एक मजेदार ऑब्जर्वेशन है,महसूस कीजिएगा। अधिकांश भाजपा प्रेमी धार्मिक नही हैं। वो मांसाहार करते हैं,पब जाते है,शराब पीते है, पोर्न शेयर करते हैं,सीडी वीडी बनवाते रहते हैं। वैष्णो देवी और तिरुपति का तीर्थाटन,असल मे दोस्तोंके साथ हैंग आउट
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और छुट्टी पर्यटन का बहाना होताहै।
इनमे से किसी ने पुराण,वेद,गीता,धर्मशास्त्र का अध्ययन नही किया।गणेश पंडाल,या कांवर उत्सव में उन्मत्त नाचने के अलावे,दैनिक पूजन पाठ भी नही करते।चार श्लोक याद नही,उनके अर्थ जानना तो दूरकी बात है।
लेकिन इसकी जरूरत भी नही।क्योकि धर्मका पूरा सबाब,
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एक ढोंगी नौटंकीबाज को वोट देकर पूरा हो जाता है। पांच साल के लिए अपना धर्म इन्होंने समूची सरकार बनाकर आउटसोर्स किया हुआ है।
अतएव प्रधानमंत्री को मन्दिर में देखकर खुश होते हैं। मुख्यमंत्री को घण्ट डुलाते देख चरमसुख पाते हैं। इसके बाद पलटकर निजी चरमसुखों में डूब जाते है।
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यह अजीब सा गिल्टी प्लेजर है।भाजपाने हमारे भीतरकी अधार्मिकता को पूरी करनेका ठेका ले लियाहै।और इसे नए नए विस्तार भी दे रहीहै।नई आकांक्षाएं बो रही है,उसकी फसल काट रहीहै।
इसलिए दो विजुअल एक साथ आते हैं।सौ मुसलमानोंको खुले में नमाज पढ़नेपर रोक लगाई जा रहीहै,लेकिन100करोड़ लोगों का
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प्रधानमंत्री खुले में,याने लाइव टीवी पर पूजा पाठ स्नान कर रहा है।इस विजुअल से जो आपको गिल्टी प्लेजर मिलता है,महंगाई, बेरोजगारी और बदइंतजामी के दुखको भुला देताहै।
क्योकि शुरुआत तो अच्छे दिन की उम्मीद से हुई थी।इसमे दो करोड़ रोजगार, तेज आर्थिक विकास और सुकूनसे जीनेका स्वप्न था।
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सचाई यह है कि नौकरी,राशन,शिक्षा,बिजली, पानी,मकान और आजादी को कोई सरकार, रातोंरात बेहतर नही कर सकती।
तो सत्तामें आने पर एक नई इच्छा हममें बोदी गयी-"विकास के साथ साथ हिन्दू होनेपर उच्चता मिल जाये,तो बोनस हो जाये"।हमने इस ख्याल को हाथोंहाथ लिया,और ट्रेप में फंस गए।बोनसका शोर इतना
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ज्यादा मचा दिया गया,कि बोनस बेसिक बन गया है,और बेसिक इग्नोर किया जा सकताहै।
मैसेज आया ही था -"शेर पालना महंगा पड़ता है"
हिन्दू दो चार नही,100करोड़ लोग हैं। जब आप इतने सारे हिन्दुओ को प्रिविलेज नही दे सकते, तो शेष को डिस्क्वालिफाई कर दो।वो निम्नता का अहसास कराया,तो हिन्दुओ को
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उच्चता का अहसास स्वतःहो जाएगा
यह तरीका काम कर गया है।धर्म की रक्षा,हिन्दू की उच्चता,औऱ भाजपाको वोट करना सिनोनिम बन गया है।मुसलमान का परसिक्यूशन,एब्यूज इसका मीटरहै
पर इसमेभी समस्याहै
मुसलमान हर जगह नही।क्रिश्चियन भी बड़े सीमितहै।अगला बड़ा समुदाय सिख है।वहां भी इलेक्शन होतेहैं।
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तो किसान आंदोलनके वक्त हम ट्रेलर देखचुके थे।अब उनके धर्मस्थलों पर बेअदबीकी घटनाओंकी पिक्चर देख रहे हैं।आगे जोहोगा, उससे हिन्दू वोट कंसॉलिडेट होगा
जीहां।मैं कह रहाहूँ,कि मुसलमानके बाद,गिल्टी प्लेजरका अगला निशाना सिख हैं।फिर हर उस कम्युनिटीका नम्बरहै,जो किसी इलाकेमें अल्प संख्यामें
हो,और वहाँ, वोट के हिसाब से इग्नोर कीजा सके।
वो शिकार बनेगी
इस गिल्टी प्लेजरको हम सार्वजनिक जीवनकी अनिवार्य शर्त बनाते जारहे हैं।हम कांग्रेस, तृणमूल,वाम से पूछ रहेहैं कि वे भी मुस्लिम विरोधी क्यो नही??क्योकि विरोधी नही होना, तो समर्थक होना है।और मुसलमानका समर्थक होना पापहै
