@Rekhta उस रात चिराग सब के सब कबले रात ही बुझाए गए
और सुबह होने तलक तनक भी न जलाए गए

हर अदब दस्तूर हिफाजत क़रीने इश्क़ के निभाए गए
फिर चांदनी ढलने पर मकानों की छांव छांव में
चुपके छुपके अंदर को वो बुलाए गए

यानि कि वो हर रुसवाई उलझन तोहमत से हर तरह बचाए गए
#हसनतंवर
@Rekhta जो पीयादे आसतां ए दरबार थे सब अदब कराए गए
फिर पीयादे के हाथों हम उछलते कूदते फांदते महलों के द्वार पे बुलाए गए

वो पर्दा ए गिरफ्त थी हम भी पर्दा ए रश्क थे
पर चेहरे के कपडे चांद से हटाए गए
झिझक शर्म व उलझन के साथ उन्होंने सलाम अर्ज किया
फिर उनको इश्क़ के इशारे सब समझाए गए
@Rekhta मैंने पूछा कि आपको आने में कोई तकलीफ़ तो नहीं हुई
कोई डर शक दहशत तो नहीं
उन के सब इशारे "नहीं" में
किए गए
फिर कहा कि तुम इश्क़ की तफसील जानते हो
वो जरा से शर्माए और मुस्कुरा गए
मैंने पूछा कि फिलहाल आपके दिल में क्या है
वो फनकार थीं मेरी तरफ़ इशारा करके "आप" कह मुस्कुरा गए
@Rekhta फिर महल के इक कौने के छोटे से मेयकदे मे हम चले गए

मैने कहा कि तुम पीते हो
उन्होंने कहा हां,नज़रो से पीते हैं और मुस्कुरा गए

मैंने उम्र पूछी तो बोले 22 की हुई हूं फिर से और मुस्कुरा गए

पूछा फिर से का मतलब
उसने कहा इक ज़माना इंतेज़ार करने के बाद उम्र के दिन फिर से शुरू हुए
@Rekhta मौजूद रोयल स्टैग टीचर्स मस्ती दूखती रग और तीन एक्स रम शराब थीं

दो दो बूंद पैमानों में डाली गई फिर इश्क़ की दुआ पढ़ के गिलास पे फूंक मारी गई

हाथ में थीं गिलाश मुंह तक तक मेय की खुशबू भी नहीं आई

इतने-इतने बड़े झटके मस्ती के लगने लगे कि आसमां और जमीं आंखों में चकराई
@Rekhta उनकी नज़र गिलास में और हमारी उनकी आंखों में छाई

उन्हें गिलास से चढ़ने लगी मुझे नज़रों से मस्ती बढ़ने लगी

इतने में इक सिसकारी उनके मुंह से मदहोश होने जैसी आई

वो बोले कि मुझे मारोगे क्या
नज़रों से दिल को निकालोगे क्या
मुझे इश्क़ छाने लगा और नशा भी आप की नशीली आंखों का
@Rekhta मैं सब कुछ भुला चुकीं जिंदगी की दास्तान और सब जिक्र तुम्हारे बातों का

इतना न देख मैं इश्क़ से मर जाऊंगी
फिर सुबह होने के बाद हया और शर्म से तुम्हें मुंह क्या दिखाऊंगी

आओ न मुझे बांहों में ले लो
मेरी पेशानी को चूम लो उंगलियों जुल्फों में ले लो
@Rekhta मिरे होंठों पे हल्के हल्के उंगलियां फैरो
मिरी सांसों को अपनी सांसों में मिलाओ

मैंने आज तक पी नहीं है मुझे दामन में भर के जी भर के पिलाओ

जान अब जान सी खिंच रही है और पागल सी हो रही हूं मैं
मुझे कस के पकड़ लो वरना हवा में उड़ रही हूं मैं
कौन आएगा यहां अब बिस्तर लगाने वाला
@Rekhta कौन आएगा यहां अब बिस्तर लगाने वाला
मुझे बिस्तर तक पहुंचाओ बिस्तर पे सेज तो बिछाऊं मैं
मेरी जान टूट रही हूं अकड़ रही हूं इश्क़ में
अब इश्क़ बढ़ रहा है आ जाओ कहीं तडप के मर जाऊं मैं
तुम जितने दे लगाओगे उतने ही जान पछताओगे
कहीं ऐसा न हो कि पागल हो जाऊं मैं
@Rekhta मैंने उन्हें बिस्तर पे लिटा दिया और इक सवाल दाग दिया
कितना प्यार करती हो तुम्हारे लिए कितना प्यारा हूं मैं
उसने झटके मुझे बिस्तर पे खींच लिया
और मेरे सवाल का सलीके से जवाब दिया
कि इधर मुंह लाओ मेरी आंखों में देखो
फिर तुम्हारे प्यार की खुशबू मेरी सांसों में देखो तन्हा हूं मैं
@Rekhta इक ही तकिया लगाओ मेरे और तेरे सिर के नीचे
अपने पैर क़रीब लाओ और मेरे पैर क़रीब खींचों
मुंह से मुंह सटा लो और रांदों पे हाथ रख
अब मेरे बदन को देखो कितना भभक रही हूं मैं
बुखार सा चढ़ रहा है तेरे इश्क़ का शुरूर
तेरे दिल के दरिया में डूबो लो बहोत तड़प रही हूं मैं
@Rekhta मेरी कमर को सहलाओ आहिस्ता आहिस्ता कभी ऊपर कभी नीचे
अब ऐसा संगीत सा छेड़ो जो तसल्ली के दरिया में डूब जाऊं मैं

