अब वह ज़माना नहीं रहा कि आप अपने देश मे क्या उत्पात कर रहे हैं शेष दुनिया को पता नहीं होता।
अब आप किसी मस्जिद में चुपके से मुर्ति रखेंगे तो कोई जिलाधिकारी नायर इसको दुनियासे छिपा नहीं सकता ना ही कोई किसी6दिसंबर को कोई धार्मिक स्थल चुपचाप तोड़ सकताहै जिसके
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जिम्मेदार आजतक पकड़े नहीं जाते।
यह तिव्र संचार और सोशलमीडिया का ज़माना है जहाँ किसी की कोई करतूत छिप नहीं सकती और यह सब देख कर सारी दुनिया उस पर प्रतिक्रिया देती है।
तमाम देशों के भारत में मौजूद दूतावास देश की एक एक खबर और वीडियो चित्र अपने देश के मुखिया को भेजते रहते हैं।
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उन देशों के मुखिया देश के प्रधानमंत्रीसे अमुक मामलेको लेकर सवाल जवाब करतेहोंगे जिसका असर निश्चित रूपसे द्वीपक्षीय संबन्धों पर पड़ता होगा और पड़ेगा।
एक उदाहरण देखिए कि यूएईकी राजकुमारी "हेंड बिंत-ए- फैसल अल कासिम"ने ज़ी न्यूज़ के एडिटर इन चीफ एंकर सुधीर चौधरीको एक प्रोग्राम में
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दुबई आमंत्रित किए जानेकी आलोचना कीहै।
संयुक्त अरब अमीरातकी राजकुमारीने सुधीर चौधरीको अपने टीवी कार्यक्रमके माध्यम से इस्लामोफोबिया को बढ़ावा देने वाला बताया, और उस आयोजकको भी फटकार लगाईहै जिसने इस्लामोफोबिया फैलाने वाले ज़ी न्यूज के एंकर सुधीर चौधरी को दुबई में आमंत्रित किया।
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सुधीर चौधरी को एक ‘आतंकवादी’के रूप में संबोधित करते हुए, संयुक्त अरब अमीरात की राजकुमारी ने आयोजक को याद दिलाया कि कैसे विवादास्पद टीवी एंकर नियमित रूप से इस्लाम और उसके अनुयायियों को बदनाम कर रहा है।
यही नहीं भारत में हो रहे किसान आंदोलन के समर्थन में ग्रेटा थनबर्ग और अमेरिकी
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गायिका रिहाना ने भी समर्थन दिया ,तब जबकि लाल किले पर हिंसा हुई।
कहने का अर्थ बस इतना है कि संचार माध्यमों से फैलती खबरों में अब कुछ भी किसी देश का अंदरूनी मामला नहीं होता।
गुरुग्राम में हर शुक्रवार को होने वाली नमाज़ के समय विरोध प्रदर्शन और लड़ाई झगड़ा भी दुनिया देख रहीहै और
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इससे भारत की छवि उनकी नज़र में एक अस्थिर देश की बनेगी जिसका निवेश सहित तमाम मुद्दों पर असर पड़ेगा।
इन्हीं सब कारनामों के बीच पिछले 4 सालों में 6 लाख लोगों ने देश की नागरिकता छोड़ दी , इसके बावजूद की इस समय देश में महाराणा प्रताप द्वितीय की सरकार है और मुल्ले कंट्रोल में हैं।
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यूएई समेत 56 मुस्लिम देशों में रह रहे भारतीयों का सोचिए , यदि वहाँ की सरकार ऐसे ही उनको टाईट करने पर आ गयी तो क्या होगा ?
ध्यान दीजिए कि विभिन्न देशों में कुल 1•8 करोड़ भारतीय अपनी रोजी रोटी कमाने के लिए रहते है जिनमें केवल संयुक्त अरब अमीरात में ही 35 लाख लोग रहते हैं।
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सभी खाड़ी के मुल्कों में तक़रीबन 85 लाख भारतीय रहते हैं और ये विश्व की सबसे बड़ी प्रवासी आबादियों में से एक है।
थोड़ा सोच समझ कर नफरत फैलाईए , दुनिया देख रही है।
9 @BramhRakshas
Sweta Singhआप देश के नाम पर कलंक हो.."एजेंडा आजतक" पर सावरकर पर आप डिबेट करवा रही थी..प्रोफेसर चमनलाल साहब, विक्रम संपत और सावरकर का नाती रंजीत सावरकर इस डिबेट में थे..
