शायद नई पीढ़ी को शहर में कंक्रीट के जंगलों में रहने वालो को मालूम भी नहीं होगा कि बंदर में सांप पकड़ने का गुण जन्मजात होता है और उसकी कुछ विशेषता होती हैं।

क्योंकि बंदर की हड्डियां बहुत लचीली होती है और चारो पंजो की पकड़ भी बहुत मजबूत होती हैं तो वो चपलता और चतुराई से सांप को
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गर्दन से पकड़ लेता है लेकिन उसको मारता नहीं।

वो उसके फन( मूंह )को निकट लाकर उस पर थूकता है और फिर उसको जमीन अथवा पेड़ से रगड़ता ( घिसता )हैं।

दो तीन बार ऐसा करने के बाद चोट खाए सांप को छोड़ देता है। जैसे ही सांप भागने की कोशिश करता है उसे पुनः पकड़कर मूंह पर थूकने और फन घिसने
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( रगड़ने ) प्रक्रिया को दोहराता है।

इस प्रकार अत्यन्त निर्दयता से सांप को उसकी अधम गति में पहुंचा देता है।

कहते है कि ऐसा करने से क्योंकि मृत सांप के शरीर से जहर निकल चुका होता है तो उसे कीड़े मकोड़े भी बहुत चाव से खाते है। सम्भव है कि कोई और वजह भी हो किन्तु यह सत्य है कि
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सांप अक्सर बंदर से किनारा करके निकलता है और इसी में उसकी भलाई भी है।

कृपया इसे किसी राजनेता द्वारा सांप पकड़े हुए फोटो से जोड़कर न देखे क्योंकि बेशक सांप तो सांप है किन्तु नेता बंदर नहीं है ( हालांकि उसकी हरकतें तो ऐसी ही लग रही है जी )
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@BramhRakshas

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12 Jan
पिछले कई दिनोंसे मीडिया चीनकी मोबाइल कम्पनियोंके पीछे पड़ा है अगर आप जानना चाहतेहैं कि ऐसा क्यो है तो पोस्ट अंत तक पढ़िएगा आज खबर आयी है कि2019-20में चीनी ब्रांड शाओमी,ओप्पो,वीवो ने हर साल एक लाख करोड़से अधिकके फोन भारतीय बाजारों में बेचे लेकिन एक रुपयेका सरकार को टैक्स नहीदिया
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आपको याद होगा मोदी जी ने एक बार बड़ी लम्बी फेंकी थी कि मोबाइल फोन उत्पादन में भारत महाशक्ति बन रहा है2014से पहले देश में दो मोबाइल कंपनियां थीं जो अब125हो गई हैं।.....यह सही है कि कंपनिया तो बढ़ गयी लेकिन उससे देश को क्या फायदा हुआ?सारा पैसा तो चीन चला गया टैक्स के नाम पर तो फ
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फूटी कौड़ी भी हाथ नही आई !...

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि शाओमी, ओप्पो और वीवोने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीजकी फाइलिंगमें घाटा दिखायाहै।जबकि इस दौरान उनकी जबरदस्त बिक्री रही।ज्यादा फोन बेचने वाली कंपनियोंकी लिस्टमें वे टॉप पर रहीं।कागजोमें देशके स्मार्टफोन मार्केटमें लीडर होनेका दावा
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Read 11 tweets
12 Jan
प्रोजेक्ट आफ प्राइड ...

चीन की आर्थिक मजबूती का सबसे चमकदार तमगा उसकी हाइस्पीड ट्रेन का नेटवर्क है। बुलेट ट्रेन के नामसे ये जापान ने शुरू हुआ था, चीन ने दुनियाका सबसे बड़ा बुलेट नेटवर्क खड़ा कर,अपनी ताकत और समृद्धि का सिंबल बना लिया।

प्रोजक्ट आफ प्राइड के हालात अब कैसे हैं??
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तीससाल पहले चीन"चल गया तो चांद तक- नही चला तो शामतक"वाले सस्ते इलेक्ट्रानिक प्रोडक्टका हब बनना शुरू हुआ

ग्रामीण आबादी शहरोमे आकर फैक्ट्रियोंमे नौकरी करनेलगी।उनकी बस और सामान्य रेल यात्रा,लम्बा समय लेती।हाइस्पीड नेटवर्ककी योजनाऐ तब बनी।2

लेकिन सिरे चढ़ी2008की वैश्विक मंदीके वक्त
अब तक दुनिया भरमे माल बेच बेच कर चीन की जेबें भर चुकीथी।खूब पैसा इन नेटवर्क मे डाला गया।ये असल मे मंदी का स्टिमुलस पैकेज था,जिसके बूते चीन पर उस मंदीका असर नहीं पड़सका।तो इन ट्रेनोंने मंदीभी टाली,और रेल नेटवर्क भी बन गया।

चीन सरकारने किया कैसे??

