21 दिसम्बर सन सत्रह सौ चार...
छह महीने से पड़े मुगलों के घेरे को तोड़ कर अपनी चार सौ की फौज के साथ गुरु गोविन्द सिंह निकल गए थे। वहाँ से निकलने के बाद सबको सिरसा नदी को पार करना था। जाड़े की भीषण बरसात के कारण उफनती हुई नदी, और रात की बेला! आधे से अधिक लोगों को
नदी लील गयी। जो बचे वे तीन हिस्सों में बंट गए। एक हिस्से में गुरुजी की दोनों पत्नियां और कुछ सिक्ख, दूसरे हिस्से में दो छोटे साहबजादों के साथ गुरुजी की माता गुजरी देवी जी और तीसरे हिस्से में गुरुजी के साथ उनके दो बड़े साहबजादे और 40 और सिक्ख।
43 सिक्खों का काफिला
भागता दौड़ता एक छोटे से गाँव चमकौर पहुँचा और वहाँ एक कच्ची हवेली में शरण ली। उधर मुगल सेना को पता चला कि गुरुजी निकल गए तो पीछे दौड़ी। अगले दिन 22 दिसम्बर को मुगलों की फौज चमकौर में थी। बजीर खान की सरदारी में लाखों की फौज गुरुजी को जीवित या मृत पकड़ने के लिए पागल थी।
लाखों की मुगल सेना, 43 सिक्ख! भूल जाइए युद्ध को, बस इतना याद रखिये कि सिक्खों में 36 मरे और मुगलों में लगभग सब! आश्चर्य होगा न? आश्चर्य का नाम ही गुरु गोविंद सिंह जी था। मध्यकालीन भारत के हिन्दुओं ने जो जो किया है वह आश्चर्य ही है। हजारों सैनिकों के बीच में 5-5 सिक्खों का
जत्था निकलता था और लगभग सबको मार कर वलिदान होता था। 18 वर्ष के साहबजादे अजीत सिंह जी और 14 वर्ष के साहबजादे जुझार सिंह जी भी अपने जत्थों के साथ निकले और बिना घबड़ाये हजारों को काट कर स्वयं का बलिदान दे दिया। आसमान रो रहा था, और हवेली की छत से अपने बेटों के अद्भुत शौर्य देख
कर पिता गर्व से खिल रहा था।
जब केवल दस बचे थे तो सबने कहा, आप निकलिए गुरुजी! पंथ के लिए आपका निकलना आवश्यक है। लाशों के बीच निकलते भाई दया सिंह जी ने कहा, गुरुजी रुकिये! तनिक साहबजादे के शव को अपनी चादर से ढक दूँ।
गुरुजी ने कहा, तुम्हारे पास छत्तीस चादरें हैं?
अगर मेरे छत्तीस साहबजादों के शव पर चादर डाल सकते हो तो डाल दो, नहीं तो साहबजादे अजीत सिंह और जुझार सिंह के शव भी अन्य सिक्खों की तरह खाली ही रहेंगे।। इस मिट्टी को याद रहना चाहिए कि उसके लिए उसके बच्चों ने कैसी कुर्बानी दी है।
पाँच दिनों बाद गुरुजी को पता चला, माता
गुजरी के साथ गए दोनों छोटे साहबजादों को मुगलों ने पकड़ लिया था और वे सरहिंद के नवाब के यहाँ कैद थे...
बताया गया कि नवाब ने कचहरी में छोटे साहबजादों से बार-बार कहा, " धर्म बदल लो तो जान बख्स दी जाएगी... 7 वर्ष के जोरावर सिंह जी और 5 वर्ष के फतेह सिंह बार-बार उनकी बात
काट कर कहते रहे- जो बोले सो निहाल, सतश्री अकाल..." क्रुद्ध नवाब ने उन्हें एक ठंडे कमरे में कैद कर दिया, जहां उनके शरीर पर कोई कपड़ा भी नहीं था।
दोनों छोटे बच्चे नहीं टूटे तो अगले दिन उन्हें दीवाल में चुनवा देने का हुक्म दिया गया। दीवाल में चुनवाने का मतलब जानते हैं?
