विंग कमांडर अभिनंदन का नाम तो आप निश्चय ही नहीं भूले होंगे. शायद उनकी ’हैंडल बार’मूछें भी याद ही होंगी.
लेकिन इसी भारतीय वायु सेना के कुछ अन्य जांबाज़ पायलट के नाम मैंने नीचे लिखे हैं. इनकी तस्वीरें देखना तो दूर, हममें से कोई एकाध ही होगा जिसने ये नाम सुन रखे होंगे.
लेकिन इनका रिश्ता अभिनंदन से बड़ा ही गहरा है. पढ़िए ये नाम.
विंग कमांडर हरशरण सिंह डंडोस
स्क्वाड्रन लीडर मोहिंदर कुमार जैन
स्क्वाड्रन लीडर J.M. मिस्त्री
स्क्वाड्रन लीडर J. D. कुमार
स्क्वाड्रन लीडर देव प्रसाद चटर्जी
फ्लाइट लेफ्टनंट सुधीर गोस्वामी
फ्लाइट लेफ्टनंट वी वी तांबे
फ्लाइट लेफ्टनंट नागास्वामी शंकर
फ्लाइट लेफ्टनंट R. M.आडवाणी
फ्लाइट लेफ्टनंट मनोहर पुरोहित
फ्लाइट लेफ्टनंट तन्मय सिंह डंडोस
फ्लाइट लेफ्टनंट बाबुल गुहा
फ्लाइट लेफ्टनंट सुरेश चंद्र संदल
फ्लाइट लेफ्टनंट हरविंदर सिंह
फ्लाइट लेफ्टनंट L. M.सासून
फ्लाइट लेफ्टनंट K. P. S. नंदा
फ्लाइट लेफ्टनंट अशोक धवले
फ्लाइट लेफ्टनंट श्रीकांत महाजन
फ्लाइट लेफ्टनंट गुरदेव सिंह राय
फ्लाइट लेफ्टनंट रमेश कदम
फ्लाइट लेफ्टनंट प्रदीप V. आपटे
फ्लाइंग ऑफिसर कृष्ण मलकानी
फ्लाइंग ऑफिसर K. P. मुरलीधरन
फ्लाइंग ऑफिसर सुधीर त्यागी
फ्लाइंग ऑफिसर तेजिंदर सेठी
ये सभी नाम अनजाने लगे होंगे.
*ये भी भारतीय वायुसेना के योद्धा थे जो 1971 की जंग में पाकिस्तान में युद्ध बंदी बना लिए गए, और फिर कभी वापस नहीं आए.*
इनकी चिट्ठियां घर वालों तक आई , पर तत्कालीन भारत सरकार ने कभी इनकी खोज खबर नहीं ली.
1972 में शिमला में ’आयरन लेडी’ के रूप में स्वयं प्रसिद्ध तत्कालीन PM इंद्रा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन PM झुल्फिकार अली भुट्टो के साथ हुए शिमला समझौते मे
93 हज़ार पाकिस्तानी युद्धबंदियों को छोड़ने का समझौता तो कर आई, *पर इन्हें वापस मांगना भूल गई.*
ये अभिनंदन जितने खुशकिस्मत नही थे,क्योकि इनके लिए उस समय की सरकार ने मिसाइलें नहीं तानी,न देश के लोगों ने इनकी खबर ली,न अखबारों ने फोटो छापे.
*इन्हें मरने को,पाकिस्तानी जेलों में सड़ने को छोड़ दिया गया. इनके वजूद को नकार दिया गया.*
और यह पहली बार नहीं हुआ था. रेज़ांगला के वीर अहीरों को भी नेरू ने भगोड़ा करार दिया था. परमवीर "मेजर शैतान सिंह भाटी"को कायर मान लिया था,अगर चीन ने इनकी जांबाज़ी को न स्वीकारा होता,
1 लद्दाखी गडरिये को इनकी लाशें न मिली होती,ये वीर अहीर न कहलाते, शैतान सिंह भाटी मरणोपरांत परम वीर चक्र का सम्मान न पाते.
