कल की जनसंघ जो आज की भाजपा है , उसमे जो जितना बड़ा लुटेरा,अपराधी,गुंडा, मवाली,बलात्कारी सब नेता हैं और टैक्स चोर बनियाँ जो हैं वे मिडिया घराने के मालिक हैं, लंपट मवाली सब सम्मानित नेता, रामराज्य के नागरिक हैं..
दूसरे विश्वयुद्ध को खत्म हुए कुछ ही साल हुए थे..यह विश्वयुद्ध भले ही दुनिया के लिये तबाही लेकर आया हो,लेकिन वरदान साबित हुआ बनियों के लिये,या उन्हीं की तरह पैसे से पैसा बनाने वालों के लिये,जिनकी आटे की चक्की या फुटपाथिया कपड़ेकी
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दुकान देखते ही देखते औद्योगिक साम्राज्य में बदल गयी..( और वैसे तो बुद्ध के समय से ही भारतवर्ष की केंद्रीय सत्ता किसी भी देशी - विदेशी के हाथ में रही हो, बनिया - ब्राह्मण प्रजाति पर कभी कोई आंच नहीं आयी..)
बीसवीं सदी के इस धनपति वैश्य समाज ने परम्पराओं का निर्वाह करते हुए किसी
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तिलकधारी पंडित से साइत निकलवा कर अपने पूर्वजों के नाम पर मंदिर बनवाए, धर्मशालाएं बनवायीं, स्कूल-कॉलेज खोले..धंधे को चोखा करने को अखबार भी शुरू कर दिये..गुलामी के दौर में दो-चार बैंक बैलेंसियों ने अंग्रेजों तक अपनी बात पहुंचानेको अंग्रेजी के अखबारोंके बोर्ड तो पहलेसे ही मार्केट
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में टांग दिये थे,आजादी का सदुपयोग करने को हिंदी को लेकर उनमें भी उथल-पथल शुरू हो गयी..
हिंदी बेल्ट वाले राज्योंमें घी-तेल-नून-लकड़ी बेचने वाला कोई दिमागी बनिया या तो अपने भाई-बंधुओं या समान विचारों वाले दो दोस्तोंके साथ यह ऐतिहासिक कार्य कर रहा था..रात-रात भर ट्रेडिल पर भुजाएं
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तोड़ कर,लीड वाले अक्षरोंमें आंखें फोड़ कर, सुबह कोई साइकिलपर,कोई तांगे पर तो कोई ठेलेपर अखबार बेच रहा था..चूंकि आजाद देश की सत्ता लोकतांत्रिक थी,जिसके चलते #जनप्रतिनिधि,#जनसेवक और इसी तरह #जन से अन्य शब्द मिलाकर बनीं कई प्रजातियां देशकी हरितिमामें चार चांद लगानेमें जुट चुकीथीं..6
चूंकि इस आजाद लोकतांत्रिक देश में लोकतंत्र को सबल बनाने को चुनाव का युग यानी लोकम्पियाड अब शुरू होने को था, जिसमें खेल बहुत सारे थे..पहला लोकम्पियाड नजदीक आ गया था..चार-छह राष्ट्रीय टीमें, 30-40लोकल टीमें उसमें हिस्सा ले रही थीं..इधर, मुख्यधारा में छप रहे अंग्रेजी अखबारों के कई
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मालिक भी अब हिंदी में भी खुल कर उतर आए थे..उनके तम्बू-कनात पहले से ही विराजमान थे..
आजादी की लड़ाई के दौरान खादी और गांधी टोपी ने पूंजीपतियों के इस वर्ग को वंदेमातरम कहना सिखा दिया था और अक्सर रघुपति राघव राजा राम की धुन उन्हीं के यहां सुनायी पड़ती थी, तो उनकी नींदों और उनके
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ख्वाबों में गहाराई और संभावनाओं का असीम सागर लहरा रहा था..कमोबेश यही हाल मीडिया (आधा-अधूरा..क्योंकि तब इलेक्ट्रॉनिक के नाम पर रेडियो था, जिसमें सिलोन शब्द मीठी-मीठी उत्तेजना जगाता)क्षत्रपों का था, जो जल्द ही माफियागिरी में लिप्त होने वाला था..
पुनरोद्धार शुरू हो चुका था और इस पुनरोद्धार कार्यक्रम में हिंदी मीडिया बहुत सहायक साबित हुआ..खास कर प्रदेश स्तर पर..लोकम्पियाड शुरू होने तक वे रिक्शे-तांगे वाले बग्घी और कारों में बेठने की अदा सीख चुके थे..
