई है,
१८)जो एक एक आदमी को पाँच-पाँच लाख रुपया पुरस्कार में देता है। नगर निवासी ही नहीं, लड़की वाला राजा भी घबराया कि मैंने बड़े भारी राजा से नाता जोड़ने का यत्न किया है। अब तो ईश्वर ही लाज रखे। अंततः उसी दिन राजा की कन्या का विवाह उस गड़रिए से हो गया।
१८)विवाह के पश्चात् जब राजकुमारी गड़रिए के पास आई, तब गड़रिए ने गहनों की आवाज सुनकर सोचा, हो न हो, कोई चुड़ैल मुझे मारने के लिए आ रही है। यह सोचकर वह झटपट एक दरवाजे की ओट में छिप गया। राजकुमारी ने जब देखा कि राजकुँवर वहाँ नहीं है तो वह दूसरे कमरे में चली गई। कन्या को जाते ही
१९)गड़रिए को विचार आया कि अभी एक चुड़ैल से तो मुश्किल से बचा हूँ, न मालूम यहाँ कितनी और चुड़ैल आएँ, अतः यहाँ से भाग चलना चाहिए। वह यह सोच ही रहा था कि उसे एक जीना दिखाई पड़ा। वह झट ऊपर चढ़ गया और वहाँ एक छेद में हाथ डालकर कूदकर भागने का विचार करने लगा।
२०)उसी समय बुद्धि ने भाग्य से कहा, ‘‘देख तेरे बनाने से भी यह राजा न बना। अब यह जल्दी ही गिरकर मृत्यु के मुख में जाना चाहता है।’’
प्यारे पाठकों ! इस उदाहरण से आपको भली-भाँति विदित हो गया होगा कि यदि संसार की समस्त उपलब्धियाँ भी एकत्रित हों,
२१)तो भी जब तक मनुष्य को बुद्धि न आए, वह अपने उद्देश्य को पूर्णतया सिद्ध नहीं कर सकता।
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आज मैने देखा कि कई लोग इस ⬇️ट्रेंड पे #ArrestBhimArmyWorker ट्वीट नही कर रहे थे।जबकि कई लोग #Active थे।फर्जी की ट्वीट कर रहे थे।
यह ट्रेंड इसलिय किया गया था कि एक भीम आर्मी के कार्यकर्ता ने
2):-ब्राह्मण और ठाकुर की बहन बिटियो को गलत बोला था और उनके साथ गलत करने को बोला था
कुछ लोग इस ट्रेंड पे इसलिय नही आये
क्योंकि उनको लगा कि ये ट्रेंड ब्राह्मण के लिय चलाया गया था
कई राजपुतो ने इस ट्रेंड पे सहयोग किया जबकि कई ने नही किये।जिसने किया उन्होंने इंसान होने का फर्ज निभाया
3):- मै it सेल के दलालों की बात करके टाइम खराब नही करूँगा।
यहाँ कई राजपूत और ब्राह्मण आपस मे गाली गलौच करते है।
इनमें तो कुछ पार्टी के होते है,
कुछ it सेल के और कुछ संगठन के।
जिनका मकसद मुद्दों से ध्यान भटकाना है।
आपस मे लड़ना है!ऐसे लोग किसी काम के नही है।
ऐसे लोगो से दूर रहो
#सनातन_धर्म
जिस बातों का शाश्वत महत्व हो वही सनातन कही गई है, जैसे सत्य सनातन है, ईश्वर ही सत्य है, आत्मा ही सत्य है, मोक्ष ही सत्य है और इस सत्य के मार्ग को बताने वाला धर्म ही सनातन धर्म भी सत्य है, वह सत्य जो अनादि काल से चला आ रहा है और जिसका कभी भी अंत नहीं होगा वह ही
(2)सनातन या शाश्वत है, जिनका न प्रारंभ है और जिनका न अंत है उस सत्य को ही सनातन कहते हैं, यही सनातन धर्म का सत्य है।
वैदिक या हिंदू धर्म को इसलिये सनातन धर्म कहा जाता है क्योंकि यही एकमात्र धर्म है जो ईश्वर, आत्मा और मोक्ष को तत्व और ध्यान से जानने का मार्ग बताता है,
(3)आप ऐसा भी कह सकते हो कि मोक्ष का कांसेप्ट इसी धर्म की देन हैं। एकनिष्ठता, योग, ध्यान, मौन और तप सहित यम-नियम के अभ्यास और जागरण मोक्ष का मार्ग है, अन्य कोई मोक्ष का मार्ग नहीं है, मोक्ष से ही आत्मज्ञान और ईश्वर का ज्ञान होता है, यही सनातन धर्म का सत्य है।