कथित दुर्घटनामें भारतके पहले सीडीएस एवं अन्य भारतीयभी लुक्मा ए अजल बनगए
बहुतसी कहानियां सोशल मीडिया और आपसी बातचीतमें कही सुनी जारहीहैं जिनका निराकरण यह सरकार कभीनहीं करेगी क्योंकि राजनीतिक उद्देश्यसे करनाभीनहीं चाहती लेकिन
आजकी यह खबर सरकारकी नाकामीपर जरूर सवाल खड़ेकर रही हैं।
यदि सीडीएस का महत्व होताहै तो उसकी नियुक्तिमें अभी कुछ समय क्यों लगेगा?
क्या इतने समय तक यह सीट खाली रहेगी अर्थात सीडीएस बनाना कोई जरूरी नहींहै और जनरल रावत को किसी और वजह से बनाया गया था!
क्या यह हैरानी का विषय नहीं है कि सीडीएस ऑफिसमें सेकंड इन कमांड जैसा कोई सिस्टम नहीं है
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अर्थात जनरल रावत वन मैन डिक्टेट करते थे ?
यदि इसमें कोई विदेशी साज़िश का संदेह है तो क्या हमारी एजेंसियां इतनी नकारा बना दी गई है या उनमें भी घुसपैठ हो चुकी है ?
यदि उत्तराखंड चुनाव में इनकी शहादत पर वोट मांगने की तैयारी की जा रही है तो उत्तराखंड वालो को पूछना चाहिए कि जो
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सरकार सबसे बड़े अफसर की सुरक्षा नहीं कर सकी वो भविष्य में साधारण इंसान के लिए क्या करेगी ?
बेशक जनरल रावत सेना के सबसे बड़े ब्रास थे लेकिन उनके कंधे पर भारतीय सेना की महान परम्पराओं को कलंकित करने का दाग भी था।
उनके कार्यकाल में सेना का राजनीति करण करने का आरोप भी था।
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उनके उपर भारतीय नागरिकों के विरूद्ध सैनिक कार्यवाही की धमकियों एवम् संदेहास्पद इनकाउंटर के आरोप भी थे।
फिर भी वर्दी का सम्मान करना हमारी परम्परा और संस्कृति है लेकिन सरकार से सवाल करना तो बनता है 🔥
5 @BramhRakshas
उत्तर प्रदेश के भईया लोगों से निवेदन है कि बेरोजगारी,भूखमरी,गरीबी पर ध्यान न दें और मंदिर के लिए वोट देते रहें। इससे आप के परिवार और आने वाली पीढ़ी को विकास के प्रत्यक्ष उदाहरण मिलेंगे जिन्हें आप कांगी, वामी, आपियों के मुंह पर मार सकते हैं।
आखिर भूखमरी है कहां? फिरोजाबाद में?
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बलिया में? फैज़ाबाद इत्यादि अन्य 70 शहरों में? उत्तर प्रदेश में तो नहीं है न? प्रदेश में तो विकास की आंधी चल रही है। अखिलेश के बनाए एक्सप्रेस वे पर हवाई जहाज लैंड कर रहे हैं तो योगी जी के बनाए सड़क पर नारियल फोड़ने पर नारियल नहीं सड़क फूट रही है। इससे क्या फर्क पड़ता है?
अगली बार जब सड़क का इनॉग्रेशन होतो टमाटर फोड़कर काम चलाया जा सकता है!! या फिर बिना इनॉग्रेशन ही जनता को मरने के लिए छोड़ा जा सकता है।आप क्यों परेशान हों? आप जनता थोड़ी हैं।आप तो भक्त हैं!!
उधर योगीजी के #मास्टरस्ट्रोक से रिज़वी त्यागी बनगए।सोचिए विकास की रफ्तार कितनी तेज़ होगी।3
अब वह ज़माना नहीं रहा कि आप अपने देश मे क्या उत्पात कर रहे हैं शेष दुनिया को पता नहीं होता।
अब आप किसी मस्जिद में चुपके से मुर्ति रखेंगे तो कोई जिलाधिकारी नायर इसको दुनियासे छिपा नहीं सकता ना ही कोई किसी6दिसंबर को कोई धार्मिक स्थल चुपचाप तोड़ सकताहै जिसके
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जिम्मेदार आजतक पकड़े नहीं जाते।
यह तिव्र संचार और सोशलमीडिया का ज़माना है जहाँ किसी की कोई करतूत छिप नहीं सकती और यह सब देख कर सारी दुनिया उस पर प्रतिक्रिया देती है।
तमाम देशों के भारत में मौजूद दूतावास देश की एक एक खबर और वीडियो चित्र अपने देश के मुखिया को भेजते रहते हैं।
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उन देशों के मुखिया देश के प्रधानमंत्रीसे अमुक मामलेको लेकर सवाल जवाब करतेहोंगे जिसका असर निश्चित रूपसे द्वीपक्षीय संबन्धों पर पड़ता होगा और पड़ेगा।
एक उदाहरण देखिए कि यूएईकी राजकुमारी "हेंड बिंत-ए- फैसल अल कासिम"ने ज़ी न्यूज़ के एडिटर इन चीफ एंकर सुधीर चौधरीको एक प्रोग्राम में
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Sweta Singhआप देश के नाम पर कलंक हो.."एजेंडा आजतक" पर सावरकर पर आप डिबेट करवा रही थी..प्रोफेसर चमनलाल साहब, विक्रम संपत और सावरकर का नाती रंजीत सावरकर इस डिबेट में थे..
