"स्वतंत्रता हमारा अधिकार है, तुम्हारी ये गोलियां हमारे संकल्प को डिगा नहीं सकतीं"
ये शब्द उस वीरांगना के अन्तिम शब्द थे जिसने अपने हाथ से भारत का उस समय का झंडा गिरने न दिया यद्यपि अंग्रेजी गोली उनका सीना भेद गयी।
जानिये 17 वर्षीय कनकलता बरूआ "वीरबाला" के बारे में @Sanjay_Dixit
असम के बारंगबाड़ी में जन्मीं वीरांगना की पारिवारिक स्थिति ये थी कि मात्र 5 वर्ष की अवस्था में मां का देहान्त हो गया अगले ही वर्ष सौतेली मां का भी देहावसान हो गया लेकिन वीर चुनौतियों से डिगते नहीं अपितु चुनौतियों का हंसकर सामना करते हैं चूंकि नाम ही वीरबाला था यथा नाम तथा गुण।
सात वर्ष की अवस्था मेॆ कवि ज्योति प्रसाद अग्रवाल के गीतों ने राष्ट्रभक्ति की अलख जगा दी वीरबाला के हृदय में,
मात्र 17 वर्ष में नेताजी की आजाद हिन्द फौज में शामिल होने की याचिका दी इन्होंने परन्तु वो याचिका निरस्त हो गयी क्योंकि कहा गया कि आप अभी नाबालिग हैं लेकिन वो रूकी नहीं।
फिर वो स्वयंसेवकों के आत्मघाती दल मृत्यु वाहिनी में शामिल हो गयीं उस समय भारत छोड़ो आन्दोलन चल रहा था दिनांक 20 सितम्बर 1942 को इनकी योजना थी कि गोहपुर थाने पर भारतीय झंडा फहरायेंगी व दादा को ये वादा किया कि जैसे अहोम वंश देश के लिये लड़ा वैसे ही वो देश के लिये लड़ेंगी।
वीरबाला स्वयं उस दल का नेतृत्व कर रहीं थीं हाथों में तिरंगा लिये बढती जा रहीं थीं थानेदार ने इनको रोका, इन्होंने कहा कि हम आपसे कोई हिंसक संघर्ष नहीं चाहते हम केवल झंडा फहराना चाहते एवम् राष्ट्रभक्ति की अलख जगाना चाहते परन्तु थानेदार नहीं माना और गोली चलाने की चेतावनी दी
तब उन्होंने कहा- स्वतंत्रता हमारा अधिकार है, तुम्हारी ये गोलियां हमारे संकल्प को डिगा नहीं सकतीं। स्वतंत्रता के वृक्ष को पुष्पित और पल्लवित करने के लिए मैं अपना बलिदान देने से भी पीछे नहीं हटूंगी।
चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई। तभी अचानक बोगी कछारी नामक एक सिपाही के हाथों चली गोली कनकलता के सीने को भेद गई। तब भी उस वीरांगना ने तिरंगे को नीचे गिरने नहीं दिया।
मातृशक्ति के इस बलिदान से बहुत कम लोग ही परिचित हैं धन्यवाद @JagranNews इन वीरांगना से परिचय कराने के लिये।
ये कनकलता बरूआ पोत है जिसको सितम्बर 2020 में तटरक्षक दल ने अपने निगरानी करने वाले पोत में शामिल किया।
ये श्रद्धांजलि अद्भुत थी महान वीरांगना को।
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Photo thread on the amazing sanskrit,
Beautifully compiled by prashant agrawal of Bareilly,
कृपया पूरे थ्रेड को अन्तिम स्थान तक पढें, और समझें कि मात्रा एवम् सन्धि का खेल क्या है?
१- सभी व्यञ्जन एक साथ -- @Sanjay_Dixit @manojmuntashir @SanjeevSanskrit @myogiadityanath
Dismantling hindus was process to abuse hindus,hindu rituals,Hindu festivals,Our customs and our so long existing civilization.
The speakers of that conference were Neha Dikshit,kavita krishnan and many other CPI workers. #DismantlingJihad
You will be surprised that CPI (M) is the 6th deadliest terror Outfit in the world and in India they are known as social workers,
It is joke Naa.
These people does not have any relevancy except abusing hindus and defining good terror bad terror,good rape,bad rape etc.
Taimur,the most barbaric and cruel Lootera of Indian history got defeated by a 20 year old Veerangna of Saharanpur,
I can surely say that even the people of saharanpur dont know about her.
This unsung female warrior was Gurjar Rampyari Chauhan. @Sanjay_Dixit
Here let me introduce one more unsung warrior Harbir singh Gulia of Haridwar who was able to attack on the chest of Taimur with a spear.
This attack of Harbeer was too much brutal that Taimur never recovered from this and after the injury of 7 year he died.
We all have heard of Taimur Lang. he wanted to capture Delhi.On his way from Central Asia to Delhi, Taimur captured over 1,00,000 Hindus by the time he reached Delhi. Upon reaching Delhi he executed all of them and created a pillar with the he+ads
Do you know about kodavas warriors?
Kodavas are a warrior race of karnataka which defeated Tipu Sultan and his father Hyder Ali 31 times in 25 years.
And one thing is amazing that this race gave us two chief of Army staff
Field Marshal Sir K.M. Cariappa and General K.S. Thimayya
In 1785, Tipu Sultan, new ruler of Mysore, marched into Kadagu, but driven out by Kodava warriors. Tipu Sultan sent another army of 15,000 men, but were defeated by 4000 Kodavas at battle of Ulagulli. @Sanjay_Dixit
After Tipu Sultan’s army was defeated heroically several times by Kodava warriors, helpless Sultan committed treachery. He invited Kodavas on the pretext of making peace. That was when Kodavas made blunder of trusting Tipu Sultan’s words.
प्राचीन भारत की प्रमुख व्यूह रचनाएं
“महाभारत” एक ऐसा महाग्रंथ है जिसमे निहित ज्ञान आज भी प्रासंगिक है| इसमें बताये गए युद्ध के १८ दिनों में तरह तरह की रणनीतिया और व्यूह रचे गए थे | जैसे अर्धचंद्र, वज्र, और सबसे अधिक प्रसिद्ध चक्रव्यूह |
आखिर कैसे दिखते थे ये व्यूह? 👇
वज्र व्यूह
महाभारत युद्ध के प्रथम दिन अर्जुन ने अपनी सेना को इस व्यूह के आकार में सजाया था| इसका आकार देखने में इन्द्रदेव के वज्र जैसा होता था अतः इस प्रकार के व्यूह को "वज्र व्यूह" कहते हैं। @RekhaSharma1511 @DeshBhaktReva
क्रौंच व्यूह
क्रौंच एक पक्षी होता है, जिसे आधुनिक अंग्रेजी भाषा में Demoiselle Crane कहते हैं| ये सारस की एक प्रजाति है| इस व्यूह का आकार इसी पक्षी की तरह होता है| युद्ध के दूसरे दिन युधिष्ठिर ने पांचाल पुत्र को इसी क्रौंच व्यूह से पांडव सेना सजाने का सुझाव दिया था| 1/3