दोस्तो आजकल पूरी दुनिया में सिर्फ एक ही धंधा चल रहा हैं कि -जो जिसका जितना बड़ा बैवकूफ बनायेगा उतने बड़े प्रोफिट में रहेगा या कहो कि झटके का धंधा मने एक झटके में करोड़पति बनने का चस्का।इस धंधे में कामयाब एक आदमी होता हैं और बर्बाद करोड़ो लोग होते हैं।
और दुनिया में लोगो को बैवकूफ बनाने के लिए सबसे इजी टारगेट इस देश के लोग है जो शार्ट कट ढू़ढ़ते हैं और सबसे जल्दी शिकार हे जाते हैं।।
-अब आप देखिए आज मैं पीएनबी की खबर पढ रहा था जिसके माध्यम से कहा गया हैं कि पीएनबी अब बचत खाते धारको को केवल 2.80 का ब्याज देगा।
अब लोग क्या करेगें..अपना पैसा बेंको से निकालेगे और लालच में फंसकर वन टू का फोर करने के चक्कर में इन क्रिप्टो -लिर्पटो में पैसा लगायेगें। और फिर रोयेगें, सुसाईड करते फिरेगें। मैने पहले भी कई बार लिखा हैं कि गरीबो और मध्यम परिवारो तक पंहुचने वाली सारी नीतियों और योजनाओ में
101 प्रतिशत लोचा होता ही होता हैं।
-जब पैटिएम स्टार्ट हुआ था तब भी मैने चैताया था कि ये डुबेगा। उस लेख को लाईक करने वाले 50 लोग थे। और अब नतीजा आपके सामने हैं।और अब देखिए एक और नई केरेंसी आ गई है जो लोगो के सर चढ़कर बोल रही हैं। जिसका नाम हैं "क्रिप्टो करेंसी"।
इसकी शुरुआत 3 जनवरी 2009 को हुई थी।यह बिटकॉइन एक वर्चुअल यानी आभासी मुद्रा है,आभासी मतलब कि अन्य मुद्रा की तरह इसका कोई भौतिक स्वरुप नहीं है यह एक डिजिटल करेंसी है। इस बिटकाईन के मालिक सतोशी निकामोटो" है जो जापान के रहने वाले है 1975 मे पैदा हुए थे, और बंदरो का धंधा करते थे।
इसका सिंबल ₿ है और इसे BTC के नाम से भी पुकारा जाता है.
अब ये कैसे काम करती है...और कहां से इसकी उत्तपत्ति हुई..आप समझ लेगें तो ठीक हैं। वर्ना बंदर का धंधा तो आपके हाथ लग ही जायेगा।
एक आसान सी भाषा में समझा रहा हूँ-:
-कुछ समय पहले एक व्यापारी को बहुत सारे बंदर दिखाई दिए जो
एक गाँव के पास रहते थे।एक दिन वह गाँव आया और कहा कि वह इन बंदरों को खरीदना चाहता है! उसने घोषणा की कि वह प्रत्येक बंदर को 100 रूपये में खरीदेगा।ग्रामीणों ने सोचा कि यह आदमी पागल होगा - कोई आवारा बंदरों को 100 रू. में कैसे खरीद सकता है?फिर भी कुछ लोगों ने कुछ बंदरों को पकड़कर इस
व्यापारी को दे दिया और उससे प्रत्येक बंदर के बदले में 100 रूपये ले लिये।
-अब यह खबर जंगल की आग की तरह फैल गई और लोगों ने बंदरों को पकड़कर व्यापारी को बेचने शुरू कर दिए। कुछ दिनों के बाद,व्यापारी ने घोषणा की कि वह प्रत्येक बंदर को 200 में खरीदेगा।
बाकी बंदरों को पकड़ने के लिए जो आलसी लोग थे वो भी दौड़ पड़े!
उन्होंने शेष बंदरों को 200 रूपये के हिसाब से बेचना शुरू कर दिया।अब व्यापारी तो अपने दिमाग से चल रहा था उसने फिर एक बार घोषणा की कि वह प्रत्येक बंदर को अब 500 रूपयें में खरीदेगा! गांव वालों की नींद उड़ गई..
उन्होंने गांव में जो बचे-कुचे बंदर थे उनको भी पकड़ लिया और 500 रूपये के हिसाब से व्यापारी को बेच दिए ।।
-अब बेचारे ग्रामीण अगली घोषणा का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। तब व्यापारी ने घोषणा की कि वह एक सप्ताह के लिए छुट्टी पर जा रहा है,लेकिन जब वह वापस आएगा,तो वह 1000रूपये में
प्रति बंदर खरीदेगा!उसने यह भी कहा कि उनके कर्मचारी यही बने रहेगें और उनकी वापसी तक खरीदे गए बंदरों की देखभाल करेंगे। व्यापारी छुट्टी पर चला गया!
