आपने यह दावा तो सुना ही होगा कि 700 से 750 किसानों की मौत हुई है किसान आंदोलन में..?
आइए सच जानते हैं..
@vijaygajera
राहुल जी ने ये बात संसद में कही, एक सूची पटल पर रखी काँग्रेस सोशल मीडिया के साथ समूचे इकोसिस्टम ने बिना किसी सत्यापन के इसे बढ़ावा दिया।
पूरे देश में 700 किसानों की मौत का हाहाकार मचा, मुआवजा माँगा गया लेकिन किसी ने फैक्ट चेक करने, सच जानने का कष्ट नहीं किया।
@vijaygajera के अनुसार यह दावा पूरी तरह गलत है।
सूची में कुल 733 नाम हैं जिनमें से केवल 702 के संबंध में आधारभूत जानकारी उपलब्ध कराई गई है।
उन्होंने इन 702 नामों की पड़ताल की और पाया कि पूरी सूची कपोलकल्पित है।
सूची में दिखाई गई मौतें प्राकृतिक, कोरोना, वाहन दुर्घटनाओं, हत्याओं के कारण हुई हैं।
इन व्यक्तियों की मृत्यु कहाँ- कहाँ हुई जानने के लिए
यह तालिका देखिए।
सूची में अंकित नामों में से कुछ लोगों की मृत्यु तो प्रदर्शन स्थल से लौटने के बाद घर पर हुई।
उन लोगों के नाम भी इस सूची में शामिल हैं जिनकी मृत्यु आंदोलन के लिए दिल्ली जाते समय हुई।
कुछ लोगों के बारे में कहा गया कि उन्होंने आत्महत्या की जबकि सत्य ये नहीं है और इन दावों की समुचित जाँच होनी चाहिए।
उदाहरण के लिए यह चित्र देखिए। इसे आत्महत्या कहा गया किंतु चेहरे पर चोटों के निशान कुछ और ही कह रहे हैं..
अब @vijaygajera आते हैं इन दुखद मौतों के कारणों पर..
यदि आप किसान संघों द्वारा दिए गए तथाकथित "अज्ञात कारणों" का विश्लेषण करें तो पाएंगे कि अधिकतर मामले कोरोना के हैं और क्योंकि वे इसे छुपाना चाहते हैं इसलिए सच नहीं लिखा गया।
इसीलिए कोरोना के शिकार लोगों की संख्या केवल 12 दिखाई गई है। सब जानते हैं कि पूरे आंदोलन में कभी भी कोरोना सावधानियों का पालन नहीं किया गया।
सूची में उल्लेखित लोगों की मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण हृदयगति रुक जाने का रहा।
आंकड़ों के अनुसार पंजाब और हरियाणा में प्रतिवर्ष एक लाख में से 192 लोग हृदयगति थम जाने के कारण काल का ग्रास बनते हैं।
राकेश टिकैत ने कहा कि किसान आंदोलन में 25 से 30 लाख किसानों ने भाग लिया।
ये माना जाए कि पूरे साल में कुल पाँच लाख किसान आए या शामिल हुए तो हृदयाघात जैसे प्राकृतिक कारणों से मरने वालों की संख्या बहुत अधिक होनी चाहिए थी।
और दुर्घटनाओं में हुई मृत्यु का दोषी केन्द्र सरकार को ठहराए जाने का क्या औचित्य..?
लखीमपुरखीरी में हुए हादसे पर योगी सरकार को घेरने के लिए राजनैतिक और मीडिया क्षेत्र में बहुत शोर मचा लेकिन पंजाब में ऐसी ही घटना हुई तो सब चुप!
सूची में सम्मिलित लोगों को व्यवसाय के अनुसार देखें तो..
और उम्र के अनुसार आंकडा देखें तो..
सच तो यह है कि आंदोलन के कर्ताधर्ताओं ने बुजुर्गों को साम-दाम-भय-भेद से इस आंदोलन में शामिल होने के लिए विवश किया।
मगर यह सच कोई नहीं जानना और मानना चाहता..
इधर महाराष्ट्र में ग्यारह महीनों में 2270 किसानों नें आत्महत्या की लेकिन मीडिया में किसी का प्यार उनके लिए नहीं उमड़ा।
क्यों?
सोचिए।
किसान संगठनों द्वारा दी गई आंदोलन संबंधी जानकारी इस साइट पर उपलब्ध है। shorturl.at/pBGK5

बस इतना ही..🙏
@vijaygajera लिखित ट्वीट श्रृंखला से साभार।

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21 Sep 21
योग और ध्यान,

नवजीवन नवप्राण..

योग शरीर और मन दोनों ही का संतुलन माँगता है..अब मन का संतुलन यानि ध्यान लाएं कहाँ से..?

