खब्बू तिवारी के साथ अत्याचार हुआ है। उत्तरप्रदेश के गोसाईगंज सीट से भाजपा विधायक, हम सबके दुलारे खब्बू भैया की विधायकी, जाली मार्कशीट देकर अपनी झूठी शैक्षणिक योग्यता बताने के कारण रद्द कर दी गयी है। ये खब्बू भाई नही, ये गोसाईगंज की जनता का अपमान है।
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पहली बात तो यह है कि गोसाईगंज की जनता ने खब्बू की पढ़ाई लिखाई देखकर वोट ही नहीं किया। खब्बू उर्फ इंद्र प्रताप तिवारी, जात से ब्राह्मण है। इत्ता काफी है। जात देखकर चुनाव होता है, तो पढ़ाई के नाम पर निर्वाचन रद्द कैसे??
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और खब्बू अनपढ़ हो, हमारी बला से। लेहरू का बनाया सम्विधान
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अनपढ़ों को भी चुनाव लड़ने,मंत्री,मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बनने की इजाजत देता है। लिखाई-पढाई-डिग्री की जरूरत बाबू-चपरासी बनने के लिए होती है भाई साब..विधायक बनने को नही।यह फैसला गैर समवैधानिक है।
लोग कह रहे हैं,lकी खब्बू जी अनपढ़ है,तो वही बताते। मने जाली डिग्री जमा क्यो की।
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अजी, शादी ब्याह में लड़के को शिक्षित बताना पड़ता है। तब किसी यार दोस्त, रिश्तेदार ने बनवा दी होगी। अब रखी थी डिग्री, तो लगा दी नामांकन में।
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लेकिन अगर डिग्री जाली निकलवा भी ली, तो क्या गलत किया? बहुत लोग की डिग्री जाली है। मने हम बोलते नही, तो क्या हमें पता भी नही??
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खूब पता है साहब। अपने खब्बू भाई विधायक हैं,तो आप लोग बरियारी दिखा गए।पीएम होते तो यूनिवर्सिटी खुद उनकी डिग्री बैक डेट में जारी करती। लेकिन मां परशुराम के वंशज, एक सच्चे ब्राह्मण के खिलाफ साजिश हुई। सचाई यही है, कि अजय सिंह बिष्ट की सरकार इंद्र प्रताप तिवारी के साथ खड़ी नही हुई।
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यह योगी राज में हावी ठाकुरवाद का नतीजाहै। एक बार जब निंदानाथ जी उर्फ ठाकुर साहब मुख्यमंत्रीथे,तब यूपीमें नकल बन्द करवादी थी।जब स्कूल में टीचर नही,पढ़ाई नही,एग्जाम भी टाइम पर नही,तो नकल भी बन्द कराना वज्रपातसे कमथा क्या?
इस सिस्टम में खब्बू भैया जैसे कितनेही संभावनाशील युवा,फेल 6
होकर सड़क छाप राजनीति जॉइन करने को मजबूर हुए। बेरोजगारी का दंश सहते, दरी उठाते, लाठी, गोली, गाली झेलते, लाखों युवा पार्टी के कार्यकर्ता बनकर रह गए। कुछ मुट्ठी भर किस्मतवालों को नाली-खरंजे की ठेकेदारी मिली, वरना बाकी तो आज भी फेसबुक ट्विटर पर मीम चिपकाते घूम रहे है।
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इसमे एकाध कर्मठ युवा ब्राह्मण,विधायक बन पाया।तो उसे डिग्री के नाम पर नाप दिया गया।
मेरा दिल टूट गया है।जार जार रो रहा है।खब्बू दादा को एक निगाह देखिये।शक्ल से ही वो चट्टर हिन्दू नजर आते हैं।बात बात पर जय श्रीराम,मन्दिर बनवाने के लिए कटने काटने को तैयार रहे हैं।सच्चे सनातनीहैं,
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अपने इलाके के मियां को टाइट रखतेहैं।ऐसे हीरे को,सिक्सा और डिग्रीके नाम पर अयोग्य साबित करके जनभावनाओंका घोर अपमान किया गयाहै।
राजनीतिमें शिक्षाका कोई रोल नही।पढ़ लिखकर लेहरू ने कौन सा तीर मार लिया??वो लड़कर चीनको जमीन दिए,अनपढ़ लोग बिना लड़े दिये।दोनों हाल में जमीन तो गई ना??