बच्चों को खड़ा कर उनके चारों तरफ मसाले से ईंट थाप दी गयी। बच्चे मरे पर डरे नहीं... दीवाल गर्दन तक पहुँची तबतक दोनों बेहोश हो गए थे। फिर उन्हें बाहर निकाल कर गला.... शायद वह 27 दिसम्बर था।
बड़े साहबजादों के बलिदान ने पिता की कमर तोड़ दी थी, छोटे साहबजादों के बलिदान ने
पिता का हृदय तोड़ दिया... सात दिनों के अंदर राष्ट्र के लिए अपने चारों बेटों की बलि दे चुके पिता देर तक शून्य में देखते रहे। किससे कहें, क्या कहें....
बहुत देर बात मुख से कुछ शब्द फूटे, " ईश्वर! तू देख रहा है न? तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा..."
*एक मुस्लिम कन्या द्वारा मोदी और योगी के बीच का अंतर बड़े रोचक तरीके से किया गया है।इसे जरूर पढ़िए।*🌹🌹🌹
*जोया मंसूरी केवल 21 वर्ष की हैं और वह एक बेहतरीन लेखिका हैं। यदि आप हिंदी में सहज हैं तो इस गद्य को पढ़ें। अपको पसंद आएगा!*
*कलियुग में श्रीराम और श्रीकृष्ण*🕉️
*जब मैं "जोया मंसूरी" को पढ़ता हूँ तो कई बार तो ये विश्वास ही नही होता कि ये पोस्ट एक 21 साल की लड़की ने लिखी है ....*
*राम यज्ञ से पैदा हुए थे, आकाश पुत्र थे। उनकी पत्नी सीता भूमि से पैदा हुई थी, भूमिजा थी, वन्य कन्या थी।
राम सारी उम्र अरण्य के पशुओं और ग्राम के मानवों को मॅनेज करने में लगे रहे, पशुओं को इंसान बनाते रहे। राम ग्राम वासी भी थे और वनवासी भी। राम शिव भक्त भी है इसलिए राम के फैसलो में, भाव में दिगम्बर परम्परा दिखती है। माँ के कहने पर राज्य त्याग दिया, आभूषण त्याग दिए,
"हमेशा योगी मुख्यमंत्री नहीं रहेगा। हमेशा मोदी प्रधानमंत्री नहीं रहेगा। तब कौन बचाने आएगा जब योगी अपने मठ में चले जाएंगे, मोदी पहाड़ों में चले जाएंगे?"
एक पुलिस वाले को ढाल बना कर ओवैसी ने निजाम-ए-मुस्तफा याद कराया है। कहा है, "अल्लाह अपनी ताकत से तुम्हें नेस्तनाबूद करेगा।"
मतलब फिलहाल योगी-मोदी के रहते अल्लाह की ताकत भी मुकाबला नहीं कर सकती। इस सत्य को स्वीकार ने के लिए ओवैसी को मेरा धन्यवाद रहेगा।
इसके बाद फिर समझाना चाहता हूं, असदुद्दीन ओवैसी को नहीं भूलना चाहिए मोदी और योगी महज एक स्थूल शरीर नहीं हैं, एक मानस विचार हैं।
विचार जो न कभी पहाड़ों में विसर्जित होता है और ना ही मठ की मर्यादा में बंधता है। विचार तो हृदय में धारण करने की चीज है। आज एक बहुमत भारत अपने हृदय में इस विचार को धारण कर लिया है।
मठ और पर्वत से निकले हुए विचार पुनः मठ और पर्वत को नहीं लौटते। समाज और राष्ट्र के कल्याण के लिए
जस्टिस चंद्रचूड़ जी,
एक बार ओवैसी की सुन लीजिये,
"असहिष्णुता" क्या होती है,
समझ आ जायेगा -
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने डाबर