कैसे दूर करें मन की चंचलता कि ध्यान सार्थक हो सके..?
प्रयास करते हैं..
क्या आपको भी आँख बंद करते ही सारे काम याद आने लगते हैं..?
या आप सोचने लगते हैं कि कुछ देर बाद क्या खाएंगे..?
या कार मेकेनिक को फोन करने की इच्छा हो जाती है..?
सारे सगे-सम्बंधियों की हारी-बीमारी, शादी-ब्याह मरण-परण याद आने लगते हैं..?
घबराइए नहीं..
क्योंकि एक सांसारिक व्यक्ति होने के नाते ऐसा होना स्वाभाविक है..
हम सब से जुड़े हैं और सब हम से..तो एक-एक कर ध्यान भंग करने वाली इन सब बाधाओं का उपचार करें..
Read 18 tweets
7 Sep 21
सच तकलीफ देता है मगर झूठ मार डालता है..
@NAN_DINI_ के ब्लॉग पोस्ट का हिंदी अनुवाद..
सोच कर ही हँसी आती है..किस तरह शेखर गुप्ता जैसे धर्मनिरपेक्षता के प्रवर्तक इस बात को बढ़ावा देते हैं कि समाज के एक बड़े तबके को हाथों में उठा कर रखा जाए,उसके सब नखरे उठाए जाएँ,उसकी सही गलत हर बात को माना जाए,कहीं वो रूठ न जाए..कहीं वो बुरा न मान जाए,दूसरों के विरुद्ध न हो जाए..
अजीब बात है..इस डर ने न केवल हमारी लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्षता को विकृत किया है बल्कि हमें सबसे ज्यादा हानि पहुँचाई है..
Read 21 tweets
5 Sep 21
As is evident C-19 has taken it's toll..
On everyone..Teachers and students alike..
Like everything else teaching Post Corona
Is going to be much more challenging a task.

#HappyTeachersDay2021
Teaching a class of 40-50 teens bubbling with insane energy and enthusiasm gives an instant adrenaline rush..The Good, bad and ugly sort of motley crowd armed with the googlies beyond google are bound to bowl you off..
Brace yourself dear teachers..

#HappyTeachersDay2021
Considered superhumans until last couple of years,these bright young minds are now equipped with full awareness that the teacher is just another human being.

You will have to take them in your stride once again..

#HappyTeachersDay2021
Read 7 tweets
30 Jul 21
ओलंपिक प्रदर्शन पर चार साल में एक बार प्रलाप से कुछ नहीं होता..
बच्चों के साथ सर्दी-गर्मी-बरसात भूल खेल के मैदान में तपस्या करनी होती है..
हैं तैयार आप..?
फेल/पास सब छोड़ कर धुन लगानी होती है..
हैं तैयार आप?
सुबह चार बजे से आरंभ होती है दिनचर्या..
हैं तैयार आप?
इस शहर से उस शहर दौड़ लगानी होती है बच्चे को लेकर..तैयार हैं आप!
खिलाड़ियों को अक्सर किसी छात्रावास या विद्यालय में एक साथ ठहराया जाता है..तैयार हैं आप?
कोच की सुननी होती है..शादी-ब्याह सब भूलना होता है..तैयार हैं आप?
भारत खेल प्राधिकरण के चक्कर काटने होते हैं..तैयार हैं आप?
व्यक्तिगत प्रतिस्पर्धाओं के उपकरण महँगे आते हैं..तैयार हैं आप?
लालफीताशाही से लड़ने को तैयार हैं आप..तैयार हैं आप?
भाई-भतीजावाद से पार पाना होता है..तैयार हैं आप?
खेलों के क्लबों की सदस्यता लेनी होती है..तैयार हैं आप?

ड्राइंग रूम में टीवी चैनल बदल कर खिलाड़ी नहीं बनते..
Read 7 tweets
4 Jun 21
जानना चाहेंगे कि जूही जी को ये एक्टीविज्म का जोश क्यों चढ़ा..?

आज तक जूही विवादों से दूर रही है तो अभी ऐसा क्या हुआ कि वे सीधे न्यायालय पहुँच गई..?
क्या हो सकती है उनकी इस तुरत सक्रियता के पीछे की कहानी..?
जूही ने दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर याचिका में कहा कि "हम ने इस विषय पर स्वयं छानबीन कर पता लगाया है कि 5G विकिरण हानिकारक हैं.."

उनके इस "हम" में शामिल हैं..जूही स्वयं, सेलोरा और विल्कॉम..
जूही इस क्षेत्र में पिछले एक दशक से सक्रिय हुईं जब से उन्होंने अपने निवास स्थान के आसपास मोबाइल रेडिएशन के विरुद्ध आवाज उठाई। विकिरण विरोधी अभियान में वे IIT प्रोफेसर गिरीश कुमार का साथ दे रही हैं..
Read 10 tweets
4 Jun 21
व्यापारियों द्वारा कालाबाजारी और जमाखोरी तो होती आई है..आखिर बाजार में बैठे हैं..मगर कोरोना महामारी में सरकारें भी कालाबाजारी पर उतर आईं..!
कारण..?
मोदी से नफरत या मुनाफे की हुड़क..

अब जनता कहाँ जाए..?
चौथा स्तंभ जिसका उत्तरदायित्व था कि जनता की बात रखता..सरकारों पर नज़र रखता,यहाँ-वहाँ जलती लाशों, चिताओं की तस्वीरें बेचता रहा,लोगों को भयभीत करता रहा..उल्टे-सीधे अर्थहीन विषयों पर कुकरहाव करता रहा..और फ्रंट लाईन वारियर के नाम मुफ्त वैक्सीन माँगता रहा..
तो जनता कहाँ जाए..?
पंजाब सरकार 400रू की दर से वैक्सीन खरीद कर कोल्ड स्टोरेज में रख देती है..वैक्सीन की कमी का ठीकरा रो रो कर केन्द्र के नाम फोड़ती है और मूल्य बढ़ते ही प्रायवेट अस्पतालों को 1060रू में बेचती है..और वे इसे 1500 से लेकर 1800 तक बेचते हैं..

फिर जनता कहाँ जाए?
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