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इसलिए पुण्य कमाना है- तो भाजपा को वोट दो।
दूसरो को सताना हो, तो भाजपा को वोट दो। हम मौजमस्ती करें, और हमारे बिहाफ में हमारी सरकार पूजा पाठ करती रहे, इसके लिए भाजपा को वोट दो।
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अब आप समझ गए, कि सारे अधर्मियों को सरकारी हिंदुत्व क्यो चाहिए।
11 @BramhRakshas
चौबेजी को मैं पांडे जी के घर ले गया।
चौबे जी के लड़केकी शादी की बात पांडे जी की लड़की से चल रही थी।
हम पांडे जी के घर के बरामदे में बैठे थे। लड़की चाय-नाश्ता दे गई थी।चौबे जी ने उसे देख लिया था। पांडे जी का पैतृक मकान था।वह शहर के पुराने मुहल्ले में था।गंदा मुहल्ला था।बरामदे से
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कचरे के ढेर दिख रहे थे। आसपास सूअरों की कतारें घूम रही थीं।
चौबे जी यह देख रहे थे और उन्हें मतली-सी आ रही थी। वे बोले- हॉरीबल! इस कदर सूअर घूमते हैं, घर के आसपास!
बाकी बातें मुझे करनी थीं। हम लौटे। चौबे जी से मैं दो-तीन दिन बाद मिला। उन्होंने कहा- भई, लड़की ताे बहुत अच्छी है।
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मगर पांडे का घर बहुत गंदी जगह परहै।सूअर आसपास घूमते हैं।हॉरीबल!
मैंने कहा-मगर आपको उस घरसे क्या करना है?आपकोतो लड़की ब्याह कर लानीहै।
चौबेजी ने कहा-मगर क्या लड़का ससुराल नहीं जाएगा?या मैं समधीसे कोई संबंध नहीं रखूंगा? मैं सबसे ज्यादा इस सूअरसे नफरत करताहूं। आई हेट दीज़ पिग्ज़।
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जब मोदी व शाह ने टेनी,केशव प्रसाद मौर्या और अरविंद शर्मा के माध्यमसे योगी पर शातिराना हमले करने शुरू किएतो उसका कुछ न कुछ नतीजा निकलना ही था।अब योगी आदित्यनाथने अपने चेलेको गुजरातमे न केवल लांच कर दिया है बल्कि ट्विटर पर ट्रेंड कर दियाहै।
ट्वीटर पर ट्रेंड कर रहा'गुजरात का योगी"1
दरअसल और कोई नही योगीका चेला देबनाथ है।नाथ संप्रदाय से संबंध रखनेवाला योगी देवनाथ उत्तर प्रदेशके मुख्यमंत्रीका गुरुभाईहै। योगी देवनाथका गुजरातके कच्छ जिलेमें अच्छा-खासा प्रभावहै।इतनाही नहीं कच्छ जिले की रापर विधानसभा क्षेत्रसे योगी देवनाथको अगले विधानसभा चुनावमें उतारनेकी अटकलें2
भी लगाई जा रही हैं।
आपको बता दें देबनाथ गुजरात में हिंदू युवा वाहिनी के प्रभारी होने के साथ-साथ कच्छ संत समाज का अध्यक्ष हैं और अखिल भारतीय साधु समाज का सदस्य हैं। करीब 25 बरस से भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़ा देबनाथ एकलधाम आश्रम का महंथ भी हैं।
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आजकल बच्चे दसवीं,बारहवीं कक्षाकी छमाही परीक्षा का एक पर्चा दे रहे थे ,कुछ बच्चों ने पर्चा पूरा कर लिया था।अभी पर्चे का समय समाप्त नहीं हुआ है,इसलिए निरीक्षक अध्यापिका उन बच्चों,जिन्होंने पर्चा पूरा करके उत्तर पुस्तिका अपनी बेंचपर रख दीहै
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को एक-एक पोस्टकार्ड देकर कहती है,"हमारे प्रधानमंत्रीने जो संघर्ष किये हैं,उन्हें इस पोस्टकार्डपर लिखिए.ये पोस्टकार्डPMOकी एक दीवारपर लगाए जाएगे"
मेरेदोस्त की बेटी भी उस कक्षामें बैठीहै और अपना पर्चा पूरा कर चुकीहै.परन्तु जैसेही निरीक्षक अध्यापिका उसके पास पोस्टकार्ड देनेके लिएआई
तो उसने बेंच पर रखी उत्तर पुस्तिकाको उठाते हुएकहा,"मैम, मुझे कुछ याद आ गयाहै, इसलिएमैं पेपर चेक करुँगी"
दोस्तकी बेटीने घर आकर पोस्टकार्ड वाली बात बताई और कहा,"मैंने जानभूझकर पोस्टकार्ड नहींलिया.क्या लिखती प्रधानमंत्रीके संघर्षके बारे,उन्होंने कुछ किया तोहै नहीं."