*यही रवैया रहा है इन धूर्त सत्ता लोलुप गांधी नेहरू कुनबों का देश के वीर सपूतों के प्रति.*
और यही फ़र्क़ है देश भक्ति का सच्चा सपूत मोदी में ,और इनमे।
आप कल्पना भी नहीं कर सकते कि अगर मोदी की जगह उनका गूंगा होता तो शायद अभिनंदन का नाम भी इसी लिस्ट में लिखा होता.
😲✅🌺🌺🙏
• • •
Missing some Tweet in this thread? You can try to
force a refresh
बापू, आप इन प्रश्नो के उत्तर दीजिए
पता है मुझे के जवाब नही है आपके पास
1)आप लंडन मे रहकर बिना किसी परेशानी के गोरो के साथ पढ़ते,होस्टल के 1कमरे मे रहते है,1 मेस में खाते है।
फिर अचानक ट्रेन मे 1 साथ सफर करते वक्त बाहर "फेक" दिए जाते है?क्यूँ? ये बात कतई हजम नही हुई।
2)उन्हीं गोरों की सेना मे सार्जेंट मेजर बनते है और द.आफ्रीका मे "बोर वॉर"में आपकी तैनाती एम्बुलेंस यूनिट में होती है जहां आप लड़ाई मे गोरों का कालों के विरूद्ध साथ देते है।मिलिट्री यूनिफॉर्म मे आपकी की फोटो पूरे इंटरनेट उपलब्ध है। सार्जेंट मेजर गांधी लिखकर सर्च कर लीजिए।
3)फिर आप मे अचानक 46 वर्ष की उम्र मे 1915 मे देशप्रेम जागा और मिलिट्री युनिफॉर्म उतारकर आपको बैरिस्टर घोषित कर दिया गया।
(राणी लक्ष्मी बाई, खुदीराम बोस, बिस्मिल, भगतसिंह और आजाद जैसे अनेकों देशभक्तों की 25 की उम्र आते आते तक शहादत हो गई थी।)
अब आयेगा असली मजा
खेल का क्लायमॅक्स शूरू हो गया।
UP के गोरखपूर के बाबाजी कहीन।
कानपुर से पैसा सीधा पाकिस्तान जा रहा है?
कानपुर मे 7 जून को पूरे दिन कानपुर पुलिस ने बाबूपुरवा इलाके में पूछताछ की।दरअसल यहां पर एक विशेष समुदाय के लोगों ने कुछ पारदर्शी डोनेशन बॉक्स लगा रखे है।
इन बॉक्सेस मे लोग डोनेशन देते है,लेकिन सूफी इस्लामिक बोर्ड के राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति के प्रवक्ता सूफी मोहम्मद कौसर हसन मजीदी ने कानपुर पुलिस में शिकायत दर्ज की है कि जो पैसा डोनेशन बॉक्स में डाला जा रहा है,वो सारा पैसा पाक की कट्टरपंथी संस्था दावते इस्लामी के पास जा रहा है।
इन डोनेशन बॉक्स पर दावते इस्लामी का नाम भी लिखा हुआ है।दावते इस्लामी का हिंदी में अर्थ है, इस्लाम की दावत।इस्लाम की दावत का मतलब गैर मुसलमानों को धर्मांतरण करके इस्लाम अपनाने का निमंत्रण ही होता है।
शिकायत के बाद कानपुर की पुलिस एक्टिव हो गई है।कानपुर पुलिस ने फैसला किया है कि
🔴 *अमित शहांच्या मुलाची प्रॉपर्टी 10 पटींनी वाढली,पण ED त्यांची चौकशी करणार नाही
इति @NANA_PATOLE
नाना तुम्हाला "द वायर" माहितीय ना?
अस्संच काहीसं छापलं
कोर्टात 200 कोटींचा दावा जय शहा ने टाकला होता
दाती तृण धरून माफी मागितली
तुम्ही लोकं कोर्टात का जात नाहीत?
