1950के दशक में हावर्ड यूनिवर्सिटी के विख्यात साइंटिस्ट कर्ट रिचट्टर ने चूहों पर एक अजीबोगरीब शोध किया था।
कर्ड ने एक जार को पानी से भर दिया और उसमें एक जीवित चूहे को डाल दिया।
पानी से भरे जार में गिरते ही चूहा हड़बड़ाने लगा औऱ
जार से बाहर निकलने के लिए लगातार ज़ोर लगाने लगा।
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चंद मिनट फड़फड़ाने के पश्चात चूहे ने जार से बाहर निकलने का अपना प्रयास छोड़ दिया और वह उस जार में डूबकर मर गया।
कर्ट ने फ़िर अपने शोध में थोड़ा सा बदलाव किया।
उन्होंने एक दूसरे चूहे को पानी से भरे जार में पुनः डाला। चूहा जार से बाहर आने के लिये ज़ोर लगाने लगा।
जिस समय चूहे
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ने ज़ोर लगाना बन्द कर दिया और वह डूबने को था..ठीक उसी समय कर्ड ने उस चूहे को मौत के मुंह से बाहर निकाल लिया।
कर्ड ने चूहेको उसी क्षण जार से बाहर निकाल लिया जब वह डूबने की कगार पर था।
चूहे को बाहर निकाल कर कर्ट ने उसे सहलाया..कुछ समय तक उसे जार से दूर रखा और फिर एकदमसे उसे पुनः
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जार में फेंक दिया।
पानी से भरे जार में दोबारा फेंके गये चूहे ने फिर जार से बाहर निकलने की अपनी जद्दोजेहद शुरू कर दी।
लेकिन पानी में पुनःफेंके जाने के पश्चात उस चूहे में कुछ ऐसे बदलाव देखने को मिले जिन्हें देख कर स्वयं कर्ट भी बहुत हैरान रहगए।
कर्ट सोच रहे थे कि चूहा बमुश्किल
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15-20मिनट तक संघर्ष करेगा और फिर उसकी शारीरिक क्षमता जवाब दे देगी और वह जार में डूब जायेगा।
लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
चूहा जार में तैरता रहा। अपनी जीवन बचाने के लिये लगातार सँघर्ष करता रहा।
60 घँटे ..
जी हाँ..60 घँटे तक चूहा पानीके जार में अपने जीवनको बचाने के लिये सँघर्ष करता रहा।
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कर्ट यह देखकर आश्चर्यचकित रह गये।
जो चूहा महज़ 15 मिनट में परिस्थितियों के समक्ष हथियार डाल चुका था ...वही चूहा60 घंटोंतक कठिन परिस्थितियों से जूझ रहाथा और हार मानने को तैयार नहींथा।
कर्ट ने अपने इस शोध को एक नाम दिया और वह नाम था..."The HOPE Experiment"..!
Hope..यानि आशा।
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कर्ट ने शोध का निष्कर्ष बताते हुये कहा कि जब चूहे को पहली बार जार में फेंका गया .....तो वह डूबने की कगार पर पहुंच गया .....उसी समय उसे मौत के मुंह से बाहर निकाल लिया गया। उसे नवजीवन प्रदान किया गया।
उस समय चूहेके मन मस्तिष्क में"आशा"का संचार हो गया। उसे महसूस हुआ कि एक हाथ है
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जो विकटतम परिस्थिति से उसे निकाल सकता है।
जब पुनः उसे जार में फेंका गया तो चूहा 60 घँटे तक सँघर्ष करता रहा...
वजह था वह हाथ...वजह थी वह आशा ...वजह थी वह उम्मीद!!!
इसलिए हमेशा...
उम्मीद बनाये रखिये, सँघर्षरत रहिये,
सांसे टूटने मत दीजिये, मन को हारने मत दीजिये
8 @BramhRakshas
राफेल पूजक चाचा राजनाथ सिंह के देखे गए ख्वाब का मीडिया इवेंट बनानेके लिए आदरणीय पारस पति जी का हार्दिक धन्यवाद🙏
बहनों भाइयों कथित रूप से गू थम भाईके लिए बनाए जाने वाले कथित एशियाके सबसे बड़े हवाई अड्डे से पहले क्या कोई पूछ सकता है कि जब भारत को उत्तर कोरिया सरीखा ही बनाना है
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तो इंटरनेशनल एयरपोर्ट की क्या जरूरतहै?
