18पुत्र,22 रानियां, 52 पोते पोती शय्या के इर्द गिर्द हाथ बांधे खड़े थे।शोक का वातावरणथा। पण्डित कानो में श्लोक पढ़ रहा था।गंगाजल मंगा लिया गया।राजा साहबकी नब्ज गिरती जा रही ही।हकीमने जवाब दे दियाथा।
जब उम्मीद टूटनेलगी तो राजा साहबको शय्यासे
1
उठाकर भूमि पर लिटा दिया गया।मुंह मे गंगाजल डाला जाने लगा।महिलाएं रो रही थी। बाहर दरबारी हाथ बांधे खड़े थे। अर्थी तैयार की जाने लगी।किसी भी समय सांसों की डोर टूट जाती।
राजा साहब से मुंह का गंगाजल भी निगला न जा रहा था,मुंह की कोर से बहकर तकिए पर गिर रहाथा।तभी उनके होठ फड़फड़ाये
2
सुनना कठिन था।प्रमुख अमात्य ने झुककर होठों से कान लगाये।सुनने की कोशिश की। कपकपाते होठों से निकली आवाज बड़ी मुश्किल से समझ सके - "शादी करूँगा"
"राजकुमारी नागफनी से शादी करूँगा"
--
फिलहाल हरीश रावत को देख रहे है। इसके पहले गुलाम नबी आजाद,भूपिंदर हुडा, कैप्टन अमरिंदर, कमलनाथ,
3
दिग्विजयसिंह जैसे कांग्रेसके नेताओ को भी देखचुके।सभीका एक लम्बा,सफल करियर रहा है।तकरीबन सभीको जिंदगी में भरपूर मौका ,इज्जत, पद मिले हैं।सत्ता में रहते हुए चुनाव हारकर अपने अपने राज्य खो बैठेहै।
सारे पचहत्तर पचासीकी उम्र में राज्यसभा या मुख्यमंत्री या प्रदेशाध्यक्ष बननेके लिए,
4
या किसी तरह सत्ता में ज्यादा हिस्सेदारी के लिए,पार्टी की खाद खोदने को तैयारहैं।
इन्हें देखकर,हरिशंकर परसाई की अमर कथा " रानी नागफनी की कहानी"का मरणासन्न निर्बलसिंह,बरबस याद आ जाता है।
मजे की बात की पार्टी के क्षत्रप और लॉयलिस्ट कहलाते हैं। इसमेसे कितने अंदरखाने में सेट हैं
5
पार्टी को अवश्य पता होगा।
बतौर प्रदेशाध्यक्ष चुनाव जीतने जितवानेमें असफल ज्योतिरादित्य ने बरसों अपने महलमें एक सुरंग बनाये रखी,जो भाजपा मुख्यालय में खुलती थी।89 साल के अमरिंदर ने सीएम कुर्सी से हटने के तीन माह के भीतर भीतर निजी पार्टी बनाकर भाजपा के साथ पार्टनरशिप जमा ली है।
6
अब ये कोई लगाव नया नया नही होगा, पुराने पोशीदा सम्बंध खुल कर आये हैं।
पैदाइश से अब तक स्थायी केंद्रीय मंत्री, और मुख्यमंत्री रहे गुलाम नबी आजाद भी छदाम भर की राज्यसभा सीट के लिए टसुए बहा रहे हैं, प्रधानसेवक उन्हें सीने से लगाकर सहला रहे हैं। अब बुढ़ापे में पार्टी कांग्रेस और
7
अपनी मट्टी पलीद करेंगे।
गहलोत और वसुंधरा की जुगलबंदी जगजाहिर रही है। छतीसगढ में मरहूम जोगी और रमन का फिक्स मैच,दो दफे बीजेपी को सत्ता में लाया। कमलनाथ, गहलोत की तरफ़, (सुनते हैं) केंद्र में कांग्रेस अध्यक्ष का पद ऑफर किया जा चुका है। लेकिन दिल्ली का मोर्चा उठाने की हिम्मत नही।
8
भोपाल और जयपुर के दूल्हा बनने को मौर पहनकर चले आतेहैं।
आलसी दिग्विजय ने गोवा मे सरकार प्लेट मे रखकर भाजपा को सौंप दी। एमपी को अपने लड़के के फेर मे सर्वनाश करने पर तुले है।हुड्डा काम के हैं लेकिन शर्ते मनमर्जी की हैं।ऐसे कमल छाप कांग्रेसी, सिरे से लतियाये जाने चाहिए। जिंदगी भर
9
कांग्रेस की खाकर, कांग्रेस की जड़ खोदने वाले इन सो कॉल्ड लायलिस्टों से जितनी जल्दी हो सके पीछा छुड़ाया जाये।
--
कांग्रेस का जितना भट्ठा बैठना है, बैठ चुका है। समय आल आउट वॉर का है, जहाँ राज्यसभा और मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्ष की राजनीति करने वाले, सड़क पर कांग्रेस को रिजुवनेट
