सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (सीईएल) को एक अनजान सी कम्पनी नांदल फाइनेंस ने खरीद लिया है, जिंसमे केवल 10 कर्मचारी हैं। सीईएल की वास्तविक कीमत ₹1000 करोड़ से ₹1,600 करोड़ के बीच थी पर उसे मात्र ₹210 करोड़ में नंदल फाइनेंस बेच दिया गया है।
नंदल फाइनेंस को शारदा यूनिवर्सिटी वाले प्रदीप कुमार गुप्ता, प्रशांत कुमार गुप्ता मिलकर चला रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि सीईएल के पास नई दिल्ली के नजदीक एनसीआर में करीब 50 एकड़ की मुख्य जगह पर बेशकीमती जमीन है। पिछले पांच साल से कंपनी का मुनाफा लगातार बढ़ता जा रहा है।
2013-14 से हर साल उसका मुनाफा लगभग दोगुना हुआ है. साफ है कि सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड शानदार लाभ में चल रही हैं लेकिन इसके बावजूद उसे बेच दिया गया. (आज की तारीख में कम्पनी के पास ऑर्डर 1592 करोड़ के है)
जबकि सीईएल संस्थान को किसी ऐसे संस्थान में विलय किया जाना चाहिए था जो राष्ट्र सुरक्षा के हिसाब से रणनीतिक उत्पादों का निर्माण कर रहा हो (BEL या HAL). लेकिन ऐसा नहीं किया गया और उसे बेच दिया गया इस सौदे से देश की सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है...
CEL कम्पनी जो भारत के रक्षा ओर अंतरिक्ष विभाग के लिए विभिन्न उपकरण, कल-पुर्जों, मिसाइल प्रणालियों में लगने वाले उपकरण, स्वाति और राजेन्द्र राडार के लिए इस्तेमाल होने वाले कैडमियम जिंक टेल्यूरियम के लिए सब्सट्रेट बनाती है औऱ ₹3500 करोड़ के आयात शुल्क बचा चुकी है।
• • •
Missing some Tweet in this thread? You can try to
force a refresh
वे चुप रहे, जब गलवां घाटी में 20 सैनिक कर्नल संतोष बाबू के नेतृत्व में चीनी सैनिकों के हाथों शहीद हो गए और इस शहादत के 4 दिन बाद ही चीनी घुसपैठ को लगभग नकारते हुये कह दिया कि, न तो कोई आया था और न आया है।
● वे चुप रहे, जब सैकड़ों कामगार, लॉक डाउन कुप्रबंधन के कारण, हज़ारों किलोमीटर पैदल सड़क पर घिसटते हुये मर गए।
● वे चुप रहे, यह घोषणा करने के बाद भी, लॉक डाउन के दौरान कामगारों को वेतन मिलेगा, लेकिन सरकार के ही वकील अदालत में कामगारों के बजाय पूंजीपतियों की तरफ खड़े नजर आए।
● वे चुप रहे, जब नोटबन्दी की लाइन में खड़े खड़े 150 लोग मर गए और इस पर संवेदना दिखाना तो दूर, 'घर मे शादी है, पैसे नहीं है,' का निर्लज्ज शायलाकीय भंगिमा और बयान, याद करें।
● वे चुप रहे जब, कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जब गंगा शव वाहिनी बन गयी और लोग ऑक्सीजन से तड़प कर मरते रहे।
नयी पेंशन नीति, NPS के अंतर्गत यदि आप रिटायर्ड होने पर प्रतिमाह मात्र 5000 रु पेंशन भी लेना चाहते है तो आपके खाते में कुल 25 लाख रु जमा होने चाहिए।
25 लाख का 60% मतलब 15 लाख आपको कैस मिल जाएंगे और शेष 40% मतलब 10 लाख पर आप को पेंशन मिलेगी।
औसत 6% वार्षिक रिटर्न के आधार पर 10 लाख का 6% मतलब 60 हज़ार रु पूरे वर्ष में, मतलब प्रतिमाह 5 हज़ार रु मात्र।
यदि आप 10 हज़ार प्रतिमाह पेंशन चाहते है तो NPS खाते में 50 लाख रु होने चाहिए।
यदि आप 20 हज़ार रु पेंशन प्रतिमाह चाहते है तो NPS खाते में 1 करोड़ रु होने चाहिए।
अब सोचिए कि आपके NPS एकाउंट में अभी तक कुल कितने जमा है और कितनी सर्विस और बची है ?
आप खुद सोच सकते है कि हम कहाँ तक जा सकते है ?
मान लो पिछले 10 साल से NPS कट रहा है और लगभग 10 से 15 लाख के आस पास है और 10 से 15 साल की नोकरी और शेष है जिसमे 15 से 20 लाख और जमा हो जाएंगे।
आजकल वो,
● मैं देश नहीं बिकने दूंगा, जैसी खुबसूरत बातें नहीं करते !