गाँव वाले बेचैन और बहुत दुखी थे क्योंकि व्यापारी द्वारा पेश किए गए प्रत्येक बंदर को 1000 रूपय् में बेचने के लिए उनके पास अब
और बंदर नहीं बचे थे।
फिर व्यापारी के कर्मचारी ने उनसे संपर्क किया और उनसे कहा कि वह गुप्त रूप से अपने कुछ बंदरों को 700 रूपये प्रत्येक पर बेच देगें। खबर जंगल में आग की तरह फैल गई।चूंकि व्यापारी ने वादा किया था कि उसकी वापसी पर,वह प्रत्येक बंदर को 1000 रूपये में खरीदेगा,
अब ग्रामीणो के दिमाग में प्रत्येक बंदर पर 300 रूपये का प्रोफिट बेठ गया,
अत:अगले दिन ग्रामीणों ने मंकी केज के पास लाइन लगा दी। कर्मचारीयों ने सभी बंदरों को 700 प्रत्येक पर बेच दिया।अमीरों ने बड़ी मात्रा में बंदर खरीदे।गरीबों ने साहूकारों से पैसे उधार लिए और बाकी बंदरों को खरीद
लिया!ग्रामीणों ने अपने बंदरों की खुद देखभाल की और व्यापारी के लौटने की प्रतीक्षा करने लगे! पर कोई नहीं आया!फिर वे बैचारे कर्मचारीयों को खोजने के लिए दौड़े, लेकिन कोई नहीं मिला !
तब ग्रामीणों को एहसास हुआ कि वो 700 रूपये में बेकार आवारा बंदर खरीदकर ठग लिए गये हैं जिनका वो अब कुछ
नही कर सकते।। यह बंदर व्यवसाय अब "बिटकॉइन" के रूप में जाना जाता है क्योकि ये इस व्यवासाय से ही लिया गया आईडिया हैं कहानी नही हैं। !
बस याद रखना यह बहुत सारे लोगों को दिवालिया बना देगा।
दोस्तों एक कटू सत्य और बता रहा हूँ-कि इस तरह की योजनाओ के पीछे जो गोड़फादर होते है वे कोई
और नही हैं देश की सरकारे,नेताओ के रैकेट और बडे़ व्यवसायीयो का दिमाग जो किसी भी तरह से देश के लोगो की जेब से पैसा निकालना चाहते हैं ताकी लोग इनके कर्जदार रहें। धन्यवाद।
साभार
Suneel Kumar
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अपनी दलाली वाली दुकान का शटर गिर जाने से कलपते Paid news के दल्ले....भांड मीडिया से लेकर सोशल मीडिया पर हमेशा की तरह एक बार फिर जुट गये है अपने साजिश वाले एजेंडा के नैरेटिव सेट करने वाले मिशन मे....भले ही पिछले सात साल मे उनकी लॉबी कई बार मुंह की खाई है...
लेकिन बेहया कुनबा मे एक फिर हर कोई जुट गया है कुछ सौ चुने लोगों के आधार पर किये गये सर्वे को दिखा कर जनता को बहकाने मे....तो कुछ दल्ले माइक लेकर अपने एजेंटों का सड़को पर लिये गये इंटरव्यू को दिखा कर जनता को फुसलाने मे...तो कुछ ऐसे पीड़ित पेड चम्मचचोर पत्तलकार हैं
जो बेसिरपैर के तर्क देकर बता रहे हैं कि बीजेपी तो पांचो राज्य हारने जा रही है.कुछ ऐसे भी हैं जो अपने कथित निष्पक्ष प्रोग्राम मे बैठाये गये चिलगोजों के पास ही माइक और कैमरा ले जाकर उनका सरकार विरोधी बयान दिखा कर बीजेपी सरकार विशेष कर योगी के विरूद्ध एक माहौल बनाने मे लग चुके हैं.