भारत में रहने वाली पंजाबी आबादी के लगभग बराबरही पंजाबी कनाडामें रहतेहैं और यदि उसमे भारतीय गुजरातीभी जोड़ दिए जाएंतो संख्या बहुत बढ़ जाएगी
लेकिन क्या कोई इस ज्ञानी महामानवसे पूछ सकताहै कि"कनाडा"से भारतके लिएe Visa क्यों बन्द किए हुएहैं ?2
पाकिस्तान, नेपाल, चीन सहित इजरायल को छोड़कर कौनसा देश है जिससे इसने सम्बन्ध सुधारे हो या सम्मान जनक स्थिति में हो ?
यदि यहूदियों को तावान देना बंद कर दें तो वो भी जड़े खोद देंगे क्योंकि किसान का बैल अगर हल नहीं जोतेगा तो पिटेगा भी और पिछवाड़े में आर भी घुसेगी।
3 @BramhRakshas
देश की सारी सम्पत्ति हम बेचेंगे, छुपा कर रखी सम्पत्ति या बचा कर रखी सम्पत्ति हम बेचेंगे।
मशहूर क्रांतिकारी यह नज़्म दक्षिण एशिया के किसी भी सरकार विरोधी प्रदर्शन में जरूर गाई जाती हैं जिसमे "हम देखेंगे "वाक्य आता है लेकिन भारत सरकार द्वारा जिस प्रकार
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तेजी से देश को एसेट्स बेची जा रही है उसे देखकर शब्दो की बाजीगरी जायज़ लगती हैं।
भारत सरकार द्वारा युद्ध एवम् आपदा काल के लिए सुरक्षित रखा गया क्रूड ऑयल का आधा रिजर्व बेचने का फैसला निसंदेह भारतीयों के चौंकाने वाली खबर होनी चाहिए क्योंकि विश्व के 29देश अपने पास रिजर्व क्रूड ऑयल
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का भंडारण करतेहै जिनमे भारत भी एक अहम देशहै।
IEAके अनुसार इन देशोंका कुल रिजर्व71.4 करोड़ बैरलहै जिसमे भारत के पास3.69 करोड़ बैरल तेल रिजर्व होताहै जो भारत की कुल खपत के9 दिन की जरूरत पूरी कर सकता है, इसके अतिरिक्त तेल कम्पनियों के पास भी 64 दिन की खपत के बराबर रिजर्व रहता है
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तीन बार जल समाधि लेने की प्रतिज्ञा की लुटिया डुबाने वाले महंत बाबा कह रहें हैं कि तीनों कृषि कानून किसानों के हितमे है।
महंत ने कहा कि ये तीनों कानून, जिसे पीएम मोदी ने वापस ले लेने की बात कही है,किसानों के लिए काफी लाभदायकहै।इस कानून को
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जनमत संग्रह करवाकर फिर से लाया जाएगा। इस कानून के पक्ष में देश के 90 प्रतिशत किसान पीएम मोदी के साथ खड़े हैं।
परमहंस ने कहा कि अगर राकेश टिकैत कृषि कानूनों के बारे में बता दें तो वो उन्हें एक करोड़ देंगे। उन्होंने कहा कि टिकैत को कृषि कानूनों को लेकर कोई जानकारी नहीं है,
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वो सिर्फ देश तोड़ने का काम कर रहे हैं। इसके लिए टिकैत को जबरदस्त फंडिंग मिल रही है।
बाबा देश निर्माण के लिए भाजपा से टिकट भी मांग रहें हैं।
#pegasus
एप्पल कम्पनी भारत सरकार से ज्यादा जिम्मेदार निकली :
फोन निर्माता कंपनी Apple ने पेगासस Pegasus पर मुकदमा ठोका ।
एप्पल फोन (iPhone) यूजर्स के फोन में घुसपैठ करने और भविष्य में एप्पल फोन में इस प्रकार की घुसपैठ पर स्थाई प्रतिबंध लगाने के लिए यह मुकदमा ठोका गया है ।
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कैलिफॉर्निया की संघीय अदालत में यह मुकदमा दाखिल किया गया है।
