सवर्ण गरीबों के लिए लाए गए EWS आरक्षण की न्यायिक पड़ताल अब शुरू होने वाली है. गरीबों के आरक्षण को संविधान संशोधन के तत्काल बाद सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाओं को जरिए चुनौती दी गई थी. अभी तक ये मामला सुनवाई के लिए नहीं आया था. लेकिन अब ये मामला टाला नहीं जा सकता।
इसकी वजह मद्रास हाई कोर्ट का एक फैसला है. इस आदेश में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बिना मेडिकल एडमिशन (NEET नाम से लोकप्रिय) के ऑल इंडिया कोटा में EWS आरक्षण नहीं दिया जा सकता. कोर्ट के इसी आदेश में ऑल इंडिया कोटा में 27% ओबीसी आरक्षण को मंजूरी दी गई है.
गरीबी के आधार पर दिया जाने वाला ये एकमात्र आरक्षण है, लेकिन सरकार ने गरीबी की जो परिभाषा तय की है वह गरीबी रेखा या BPL नहीं है. वर्तमान में EWS के लिए आय सीमा 8 लाख रुपए सालाना रखी गई है, यानी 66 हजार रुपए तक प्रति माह कमाने वाले परिवार गरीब माने गए हैं.
याचिका में कहा गया है,
EWS कोटा सुनकर ऐसा लगता है कि यह गरीबों को आर्थिक आधार पर मिलेगा. लेकिन संविधान संशोधन में ही स्पष्ट कर दिया गया है कि ये आरक्षण SC, ST, OBC के गरीबों के लिए नहीं है. यह सवर्ण गरीबों को दिया गया आरक्षण है. इस मायने में EWS आरक्षण का नामकरण गलत और भ्रामक है।
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सुप्रीम कोर्ट ने आज 25 अक्टूबर को एनईईटी-पीजी के लिए काउंसलिंग पर रोक लगाने का निर्देश दिया है। यह तब तक रहेगी, जब तक, कोर्ट ऑल इंडिया कोटा में ओबीसी और ईडब्ल्यूएस आरक्षण शुरू करने के केंद्र सरकार के निर्णय की वैधता पर सुनवाई कर के कोई फैसला नहीं कर लेता।
Sr Adv अरविंद पी दातार ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच के समक्ष इस मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि 25 अक्टूबर से शुरू होने वाली काउंसलिंग के लिए कार्यक्रम की घोषणा की गई है। इसपर हस्तक्षेप के लिए प्रार्थना करते हुए कहा कि पूरी प्रक्रिया लंबित रहने के दौरान समाप्त हो सकती है।
इस पर संज्ञान लेते हुए पीठ ने निर्देश दिया कि जब तक अदालत इस मुद्दे का फैसला नहीं कर लेती, काउंसलिंग आगे नहीं बढ़नी चाहिए।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से कहा, "जब तक हम इस मुद्दे का फैसला नहीं करेंगे, तब तक काउंसलिंग शुरू नहीं होगी।"
आर्यन खान, मुंबई में, एक क्रूज में ड्रग मामले में पकड़ा गया है। यदि इस मामले की प्रोफेशनल छानबीन करें तो NCB के इस ऑपरेशन में कई ऐसी गलतियां हुयी हैं, जो या तो अनायास हुयी हैं या सायास, यह तो, जांच के बाद ही पता चलेगा।
● हर बरामदगी में दो स्वतंत्र गवाह होते हैं। इसमे भी हैं।
● इस मामले में दो गवाह हैं। एक केपी गोसावी जो एक निजी जासूस है और प्रभाकर सैल जो उक्त निजी जासूस का अंगरक्षक बताया जाता है।
● गिरफ्तारी में आर्यन के पास से ड्रग की कोई बरामदगी नहीं है, पर उसके मोबाइल के व्हाट्सएप चैट से NCB को यह पता लगता है कि वह ड्रग रैकेट में शामिल है।
● आर्यन की एक तस्वीर, सोशल मीडिया पर वायरल होती है, जिंसमे बसावी आर्यन के साथ सेल्फी लेते हुए दिख रहा है।
यहीं यह सवाल उठता है कि कस्टडी में वह इतना खुलकर सेल्फी कैसे ले रहा है और उसे सोशल मीडिया पर वायरल भी कर रहा है ?
