आजकल बच्चे दसवीं,बारहवीं कक्षाकी छमाही परीक्षा का एक पर्चा दे रहे थे ,कुछ बच्चों ने पर्चा पूरा कर लिया था।अभी पर्चे का समय समाप्त नहीं हुआ है,इसलिए निरीक्षक अध्यापिका उन बच्चों,जिन्होंने पर्चा पूरा करके उत्तर पुस्तिका अपनी बेंचपर रख दीहै
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को एक-एक पोस्टकार्ड देकर कहती है,"हमारे प्रधानमंत्रीने जो संघर्ष किये हैं,उन्हें इस पोस्टकार्डपर लिखिए.ये पोस्टकार्डPMOकी एक दीवारपर लगाए जाएगे"
मेरेदोस्त की बेटी भी उस कक्षामें बैठीहै और अपना पर्चा पूरा कर चुकीहै.परन्तु जैसेही निरीक्षक अध्यापिका उसके पास पोस्टकार्ड देनेके लिएआई
तो उसने बेंच पर रखी उत्तर पुस्तिकाको उठाते हुएकहा,"मैम, मुझे कुछ याद आ गयाहै, इसलिएमैं पेपर चेक करुँगी"
दोस्तकी बेटीने घर आकर पोस्टकार्ड वाली बात बताई और कहा,"मैंने जानभूझकर पोस्टकार्ड नहींलिया.क्या लिखती प्रधानमंत्रीके संघर्षके बारे,उन्होंने कुछ किया तोहै नहीं."
इस घटना से
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ये सवाल उठते हैं
1.किसके निर्देश और किसके खर्चे पर बच्चोंसे ये पोस्टकार्ड भरवाए जा रहें हैं?आखिर इसकी केया जरूरत पड़ गई?
2.कितने स्कूलोंमें यह अभियान चलायाजा रहा है?
3.क्या सचमें इन पोस्टकार्डकोPMOकी किसी दीवारपर लगाया जाएगा या पोस्टकार्डसे मोदी की वर्तमान लोकप्रियता
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3. क्या सच में इन पोस्टकार्ड को PMO की किसी दीवार पर लगाया जायेगा या पोस्टकार्ड से मोदी की वर्तमान लोकप्रियता आंकने की कोशिश की जा रही है ?
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एक मजेदार ऑब्जर्वेशन है,महसूस कीजिएगा। अधिकांश भाजपा प्रेमी धार्मिक नही हैं। वो मांसाहार करते हैं,पब जाते है,शराब पीते है, पोर्न शेयर करते हैं,सीडी वीडी बनवाते रहते हैं। वैष्णो देवी और तिरुपति का तीर्थाटन,असल मे दोस्तोंके साथ हैंग आउट
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और छुट्टी पर्यटन का बहाना होताहै।
इनमे से किसी ने पुराण,वेद,गीता,धर्मशास्त्र का अध्ययन नही किया।गणेश पंडाल,या कांवर उत्सव में उन्मत्त नाचने के अलावे,दैनिक पूजन पाठ भी नही करते।चार श्लोक याद नही,उनके अर्थ जानना तो दूरकी बात है।
लेकिन इसकी जरूरत भी नही।क्योकि धर्मका पूरा सबाब,
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एक ढोंगी नौटंकीबाज को वोट देकर पूरा हो जाता है। पांच साल के लिए अपना धर्म इन्होंने समूची सरकार बनाकर आउटसोर्स किया हुआ है।
अतएव प्रधानमंत्री को मन्दिर में देखकर खुश होते हैं। मुख्यमंत्री को घण्ट डुलाते देख चरमसुख पाते हैं। इसके बाद पलटकर निजी चरमसुखों में डूब जाते है।
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2020-21 में भी दो लाख करोड़ से अधिक की रकम राइट ऑफ कर उद्योगपतियों को सीधा फायदा पुहंचाया गया मोदी सरकार द्वारा......
इंडियन एक्सप्रेस ने कल खबर दी है कि मार्च 2021 को समाप्त हुए वित्त वर्ष में बैंकों ने 2,02,781 करोड़ रुपये के बुरे ऋणों को बट्टे खाते में डाल दिया......
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मोदी सरकार के कार्यकाल में हर साल लाखो करोड़ बट्टे खाते में डाले गए हैं ..
2016-17 में 1,08,373करोड़
2017-18 में 1,61,328करोड़ रुपये
2018-19 में 2,36,265करोड़ रुपये
2019-20 में 2,34,170करोड़ रुपये, ओर इस साल
2020-21में2,02,781करोड़ रुपये
लगातार पिछले तीन सालों से2लाख करोड़ से
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अधिक की रकम बट्टे खातेमें डाली गयीहै, लेकिन यदि आप पूछेंगे कि ये कौनसे उद्योगपतिहै जो इतनी अधिक रकम डुबारहेहैं तो कोई जवाब नही दिया जाएगा
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कुल10.72 लाख करोड़ रुपये का राइट-ऑफ वित्तीय वर्ष 2014-15के बाद से हुआ है जब नरेंद्र मोदी सरकारने सत्ता संभालीथी
'झूठ ओर फरेबकी बुनियाद पर खड़ा नया भारत'
जुलाई2017में नीति आयोग की मीटिंग में देश के सभी मुख्यमंत्रियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि"2022का नया भारत जनता का संकल्प"है.यानी यह वादा किया गया था कि2022तक नया भारत'न्यू इंडिया'बनाना है,
2022शुरू होने में महज17दिन बचे हैं
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अपने आसपास जरा नजर दौड़ा कर देखिए आपको क्या बदलता हुआ नजर आता है?..कौन सा'न्यू इंडिया'आपको नजर आ रहा है?
