(1) यह थ्रेड उन सभी मित्रों के लिये जो भू_कानून को सरल शब्दों में समझना चाहते हैं। कुछ मित्र #उत्तराखंड_मांगे_भू_कानून के उद्देश्यों और लाभ के बारे में भी सवाल कर रहे थे। उत्तराखंड की स्थापना नौ नवंबर 2000 को की गयी थी …क्रमश:
#उत्तराखंड_मांगे_भू_कानून
(2) वर्ष 2002 में प्रावधान किया गया था कि उत्तराखंड में बाहरी व्यक्ति 500 मीटर जमीन ही खरीद सकता था। इस सीमा को वर्ष 2007 में घटाकर 250 मीटर कर दिया गया। सरल शब्दों में कहें तो तब कोई बाहर का व्यक्ति यहां की कृषि योग्य भूमि नहीं खरीद सकता था ...क्रमश:
#उत्तराखंड_मांगे_भू_कानून
(3) यहां तक तो बात ठीक थी लेकिन 6 अक्टूबर 2018 को #भू_कानून में संशोधन कर दिया। नया कानून इस तरह से बनाया गया कि उत्तराखंड में बाहरी व्यक्ति जितनी चाहे उतनी जमीन खरीद सके। इसे लागू भी कर दिया गया। यह सब उद्योगों को बढ़ावा देने के नाम पर किया गया। क्रमश:
#उत्तराखंड_मांगे_भू_कानून
(4) इसके बाद मैदानों के मोटे सेठों के लिये उत्तराखंड की कृषि भूमि और गैर कृषि भूमि खरीदना आसान हो गया। उद्योग तो नहीं लगे पर इनमें से कुछ ने पहाड़ के पहाड़ खरीद दिये। अभी इसका व्यापक प्रभाव नहीं दिख रहा लेकिन जल्द ही यह अपना असर दिखाने लग जाएगा। क्रमश:
#उत्तराखंड_मांगे_भू_कानून
(5) इससे हमारे इतिहास, जलवायु, सभ्यता, परंपरा, संस्कृति, लोकभाषाओं सब के लिये खतरा पैदा हो गया है। यदि हमने अपनी जमीन किसी बाहरी धन्नासेठ को बेची तो जिस जमीन पर आज आपका अधिकार है, जिस पर आपको गर्व है कल आपके बच्चे उसी जमीन पर नौकर बनकर काम करेंगे। क्रमश:
#उत्तराखंड_मांगे_भू_कानून
(6) तब आपकी भावी पीढियां आपको कोसेंगी। उत्तराखंड की स्थिति हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार आदि से भिन्न है। ऐसा नहीं होता तो हिमाचल प्रदेश का अपना भू कानून नहीं होता। सिक्किम और मेघालय जैसे राज्यों में जमीन खरीदना आसान होता। क्रमश:
#उत्तराखंड_मांगे_भू_कानून
(7) हिमाचल प्रदेश हमारा पड़ोसी है, पर्वतीय राज्यों में विकसित भी है। हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री डा. यशवंत सिंह परमार को लगा कि उनके प्रदेश के लोग संपन्न नहीं है, वे बाहरी लोगों को जमीन बेच सकते हैं जिनकी गिद्ध दृष्टि इस पहाड़ी प्रदेश पर टिकी थी.. क्रमश:
#उत्तराखंड_मांगे_भू_कानून
(8) यदि वे जमीन बेचेंगे तो राज्य की संस्कृति, सभ्यता, परंपराओं को खतरा पैदा होगा। इसलिए परमार 1972 में कानून लेकर आ गये जिससे गैर हिमाचली नागरिक वहां जमीन नहीं खरीद सकता। हिमाचल में कृषि योग्य भूमि को गैर कृषि कार्यों के लिये नहीं बेचा जा सकता है। क्रमश:
#उत्तराखंड_मांगे_भू_कानून
(9) इसके बाद हिमाचल ने विकास किया। उसने अपने पर्यटन को बढ़ावा दिया जिससे वहां के लोग भी संपन्न हुए। उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियां हिमाचल जैसी हैं फिर जब हिमाचल प्रदेश #भू_कानून के दम पर विकास कर सकता है तो उत्तराखंड क्यों नहीं। क्रमश:
#उत्तराखंड_मांगे_भू_कानून
(10) यह बहुत बड़ा सवाल है जिस पर सरकार को गंभीरता से विचार करके उत्तराखंडी लोगों के हित में निर्णय करना चाहिए। अपनी बात समाप्त करने से पहले मेरा सभी से यही अनुरोध है कि अपनी जमीन न बेचें। आज नहीं तो कल यह आपके बहुत काम आएगी। समन्या, पैलाग, आभार।
#उत्तराखंड_मांगे_भू_कानून

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