जान सब कपडे जलने लगे हैं
जान ये कहीं कर न फफोले मुझे
जान कोई इलाज ए मर्ज करो न बहोत नशा नशा हूं मैं

अब और मुलाकातों की उम्मीद रहेगी नहीं
इसी मुलाकात में मरी मैं
@Rekhta फिर मैंने उनके बेकरार दिल पे हाथ रख के सुना कुछ
मुझे आवाज़ सी आई कि चल चल चल... इश्क़ में दिन रात क़दम क़दम पे चल
बाहों के दायरे में लपेट लिया उसे फिर हर सुख मोहब्बत का दिया उसे
दोस्तों दास्तां लंबी बहोत अभी शुरुआत है
कभी किसी मोड़ पे मिल के सब आपको सुनाऊंगा मैं
#हसनतंवर
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Jan 17,
मैंने नजदीक से देखीं आहें किसानों की
जिनके बच्चों की फीस तलक नहीं भरती परीक्षाओं की
इक दिन मेरा दर्द तब झलक उड़ा
जब मैं बाज़ार जाने की तैयारी में था
मैं और मेरी बीवी में किसानों की मेहनत का जिक्र हुआ
जिससे मुझे दिल की गहराई में गहरा दर्द हुआ
जो ये कि...
@tukabandee
बाज़ार से खरीददारी की तैयारी होने लगी
और बीवी साग सब्जी की फेहरिस्त बनाने लगीं
मैंने जेब में हाथ डाला तो मन कुछ उदास सा हुआ
बीवी बोली जी हुआ क्या पैसा नहीं हैं क्या
मैंने कहा कि सिर्फ मेरे पास दो सौ का नोट है
और मंहगाई पर न कोई रोक टोक है
वो हंस पड़ी और उदास हो के कहने लगी
अजी आप मर्द हैं आपको तो हर बातें का इल्म होनी चाहिए
अब सब्जी किसान बेच रहे हैं ये मालूम होना चाहिए
कि जो बीस दिन पहले थे वो कूल स्टोर वालो के भाव थे
जब प्याज सौ रुपए किलो लहसुन दो सौ टमाटर अस्सी और आलू सत्तर के भाव थे
Read 12 tweets
Jan 15,
नाम उनका तिलसुम था
प्यार से तितली भी कहते लोग ,
कुछ तोतली भी कहते थे जो चिढ़ाते थे उन्हें लोग ।

हुआ ऐसा कि वो कुछ सहेलियों के साथ बातों में मस्त थीं
आंखे मंजरी और गहरे काजल में मुश्त थीं ,
जैसे ही नजर मेरी पड़ी तो नाचने लगी नज़र उनकी
मैं भी खुश हुआ कि जाल मे फंस गई तितली.. 2
इठलाते हुए बल खाते हुए नजरें मिलाते हुए मुझसे
इशारे से करने लगीं जैसे मोहब्बत जताती हो मुझसे
मैंने इक खाली कागज़ फेंक दिया उनके सामने
आंख बचा सहेलियों से लिख के उसने भी फेंका सामने
लिखा था गोबर ले के गैत में आठ बजे जाती हूं
फिर सरसो के खेत में बैठके दबा के फोन मिलाती हूं..3
नंबर लिखा था नौ सौ बारह आठ सौ तरेपन चौदह सोलह और तेरह
इस पे रात में फोन मिला लेना घर वाले ग्यारह बजे सोते हैं मेरे

दोस्तों उस दिन ग्यारह कई साल में बजे थे
कई बार तो कान में मुर्गा से बोलने लगे थे
न भूख लगी न प्यास लगी थी
बस उसी से फोन करने की भड़ास लगी थी ..4
Read 5 tweets
Dec 4, 2021
शायरी ना सही आज़ दिल का दर्द सुना दूं दोस्तो,
बात उन दिनों की जब हम इस मुकाम पर मिले, सुना दूं दोस्तो।

अपने भी इसी जमीं पर कुछ प्यारे दोस्त हुआ करते थे,
जो छोले चिप्स खीर पकोड़े खिलाया करते थे दोस्तो।