● अब वह स्विस बैंकों में जमा काला धन जो अब डबल हो चुका है, पर बात नहीं करते !
● अब वो सब के खाते में 15 15 - 15 लाख रुपए आने की बात नहीं करते !
● अब वह डॉलर के मुकाबले गिरते रुपए पर बात नहीं करते !
● अब वो जिस देश का रुपया गिरता है उस देश के प्रधानमंत्री की इज्जत गिरती है, ऐसी बातें नहीं करते !
● अब वो देश की गिरी हुई जी. डी. पी. पर मुंह नहीं खोलते
● अब वो देश में हो रहे बलात्कारों व अत्याचारो पर बात नहीं करते !
● अब वो दागी मंत्रियों व नेताओं पर बात नहीं करते।
● अब वह महिलाओं की सुरक्षा पर बात नहीं करते !
● अब वह जमाखोरी पर बात नहीं करते !
● अब वो मिलावटखोरी पर बात नहीं करते !
● अब वो रिश्वतखोरी पर बात नहीं करते !
● अब वो स्मार्ट सिटी बनाने की बात नहीं करते !
● अब वो बुलेट ट्रेन की बात नहीं करते !
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 13 कंपनियों के ऋण बकाया के कारण लगभग 2.85 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है जबकि यस बैंक और आईएल एंड एफएस जैसे संकटग्रस्त संस्थानों को उबारने का काम करते रहे हैं. बैंकों के संघ यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने सोमवार को यह आरोप लगाया।
यूएफबीयू के संयोजक बी रामबाबू ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि संगठन ने बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2021 के विरोध में और सरकारी बैंकों के निजीकरण के केंद्र के कथित कदम का विरोध करते हुए 16 और 17 दिसंबर को पूरे देश में बैंकों की दो दिन की हड़ताल का आह्वान किया है.
यूएफबीयू द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार, 13 निजी कंपनियों का बकाया 4,86,800 करोड़ रुपये था और इसे 1,61,820 करोड़ रुपये में निपटाया गया, जिसके परिणामस्वरूप 2,84,980 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
भारत एक गरीब और काफी असमानता वाले देशों की सूची में शामिल हो गया है, जहां वर्ष 2021 में एक फीसदी आबादी के पास राष्ट्रीय आय का 22 फीसदी हिस्सा है जबकि निचले तबके के पास 13 फीसदी है. एक रिपोर्ट में यह कहा गया है.
‘विश्व असमानता रिपोर्ट 2022’ शीर्षक वाली रिपोर्ट के लेखक लुकास चांसल हैं जो ‘वर्ल्ड इनइक्यूलैटी लैब’ के सह-निदेशक हैं. इस रिपोर्ट को तैयार करने में फ्रांस के अर्थशास्त्री थॉमस पिकेट्टी समेत कई विशेषज्ञों ने सहयोग दिया है.
रिपोर्ट में कहा गया कि भारत की वयस्क आबादी की औसत राष्ट्रीय आय 2,04,200 रुपये है जबकि निचले तबके की आबादी (50 प्रतिशत) की आय 53,610 रुपये है और शीर्ष 10 फीसदी आबादी की आय इससे करीब 20 गुना (11,66,520 रुपये) अधिक है.
सऊदी अरब ने तबलीगी जमात की एंट्री पर बैन लगा दी है। सरकार ने यह भी कहा है कि यह संगठन आतंकवाद के दरवाजों में से एक है। सरकार ने मौलानाओं को आदेश दिया है कि यह संगठन समाज के लिए खतरा है और मस्जिदों में शुक्रवार के उपदेश में इसके बारे में लोगों चेतावनी देना शुरू कर दें।
सरकार ने ट्वीट के माध्यम कई ऐसे सारे विंदु बताये हैं, जिनकी वजहों से तबलीगी जमात देश के लिए खतरा बना है और इसे बैन किया जा रहा है. मंत्रालय ने कहा कि इस्लामिक मामलों के मंत्री डॉक्टर अब्दुललतीफ अल अलशेख ने मौलानाओं से कहा है ताकि अगले शक्रवार को इस आदेश को सबको बताएं।
। भारत में यह संगठन 1926 के करीब अस्तित्व में आया था. तब्लीगी जमात एक सुन्नी इस्लामिक मिशनरी आंदोलन है. यह संगठन मुसलमानों को सुन्नी इस्लाम में लौटने और धार्मिक उपदेश देने का काम करता है. यह एक बेहद पुराना रूढ़वादी संगठन है और अब इसकी पहुंच दुनिया भर के तमाम देशों में हो चुकी है।