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उधर हार्वर्ड वाले मनमोहन ने अर्थव्यवस्था बर्बाद करदी,हार्ड वर्क वाले पीएमने संवार दिया।चहुं ओर भारतका डंका बजाकर विश्वगुरु बनाने वाले परमपिता परमेश्वर मोदीजी महाराज पर भी ऐसे ओछे इल्जाम लगेथे।
क्या उखड़ गया,आये तो मोदी ही न।
गोसाईगंज ने भी शेर पालाहै।शेर की डिग्री नही पूछी जाती।
तो गोसाईगंज की जनता को भी खब्बू वापस चाहिए। इस बार वो अपनी शिक्षा में अनपढ़ लिखकर जमा करें। पार्टी का टिकट न मिले, तो निर्दलीय लड़ें।
हम सब तन मन, और खब्बू जी के धन से उनकी सेवा करेंगे प्रचार करेंगे, और वापस विधानसभा में लाएंगे। कोई मातृ का लाल उनको हरा नही पायेगा।
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गोसाईगंज की जनता, शिक्षा विक्षा, डिग्री फ़िगरी चोचलों से लेना देना नही। खब्बू जी गोसाईगंज को राष्ट्रगुरु बनाएंगे।
इसलिए हम क्या मांगे- खब्बू जी, हम लेक्के रहेंगे-खब्बू जी, जोर से बोलो-खब्बू जी, सारे बोलो- खब्बू जी।
सीताजी की सुंदरता का वर्णन नहीं हो सकता, क्योंकि बुद्धि बहुत छोटी है। श्री रामचन्द्रजी को देखकर तो सभी कृतकृत्य हो गए। राजा दशरथजी पुत्रों सहित हर्षित हुए। उनके हृदय में जितना आनंद था, वह कहा नहीं जा सकता।
सीताजी मंडप में आईं।
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मुनिराज बहुत ही आनंदित होकर शांतिपाठ पढ़ रहे हैं। देवताओं की पूजा कराके मुनियों ने सीताजी को सुंदर सिंहासन दिया।
श्री सीताजी और श्री रामजी का आपस में एक-दूसरे को देखना तथा उनका परस्पर का प्रेम, किसी को दिख नहीं पड़ रहा है, जो बात श्रेष्ठ मन, बुद्धि और वाणी से भी परे है।
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कुलों के गुरु वर और कन्या की हथेलियों को मिलाकर शाखोच्चार करने लगे। पाणिग्रहण हुआ देखकर ब्रह्मादि देवता, मनुष्य और मुनि आनंद में भर गए।
वर और कन्या सुंदर भाँवरें दे रहे हैं। सब लोग उन्हें देखकर नेत्रों का परम लाभ ले रहे हैं। मुनियों ने आनंदपूर्वक भाँवरें फिराईं और नेग सहित सब
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कटरीना सलमान से बेपनाह मोहब्बत करती थी।यहाँ तक की उसके घरमें रहने भी लगी थी। लेकिन सबकुछ ठीकठाक रहने के बावजूद भी एक बातपे दोनों में नहीं बनतीथी।
आखिरकार वो दोनों अलग होही गए।
फिर कटरीनाकी जिंदगी में रणबीर कपूर आया।दोनोंका समुद्री तट पर वाला फोटोभी खूब वायरल हुआ,घर आना-जाना
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भी शुरू हुआ दोनों तरफ से रजामंदी भी हो गई लेकिन इनदोनों में भी एक बात लेकर नहीं बनी।
आखिरकार ये दोनों भी अलग हो गए।
फिर विक्की कौशल की एंट्री हुई कटरीना की जिंदगी में।
दो साल दोनों की गूलू गूलू चली।बात अब शादी तक आ पहुँची है।
लेकिन इस बार कटरीना ने उस बातके लिए विक्की को
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पहले ही मना लिया जिस बात के लिए वो अपने दोनों पूर्वप्रेमियों से अलग हो गई थी।
अब आपलोगों के मन में खटक रहा होगा कि आखिर वो बात क्या थी, जिसके कारण कटरीना को अपना प्यार कुर्बान करना पड़ा?
जबकि विक्की से खुशी खुशी ब्याह रचा रही है। तो सुनो!