10
नहीं कर सकते।पब्लिक भी इन्हें देख देखकर ऊब चुकी।
सारे निर्बलसिंह जो मरने से इनकार कर रहे हैं, अब एक साथ दाह संस्कार को रवाना कर दिये जायें। उम्र और दौर का तकाजा इन्हें समझ नही आता,मृत्युशय्या पर अस्फुट स्वर में अंतिम इच्छा व्यक्त कर रहे हैं
"मुख्यमंत्री बनूंगा"
11 @BramhRakshas
चौबेजी को मैं पांडे जी के घर ले गया।
चौबे जी के लड़केकी शादी की बात पांडे जी की लड़की से चल रही थी।
हम पांडे जी के घर के बरामदे में बैठे थे। लड़की चाय-नाश्ता दे गई थी।चौबे जी ने उसे देख लिया था। पांडे जी का पैतृक मकान था।वह शहर के पुराने मुहल्ले में था।गंदा मुहल्ला था।बरामदे से
1
कचरे के ढेर दिख रहे थे। आसपास सूअरों की कतारें घूम रही थीं।
चौबे जी यह देख रहे थे और उन्हें मतली-सी आ रही थी। वे बोले- हॉरीबल! इस कदर सूअर घूमते हैं, घर के आसपास!
बाकी बातें मुझे करनी थीं। हम लौटे। चौबे जी से मैं दो-तीन दिन बाद मिला। उन्होंने कहा- भई, लड़की ताे बहुत अच्छी है।
2
मगर पांडे का घर बहुत गंदी जगह परहै।सूअर आसपास घूमते हैं।हॉरीबल!
मैंने कहा-मगर आपको उस घरसे क्या करना है?आपकोतो लड़की ब्याह कर लानीहै।
चौबेजी ने कहा-मगर क्या लड़का ससुराल नहीं जाएगा?या मैं समधीसे कोई संबंध नहीं रखूंगा? मैं सबसे ज्यादा इस सूअरसे नफरत करताहूं। आई हेट दीज़ पिग्ज़।
3
जब मोदी व शाह ने टेनी,केशव प्रसाद मौर्या और अरविंद शर्मा के माध्यमसे योगी पर शातिराना हमले करने शुरू किएतो उसका कुछ न कुछ नतीजा निकलना ही था।अब योगी आदित्यनाथने अपने चेलेको गुजरातमे न केवल लांच कर दिया है बल्कि ट्विटर पर ट्रेंड कर दियाहै।
ट्वीटर पर ट्रेंड कर रहा'गुजरात का योगी"1
दरअसल और कोई नही योगीका चेला देबनाथ है।नाथ संप्रदाय से संबंध रखनेवाला योगी देवनाथ उत्तर प्रदेशके मुख्यमंत्रीका गुरुभाईहै। योगी देवनाथका गुजरातके कच्छ जिलेमें अच्छा-खासा प्रभावहै।इतनाही नहीं कच्छ जिले की रापर विधानसभा क्षेत्रसे योगी देवनाथको अगले विधानसभा चुनावमें उतारनेकी अटकलें2
भी लगाई जा रही हैं।
आपको बता दें देबनाथ गुजरात में हिंदू युवा वाहिनी के प्रभारी होने के साथ-साथ कच्छ संत समाज का अध्यक्ष हैं और अखिल भारतीय साधु समाज का सदस्य हैं। करीब 25 बरस से भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़ा देबनाथ एकलधाम आश्रम का महंथ भी हैं।
3
एक मजेदार ऑब्जर्वेशन है,महसूस कीजिएगा। अधिकांश भाजपा प्रेमी धार्मिक नही हैं। वो मांसाहार करते हैं,पब जाते है,शराब पीते है, पोर्न शेयर करते हैं,सीडी वीडी बनवाते रहते हैं। वैष्णो देवी और तिरुपति का तीर्थाटन,असल मे दोस्तोंके साथ हैंग आउट
1
और छुट्टी पर्यटन का बहाना होताहै।
इनमे से किसी ने पुराण,वेद,गीता,धर्मशास्त्र का अध्ययन नही किया।गणेश पंडाल,या कांवर उत्सव में उन्मत्त नाचने के अलावे,दैनिक पूजन पाठ भी नही करते।चार श्लोक याद नही,उनके अर्थ जानना तो दूरकी बात है।
लेकिन इसकी जरूरत भी नही।क्योकि धर्मका पूरा सबाब,
2
एक ढोंगी नौटंकीबाज को वोट देकर पूरा हो जाता है। पांच साल के लिए अपना धर्म इन्होंने समूची सरकार बनाकर आउटसोर्स किया हुआ है।
