प्रश्न = राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिन पैसारे" क्या हनुमान जी बगैर पैसा के राम से नहीं मिलवाते थे ?
ये प्रश्न जिज्ञासा बस पूछा गया तो बिलकुल भी नहीं लगता. हाँ इससे मसखरेपन की बू जरूर आती है,
लेकिन -
इससे सबसे बड़ी बात यह भी रखांकित होती है कि कोई हिन्दू ही हिन्दू धर्म के बारे में ऐसी बात कर सकता है. दूसरे मजहबों में उस मजहब का व्यक्ति तो ऐसा नहीं कह सकता और दूसरे धर्म का व्यक्ति अगर करेगा तो ईश निंदा के कारण उसकी खैर नहीं. इससे हिन्दू
सनातन धर्म की महानता, विशालता और उदारता का पता चलता है वही इसका भी पता चलता है संस्कारों की कमी के कारण हिन्दुओं का पीढी दर पीढी कितना पतन हो रहा है .
जहाँ तक शंका का प्रश्न है तो गोस्वामी तुलसी दास की रचनाओं में अवधी भाषा का पुट है और कई शब्द ऐसे है जिनके परिमार्जित रूप
प्रश्न = क्या आप भगवान विष्णु के नवगुंजर अवतार के विषय में जानकारी दे सकते हैं?
देखिए महाशय वैसे तो भगवान विष्णु के मुख्य १० (दशावतार) एवं कुल २४ अवतार माने गए हैं किन्तु उनका एक ऐसा अवतार भी है जिसके विषय में बहुत ही कम लोगों को जानकारी है और वो है नवगुंजर अवतार।
ऐसा इसलिए है क्यूंकि इस अवतार के विषय में महाभारत या किसी भी पुराण में कोई वर्णन नहीं है। केवल उड़ीसा के लोक कथाओं में श्रीहरि के इस विचित्र अवतार का वर्णन मिलता है। वहाँ नवगुंजर को श्रीकृष्ण का अवतार भी माना जाता है। आइये इस विशिष्ट अवतार के विषय में कुछ जानते हैं।
प्रश्न = क्यों अनेकों बार रामायण के युद्ध का समय कुछ हज़ार वर्ष पूर्व बताया जाता है, जबकि त्रेतायुग को स्वंय 8,64,000 वर्ष का माना गया है और रामायण का युद्द त्रेता युगांत में किया गया था?
आपका बहुत ही अच्छा प्रश्न है बंधु। आपके इस प्रश्न का साहित्यक/एतिहासिक प्रमाण मै आपको देने का प्रयत्न करूँगा। आशा है अधिक से अधिक लोग लाभान्वित होंगे। आपने एक गलती की है प्रश्न मे पहले वो सुधारिये, त्रेतायुग 12,96,000 वर्ष का था, द्वापरयुग 8,64,000 वर्ष का था।
पहले तथ्य पर आते है, जिस सिद्धान्तो या थ्योरी के बलबूते आज के वैज्ञानिक पुरातत्व का आकलन कर रहे है वो कपोल कल्पनाओ पर आधारित है। हम काल गणना 0 से लेकर चले है।
स्वर्ग लोक का वर्णन अर्जुन द्वारा देखा गया / वह अपने मूल भौतिक रूप में स्वर्ग जाने और उसी रूप में वापस आने वाले व्यक्तियों में से एक थे !
शिव ने पाशुपतास्त्र का उपहार दिया और इंद्र ने अन्य दिव्य हथियार / अर्जुन ने निवात कवच राक्षसों को हराया और पौलम और कालकेय के पुत्र की कहानी तो चलिए सुरु करते है
युधिष्ठिर, द्रौपदी और अन्य लोग गंधमदन पर्वत पर अर्जुन के आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। एक अच्छी सुबह उन्होंने अपने ऊपर एक तेज़ गड़गड़ाहट की आवाज़ सुनी और देखा कि एक हरे रंग का सुंदर रथ आसमान से नीचे आ रहा है। हर कोई जानता था कि आने वाला कौन था।