#आर्यनड्रगकेस में टाइम्स नाउ और Zee टीवी कह रहे है कि, आर्यन खान के लिए SRK से 25 करोड़ की वसूली/रंगदारी मांगी गई थी। एक गवाह ने कोर्ट में हलफनामा देकर यह बात कही है। इस केस में पहले स्वतंत्र गवाह प्रभाकर ने कोर्ट में एफिडेविट देकर यह बात कही है।
"SRK की मैनेजर से 25 करोड़ की रंगदारी मांगी गई थी। ₹18 करोड़ में डील फाइनल हुई. पर SRK ने रंगदारी देने से इनकार कर दिया।
इसमे से 8 करोड़ समीर वानखेड़े को मिलने थे। पूरी डील किरण गोसावी, नकली NCB ऑफिसर कर रहा था।किरण गोसावी को गवाह भी बनाया गया था।"
किरण गोसावी अभी फरार है। किरण गोसावी की जान को खतरा है। ऐसे केस में गवाह गायब भी कर दिए जाते है। किरण गोसावी तो गवाह है, फिर वह क्यों फरार है?
प्रभाकर का कहना है कि उनकी जान को समीर वानखेड़े से खतरा है। समीर वानखेड़े मुंबई में एनसीबी के संयुक्त निदेशक हैं।
सौ करोड़ के टीकाकरण के सरकारी जश्न के बीच यह याद रखा जाना चाहिए कि,11 मई 2021 को, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर बताया था कि, कोविशील्ड या कोवैक्सिन के अनुसंधान और विकास के लिए "कोई सरकारी सहायता, सहायता या अनुदान" नहीं दिया गया था।
कोविशील्ड को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) द्वारा देश में निर्मित किया गया हो। ) और कोवैक्सीन को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के सहयोग से भारत बायोटेक द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया गया था।
सरकार ने तो पहले टीकों की कीमत तय की थी। कोविशील्ड को पहले राज्यों को ₹400 प्रति खुराक और ₹600 निजी अस्पतालों को देने की पेशकश की गई थी। कोवैक्सिन की पेशकश राज्य सरकारों के लिए ₹600 और निजी अस्पतालों के लिए ₹1,200 पर की गई थी।
रामदेव का सारा बयान पाखंड पर टिका है। योग गुरु रामदेव ने रविवार को होने वाले भारत-पाकिस्तान टी-20 वर्ल्ड कप मैच (India-Pak T20 Match) को राष्ट्र हित और राष्ट्र धर्म के विरुद्ध बताया और कहा कि क्रिकेट का खेल और आतंकवाद का खेल एक समय पर नहीं खेला जा सकता।
( एनडीटीवी )
अब यह खबर पढ़े,
योग गुरु रामदेव की कंपनी पतंजलि भविष्य में पाकिस्तान और अफगानिस्तान में व्यापार कर सकती है।
उन्होंने बताया,
हमने पहले ही नेपाल और बांग्लादेश में अपनी यूनिट्स लगा दी हैं और हमारे प्रॉडक्ट्स मध्य पूर्व तक पहुंच गए हैं।
(नवभारत टाइम्स)
मक़सद साफ है। जब इन्हें व्यापार करना होता है तो, क्या पाकिस्तान, क्या अफ़ग़ानिस्तान और क्या बांग्लादेश, हर जगह माल बेचने पहुंच जाते हैं। तब न इस बाबा को राष्ट्रहित दिखता है और न हिंदू हित और न ही राष्ट्रवाद।
पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने केंद्र की मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है। अमित का कहना है कि पिछले 6 साल में डर के माहौल के चलते बड़े उद्योगपति देश छोड़कर चले गए हैं। उन्होंने पीएम मोदी से इस मामले पर संसद में श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है।
अमित मित्रा ने कहा कि 2014 से 2020 तक के छह वर्षों के दौरान करीब 35 हज़ार व्यवसायी देश छोड़कर जा चुके हैं। ऐसा मालूम होता है कि कारोबारी डर के माहौल के कारण देश छोड़ रहे हैं।
देश छोड़ कर जाने वाले ये सभी कारोबारी हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल यानी अमीर लोग हैं और ये अब NRI बन गए हैं। उन्होंने पूछा है कि भारत दुनिया में पलायन में नंबर 1 स्थान पर क्यों है ? PM को अपने शासन के दौरान भारतीय उद्यमियों की भारी पलायन पर संसद में श्वेत पत्र प्रस्तुत करना चाहिए।