के करवा चौथ के विज्ञापन पर पूरी
हिन्दू कौम को "असहिष्णु" कह दिया
था जिसकी वजह से कंपनी को अपना
विज्ञापन वापस लेना पड़ गया -
हिन्दू समुदाय को जलील करने वाले
डाबर ने अपने विज्ञापन में 2 समलैंगिक
शादी शुदा लड़कियों को करवा चौथ
का व्रत करते दिखाया था जैसे हिन्दुओं
की महिलाएं व्रत करती ही नहीं और
समलैंगिक लड़कियां ही हिंदुत्व की
की प्रतिनिधि हैं -इस पर ऐतराज को
चंद्रचूड़ जी ने करार दिया था --
"असहिष्णुता" है --
अब एक बार चंद्रचूड़ जी ओवैसी का
बयान सुन लें तो समझ आएगा कि
"असहिष्णुता" किस चिड़िया का नाम
है --
ओवैसी ने खुलेआम पुलिस वालों को
धमकी दे कर दरअसल पूरे हिन्दू
समाज को धमकी दी है कि मोदी
योगी हमेशा सत्ता में नहीं रहेंगे और
जब योगी मठ में और मोदी
2017 का पंजाब का विधानसभा चुनाव ......
याद है ?????
क्या जबरजस्त लहर थी AAP की और केजरू की ......
100 seat के दावे हो रहे थे ।
117 सीट में से 100 seat AAP जीतेगी ।
आपको याद होगा कि पंजाब में AAP के लिये माहौल बनाने का काम और Funding Canada , USA , UK , Europe ,
Australia और Newzealand में बैठे खालिस्तानी कर रहे थे ।
वहां इन्होंने बाकायदे office बना रखे थे ।
हर office में 10- 20 telecaller बैठा रखी थीं जो फोन करके वहां रह रही सिख Diaspora को Motivate करती थी कि पंजाब में बैठे अपने रिश्तेदारों को फोन करो कि
AAP के प्रचार में हिस्सा लें ।
विदेश में रह रहे हर NRI सिख से कहा गया कि अपने पंजाबी रिश्तेदारों भाई भतीजे को Activate करो ।
अब NRI चाचा ने अपने पंजाबी भतीजे को पहले तो लाख रु भेजा । फिर कहा कि गाड़ी निकाल , उसमे अपने 4 दोस्त बैठा और पंजाब में जहां भी
सवाल भी बड़े अजीब हो गए हैं ?
मतलब टीवी चैनल जन्य संस्कृति द्वारा उठाए जा रहे सवाल !
कुछ बानगी देखिये -
कानून वापसी से बीजेपी को चुनावी फायदा होगा कि नहीं ?
क्या राहुल को दरकिनार कर ममता अपने लिए जोड़ पाएंगी अखाड़ा ?
यूपी में प्रियंका को हासिल होंगे कितने प्रतिशत वोट ?
पंजाब में कैप्टन - ढींढसा - भाजपा गठबन्धन का फायदा - नुकसान कांग्रेस को या केजरीवाल को ?
उत्तराखण्ड में क्या धामी और हरीश रावत के चेहरों पर लड़े जाएँगे चुनाव ?
क्या राकेश टिकैत चुनाव तक वापस नहीं लौटेंगे ?
आप रोज ही सुनते होंगे ये सवाल । प्रायः हर टीवी चैनल पर यही
चकल्लसबाजी होती है । शाम 5 बजे से लेकर रात 9 बजे तक के कार्यक्रम जैसे भी हों , उनके शीर्षक बड़े तीखे होंगे । सांध्यकालीन बहसों के टाइटल बनाने वाले कुछ खास लोग सभी चैनलों के पास हैं । किसी भी चैनल पर चले जाइये , बहस में बैठे नेता वही होंगे । पार्टियों और चैनल्स की ओर से