पोस्ट के साथ जो आपको कोलाज नजर आ रहा है यह उन खबरों की हेडलाइन से बना है जिनके वादे मोदी जी ने देशकी जनतासे किये थे,हालांकि यह वादे2019के लिए किए गएथे लेकिन बेहद खूबसूरतीके
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साथ इन वादों को पूरा करने का लक्ष्य 2022 कर दिया गया ..
जैसे, 2017 में प्रधानमंत्री द्वारा यह वादा किया गया कि '2022 तक हिंदुस्तान के हर परिवार के पास अपना पक्का घर होगा। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्र में 3 करोड़ और शहरी क्षेत्र में 1 करोड़ घरों के निर्माण का संकल्प लिया गया है।
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सीताजी की सुंदरता का वर्णन नहीं हो सकता, क्योंकि बुद्धि बहुत छोटी है। श्री रामचन्द्रजी को देखकर तो सभी कृतकृत्य हो गए। राजा दशरथजी पुत्रों सहित हर्षित हुए। उनके हृदय में जितना आनंद था, वह कहा नहीं जा सकता।
सीताजी मंडप में आईं।
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मुनिराज बहुत ही आनंदित होकर शांतिपाठ पढ़ रहे हैं। देवताओं की पूजा कराके मुनियों ने सीताजी को सुंदर सिंहासन दिया।
श्री सीताजी और श्री रामजी का आपस में एक-दूसरे को देखना तथा उनका परस्पर का प्रेम, किसी को दिख नहीं पड़ रहा है, जो बात श्रेष्ठ मन, बुद्धि और वाणी से भी परे है।
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कुलों के गुरु वर और कन्या की हथेलियों को मिलाकर शाखोच्चार करने लगे। पाणिग्रहण हुआ देखकर ब्रह्मादि देवता, मनुष्य और मुनि आनंद में भर गए।
वर और कन्या सुंदर भाँवरें दे रहे हैं। सब लोग उन्हें देखकर नेत्रों का परम लाभ ले रहे हैं। मुनियों ने आनंदपूर्वक भाँवरें फिराईं और नेग सहित सब
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खब्बू तिवारी के साथ अत्याचार हुआ है। उत्तरप्रदेश के गोसाईगंज सीट से भाजपा विधायक, हम सबके दुलारे खब्बू भैया की विधायकी, जाली मार्कशीट देकर अपनी झूठी शैक्षणिक योग्यता बताने के कारण रद्द कर दी गयी है। ये खब्बू भाई नही, ये गोसाईगंज की जनता का अपमान है।
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पहली बात तो यह है कि गोसाईगंज की जनता ने खब्बू की पढ़ाई लिखाई देखकर वोट ही नहीं किया। खब्बू उर्फ इंद्र प्रताप तिवारी, जात से ब्राह्मण है। इत्ता काफी है। जात देखकर चुनाव होता है, तो पढ़ाई के नाम पर निर्वाचन रद्द कैसे??
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और खब्बू अनपढ़ हो, हमारी बला से। लेहरू का बनाया सम्विधान
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अनपढ़ों को भी चुनाव लड़ने,मंत्री,मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बनने की इजाजत देता है। लिखाई-पढाई-डिग्री की जरूरत बाबू-चपरासी बनने के लिए होती है भाई साब..विधायक बनने को नही।यह फैसला गैर समवैधानिक है।
लोग कह रहे हैं,lकी खब्बू जी अनपढ़ है,तो वही बताते। मने जाली डिग्री जमा क्यो की।
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कटरीना सलमान से बेपनाह मोहब्बत करती थी।यहाँ तक की उसके घरमें रहने भी लगी थी। लेकिन सबकुछ ठीकठाक रहने के बावजूद भी एक बातपे दोनों में नहीं बनतीथी।
आखिरकार वो दोनों अलग होही गए।
फिर कटरीनाकी जिंदगी में रणबीर कपूर आया।दोनोंका समुद्री तट पर वाला फोटोभी खूब वायरल हुआ,घर आना-जाना
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भी शुरू हुआ दोनों तरफ से रजामंदी भी हो गई लेकिन इनदोनों में भी एक बात लेकर नहीं बनी।
आखिरकार ये दोनों भी अलग हो गए।
फिर विक्की कौशल की एंट्री हुई कटरीना की जिंदगी में।
दो साल दोनों की गूलू गूलू चली।बात अब शादी तक आ पहुँची है।
लेकिन इस बार कटरीना ने उस बातके लिए विक्की को
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पहले ही मना लिया जिस बात के लिए वो अपने दोनों पूर्वप्रेमियों से अलग हो गई थी।
अब आपलोगों के मन में खटक रहा होगा कि आखिर वो बात क्या थी, जिसके कारण कटरीना को अपना प्यार कुर्बान करना पड़ा?
जबकि विक्की से खुशी खुशी ब्याह रचा रही है। तो सुनो!
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