जोशीमठ उत्तराखंड से मित्रAtul Sati मैसेज भेज रहे हैं!
आज सुबह ही हमारे लिए दूध लेकर आने वाले सकलानी जी ने बताया कि सुनील में उनके घर के पीछे बहुत बड़ी दरार आ गयी है।उनके घर के आगे सड़क का बड़ा हिस्सा दरार से पट गया है।जो कल तक नहीं था ।जिस पैदल रास्ते वो रोज आते हैं उसमें भी 4/1
कहीं कहीं उभार दिख रहा है जो ऊंचा नीचा हो टेढ़ा हो रहा है ।
यह बात जगह जगह दिख रही है। । इस पर तत्काल सोचे जाने की जरूरत है । यदि शीघ्र कुछ न किया गया तो बड़ी आपदा से हम बच नहीं पाएंगे ।
अभी 9 परिवार बेघर हो रहे हैं,पिछले एक हफ्ते से उनका वैकल्पिक इंतजाम नहीं हो पा रहा है
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तब सोचिए इतनी बड़ी आबादी का क्या होगा । जिस तरह के हालात बन रहे हैं, जगह जगह जैसे दरारें उभर रही हैं निश्चित ही धरती के नीचे कोई बड़ी हलचल चल रही है। जिससे जल्द ही भविष्य में कुछ बड़े घटने के संकेत मिल रहे हैं । हो रही
बारिश और बर्फबारी इस मुसीबत को बढ़ाएगी ही ।
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यकीन मानिए 25हजार से अधिक जोशीमठ निवासी बड़ी मुसीबत में हैं , उनकी मदद के लिए इसे अधिक से अधिक शेयर कीजिए जिम्मेदार अधिकारियों तक बात पहुचाइए .. वहां के निवासियों के कमेंट पढ़िए लिंक कमेंट बॉक्स में है 4/4 @BramhRakshas @baburao__aapte
दूसरा विश्वयुद्ध, घ्वस्त देश, बरबाद अर्थव्यवस्था ... जापान की नई पीढी को यही सौगात मिली थी। देश को राख से खड़ा़ करना था। शुरूआती कनफ्यूजन के बाद जापान की सरकार और केन्द्रीय बैंक ने अर्थव्यवस्था को खड़ा करना शुरू किया।
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केन्द्रीय बैंक ने एक क्रेडिट सिस्टम शुरू किया - विण्डो गाइडेंस।
असलमे यह युद्ध के दौर की फंडिंग का ही एक प्रतिरूप था।तब टैंक के लिए,प्लेनके लिए,बंदूको,हथियारों,विमान वाहक पोत के लिए कोटा लक्ष्य तय होता था। बैंक सिर्फ ऋण नही देता था,बल्कि उत्पादन मे कोई बाधा न आए, ये भी देखता।
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यह व्यवस्था युद्धके बाद नए तरीके से लागू हुई।स्टीलमे,बिजली मे,हाउसिंग मे, आटोमोबाइल...इस तरह हर सेक्टरमेे लोन देने का एक कोटा शुरू किया।छोटे छोटे व्यवसाइयों को खोजकर उन्हे काम के लिए लोन दिए।
सरकारने जमीनें दी,सस्ते मे अच्छी शिक्षादी, कालेज और शिक्षा संस्थानों से छात्र निकलकर
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मात्र20मिनट आपका काफिला रुक गयातो आपको लोक परलोक याद आ गया!..वाह मोदी जी वाह!..वैसे अच्छा हुआ अब आपको पता चल गया होगा कि जब जनताVIPमूवमेंट के चक्कर मे घण्टो जाम में फंस जाती तो उसे कैसा लगता है ?..पिछले साल कानपुर में तो राष्ट्रपति रामनाथ कोविंदका काफिला निकलने के दौरान ट्रैफिक
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जाम में फंसी एम्बुलेंस में तो एक महिला की मौत तक हो गयी थी...
वैसे यह कोई पहली घटना नही है जब2018में आप मेट्रो की मजेंटा लाइन का उद्घाटन करने नोएडा आए थे तब भी जनसभा स्थल से बोटेनिकल गार्डेन स्थित हेलीपैड पर वापसीके दौरान आपका काफिला एक्सप्रेस-वे पर रास्ता भटक गयाथा और जाम मे
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फंस गया था तब आपको सुरक्षामें खतरा महसूस नही हुआ?
कई बार आपकी गाड़ी दिल्लीके व्यस्त मार्ग पर रेड लाइटमें खड़ी हुई है तब तोVIPकल्चर को हटानेके नाम पर आपकी बड़ी वाहवाही की जातीहै तब आपको सुरक्षा याद नही आती?