● Sweta Singh,आपकी उपस्थिति में रंजीत सावरकर ने महात्मा गांधीको रेपिस्ट बताया और आशाराम बापू का रूप बताया..
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और ऐसा प्रतीत हो रहाथा कि आप रंजीत सावरकर को रोकने का नाटक कर रहीथी..
● रंजीत सावरकरने स्वर्गीय मोतीलाल नेहरूजी और पंडित जवाहरलाल नेहरूजी पर भी आक्षेप लगाए आपकी उपस्थितिमें देश की आजादी के नायकोंको गालीदी जारही थी Sweta Singh,एक एंकरके रूप में आपने पत्रकारिताको शर्मशार कियाहै
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आपको धिक्कार है..
● स्वेता सिंह,आपको चाहिएथा कि सिक्योरिटी बुला कर रंजीत सावरकरको धक्के मारकर बाहर निकालदेना रंजीत सावरकर जैसे इंसान को आपने ऐसी घृणित बात करनेका मौका दिया विक्रम संपत आतंकवादी गोडसेको गोडसेजी बोलरहा था स्वेता सिंह, आप महात्माके चरित्रहननमें बराबरकी हिस्सेदारहै 3
जैसी कि मैंने आशंका जताई थी यूपी में पेपर लीक कांड के धागे भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेताओं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह क्षेत्र गोरखपुर से जुड़ रहे हैं। देखना है कि बाबा अब बुलडोजर चलवाते हैं या नही।
गिरफ्तार मुख्य आरोपी राय अनूप प्रसाद की बहन रश्मि वर्मा बिहार की
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नरकटियागंज विधानसभा से भाजपा की विधायक हैं। अपने क्षेत्र में वह बेहद दबंग छवि नेत्री मानी जाती है। रश्मि तब और चर्चा में आईं जब पिछले साल अक्टूबर में उनसे 25 लाख रुपए रंगदारी मांगे जाने का मामला सामने आया था। अनूप का एक रिश्तेदार आईएएस भी है।
रश्मि की अपनी सीट पर इतनी
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मजबूत पकड़ है कि 2015 के चुनाव में वह भाजपा से बगावत करके निर्दलीय चुनाव लड़ीं। इसकी वजह से नरकटियागंज सीट भाजपा के हाथ से चली गई थी। इसलिए उन्हें पार्टी में दोबारा लाना पड़ा। करीबियों का कहना है कि अनूप के परिवार का एक सदस्य IAS अफसर भी है।
बहुत साल पहले अक्षय कुमार की एक फ़िल्म आई थी जिसमें उनका तकिया कलाम था "एवेर्थिंग वास प्लांड" मतलब सबकुछ पहले से ही तय था "जियो" की कहानी भी कुछ इसी तरह की है मैं टेलिकॉम सेक्टर काम कर चुका हूँ तो इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि रिलायंस किस
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तरह काम करता है उसके बिजनेस मॉडल को नही जानने वाले आज जियो के कॉल रेट बढने पर जो स्यापा कर रहे है वो टेल्को (टेलिकॉम कम्पनियों)को काम करने के तरीक़े को जब जान जाएंगे तो जियो के कॉल रेट हाई करने को भी समझ जायँगे.
बात 2010 की है जब भारत मे 4g क्या 2g नेटवर्क भी रोते गाते चलता था
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रिलायन्स मेरी कंपनी का मुख्य क्लाइंट था में अपने नए प्रोडक्ट को लेकर रिलायन्सके बड़े अधिकारीसे मीटिंग करने जा रहा था तब रिलायंस टेलिकॉम अनिल अंबानीके ग्रुप का हिस्सा था मेरे उस अधिकारी से बड़े अच्छे संबध थे तो मैंने उनसे पूछ लिया कि भारत में टेलिकॉम क्राँति तो आपने कर दी है आगे
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शीशे की अदालत है , पत्थर की गवाही है
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एक आतंक वादिनी अपने समकक्ष दूसरे आतंकवादी को देश भक्त नहीं , तो क्या कहेगी ?