ठीक भी है क्योंकि पेगासस की चपेट में
आए दुनिया के लगभग सभी राजनीतिज्ञ, पत्रकार, एक्टिविस्ट ,बुद्धिजीवी एप्पल फोन का ही इस्तेमाल करते हैं ।
आपको याद होगा कि इस्रायल की जासूसी उपकरण बनाने वाली कंपनी NSO द्वारा
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निर्मित पेगासस स्पाइवेयर का विभिन्न देशों की सरकारों ने अपने नागरिकों के फोन पर निगरानी रखने के लिए इस्तेमाल किया। कम्पनी यह स्पाइवेयर केवल सरकारों को बेचती है, व्यक्तियों को नहीं।
अपने यहां तो सरकार बहादुर ने माना ही नहीं है कि देश के पत्रकारों ,
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★★ 26/11/2019 और 02/12/2019 को लिखा था कि भारत मे मोबाइल बिल 100%-250% बढ़ेगा..आलरेडी बिल 100% बढ़ चुका है..मेरी पुरानी ID अबतक लॉक है वरना पुराने पोस्ट की स्क्रीनशॉट डाल देता..कल मोबाइल बिल में भारी वृद्धि का ऐलान हुआ है👈
● सरकार को मोबाइल कंपनियों से लोन,
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जुर्माना वगैरह मिला कर लगभग7लाख करोड़ लेने है..और ये पैसा आपकी जेब से निकाला जाना तय हुआ था..ये टेलीकॉम घोटाला है.
👉 2019 में "एवरेज रेवेन्यू पर यूजर"(ARPU)था लगभग110₹..अब ये ARPU 200₹ हो चुका है..मैंने एक साधारण सा गणित बताया था :👇
- ARPU 5% बढ़ने से Jio को 1400 करोड़
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का फायदा होता है..तो ARPU 100% बढ़ने से JIO और दूसरी कंपनियो को कितना फायदा होता है ये आप समझिए..
● एवरेज में हर साल 35%-50%तक मोबाइल बिल बढ़ेंगे..ये वृद्धि कोई 'सरलरेखा' में नही होगी..मोबाइल बिल की वृद्धि एक टेक्निकल विषय है..मैंने आपकी समझ के लिए आंकड़ों का सरलीकरण किया है
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किसानों ने पकड़कर उल्टा लटका दिया है। वो 6 मांगों के साथ शहंशाह-ए- आलम को टेबल पर आने, नेगोशिएट करने का आमंत्रण दे रहे हैं।
अव्वल तो सर्वशक्तिमान देवता को, जिसके आगे नर, किन्नर, देव, उपदेव, भूत, पिशाच, ग्रह, उपग्रह नक्षत्र सब झुकझुककर सिजदा करते हैं..
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उस फिरौन को टेबल पर बुलाना ही अपमान है।
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लेकिन फिर भी, अगर आसमां के जीनों से उतर कर, खुदा टेबल पर आ भी गया तो,एक एक मांग, अपमान का घूंट है।
आंदोलनकारियों पर से केस वापस लेना, मौतों का मुआवजा देना, और फिर स्मारक बनवाना.. अरे ,तीन कानून वापस लेने की जलालत काफी नही थी क्या??
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पर सबसे कठिन है MSP की गारन्टी देना। केस वापसी, मुआवजा या स्मारक बनाना तो सस्ता-मस्ता काम है। कूदकर हरियाणा और यूपी की सरकारें हां कर देंगी, अपनी ओर से घोषणा कर देंगी। लेकिन MSP पर कानून बनाना...ये कैसे होगा??
कृषि तो राज्य सूची का विषय है।
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तीन कृषि क़ानून को जबरन कामर्स,
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