● Sweta Singh,आपकी उपस्थिति में रंजीत सावरकर ने महात्मा गांधीको रेपिस्ट बताया और आशाराम बापू का रूप बताया..
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और ऐसा प्रतीत हो रहाथा कि आप रंजीत सावरकर को रोकने का नाटक कर रहीथी..
● रंजीत सावरकरने स्वर्गीय मोतीलाल नेहरूजी और पंडित जवाहरलाल नेहरूजी पर भी आक्षेप लगाए आपकी उपस्थितिमें देश की आजादी के नायकोंको गालीदी जारही थी Sweta Singh,एक एंकरके रूप में आपने पत्रकारिताको शर्मशार कियाहै
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आपको धिक्कार है..
● स्वेता सिंह,आपको चाहिएथा कि सिक्योरिटी बुला कर रंजीत सावरकरको धक्के मारकर बाहर निकालदेना रंजीत सावरकर जैसे इंसान को आपने ऐसी घृणित बात करनेका मौका दिया विक्रम संपत आतंकवादी गोडसेको गोडसेजी बोलरहा था स्वेता सिंह, आप महात्माके चरित्रहननमें बराबरकी हिस्सेदारहै 3
जैसी कि मैंने आशंका जताई थी यूपी में पेपर लीक कांड के धागे भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेताओं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह क्षेत्र गोरखपुर से जुड़ रहे हैं। देखना है कि बाबा अब बुलडोजर चलवाते हैं या नही।
गिरफ्तार मुख्य आरोपी राय अनूप प्रसाद की बहन रश्मि वर्मा बिहार की
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नरकटियागंज विधानसभा से भाजपा की विधायक हैं। अपने क्षेत्र में वह बेहद दबंग छवि नेत्री मानी जाती है। रश्मि तब और चर्चा में आईं जब पिछले साल अक्टूबर में उनसे 25 लाख रुपए रंगदारी मांगे जाने का मामला सामने आया था। अनूप का एक रिश्तेदार आईएएस भी है।
रश्मि की अपनी सीट पर इतनी
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मजबूत पकड़ है कि 2015 के चुनाव में वह भाजपा से बगावत करके निर्दलीय चुनाव लड़ीं। इसकी वजह से नरकटियागंज सीट भाजपा के हाथ से चली गई थी। इसलिए उन्हें पार्टी में दोबारा लाना पड़ा। करीबियों का कहना है कि अनूप के परिवार का एक सदस्य IAS अफसर भी है।
बहुत साल पहले अक्षय कुमार की एक फ़िल्म आई थी जिसमें उनका तकिया कलाम था "एवेर्थिंग वास प्लांड" मतलब सबकुछ पहले से ही तय था "जियो" की कहानी भी कुछ इसी तरह की है मैं टेलिकॉम सेक्टर काम कर चुका हूँ तो इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि रिलायंस किस
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तरह काम करता है उसके बिजनेस मॉडल को नही जानने वाले आज जियो के कॉल रेट बढने पर जो स्यापा कर रहे है वो टेल्को (टेलिकॉम कम्पनियों)को काम करने के तरीक़े को जब जान जाएंगे तो जियो के कॉल रेट हाई करने को भी समझ जायँगे.
बात 2010 की है जब भारत मे 4g क्या 2g नेटवर्क भी रोते गाते चलता था
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रिलायन्स मेरी कंपनी का मुख्य क्लाइंट था में अपने नए प्रोडक्ट को लेकर रिलायन्सके बड़े अधिकारीसे मीटिंग करने जा रहा था तब रिलायंस टेलिकॉम अनिल अंबानीके ग्रुप का हिस्सा था मेरे उस अधिकारी से बड़े अच्छे संबध थे तो मैंने उनसे पूछ लिया कि भारत में टेलिकॉम क्राँति तो आपने कर दी है आगे
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शीशे की अदालत है , पत्थर की गवाही है
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एक आतंक वादिनी अपने समकक्ष दूसरे आतंकवादी को देश भक्त नहीं , तो क्या कहेगी ?
प्रश्न यह है कि हम उसे क्या कहते हैं । यदि हम भी उसकी यह उक्ति चुपचाप सुन लेते हैं , और सहन कर लेते हैं , तो समझो हम सुन्न हो गए ।
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हमे भी साम्प्रदायिकता का कोढ़ व्याप चुका है ।
डाकू स्वयं को बागी (विद्रोही ) कहता है ,और ज़ेब कतरा स्वयं को कुशल जादूगर अथवा हाथ की सफाई का ललित कलाकार मानता है ।
पंजाब के आतंकवादी स्वयं को खाड़कू (धर्म योद्धा) कहते थे।उन्होंने लेखक - पत्रकार खुशवंत सिंह को सम्मन भेज जवाब तलब
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किया कि तुम हमें आतंक वादी कहते और लिखते हो । क्यों न तुम्हे दण्डित किया जाए ?
तब बिंदास और बहादुर लेखक ने उत्तर दिया - मैंने कभी भी तुम्हे आतंकवादी नहीं कहा । बल्कि मैंने हमेशा तुम्हे लुच्चा कहा है , क्योंकि तुम वही हो ।
यह अंधाधुंध का दौर है । हत्यारे , लुटेरे , पत्थर बाज़ और
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