क्या आप जानते है? हमारे जज साहिबान कितने त्याग करते है? नहीं जानते? कोई बात नहीं ये लेख पढ़ें, सब जानकारी है।
हाईकोर्ट के जजों को लगभग 8 घरेलू नौकर मिलते हैं। घर के सभी काम करने के लिए, वो घर जो कम से कम चार बड़े कमरों वाला मकान होता है और जो साहब को देश की जनता के दिये
टैक्स से फ्री में रहने को दिया जाता है। जिसके हर कमरे में, और जज साहब चाहें तो टॉयलेट में भी AC लगे हुये होते हैं, जिनका बिल कभी साहब को नहीं चुकाना होता। हां, ये AC हर साल बदले जाते हैं, फ्री में, उसी तरह जैसे साहब का मोबाइल (जो हमेशा मार्केट में उपलब्ध सबसे मंहगा फोन होता है)
और लैपटॉप भी हर साल बदला जाता है। और ये पुराने AC, लैपटॉप या मोबाइल साहब को जमा नहीं करना पड़ता। वो उनके बच्चों या रिश्तेदारों के काम आते हैं।
साहब को सुरक्षा के नाम पर (तीन शिफ्टों के मिलाकर) 12 पुलिसवाले मिले होते हैं जिनमें एक समय में तीन हर समय घर की सुरक्षा करते हैं और
जब मुस्लिम स्त्रियों में फेमनिज्म जागता है तो वे हिजाब जैसे दमघोंटू लिबास का भी परंपरा के प्रति गर्व के साथ समर्थन करती हैं।
जब हिंदू लड़कियों में फेमनिज्म जागता है तो सिंदूर, बिंदी, मंगलसूत्र और यहाँ तक कि साड़ी भी पितृसत्ता का दमन नजर आने लगती है।
कोई मुस्लिम फेमनिस्ट पूरे इस्लामिक इतिहास की धुर जानकार होने के बावजूद अपनी बहू जैनब व छः साल की बच्ची के साथ निकाह करने वाले अपने पैगम्बर के खिलाफ कभी भी एक शब्द नहीं बोलती।
हिंदू फेमनिस्ट मोहतरमाएँ वेद उपनिषद तो छोड़िये रामायण व महाभारत का अध्ययन करे बिना राम,
कृष्ण,युधिष्ठिर व भीष्म जैसे उदात्त चरित्रों की गाड़ी भर भरकर ऐसे निंदा करेंगी कि ये चरित्र महापुरुष तो छोड़िये सामान्य मानव से भी गये गुजरे दिखते हैं।
कोई भी मुस्लिम फेमनिस्ट कभी भी इस्लाम को अपनी पहचान मानना बंद नहीं करती और उसे जीवन के हर पहलू में अमल में लाती है।
अभी राजस्थान में एक शादी में जाने का मौका हुआ। एक अच्छे रिसोर्ट में हाई प्रोफाइल शादी थी...!
कुछ ऐसी चीजें देखी जोकि मन में खटकी..
बारात में जो बैंड आया था उसका नाम इस्माइल बैंड ..
गाने वाले का नाम इरफान..
आगे आगे जो लाउड स्पीकर वाली गाड़ी चल रही थी वह शमीम डीजे की थी...
घर की कन्याएं और महिलाएं पीठ और नाभि दर्शना कपड़ों में सड़क पर नाच रही थीं...उन पर घर के लोग रुपये निछावर करके बैंडवालों को ही दे रहे थे..!
रिसेप्शन के समय संगीत का कार्यक्रम चल रहा था जिसमें सूफी कव्वालियां और नगमे में प्रस्तुत किए जा रहे थे....
गाने वाले भी अल्लाह और मौला के भक्त थे...इसके पहले घर की कन्याओं के जो मेहंदी लगा रहे थे या मेकअप और हेयर स्टाइल कर रहे थे वह लड़के भी उसी समाज के ही थे...
एक दिन में ही एक शादी से उस समाज वालों को 8-10 लाख रुपए मिले..!
त्रिपुरा की जीत के पीछे उस भयंकर लूट के खात्मे की कहानी भी है जिसने त्रिपुरा के नौजवानों की किस्मत बदल दी है और पूरे पूर्वोत्तर का खर्च आधा कर दिया है।
2018 में कम्युनिस्टों के सफाए के साथ त्रिपुरा में पहली बार बनी भाजपा की सरकार के
नौजवान मुख्यमंत्री विप्लव कुमार देव की नज़र उस लूट पर पड़ी थी जिसके कारण त्रिपुरा समेत पूरा पूर्वोत्तर लुट रहा था।
समुद्री मार्ग से आने वाली वस्तुएं पूर्वोत्तर तक पहुंचाने का एकमात्र मार्ग बंगाल का हल्दिया बंदरगाह हुआ करता था।
पूर्वोत्तर के प्रवेश द्वार गुवाहाटी की हल्दिया बंदरगाह से दूरी थी 1220 किमी तथा त्रिपुरा की राजधानी अगरतला की दूरी थी 1645 किमी। जबकि त्रिपुरा से बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह, जिसे अब चट्टोग्राम बंदरगाह कहा जाता है, की दूरी थी मात्र 67 किमी।