प्रश्न यह है कि हम उसे क्या कहते हैं । यदि हम भी उसकी यह उक्ति चुपचाप सुन लेते हैं , और सहन कर लेते हैं , तो समझो हम सुन्न हो गए ।
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हमे भी साम्प्रदायिकता का कोढ़ व्याप चुका है ।
डाकू स्वयं को बागी (विद्रोही ) कहता है ,और ज़ेब कतरा स्वयं को कुशल जादूगर अथवा हाथ की सफाई का ललित कलाकार मानता है ।
पंजाब के आतंकवादी स्वयं को खाड़कू (धर्म योद्धा) कहते थे।उन्होंने लेखक - पत्रकार खुशवंत सिंह को सम्मन भेज जवाब तलब
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किया कि तुम हमें आतंक वादी कहते और लिखते हो । क्यों न तुम्हे दण्डित किया जाए ?
तब बिंदास और बहादुर लेखक ने उत्तर दिया - मैंने कभी भी तुम्हे आतंकवादी नहीं कहा । बल्कि मैंने हमेशा तुम्हे लुच्चा कहा है , क्योंकि तुम वही हो ।
यह अंधाधुंध का दौर है । हत्यारे , लुटेरे , पत्थर बाज़ और
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अच्छा एक बात नोटिस की आपने l?
तथाकथित रूप से800साल बाद हिंदुओं की सत्ताके आने के बावजूद ..
दो दो बार पूर्ण बहुमत मिलने के बावजूद भी यदि आप किसी भक्त से बात करो तो वो झुंझलाया हुआ ,बौराया हुआ ,गालियां देता हुआ,दुख से सराबोर ,रोता हुआ रुंदड़ मचाता हुआ
और पूरीतरह असंतुष्ट मिलेगा।
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इसके उलट आप किसी बीजेपी विरोधी को देखो तो वो मस्त मजे में हंसी मज़ाक करता हुआ टेंशन मुक्त मिलेगा।
कभी सोचा है क्यों?
इसके कारण बहुत गहरे और मनोवैज्ञानिकहै।
चूँकि ये फ़र्ज़ी विकास और हिन्दू सत्ताका छद्मावरण जो इनके पप्पाने जो क्रिएट किया है,ये खुद इन्हे भी अपने गहरे अंतर्मन में
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विश्वास नहीं की टिक पायेगा।एक्चुयलि टिक ही नहीं सकता।
बाकी ये मुंह से भले ना कहें ,लेकिन आर्थिक रूप से बर्बाद होने का डर और लुटेरी पूंजीवादी नीतियों की ताप अब इन्हे भी सताने लगीं हैं।
इसलिए इस कुंठाको मिटानेके लिए ये हमेशा गाली गलौच,अपन हर वैचारिक विरोधी को मार डालने ख़तम कर
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पुलवामा हमले वक्त वाइल्डलाइफ सफारी में हाथी का गु सूंघते मोदी द्वारा थोपी गई सर्जिकल का परिणाम ये रहा था, (जो मात्र 9 मिनिट में ही खत्म हो गई) हमारा पायलट उनके कब्जे में चला गया, हमला भूल भाल कर अचानक से गोदी मीडिया द्वारा भड़काए देश मे पायलट बचाने की प्रार्थनाए शुरू हो गई ,
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अभिनंदन का पाकिस्तान में गिरना पाक द्वारा मिराज मार गिराया जाना पुलवामा हमला 9 मिनिट में ही राष्ट्रीय शर्म का विषय था,जिसे कांगेर्स ने सिर्फ देश हित मे चुनाव जीतने के लिए नही उठाया इसका भी प्रचार कांगेर्स नही करती , देश का असली हित कांग्रेस सोचती है bjp नही ..! जनता तक कांग्रेस
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की नीतियां नही पहुच पा रही , bjp का झूट पहुच रहा है, राहुल से जनता को कोई उम्मीद नही है, वे भले पढ़े लिखे हार्वर्ड शिक्षित सुसभ्य होने के वजह से लोकप्रिय नही रहे , क्योकि कमर के नीचे वार करना उनकी एथिक्स नही है, मगर प्रियंका गांधी और बाकी बची
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