अब बोला जा रहाहै कि जहाँ आपका काफिला रुका वह जगह पाकिस्तान सीमासे बहुत
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भारत चीन सीमा विवाद कई लोगोंको क्लीयर नही होता।वे इतिहासकी कही सुनी बातोंपर खूब बकैती करते हे,और अन्तमे नेहरू पर ठीकरा फोड़कर पूर्णाहुति करतेहैं
एक सिम्पल ग्राफिकसे समझिये।यहां अधिकतर इलाका बंजरहै,शून्य से नीचेका तापमान,और मनुष्यके रहने लायक नहीहै।याने घासका तिनकाभी नहीं उगता।
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लेकिन कहीं कहीं घाटी है, जिसमे जमा गाद मे खेती हो सकती है।वहां बस्तियां बस गई। अब एक बेसिक बात समझ ले। पुराने जमाने मे सीमा जीपीएस से मार्किंग तो होती नही थीं।न राजाओं को भारत माता से कोई लेना देना था।
उनको कमाई याने लगान से मतलब था,जो जनता, याने बस्ती से मिलता था।राजा महराजा
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गांव पर कब्जे करते थे,जमीन पर नही।
अब अगर एक राजाके आखरी गांव और दूसरे राजाके आखरी गांवके बीच300किलोमीटर का बंजर इलाका हो,तो इस तीन सौ किलोमीटर की हकदारी किसकी???
किसीकी नही।क्योकि किसीको ये जगह नहीं चाहिए।सब जीरो टेम्प्रेचर पर कौन पागल अपनी सेना रखकर किला बनाकर रक्षा करेगा।
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स्वतंत्र भारतके इतिहासमें इससे बड़ी बेशर्मी की मिसाल कभी सामने नही आयी है जो मोदी सरकार द्वारा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के मामले में पेश की जा रहीं हैं
लखीमपुर में हुई किसानों की हत्या के मामले में अब तक यह कहकर बचा जा रहा था कि अब तक चार्जशीट पेश नही हुई है...
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लेकिन अब तो एसआइटी ने कोर्ट में5000 पन्नो की चार्जशीट भी पेश कर दी है...जिसमे आशीष मिश्रा को हत्या का मुख्य आरोपी बनाया गया है.......एसआईटी ने 3 अक्टूबर को हुई चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या की उस घटना को एक ‘‘सोची-समझी साजिश’’ करार दिया है.
पांच अक्टूबर को अजय मिश्र टेनी
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ने स्वयं कहा था,'मैं लगातार अपनी बात रख रहा हूं। हमारे पास यह साबित करने के सबूत हैं कि न तो मैं और ना ही मेरा बेटा घटनास्थल पर मौजूदथे।अगर मेरे बेटेकी मौजूदगी का प्रमाण साबित हो जाए तो मैं अभी मंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा।'
अगर थोड़ा भी नैतिक बल उनमें होतातो वे अब तक इस्तीफा
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चीनी मीडिया के गलवान घाटी में चीन का झंडा फहराने वाले मामले पर बयान को लेकर भारतीय सेना ने कुछ दलाल मीडियावालों को "सेट" कर सूत्रों के हवाले से खबर चलवाई कि झंडा चीन के हिस्से में फहराया गया है।
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न तो विदेश मंत्रालय और न रक्षा मंत्रालय का इस घटना पर कोई आधिकारिक बयान आया है।
दिलचस्प बात यह है कि चीनी मीडिया ने झंडा फहराने वाले वीडियो में Tiananmen चौराहे वाली घटना का ज़िक्र किया है।
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33साल पहले1989में लोकतंत्र समर्थक छात्रों को कुचलने के लिए चीनी सेना ने टैंकोंका इस्तेमाल कियाथा।
माना जा रहाहै कि इस घटना का ज़िक्र अनुच्छेद370को हटाने के विरोधमें जानबूझकर किया गयाहै।
दोनों देशोंके कूटनीतिक चैनल में गतिरोधभी इसी370 के कारण बना हुआ है।
इतिहासके पन्नों पर वे कहीं नहींथे
और थे भी तो एक बदनुमा दाग की तरह
एक हत्यारें के रूप में
क्योंकि हत्या से ही शुरू होता है उनका इतिहास
उनका इतिहास एक काला पन्ना है
उनकी टोपी की तरह
खोखली बहादुरी में बांह तक मुड़ी हुई
छक सफेद शर्ट की तरह
जिसमें एक कतरा खून तक नहीं
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देश की आजादीके नाम
एक डंडाहै
जो हांकलना चाहता है पूरी जनताको भेड़ की तरह
और एक निक्कर,जो प्रतीक है
हर प्रतिरोध के दमन का
दरअसल उनके पास ऐसा कुछ भी नहीं
जिसके लिए वे गर्व करसके
और यही आत्महीनता उन्हें कुंठित और हिंसक बनाती है।
क्योंकि वे जानते हैं जिसका कोई इतिहास नहीं होता
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उसका कोई भविष्य भी नहीं होता
इसलिए वे अतीत में अपनी जगह के लिए
इतने बैचेन, इतने आतुर हैं
कि इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने में लगे रहते हैं
इतिहास की नई-नई व्याख्याएं करते हैं
देश के महानायकों के नामों को कब्जियाते हैं
या उनकी कतार में अपना नाम जबरन जुड़वाते हैं
जब ऐसा नहीं हो पाता
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