उन्होने दो सरकारी कंपनी बनाई।3
Read 15 tweets
11 Jan
डगर बंद ।काम चालू आहें
पिछले कई पोस्ट से देश की तमाम विसंगतिया और द्रुतगति से भागती एकाधिकारवाद की आँधी की ज़िम्मेदार ताक़तों पर चर्चा करते समय यह लेखक -उस समाज को ज़िम्मेदार बनाता जा रहा है जिसमें वह खुद हिस्सेदारी कर रहा है ,और डंके की चोट पर स्वीकार करता है
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क़ि इस समय देश आफ़तके दौरको स्वीकार कर,वो परिस्थिति बना रहा है जी तानाशाही तक को न्योत सकती है।यह है हमारे समाज की अजगरी प्रवृत्ति।एक ताज़ा वाक़या लीजिए -
मुस्लिम महिलाओंके ख़िलाफ़ माहौल रचनेके लिए दक्षिण पंथी अपनी पुरानी कटार चलायी है - चरित्र पर हमला।बहुत आसान होता है 12/2
महिलाओं के लिए तो और ज़्यादा।अपने को हिंदू कहनेवाली यह टीम खुद हारा किरी में लगी है । उस गिरोह का एक लड़का मैथिल है । मैथिल समाज की क्या ज़िम्मेदारी बनती है , मैथिल समाज को क्या करना चाहिए इस सवाल को लेकर मैथिल समाज से ,और दरभंगा राज घराने की Kumud Singh ने उस आरोपी मैथिल
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Read 13 tweets
11 Jan
अस्सी कोस पर हमरो गांव..

एक गांव (विलेज)में एक महामूर्ख रहता था! शकल सूरत से ठीक ठाक था,बस हरकतें मूर्खों वाली थी!

कभी मगरमच्छ के बच्चोंको पकड़ लाता तो कभी गटर की गैससे चाय बनाने लग जाता! कभी जहाज को बादलों में छिपा देता तो कभी a+bके होल स्कवायर में से एक्स्ट्रा2ab निकाल लाता
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पूरे गांव वाले उसको लंडू'र कहा करते थे! जिधर भी जाता उसको इसी नाम से बुलाते थे सब!

किसी ने उसे सलाह दी कि तू गांव छोड़ दे तभी तुझे इस नाम से मुक्ति मिलेगी! दूसरे गांव में जा! नयी शुरुआत कर!

उसने गाँव छोड़ने का फैसला किया और एक अँधेरी रात में माँ के गहने चुराकर घरसे भाग निकला!
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कई दिनों तक पैदल चलते चलते एक दूसरे गांव में पहुंचा और एक कुंवेकी जगत पर बैठ गया!

लेकिन हरकतें भाईसाहब!हरकतें..

कुंवेकी जगत पर बैठा तो ठीक ही था,बस उसने अपने दोनों पैर कुंवे के अंदरकी तरफ लटका लिएथे!

बगल से गुजरते हुए एक राहगीरने उसकी इस हरकतको देखा और कहा-अबे लंडूर है क्या?3
Read 8 tweets
10 Jan
दोनो पातकी हैं

संत और सिपाही ।
“ धूमिल” ने पूछा है - “ संत और सिपाही में कौन बड़ा दुर्भाग्य है ? जवाब अब तक नही मिला , प्रतिस्पर्धा जारी है कभी संत आगे निकल जा रहा है कभी सिपाही लपक के आगे चला जा रहा । सुस्ताने के लिए दोनो एक दूसरे के लिए जंघा फैला देते हैं । मज़े की बात
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भारतीय समाज को खोखला करने में दोनो की ज़बरदस्त भूमिका है जब क़ि दोनोके अपने तय रास्ते कत्तयी अलहदा हैं।इस संत और सिपाही के आपसी रिश्तेकी बारीकी से जाँच करिए तो मिलेगा की यह तो महज़“पर काया प्रवेश“ का स्थायी बंधन बन चुका है -वर्दी पाप से सन जाती है तो संत के “कपड़े”में घुस कर ,
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संत की सुविधा ले लेती है ,नाक में नथ पहन कर चुनरी ओढ़ लेगी और किसी एक बहुचर्चित देवता का पुजारी बन जायगी ।यह है वर्दी का काया प्रवेश । संत और भी बड़ा खिलाड़ी है । यह समाज का जघन्य अपराधी है।( याद रखिए - हम उन संत और सिपाही का ज़िक्र कर रहे हैं जो किसी न किसी बहाने से समाज में
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Read 9 tweets
10 Jan
कमल-एक फूल, इसे मुठ्ठी मे मसल सकतेहै।
कलम-पेन,जिसे क्रश करनेके लिए कुछ औजार लगेंगे।
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इन दोनो चीजोके स्पेलिंग सीक्वेंस मे मामूली फर्क है।लेकिन इससे बनने वाली चीज के गुणधर्म एकदम अलग।डीएनए सीक्वेंस,याने जीन इसी तरह से काम करता है।जीन मे मामूली बदलाव होने से जीव के गुणधर्म मे
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भारी परीवर्तन आ जाताहै।इसका मतलब यह भी हुआ कि उससे मुकाबला करनाहै,तो आपको एकदम ही अलग किस्मके प्रतिरोधकी जरूरत पड़ेगी।

जीन कोड छोटे भी होतेहै।लम्बे लम्बे भी...छोटे कोड सिंपल जीवों मे होते है,बड़े बड़े लंबे कोड काम्प्लेक्स जीवोमे।सबसे सिंपल जीव है वाइरस,और फिर उससे काम्प्लेक्स
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बैक्टीरिया,प्रोटोजोआ,और फिर बहुकोशिकीय लाखों तरहके जीव।

काम्प्लेक्स जीवोंमे किसी जीनका,कहीं कोई सीक्वेंस बदल गया,तो उसके गुणधर्ममे बहुत ज्यादा अंतर नही पड़ता।इसलिए कि किसी गुण से संबंधित जीन लंबा चौड़ाहै,और भारी बदलाव के लिए भारी परीवर्तन चाहिए,जो एकाएक नही होता।कई पीढियों मे
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