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मोदी सरकार से मिली यही वह चिट्ठी है, जिसके बाद देश में किसान आंदोलन के ख़ात्मे का ऐलान किया है।
चिट्ठी कृषि मंत्रालय के सचिव ने लिखी है, मालिक यानी कृषि मंत्री ने नहीं। इसकी भाषा मुझे कहीं भी आश्वस्त नहीं करती।
इस साल 26 जनवरी से किसान आंदोलन के दो चेहरे बन गए थे।
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(इस बारे में मैं उसी दिन लिख चुका हूं)मोदी सरकारने इस विभाजन को बखूबी भुनायाहै।
सरकार की बात आंदोलन के स्पष्ट,आक्रामक चेहरे यानी राकेश टिकैत से नहीं हुई।कमोवेश उदारवादी राजेवाल धड़े के नेताओं से हुई।कहीं न कहीं अमरिंदर सिंह को इसका क्रेडिट जाताहै।
दो दिन पहले ही राकेश टिकैत
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इस बात की कसक खुलेआम बयां कर चुके हैं। लेकिन आज का फैसला सामूहिक है।
राकेश टिकैत इसे किसान अस्मिता और एकजुटता की जीत बताकर परसों विजय दिवस मनाने का ऐलान कर चुके हैं।
उनके और संयुक्त किसान मोर्चे के हाथ इस चिट्ठी के साथ बस इतना ही आया है।
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तुलसीदास जी जब “रामचरितमानस” लिख रहे थे, तो उन्होंने एक चौपाई लिखी :
सिय राम मय सब जग जानी,
करहु प्रणाम जोरी जुग पानी ।।
अर्थात –
पूरे संसार में श्री राम का निवास है, सब में भगवान हैं और हमें उनको हाथ जोड़कर प्रणाम कर लेना चाहिए।
चौपाई लिखने के बाद तुलसीदास जी विश्राम करने
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अपने घर की ओर चल दिए।
रास्ते में जाते हुए उन्हें एक लड़का मिला जिसे सब पप्पू बोलते थे और बोला ....अरे महात्मा जी, इस रास्ते से मत जाइये, आगे एक बैल गुस्से में लोगों को मारता हुआ घूम रहा है और आपने तो लाल वस्त्र भी पहन रखे हैं । इसलिए आप इस रास्ते से बिल्कुल मत जाइ ए
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तुलसीदास जी ने सोचा–ये कल का बालक पप्पू मुझे चला रहा है।मुझे पता है–सब में राम का वास है। मैं उस बैल को हाथ जोड़ लूँगा और शान्ति से चला जाऊंगा
लेकिन तुलसीदास जी जैसे ही आगे बढ़े और इससे पहले की बैलको हाथ जोड़ पाते बिगड़े बैल ने उन्हें जोरदार टक्कर मारी और वो बुरी तरह गिर पड़े।
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घिर चुकीहै कांग्रेस,और घिरे हुएहैं राहुल।सब एकमत हैं,कि कांग्रेस को मिटानाहै।
सरकारतो खुलकर कांग्रेस मुक्त भारतका नारा बुलंद कर चुकी।फेल हुई तो सुपारी किलर लगा दिये।दांव इतने उंचे है,कि दोस्तऔर दुश्मन,सारे ही सुपारीलेने की होड़ मेहै।
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सरकार तो खुलकर कांग्रेस मुक्त भारत का नारा बुलंद कर चुकी। फेल हुई तो सुपारी किलर लगा दिये। दांव इतने उंचे है, कि दोस्त और दुश्मन, सारे ही सुपारी लेने की होड़ मे है।
कांग्रेस से निकले केसीआर, जगन, ज्योतिरादित्य।
राहुल के समर्थन से मुख्यमंत्री बने केजरीवाल।
यूपीए के समर्थन से
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अपनी मरणासन्न पार्टी को जिंदा करने वाली ममता,
पार्टीके भीतर मठाधीश,आलसी और नाकारे नेता
देश का सबसे बड़ा सुपारी योद्धा प्रशांत किशोर
विश्व की सबसे बड़ी पार्टी,उसके चाणक्य, उसके भामाशाह
दिन रात चलने वाले चैनल,आईटी सेल,
सत्ताके हाथों मजबूर अफसर
पार्टी,बंगले और फोन मे घुसे जासूस
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मुम्बई मे हुई इस मुलाकात किसी न्यूज चैनल, किसी अखबार पोर्टल पर खबर नही, एक्सेप्ट कुछ बंगला अखबारों के। अब तो खैर गौतम भाई ने ट्वीट ही कर दिया।वो पश्चिम बंगालमे इन्वेस्टमेंट करेंगे।
या साफ कहें,तो पश्चिम बंगाल की लीडरशिप मे इन्वेस्ट करेंगे।
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ममता से ज्यादा ये फोटो प्रशांत किशोर को एक्सपोज करती है। इसलिए, राहुल गांधी को साधुवाद। सत्ता को प्रशांत के तरीके से चाहते तो इस वक्त गौतम अडानी से हाथ मिलाने वाले राहुल होते।
तेरा यही पप्पूपना दिल जीत लेता है बालक
लव यू
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और अंत मे। कुछ सवाल
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1 # क्या 2024 के बाद साम्राज्य बचानें की जुगत मे हैं अडानी, क्या अंदरखाने मे घबराहट है??
2# या मोशा गैंग के आदेश पर अडानी ममता से मिल रहे है, गमला विपक्ष को खाद पानी देने के लिए। और कौन कौन उनके दिये खाद पानी पर हरेला विपक्ष बना फिर रहा है
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