म्हणजेच काहीतरी
बेकायदेशीर करता ना?
जय शहा काहीही बेकायदेशीर करत नव्हता.त्याच्यावर आळ घेतल्यावर तो तुम्हा लोकांसारखे प्रत्यारोप करत नाही बसला,कोर्टात जाऊन दावा ठोकला.
कर नाही त्याला डर कशाला?
आता जी काही भागम् भाग चालू आहे त्यातील 1 ही कोर्टात जायला तयार का नाही?
भारतीय न्यायव्यवस्था तुम्हाला
आता खात्रीची वाटत नाही?तुमची सत्ता असताना वाटत होती.तुमचेच सरकार असताना मोदिशांच्या मागे ससेमिरा लावला होता,तुमचेच सरकार असताना कोर्टात त्यांना क्लिन चिट मिळाली,कारण सत्याचाच अखेर विजय असतो.
मग ठरवा आता सगळे एकत्र बसून आणि सरकार जे काय ED मागे लावतेय (तुमचे मत)त्याविरुद्ध कोर्टात
मीरपुर शहर में बनिया,महाजन,गुप्ता,ब्राह्मण,खत्री जातियों के हिन्दू व सिक्ख रहते थे
मुस्लिम आबादी कम थी वो भी विभाजन से पहले ही मीरपुर छोड़के पाकिस्तान चले गए थे
जब पाकिस्तान ने कबाइली भेस में अपनी सेना से 20/22 ऑक्टोबर 1947 को मुजफ्फराबाद के साथ रावलाकोट ,मंग, पलंदरी इत्यादि पुंछ
ज़िले के गाँव तहसीलों पर हमला किया तब मीरपुर में पाकिस्तान हमला करने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था, कुछ पर्सनल राजनीति कारण से शेख अब्दुल्ला इस पुरी बैलट को पाकिस्तानी कब्जा में जाने देना चाहते थे, जिसके लिए नेहरू से खुला एलान करवा दिया गया कि हमारी सेना झंगड़ से आगे नहीं जाएगी
जिसके बाद 25 नोव्हेंबर 1947 को पाकिस्तान ने मीरपुर पर हमला किया, जिसके बाद मीरपुर के मुसलमान पाकिस्तान से वापस मीरपुर लौट आए
मीरपुर में मुसलमानों ने एक भी सिक्ख जिंदा नहीं छोड़ा था
मीरपुर के सबसे अंतिम सिक्ख सरदार बेअंत सिहं को अलिबेग नामक स्थान पर गोली मारकर हत्या की गई थी
अटलजी PM असताना ते लाहोर ला सद्बभावना यात्रे ची बस घेऊन गेले.मुशर्रफ ने खंजीर खुपसला आणि कारगिल घडले,परिणामी नवाज ला देश सोडावा लागला.
नवाज शरीफ हे पाकिस्तान चे बहुमताने निवडून आलेले PM होते.
मोदीजी अफगाणिस्तान च्या भेटीला गेले होते.
डिसेंबर 15 चा सुमार होता
काबुल हुन निघताना कोणतेही आमंत्रण नसताना
नवाज ला फोन केला गेला
"सुना है के आपके भतीजी की शादी है,हमे शरीक होने का मौका नही देंगे?"
मोदीजी लाहोर ला उतरले,तिथे भेटींचे आदानप्रदान झाले.आपल्याकडे त्या भेटीची बिर्याणी पॉलिटिक्स म्हणून संभावना केली गेली.
पण आज पाकिस्तान ज्या अवस्थेत
आता पोचलाय त्या अवस्थेला ती 1 बिना निमंत्रणाची अचानक दिलेली सदिच्छा भेट होती.
त्याच भेटीनंतर पाकिस्तान मध्ये ज्या ज्या काही घटना घडल्या त्यावरून हे सहजपणे अधोरेखित होते की
इम्रानखान हा त्याच भेटीचा दृश्य परिणाम आहे
अदृश्य परिणाम नंतर सांगेन
पण ह्या विषयाला योग्य न्याय देणारा