#जनप्रतिनिधि बन नेताई झाड़नेकी शुरुआत 1936 में प्रांतीय चुनावोंमें हो
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चुकी थी लेकिन चोला पूरी तरह बदला1952 के आम चुनावों ने..और #जनप्रतिनिधि नेता बन गया और #जनसेवक अफसर..लेकिन खेला अभी दाल में नमक के बराबर था.. अखबारी क्षत्रप भी डैने फैलाने लगे थे.. पैसा और रसूख दोनों हाथों में थे, तो अब हनक की इच्छा भी जोर मारने लगी..नेता जी को बुला कर नवजात की
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नाल कटवाने का फैशन चलन में आ चुका था..उस चुनाव में कांग्रेस का वर्चस्व था, लेकिन मीडिया क्षत्रपों को लोकल स्तर पर पार्टी में गुटबाजी परोसी हुई मिल गयी..कुल मिला कर अगले तीन लोकम्पियाड कांग्रेस ने अपनी जड़ों में मट्ठा चुआते हुए जीते.. 1977 आते-आते मट्ठे की रासायनिक क्रिया का
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चक्र शुरू हुआ और छठे लोकम्पियाड में सत्ता बदली और पत्रकारिता में भगवा रंग लहलहाने लगा..जनसंघ ने जनता पार्टी में शामिल होने को छद्मवेष धारण किया और महत्वपूर्ण काम अडवानी सूचना प्रसारण मंत्री बनकर सूचना जनसंपर्क विभाग हथियाने का किया और सुबह की शाखा
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के बाद स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता पत्रकारिता कर्म में लिप्त हो गए..इसी के साथ चोला बदलने में माहिर बनिया सेठ - ब्राह्मण संपादक गठजोड़ ने भी भगवा में ढलने की शुरुआत कर दी.. आज का गोदी मिडिया उसी की देन है...
14 @BramhRakshas @PONEDO_AANKH @ShuebKh16859893
सत्ता मे आने के छह सालों मे हिटलर ने सैनिक उद्यमों को मजबूत किया, मजबूत सेना खड़ा की, और फिर युद्ध छेड़ दिया।
डेढ़ सालके भीतर पूरा यूरोप उसके कदमों मे था।और मजे की बात,इसमे लडाई कम और दौड़ाई ज्यादा थी।यही ब्लिट्जक्रीग,याने लाइटनिंग वार थीं। 11/1
जिस तरह शरीरमे तीर,या सूई घुसतीहै, ब्लिट्जक्रीग इसी तरह से दुश्मनकी डिफेंस लाइन पर हमला करती।
याने किसी एक बिंदु पर जबरजस्त हमला ... और उसी बिंदु से पीछे पीछे कतारबद्ध फौजका दौड़कर घुसते चले जाना।
तोप,आर्मर्ड व्हीकल,भारी हथियार तो सिर्फ सामनेके कुछ हजार सिपाहियों के पास होते।
पीछे हल्के हथियारों से मोटरसायकल पर फौजी होते, और उनके पीछे पैदल मार्च करते सैनिक..
सामने वाले रास्ता बनाते,आगे बढते जाते।पीछे वाले फैल कर इलाके मे छा जाते।वो दुश्मन के इलाके मे,डिफेंस पोजीशन के पीछे से घुसकर सप्लाई लाइन,कम्युनिकेशन काट देते।
दुश्मन कई पाकेट्स मे घिर जाता,11/3
यह नीना गुप्ता हैं।
इन्हें 2021के रामानुजन अवार्ड से सम्मानित किया गया है।ये एकमात्र भारतीय महिला हैं इसे जीतने वाली।
हैरानी कि बात है कहीं मीडियामें इस खबर की चर्चा तक नहीं है,इस बेटी ने दुनियां को गणित में भारतका लोहा मनवाया है
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मीडिया वालों, जब अधनंगी ब्रह्मांड सुंदरी से
थोड़ा समय मिल जाए तो रामानुजन अवार्ड से सम्मानित भारतीय गणितज्ञ नीना गुप्ता की उपलब्धि की भी सुध ले लेना।
पर दुर्भाग्य इस देशमें अधनंगों,नशेड़ियों और देशद्रोहियोंको तो मीडिया कवरेज मिलतीहै पर नीना गुप्ता जैसी बेटियां जो देशका नाम रोशन करती हैं उन्हें मीडिया कवरेज नहीं मिलता।
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आइये हम सब मिलकर इस गणितज्ञ बेटीको सम्मानदें।
अभिनन्दन नीना गुप्ता।आप पर गर्वहै भारत को।
नीना गुप्ताने विकासशील देशोंके युवा गणितज्ञों के लिए डीएसटी-आईसीटीपी-आईएमयू रामानुजन पुरस्कार जीता है।उन्हें एफाइन बीजीय ज्यामिति और कम्यूटेटिव बीजगणित पर उनके कामके लिए स्वीकार किया गयाहै।
आज सुबह अचानक खबर आयी कि इंडिया गेट पर बने अमर जवान ज्योति की हमेशा जलती रहने वाली मशाल अब 50 साल बाद हमेशा के लिए बंद हो जाएगी...इतनी बड़ी घटना पर कोई बहस नही ! कोई बात नही!....
