नाम उनका तिलसुम था
प्यार से तितली भी कहते लोग ,
कुछ तोतली भी कहते थे जो चिढ़ाते थे उन्हें लोग ।
हुआ ऐसा कि वो कुछ सहेलियों के साथ बातों में मस्त थीं
आंखे मंजरी और गहरे काजल में मुश्त थीं ,
जैसे ही नजर मेरी पड़ी तो नाचने लगी नज़र उनकी
मैं भी खुश हुआ कि जाल मे फंस गई तितली.. 2
इठलाते हुए बल खाते हुए नजरें मिलाते हुए मुझसे
इशारे से करने लगीं जैसे मोहब्बत जताती हो मुझसे
मैंने इक खाली कागज़ फेंक दिया उनके सामने
आंख बचा सहेलियों से लिख के उसने भी फेंका सामने
लिखा था गोबर ले के गैत में आठ बजे जाती हूं
फिर सरसो के खेत में बैठके दबा के फोन मिलाती हूं..3
नंबर लिखा था नौ सौ बारह आठ सौ तरेपन चौदह सोलह और तेरह
इस पे रात में फोन मिला लेना घर वाले ग्यारह बजे सोते हैं मेरे
दोस्तों उस दिन ग्यारह कई साल में बजे थे
कई बार तो कान में मुर्गा से बोलने लगे थे
न भूख लगी न प्यास लगी थी
बस उसी से फोन करने की भड़ास लगी थी ..4
घर वाले सोएं नहीं और ग्यारह बजें नहीं
मुझे बिना बात करे इत्मीनान मिले नही
नमाज़ को भी उस रात देर हो गई थी
देर ही नहीं काफ़ी अमेर हो गई थी
मां बार बार कहती कि बेटा नमाज पढ ले
नमाज़ पढ़ के कुछ थोड़ा बहुत औझ में भर ले
मुझे पता ही नही मां ने क्या कहा
बस धुन थी कि 11 क्या बज गया ..5
दोस्त 11 बजे मैंने फोन की जुगत लगाई
धीरे-धीरे मिलाके खूंटी 6 बार घंटी बजाई
हुआ यूं कि उसने फोन ही नहीं उठाया
फिर मैं क्या करता जब ज़वाब ही नहीं आया
बहोत टूटा और बहोत रूठा भी मैं
पर रात करवटें बदलने में रो फूटा भी मैं
अब फिर कभी.. @threadreaderapp please unrolled
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मैंने नजदीक से देखीं आहें किसानों की
जिनके बच्चों की फीस तलक नहीं भरती परीक्षाओं की
इक दिन मेरा दर्द तब झलक उड़ा
जब मैं बाज़ार जाने की तैयारी में था
मैं और मेरी बीवी में किसानों की मेहनत का जिक्र हुआ
जिससे मुझे दिल की गहराई में गहरा दर्द हुआ
जो ये कि... @tukabandee
बाज़ार से खरीददारी की तैयारी होने लगी
और बीवी साग सब्जी की फेहरिस्त बनाने लगीं
मैंने जेब में हाथ डाला तो मन कुछ उदास सा हुआ
बीवी बोली जी हुआ क्या पैसा नहीं हैं क्या
मैंने कहा कि सिर्फ मेरे पास दो सौ का नोट है
और मंहगाई पर न कोई रोक टोक है
वो हंस पड़ी और उदास हो के कहने लगी
अजी आप मर्द हैं आपको तो हर बातें का इल्म होनी चाहिए
अब सब्जी किसान बेच रहे हैं ये मालूम होना चाहिए
कि जो बीस दिन पहले थे वो कूल स्टोर वालो के भाव थे
जब प्याज सौ रुपए किलो लहसुन दो सौ टमाटर अस्सी और आलू सत्तर के भाव थे
@Rekhta उस रात चिराग सब के सब कबले रात ही बुझाए गए
और सुबह होने तलक तनक भी न जलाए गए
हर अदब दस्तूर हिफाजत क़रीने इश्क़ के निभाए गए
फिर चांदनी ढलने पर मकानों की छांव छांव में
चुपके छुपके अंदर को वो बुलाए गए
यानि कि वो हर रुसवाई उलझन तोहमत से हर तरह बचाए गए #हसनतंवर
@Rekhta जो पीयादे आसतां ए दरबार थे सब अदब कराए गए
फिर पीयादे के हाथों हम उछलते कूदते फांदते महलों के द्वार पे बुलाए गए
वो पर्दा ए गिरफ्त थी हम भी पर्दा ए रश्क थे
पर चेहरे के कपडे चांद से हटाए गए
झिझक शर्म व उलझन के साथ उन्होंने सलाम अर्ज किया
फिर उनको इश्क़ के इशारे सब समझाए गए
@Rekhta मैंने पूछा कि आपको आने में कोई तकलीफ़ तो नहीं हुई
कोई डर शक दहशत तो नहीं
उन के सब इशारे "नहीं" में
किए गए
फिर कहा कि तुम इश्क़ की तफसील जानते हो
वो जरा से शर्माए और मुस्कुरा गए
मैंने पूछा कि फिलहाल आपके दिल में क्या है
वो फनकार थीं मेरी तरफ़ इशारा करके "आप" कह मुस्कुरा गए
शायरी ना सही आज़ दिल का दर्द सुना दूं दोस्तो,
बात उन दिनों की जब हम इस मुकाम पर मिले, सुना दूं दोस्तो।
अपने भी इसी जमीं पर कुछ प्यारे दोस्त हुआ करते थे,
जो छोले चिप्स खीर पकोड़े खिलाया करते थे दोस्तो।
हंस हंस के दिन गुजरते गए,
एक दूसरे के दिल मे उतरते
गए दोस्तो 1/3 @Rekhta
2/3..
