न्यायाधीश कोई भी हों,
मोदी को नाकारा साबित
करने में लगे हैं -
NGT के चेयरमैन भी पगला
गए लगते हैं, किसी गटर को
गंगा समझ लिया क्या?
संविधान दिवस पर जजों के सामने
बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने
कहा था कि उपनिवेशवादी सोच के
कारण हमारे विकास के
प्रोजेक्ट्स
पर अड़ंगा लगा दिया जाता है और
अब अभिव्यक्ति की आज़ादी एवं
पर्यावरण भी इसके आधार बन रहे
हैं --
एक सूचना के अनुसार अभी तक
सरकार के 40 प्रतिशत प्रोजेक्ट्स
पर्यावरण की वजह से लटकाये
गए हैं जिसकी वजह से उनकी
लागत हज़ारों करोड़ बढ़ी है -
प्रधानमंत्री के बोलने के 4 दिन बाद
आज NGT, अध्यक्ष, आदर्श कुमार
गोयल का "झाड़ू मारने वाला बयान"
आया है (Sweeping Statement)
जिसमे कहा है -
"36 साल से गंगा मैली की मैली,
तय हो जवाबदेही -
एनजीटी ने गंगा स्वच्छता कार्यक्रम
पर उठाये सवाल"
ये बयान पढ़ कर मेरे क्रोध की सीमा
नहीं रही, मुझे लगा जैसे एनजीटी एक
सरकारी पैसे की बर्बादी के सिवाय
कुछ नहीं है अगर आज भी इस संस्था
को गंगा मैली ही दिखाई दे रही है-
मैं आदर्श कुमार गोयल,एनजीटी के
अध्यक्ष के लिए शब्दों की मर्यादा तो
नहीं लाँघ सकता जो लांघनी बनती है
मगर इतना जरूर कहूंगा कि वो
लुटियन के सरगना की तरह वामपंथी
और विपक्षी दलों को खुश करने के
लिए नरेंद्र मोदी को नाकारा साबित
करने के कोशिश कर रहे हैं -
गंगा सफाई मिशन नरेंद्र मोदी का
ड्रीम प्रोजेक्ट है जिसे वो खुद देख
रहे हैं और फिर भी एनजीटी गंगा
में गंदगी देख रहे हैं
--लेकिन अब
एनजीटी चेयरमैन ने सीधे मोदी जी
के काम पर उंगली उठाई है -
लगता है आदर्श कुमार गोयल कभी
बनारस, हरिद्वार, प्रयाग नहीं गए -
सैंकड़ों नाले और टैनरीज की गंदगी
गिरनी बंद हुई है गंगा में, अनेक
वाटर ट्रीटमेंट प्लाट काम कर रहे
हैं --गोयल जे बंद कमरे में बैठ कर
कागजों के आधार पर बयान देते हैं -
लगता है आदर्श कुमार गोयल जी
ने कुछ दिन पहले रजत शर्मा के
इंडिया टी वी की रिपोर्ट नहीं देखी
जिसमे गंगा कैसी साफ़ हुई,बताया
गया था --
कुम्भ मेले में 22 करोड़ देशी विदेशी
लोग स्नान कर गए 2019 में कुम्भ में,
क्या वो मैली गंगा में डुबकी लगा
कर
गए थे -उस जैसा कुम्भ प्रबन्धन कभी
इतिहास में नहीं हुआ था --
सबसे बड़ा सबूत तो गंगा साफ़ होने
का सोनिया की लाडो प्रियंका ने दिया
जब वो खुद गंगा जी में डुबकी लगा
कर आई जबकि कांग्रेस ने कुम्भ का
बहिष्कार किया था -
अगर ऐसे ही बेसिर पैर की बयानबाजी
करनी है एनजीटी को तो अब
सरकारी
पैसे पर पल रहे इस हाथी के औचित्य
पर सवाल उठना स्वाभाविक है --ऐसे
संगठनों को बंद करना ही उचित है -
मैं मांग करता हूँ कि एनजीटी अध्यक्ष
अपने बयान के लिए प्रधानमंत्री मोदी
