थ्रेड:-
सुलतान सलाहुद्दीन अय्यूबी इस्लामी तारिख का वह नाम है जिन्हें भुलाया नही जा सकता है वह एक एैसे सिपह सालार और जंग जू थे जिनके नाम सुनते ही युराेपी फाैज कांपने लगते थे 2अक्टूबर 1187 आज ही के दिन सुलतान ने युराेप के मुत्ताहिदा फाैज काे एैसा धूल चटाया था कि
हथियार डालकर रहम की भीख मांगने लगे थे और 88 साल के बाद एक बार फिर यहिदुयाें के कब्जे से बैतूल मुकद्दस फतह हुआ था
सुलतान सलाहुद्दीन अय्यूबी, अय्यूबी सल्तनत के बानी थे इन्हाेंने बहुत ही कम वक़्त में अपना एक नाम, रूतबा और शहंशाही कायम कर ली थी
उसी का नतीजा था कि उन्हाेंने इस्लामी तारिख में अपना छाप छाेड़ा था
एक तरफ जहां वह जंग के माहिर थे ताे दुसरी तरफ रहम दिल और फैय्याज थे हर मजहब के मानने वाले की इज्ज़त करते थे
मुसलमानों से लेकर सलीबी दुनिया भी उनकी इज्ज़त करते थे
वह ना सिर्फ अय्यूबी सल्तनत के बानी थे बल्कि तारिख-ए आलम के एक कामयाब शासक थे जिन्होंने यमन,इराक, हिजाज,मिस्र,शाम और दियार-बाकर पर हुकूमत की
जिनकी पैदाइश 1138 में इराक शहर तकरीत में हुई और वफात दमिश्क में हुई
लेकिन आज हम अपनी तारीखें भुला बैठे हैं जाे हमारे लिए एक शर्म की बात है
थ्रेड
क्या सारा इल्जाम आ-तंकी #BijoyBaniya
पर ही लगनी है?
या @assampolice जिसने Civilian पर गाेलियां चला कर अपना बर्बर चेहरा दिखाया उन पर भी हत्या का आराेप तय हाेगा?
आप केवल इस कैमरामैन काे दाेष मत दीजिए, असम पुलिस काे भी कटघरे में खड़ा कीजिए जिसने वहां मुसलमानों का नरसंहार किया
आप @himantabiswa की भी बात कीजिए जिसने800मुस्लिम परिवारों का घर उजाड़ दिया मस्जिदों काे ताेड़ा गया जब इतने में मन नही भरा ताे लाठी,डंडे,बल का प्रयाेग कर खुनी खेल खेला गया
जिस कैमरामैन काे अरेस्ट करने की बात की जा रही है दरअसल @assampolice इसके आड़ में अपना बर्बर चेहरा छुपा रही है
सारा जाेर ताे बस मुसलमानों पर ही चलना है क्याेंकि ना ताे इसके आगे-पीछे काेई है और ना ही काेई खुलकर विराेध करने वाला है,
अगर विराेध करेगा भी ताे इल्जाम भी मुसलमानों पर ही लगा कर मैटर close कर दिया जायेगा.
हमें आजादी एैसे ही नही मिल गए इस देश काे आजाद कराने के लिए हमारे उलेमा और अकाबीरीन नें अपनी जान और माल तक कुर्बान कर दिए,
तब जाकर हमें यह आजादी मिली
अंग्रेजाें के खिलाफ जंग-ए आजादी की शुरुआत सबसे पहले नवाब सिराजुद्दाैला ने 1756 में की थी
फिर हम शेर-ए हिंद टीपू सुल्तान काे कैसे भूल सकते हैं जिन्होंने अंग्रेजों के अंदर हड़कंप मचा दी थी और इस देश काे बचाने की खातिर 1782 से लेकर 1799 तक एक अकेले अंग्रेजों के ललकारे और उन सब की कमर ताेड़ दी फिर लड़ते हुए इस देश की खातिर अपनी जान कुर्बान कर दी
1857 में अंग्रेजाें के खिलाफ फिर यह जंग शुरू हुई जिसमें बहादुर शाह जफर और उसके दाे बेटे और एक पाेते शहीद कर दिए गये.
जंग-ए आजादी की तहरीक और उसके बानी हाेने का शर्फ #हुज्जतुल_इसलाम हजरत माैलाना शाह अलिउल्लिाह माेहाद्दिस देहलवी हैं जिन्होंने अग्रेंजाें और मरहटाें काे खदेड़ा था