अतएव प्रधानमंत्री को मन्दिर में देखकर खुश होते हैं। मुख्यमंत्री को घण्ट डुलाते देख चरमसुख पाते हैं। इसके बाद पलटकर निजी चरमसुखों में डूब जाते है।
~~~~
3
आजकल बच्चे दसवीं,बारहवीं कक्षाकी छमाही परीक्षा का एक पर्चा दे रहे थे ,कुछ बच्चों ने पर्चा पूरा कर लिया था।अभी पर्चे का समय समाप्त नहीं हुआ है,इसलिए निरीक्षक अध्यापिका उन बच्चों,जिन्होंने पर्चा पूरा करके उत्तर पुस्तिका अपनी बेंचपर रख दीहै
1
को एक-एक पोस्टकार्ड देकर कहती है,"हमारे प्रधानमंत्रीने जो संघर्ष किये हैं,उन्हें इस पोस्टकार्डपर लिखिए.ये पोस्टकार्डPMOकी एक दीवारपर लगाए जाएगे"
मेरेदोस्त की बेटी भी उस कक्षामें बैठीहै और अपना पर्चा पूरा कर चुकीहै.परन्तु जैसेही निरीक्षक अध्यापिका उसके पास पोस्टकार्ड देनेके लिएआई
तो उसने बेंच पर रखी उत्तर पुस्तिकाको उठाते हुएकहा,"मैम, मुझे कुछ याद आ गयाहै, इसलिएमैं पेपर चेक करुँगी"
दोस्तकी बेटीने घर आकर पोस्टकार्ड वाली बात बताई और कहा,"मैंने जानभूझकर पोस्टकार्ड नहींलिया.क्या लिखती प्रधानमंत्रीके संघर्षके बारे,उन्होंने कुछ किया तोहै नहीं."
इस घटना से
3
2020-21 में भी दो लाख करोड़ से अधिक की रकम राइट ऑफ कर उद्योगपतियों को सीधा फायदा पुहंचाया गया मोदी सरकार द्वारा......
इंडियन एक्सप्रेस ने कल खबर दी है कि मार्च 2021 को समाप्त हुए वित्त वर्ष में बैंकों ने 2,02,781 करोड़ रुपये के बुरे ऋणों को बट्टे खाते में डाल दिया......
1
मोदी सरकार के कार्यकाल में हर साल लाखो करोड़ बट्टे खाते में डाले गए हैं ..
2016-17 में 1,08,373करोड़
2017-18 में 1,61,328करोड़ रुपये
2018-19 में 2,36,265करोड़ रुपये
2019-20 में 2,34,170करोड़ रुपये, ओर इस साल
2020-21में2,02,781करोड़ रुपये
लगातार पिछले तीन सालों से2लाख करोड़ से
2
अधिक की रकम बट्टे खातेमें डाली गयीहै, लेकिन यदि आप पूछेंगे कि ये कौनसे उद्योगपतिहै जो इतनी अधिक रकम डुबारहेहैं तो कोई जवाब नही दिया जाएगा
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कुल10.72 लाख करोड़ रुपये का राइट-ऑफ वित्तीय वर्ष 2014-15के बाद से हुआ है जब नरेंद्र मोदी सरकारने सत्ता संभालीथी
'झूठ ओर फरेबकी बुनियाद पर खड़ा नया भारत'
जुलाई2017में नीति आयोग की मीटिंग में देश के सभी मुख्यमंत्रियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि"2022का नया भारत जनता का संकल्प"है.यानी यह वादा किया गया था कि2022तक नया भारत'न्यू इंडिया'बनाना है,
2022शुरू होने में महज17दिन बचे हैं
1
अपने आसपास जरा नजर दौड़ा कर देखिए आपको क्या बदलता हुआ नजर आता है?..कौन सा'न्यू इंडिया'आपको नजर आ रहा है?
पोस्ट के साथ जो आपको कोलाज नजर आ रहा है यह उन खबरों की हेडलाइन से बना है जिनके वादे मोदी जी ने देशकी जनतासे किये थे,हालांकि यह वादे2019के लिए किए गएथे लेकिन बेहद खूबसूरतीके
2
साथ इन वादों को पूरा करने का लक्ष्य 2022 कर दिया गया ..
जैसे, 2017 में प्रधानमंत्री द्वारा यह वादा किया गया कि '2022 तक हिंदुस्तान के हर परिवार के पास अपना पक्का घर होगा। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्र में 3 करोड़ और शहरी क्षेत्र में 1 करोड़ घरों के निर्माण का संकल्प लिया गया है।
3