से सीधे माफ़ी मांगे अन्यथा
दोस्तो आजकल पूरी दुनिया में सिर्फ एक ही धंधा चल रहा हैं कि -जो जिसका जितना बड़ा बैवकूफ बनायेगा उतने बड़े प्रोफिट में रहेगा या कहो कि झटके का धंधा मने एक झटके में करोड़पति बनने का चस्का।इस धंधे में कामयाब एक आदमी होता हैं और बर्बाद करोड़ो लोग होते हैं।
और दुनिया में लोगो को बैवकूफ बनाने के लिए सबसे इजी टारगेट इस देश के लोग है जो शार्ट कट ढू़ढ़ते हैं और सबसे जल्दी शिकार हे जाते हैं।।
-अब आप देखिए आज मैं पीएनबी की खबर पढ रहा था जिसके माध्यम से कहा गया हैं कि पीएनबी अब बचत खाते धारको को केवल 2.80 का ब्याज देगा।
अब लोग क्या करेगें..अपना पैसा बेंको से निकालेगे और लालच में फंसकर वन टू का फोर करने के चक्कर में इन क्रिप्टो -लिर्पटो में पैसा लगायेगें। और फिर रोयेगें, सुसाईड करते फिरेगें। मैने पहले भी कई बार लिखा हैं कि गरीबो और मध्यम परिवारो तक पंहुचने वाली सारी नीतियों और योजनाओ में
जब मुस्लिम स्त्रियों में फेमनिज्म जागता है तो वे हिजाब जैसे दमघोंटू लिबास का भी परंपरा के प्रति गर्व के साथ समर्थन करती हैं।
जब हिंदू लड़कियों में फेमनिज्म जागता है तो सिंदूर, बिंदी, मंगलसूत्र और यहाँ तक कि साड़ी भी पितृसत्ता का दमन नजर आने लगती है।
कोई मुस्लिम फेमनिस्ट पूरे इस्लामिक इतिहास की धुर जानकार होने के बावजूद अपनी बहू जैनब व छः साल की बच्ची के साथ निकाह करने वाले अपने पैगम्बर के खिलाफ कभी भी एक शब्द नहीं बोलती।
हिंदू फेमनिस्ट मोहतरमाएँ वेद उपनिषद तो छोड़िये रामायण व महाभारत का अध्ययन करे बिना राम,
कृष्ण,युधिष्ठिर व भीष्म जैसे उदात्त चरित्रों की गाड़ी भर भरकर ऐसे निंदा करेंगी कि ये चरित्र महापुरुष तो छोड़िये सामान्य मानव से भी गये गुजरे दिखते हैं।
कोई भी मुस्लिम फेमनिस्ट कभी भी इस्लाम को अपनी पहचान मानना बंद नहीं करती और उसे जीवन के हर पहलू में अमल में लाती है।
अभी राजस्थान में एक शादी में जाने का मौका हुआ। एक अच्छे रिसोर्ट में हाई प्रोफाइल शादी थी...!
कुछ ऐसी चीजें देखी जोकि मन में खटकी..
बारात में जो बैंड आया था उसका नाम इस्माइल बैंड ..
गाने वाले का नाम इरफान..
आगे आगे जो लाउड स्पीकर वाली गाड़ी चल रही थी वह शमीम डीजे की थी...
घर की कन्याएं और महिलाएं पीठ और नाभि दर्शना कपड़ों में सड़क पर नाच रही थीं...उन पर घर के लोग रुपये निछावर करके बैंडवालों को ही दे रहे थे..!
रिसेप्शन के समय संगीत का कार्यक्रम चल रहा था जिसमें सूफी कव्वालियां और नगमे में प्रस्तुत किए जा रहे थे....
गाने वाले भी अल्लाह और मौला के भक्त थे...इसके पहले घर की कन्याओं के जो मेहंदी लगा रहे थे या मेकअप और हेयर स्टाइल कर रहे थे वह लड़के भी उसी समाज के ही थे...