दरअसल मोदी सरकार की शुरू से ही यही मोडस ऑपरेंडी रही है
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कि वह अचानक से ही कोई काम कर देतीहै उसके बाद उसे सही सिद्ध करने का काम किया जाताहै उसकी उपयोगिता को समझाया जाता है
अमर जवान की मशालको नेशनल वॉर मेमोरियल की मशाल के साथ मिलाया जा रहा है. इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि दो जगहों पर लौ(मशाल)का रख रखाव करना काफी मुश्किल हो रहा है
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वैसे तो 2019में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के अस्तित्व में आने पर अमर जवान ज्योति के अस्तित्व पर सवाल उठाया जा रहा था कि अब जब देश के शहीदों के लिए नेशनल वॉर मेमोरियल बन गया है,तो फिर अमर जवान ज्योति पर क्यों अलग से ज्योति जलाई जाती रहे।...इस मुद्दे पर पहले भारतीय सेना ने कहा था कि
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भारत की गुजरात सरकार के अनुसार करोना से मरने वालों की कुल संख्या गुजरात में लगभग "दस हजार"थी।
उसी सरकार द्वारा सूचित किया गया है कि "पचास हजार" से अधिक परिवारों को मुआवजा राशि दी गई है जिनके यहां करोना से किसी की मृत्यु हुई थी।
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ब्रिटेन में मास्क की पाबन्दियां खत्म कर दी गई है
लेकिन फरवरी प्रथम सप्ताह तक ओ मो क्रोन के तेजी से पीक पर जाने की चेतावनी भी दी जा रही है।
भारत के सम्बन्ध मेंJagadishwar Chaturvedi Sirकी सूचना
भारत में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच एक परेशान करने वाली खबर सामने आई है। देश में ओमिक्रॉन वैरिएंट का पता लगाने के लिए सैंपल्स की
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जीनोम सीक्वेंसिंग करने में रुकावट आ रही है। द इंडियन SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्शियम (INSACOG) की 38 लैब में से 5 लैब बंद हो गई हैं। इससे पिछले महीने की तुलना में इस महीने जीनोम सीक्वेंसिंग में करीब 40% की गिरावट आई।
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अखंड भारत के सड़क पार वाले राज्यके दो नेताओका तुलनात्मक अध्ययन।
वैसेतो विश्व परिदृश्यमें डोल आंड ट्रंप ऐसा नेता हुआहै जो किसीको भी कहींभी जलील करने से नहीं चूकताथा लेकिन व्हाइट हाउसमें उधर के दोनों नेताओने अपने आपको और अपने समाज को शर्मिंदा नहीं होने दिया इसकी तारीफ करनी चाहिए।1
मियां नवाज़ शरीफ़ भाईजान हमेशा छोटी छोटी पर्चियां लिखकर जेब में रखते थे और उन्हें पढ़कर बातचीत आगे बढ़ाते थे ( हालांकि मियां साहब बेहतरीन अंग्रेजी बोलना भी जानते हैं और कभी बकलोल नहीं करते )
इमरान खान का अपना औरा इतना मजबूत है कि बड़े बड़े नेताओं को भी हाजिर जवाबी और वक्त पर
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चुने हुए शब्दो से लाजवाब कर देता है ( शिक्षित होने का अंतर है, ऐसा ही बीबी बेनजीर भुट्टो भी थी )
भारत में महात्मा गांधी के अतिरिक्त नेहरू जी और श्रीमती इंदिरा गांधी को ही वो स्तर प्राप्त हुआ है जहां भाषा, विषय और परिस्थितियां भी उनको डिगा नहीं सकी।
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वापिस अपने विषय पर लौटते हैं और आज का समाचार है ब्रिटेन की संसद में चीनी मूल की जासूस क्रिस्टीन ली के दखल और हमारे प्रधान जी के सम्बन्धों को लेकर एमआई 5 द्वारा जारी चेतावनी।
भारत के भी कई मीडिया हाउस से यह खबर ब्रेक हुई हैं
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लेकिन हमारे लिए महत्वपूर्ण क्यों है ?
विश्व की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसियों में से एक ब्रिटेन की एमआई मानी जाती है जो वास्तव मे मिल्ट्री इंटेलिजेंस का शॉर्ट फार्म है।
दूसरे विश्व युद्ध के समय एमआई वन से लेकर 15 तक विभाग थे जो अब केवल दो तक सीमित रह गए हैं।
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MI 5 आंतरिक हालात पर नजर रखती हैं और MI 6 बाहरी उठा पटक देखती हैं लेकिन कभी कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया जाता।
शायद पहली बार एमआई 5 ने अपने सांसद और चीनी जासूस ली के आर्थिक लेनदेन पर प्रश्न चिन्ह खड़ा किया है जिसमे लगभग दस लाख पाउंड की आर्थिक मदद का आरोप है।
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