ये दुनिया चलता फिरता मुसाफिर खाना है,
अजनबी कुछ और भी यहां आए दोस्तों।
ठहरे, पास बैठे कुछ ने चिप्स छोले खाए किसी ने नहीं खाए,
सबकी अपनी अपनी फितरत है दोस्तों।
हुआ यूं कि मेरे पुराने दोस्त मुझसे रूठने लगे,
मचल जाते मेरे पास तक नहीं आते गुस्सा दिखाने लगे दोस्तों 2/3 @Rekhta
3/3..इक दर्द पैदा हुआ दोस्तो के दुःखी रहने का..
नीची आंखो से चुपचाप घूरते रहने का,
आखिर पूछ ही लिया मैनेआप क्यों उदास रहते हो दोस्तो।
खैर,इश्क़ मोहब्बत प्यार को वो गरियाने लगे,
उनके दिल में इक ललक थी तलब थी,
"गांव की बात है सब हवा मेउड जाएगा"जाने क्या क्या कहा दोस्तो ने दोस्तो
#मुस्लिम_पूरा_पढ़ें_RT_LIKE_की_जरूरत_नहीं।
मुसलमानों आज़ के हालात में आप राजनीति की कुछ सच्चाई मानोगे, जरूर माननी पड़ेगी 👇👇
~आप कितनी ही बेहतरीन सलाह दो आपको कोई
सुनने के लिए तैयार नही
~मुस्लिम BJP को बहुत कम वोट देते हैं और हिन्दू छुपकर या खुलेआम BJP को जमकर वोट देते हैै1/6
~ BJP क़यामत तक भी मुस्लिम वोट बैंक पर निर्भर नहीं रहेगी।
~ non BJP कोई भी पार्टी कभी भी खुलेआम मुस्लिम समुदाय का अहसान नहीं मानेगी।
~ अब मुस्लिम के साथ Use and throw ही रहेगा क्योंकि मुस्लिम में चापलूसों की संख्या बढ़ चुकी है।
~ तुम्हारे लिए कट्टरता सभी दलों में पहुंची चुकी
2/6
~ कोई भी पार्टी या दल मुस्लिम नेताओं को पार्टी में बड़े पद
देकर खुश नहीं।
~ मुस्लिम कद्दावर नेता आज़म खान, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद, नबी आजाद, जावेद का हाल देखा होगा
~ मोदी, शाह, योगी को सिर्फ मुस्लिम विरोध ने सत्ता दी थीं, वरना इनमें कोई काबिलियत नहीं 3/6
किसान बिल्स की वापसी पर खिलखिला कर हंसने वाला विपक्ष याद रखे:-
~ ये भारत है यहां 3 महीने में सब कुछ भुला दिया जाता है।
~ हो सकता CAA NRC का जिन्न जगाया जाएगा।
~ हो सकता मुसलमानों को और ज्यादा सताया जाए।
~ ये वही किसान हैं जिन्होंने 2014 और2019 में खेती छोड़ कर BJPको वोट दिया 1/2
भारत की आबादी 70% कृषकों से भरी हुई है, जो गांवों में रहते हैं..
गांव के लोगों ने 2014 और 2019 में अपनी कुल वोट का 65% भाग BJP को दिया।
विपक्ष के सवर्ण जाति के नेताओं के पास किसानों की वोट पहले बहुत कम थी और इस बात BJP के बराबर हो सकती हैं।
क्योंकि BJP का चुनाव मुस्लिम पर निशाना
#अहसान_फरामोश_लोग
तुमने तो अकेले ही फतेह किए हैं किले,
हम कभी भी कहीं भी कब साथ थे तिहारे ?
मुगलों को बुलाया किसने, गौरों को बसाया किसने..
जो कण कण वतन का लूटा गौरों को बताया किसने,
इक जालिम का साथी था इक मजलूम बन गया, 2-2 रुपए की खातिर ज़मीर बिके हैं तिहारे..1/4
लाखों ने गोली खाई मुसलमान फिर भी गद्दार ही कहे,
और वही अंग्रेज़ आज़ तक निकले नहीं दिलों से तिहारे।
दबाव था अंग्रेज का भगतसिंह को फांसी मिले,
इस्तीफा सौंप दिया "जज आगा खां" अजदाद थे हमारे।
कोई एक किला बताओ जो तुमने अकेले फतेह किया हो..
हर ज़ंग में शहीद हुए हैं जांबाज हमारे...2/4
74 साल बीत गए पर, दर्द की आहें नही जाती,
हर ज़ुल्म सह के भी तुम्हें दुआ करते हैं ऐसे जिगर हैं हमारे।
मुसीबत सामने आए तो बुलाते हो भाई कह कर के,
मतलब निकाल जाए तब उसूल बदल जाते हैं तिहारे।
मुसलमां वतन की मिट्टी है ये वतन हमारा है,
बस इक नफरतों की दुनिया फ़ालतू साथ है तिहारे..3/4