एक दिन में ही एक शादी से उस समाज वालों को 8-10 लाख रुपए मिले..!
त्रिपुरा की जीत के पीछे उस भयंकर लूट के खात्मे की कहानी भी है जिसने त्रिपुरा के नौजवानों की किस्मत बदल दी है और पूरे पूर्वोत्तर का खर्च आधा कर दिया है।
2018 में कम्युनिस्टों के सफाए के साथ त्रिपुरा में पहली बार बनी भाजपा की सरकार के
नौजवान मुख्यमंत्री विप्लव कुमार देव की नज़र उस लूट पर पड़ी थी जिसके कारण त्रिपुरा समेत पूरा पूर्वोत्तर लुट रहा था।
समुद्री मार्ग से आने वाली वस्तुएं पूर्वोत्तर तक पहुंचाने का एकमात्र मार्ग बंगाल का हल्दिया बंदरगाह हुआ करता था।
पूर्वोत्तर के प्रवेश द्वार गुवाहाटी की हल्दिया बंदरगाह से दूरी थी 1220 किमी तथा त्रिपुरा की राजधानी अगरतला की दूरी थी 1645 किमी। जबकि त्रिपुरा से बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह, जिसे अब चट्टोग्राम बंदरगाह कहा जाता है, की दूरी थी मात्र 67 किमी।
त्रिपुरा पर झूठ फैला कर
आग लगाईं -मिला क्या -
"बाबा जी का ठुल्लू"
अब आग लगाने वाले
गिरफ्तार होने चाहियें -
त्रिपुरा निकायों के चुनावों में
भाजपा ने 334 में से 329
सीट जीत कर विपक्षी दुष्प्रचार
को बेनकाब किया है --
इस चुनाव से पहले कुछ बेशर्म
वकीलों और पत्रकारों ने झूठ
फैला कर देश भर में आग लगाने
कोशिश की थी-महाराष्ट्र में तो
दंगा करा भी दिया गया था -
सुप्रीम कोर्ट ने जिन लोगों की
गिरफ़्तारी पर रोक लगाईं थी,
उसे तुरंत स्वतः ही हटा देना
चाहिए और उन्हें गिरफ्तार
करने के आदेश करने चाहियें -
ममता की TMC को मात्र एक
सीट मिली और CPM को 3,
एक सीट अन्य को लेकिन
कांग्रेस का प्रदर्शन शानदार
और जानदार रहा शुन्य के
आंकड़े पर तटस्थ रह कर
बंगाल की तरह --
इतना होने पर भी ममता का
भतीजा अभिषेक कह रहा है
कि भाजपा ने लोकतंत्र की हत्या
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने सोशल मीडिया में जनता द्वारा न्यायपालिका और उसकी कार्यशैली पर व्यक्त किये जा रहे विचारों के दमन हेतु केंद्रीय एजेंसियों से एक्शन लेने का आव्हान किया है....
मतलब भाई भतीजावाद (कोलेजियम सिस्टम) से उपजी खरपतवार संविधान द्वारा आम जनता को मिला
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार छीन लेना चाहती है,
अर्थार्त :-
⭕ मिलोर्ड को राष्ट्रीय सुरक्षा से सम्बंधित महत्वपूर्ण विषयों को जानबूझकर लटकाए रखना अथवा उनकी गम्भीरता को दरकिनार कर वोक और लिब्रल भी बनना है
⭕ मिलोर्ड को देश की बहुसंख्यक आबादी के सभी त्योहारों और
धार्मिक क्रियाकलापों में विघ्न डालने का प्रयास भी करना है, और देश की सहिष्णु बहुसंख्यक आबादी के हितों पर निरंतर आघात करते रहना है,
⭕ शाहीन बाग और खलिस्तानी भीड़तंत्र व् आतंक पर जनहित में कड़ा एक्शन लेने के बदले पैनल और कमिटियां बनाकर उन मजमों को जारी भी रखवाना है,