हंस हंस के दिन गुजरते गए,
एक दूसरे के दिल मे उतरते
गए दोस्तो 1/3
@Rekhta
2/3..
ये दुनिया चलता फिरता मुसाफिर खाना है,
अजनबी कुछ और भी यहां आए दोस्तों।
ठहरे, पास बैठे कुछ ने चिप्स छोले खाए किसी ने नहीं खाए,
सबकी अपनी अपनी फितरत है दोस्तों।
हुआ यूं कि मेरे पुराने दोस्त मुझसे रूठने लगे,
मचल जाते मेरे पास तक नहीं आते गुस्सा दिखाने लगे दोस्तों 2/3
@Rekhta
3/3..इक दर्द पैदा हुआ दोस्तो के दुःखी रहने का..
नीची आंखो से चुपचाप घूरते रहने का,
आखिर पूछ ही लिया मैनेआप क्यों उदास रहते हो दोस्तो।
खैर,इश्क़ मोहब्बत प्यार को वो गरियाने लगे,
उनके दिल में इक ललक थी तलब थी,
"गांव की बात है सब हवा मेउड जाएगा"जाने क्या क्या कहा दोस्तो ने दोस्तो
Read 5 tweets
Nov 22, 2021
#मुस्लिम_पूरा_पढ़ें_RT_LIKE_की_जरूरत_नहीं
मुसलमानों आज़ के हालात में आप राजनीति की कुछ सच्चाई मानोगे, जरूर माननी पड़ेगी 👇👇
~आप कितनी ही बेहतरीन सलाह दो आपको कोई
सुनने के लिए तैयार नही
~मुस्लिम BJP को बहुत कम वोट देते हैं और हिन्दू छुपकर या खुलेआम BJP को जमकर वोट देते हैै1/6
~ BJP क़यामत तक भी मुस्लिम वोट बैंक पर निर्भर नहीं रहेगी।
~ non BJP कोई भी पार्टी कभी भी खुलेआम मुस्लिम समुदाय का अहसान नहीं मानेगी।
~ अब मुस्लिम के साथ Use and throw ही रहेगा क्योंकि मुस्लिम में चापलूसों की संख्या बढ़ चुकी है।
~ तुम्हारे लिए कट्टरता सभी दलों में पहुंची चुकी
2/6
~ कोई भी पार्टी या दल मुस्लिम नेताओं को पार्टी में बड़े पद
देकर खुश नहीं।
~ मुस्लिम कद्दावर नेता आज़म खान, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद, नबी आजाद, जावेद का हाल देखा होगा
~ मोदी, शाह, योगी को सिर्फ मुस्लिम विरोध ने सत्ता दी थीं, वरना इनमें कोई काबिलियत नहीं 3/6
Read 14 tweets
Nov 20, 2021
किसान बिल्स की वापसी पर खिलखिला कर हंसने वाला विपक्ष याद रखे:-
~ ये भारत है यहां 3 महीने में सब कुछ भुला दिया जाता है।
~ हो सकता CAA NRC का जिन्न जगाया जाएगा।
~ हो सकता मुसलमानों को और ज्यादा सताया जाए।
~ ये वही किसान हैं जिन्होंने 2014 और2019 में खेती छोड़ कर BJPको वोट दिया 1/2
भारत की आबादी 70% कृषकों से भरी हुई है, जो गांवों में रहते हैं..
गांव के लोगों ने 2014 और 2019 में अपनी कुल वोट का 65% भाग BJP को दिया।
विपक्ष के सवर्ण जाति के नेताओं के पास किसानों की वोट पहले बहुत कम थी और इस बात BJP के बराबर हो सकती हैं।
क्योंकि BJP का चुनाव मुस्लिम पर निशाना
Read 4 tweets
Nov 19, 2021
#अहसान_फरामोश_लोग
तुमने तो अकेले ही फतेह किए हैं किले,
हम कभी भी कहीं भी कब साथ थे तिहारे ?
मुगलों को बुलाया किसने, गौरों को बसाया किसने..
जो कण कण वतन का लूटा गौरों को बताया किसने,
इक जालिम का साथी था इक मजलूम बन गया,
2-2 रुपए की खातिर ज़मीर बिके हैं तिहारे..1/4
लाखों ने गोली खाई मुसलमान फिर भी गद्दार ही कहे,
और वही अंग्रेज़ आज़ तक निकले नहीं दिलों से तिहारे।
दबाव था अंग्रेज का भगतसिंह को फांसी मिले,
इस्तीफा सौंप दिया "जज आगा खां" अजदाद थे हमारे।
कोई एक किला बताओ जो तुमने अकेले फतेह किया हो..
हर ज़ंग में शहीद हुए हैं जांबाज हमारे...2/4
74 साल बीत गए पर, दर्द की आहें नही जाती,
हर ज़ुल्म सह के भी तुम्हें दुआ करते हैं ऐसे जिगर हैं हमारे।
मुसीबत सामने आए तो बुलाते हो भाई कह कर के,
मतलब निकाल जाए तब उसूल बदल जाते हैं तिहारे।
मुसलमां वतन की मिट्टी है ये वतन हमारा है,
बस इक नफरतों की दुनिया फ़ालतू साथ है तिहारे..3/4
Read 5 tweets

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