इस घटना से
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2020-21 में भी दो लाख करोड़ से अधिक की रकम राइट ऑफ कर उद्योगपतियों को सीधा फायदा पुहंचाया गया मोदी सरकार द्वारा......
इंडियन एक्सप्रेस ने कल खबर दी है कि मार्च 2021 को समाप्त हुए वित्त वर्ष में बैंकों ने 2,02,781 करोड़ रुपये के बुरे ऋणों को बट्टे खाते में डाल दिया......
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मोदी सरकार के कार्यकाल में हर साल लाखो करोड़ बट्टे खाते में डाले गए हैं ..
2016-17 में 1,08,373करोड़
2017-18 में 1,61,328करोड़ रुपये
2018-19 में 2,36,265करोड़ रुपये
2019-20 में 2,34,170करोड़ रुपये, ओर इस साल
2020-21में2,02,781करोड़ रुपये
लगातार पिछले तीन सालों से2लाख करोड़ से
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अधिक की रकम बट्टे खातेमें डाली गयीहै, लेकिन यदि आप पूछेंगे कि ये कौनसे उद्योगपतिहै जो इतनी अधिक रकम डुबारहेहैं तो कोई जवाब नही दिया जाएगा
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कुल10.72 लाख करोड़ रुपये का राइट-ऑफ वित्तीय वर्ष 2014-15के बाद से हुआ है जब नरेंद्र मोदी सरकारने सत्ता संभालीथी
'झूठ ओर फरेबकी बुनियाद पर खड़ा नया भारत'
जुलाई2017में नीति आयोग की मीटिंग में देश के सभी मुख्यमंत्रियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि"2022का नया भारत जनता का संकल्प"है.यानी यह वादा किया गया था कि2022तक नया भारत'न्यू इंडिया'बनाना है,
2022शुरू होने में महज17दिन बचे हैं
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अपने आसपास जरा नजर दौड़ा कर देखिए आपको क्या बदलता हुआ नजर आता है?..कौन सा'न्यू इंडिया'आपको नजर आ रहा है?
पोस्ट के साथ जो आपको कोलाज नजर आ रहा है यह उन खबरों की हेडलाइन से बना है जिनके वादे मोदी जी ने देशकी जनतासे किये थे,हालांकि यह वादे2019के लिए किए गएथे लेकिन बेहद खूबसूरतीके
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साथ इन वादों को पूरा करने का लक्ष्य 2022 कर दिया गया ..
जैसे, 2017 में प्रधानमंत्री द्वारा यह वादा किया गया कि '2022 तक हिंदुस्तान के हर परिवार के पास अपना पक्का घर होगा। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्र में 3 करोड़ और शहरी क्षेत्र में 1 करोड़ घरों के निर्माण का संकल्प लिया गया है।
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सीताजी की सुंदरता का वर्णन नहीं हो सकता, क्योंकि बुद्धि बहुत छोटी है। श्री रामचन्द्रजी को देखकर तो सभी कृतकृत्य हो गए। राजा दशरथजी पुत्रों सहित हर्षित हुए। उनके हृदय में जितना आनंद था, वह कहा नहीं जा सकता।
सीताजी मंडप में आईं।
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मुनिराज बहुत ही आनंदित होकर शांतिपाठ पढ़ रहे हैं। देवताओं की पूजा कराके मुनियों ने सीताजी को सुंदर सिंहासन दिया।
श्री सीताजी और श्री रामजी का आपस में एक-दूसरे को देखना तथा उनका परस्पर का प्रेम, किसी को दिख नहीं पड़ रहा है, जो बात श्रेष्ठ मन, बुद्धि और वाणी से भी परे है।
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कुलों के गुरु वर और कन्या की हथेलियों को मिलाकर शाखोच्चार करने लगे। पाणिग्रहण हुआ देखकर ब्रह्मादि देवता, मनुष्य और मुनि आनंद में भर गए।
वर और कन्या सुंदर भाँवरें दे रहे हैं। सब लोग उन्हें देखकर नेत्रों का परम लाभ ले रहे हैं। मुनियों ने आनंदपूर्वक भाँवरें फिराईं और नेग सहित सब
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