यह नीना गुप्ता हैं।
इन्हें 2021के रामानुजन अवार्ड से सम्मानित किया गया है।ये एकमात्र भारतीय महिला हैं इसे जीतने वाली।
हैरानी कि बात है कहीं मीडियामें इस खबर की चर्चा तक नहीं है,इस बेटी ने दुनियां को गणित में भारतका लोहा मनवाया है
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मीडिया वालों, जब अधनंगी ब्रह्मांड सुंदरी से
थोड़ा समय मिल जाए तो रामानुजन अवार्ड से सम्मानित भारतीय गणितज्ञ नीना गुप्ता की उपलब्धि की भी सुध ले लेना।
पर दुर्भाग्य इस देशमें अधनंगों,नशेड़ियों और देशद्रोहियोंको तो मीडिया कवरेज मिलतीहै पर नीना गुप्ता जैसी बेटियां जो देशका नाम रोशन करती हैं उन्हें मीडिया कवरेज नहीं मिलता।
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आइये हम सब मिलकर इस गणितज्ञ बेटीको सम्मानदें।
अभिनन्दन नीना गुप्ता।आप पर गर्वहै भारत को।
नीना गुप्ताने विकासशील देशोंके युवा गणितज्ञों के लिए डीएसटी-आईसीटीपी-आईएमयू रामानुजन पुरस्कार जीता है।उन्हें एफाइन बीजीय ज्यामिति और कम्यूटेटिव बीजगणित पर उनके कामके लिए स्वीकार किया गयाहै।
विशेष रूप से एफ़िन स्पेस के लिए ज़ारिस्की रद्दीकरण समस्या को हल करने के लिए उनका काम इस पुरस्कार के माध्यम से सराहनीय और सम्मानित किया गया है।
45 वर्ष से कम आयु के गणितज्ञों के लिए रामानुजन पुरस्कार सैद्धांतिक भौतिकी (ICTP), ट्राइस्टे द्वारा प्रदान किया जाता है।
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यह भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा प्रायोजित है।
एक प्रमुख समाचार दैनिक से बात करते हुए नीना गुप्ता ने कहा, “मैं इस पुरस्कार को प्राप्त करने के लिए सम्मानित महसूस कर रही हूं, हालांकि, यह पर्याप्त नहीं है। एक शोधकर्ता के रूप में,
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मुझे लगता है कि बहुत अधिक गणितीय समस्याएं हैं जिनका समाधान हमें खोजना है। इसके लिए मान्यता प्राप्त करना काम निश्चित रूप से मुझे शोध क्षेत्र में और अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित करता है।”
6 @BramhRakshas @ShuebKh16859893 @MadhuKothari9
मान लीजिए शहरकी किसी व्यस्त सड़कसे आप गुजर रहेहैं और आठ दस पुलिस वाले आपको रोकते हैं और वह आपके चेहरेका फोटो अपने मोबाइल पर खींच लेतेहैं,ओर फिर आपको जाने देते हैं तो आप क्या करेंगे?
हो सकताहै कि आप इस घटना को सामान्य मान कर आगे निकल जाए लेकिन हैदराबादके MQमसूदने ऐसा नही किया ..
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पहले लॉक डाउन के दौरान यह घटना उनके साथ घटी थी.....मसूद ने इस तरह से अपने फ़ोटो खींचे जाने के खिलाफ शहर के पुलिस प्रमुख को एक कानूनी नोटिस भेजकर जवाब मांगा. कोई जवाब ना मिलने पर उन्होंने हाईकोर्ट में एक मुकदमा दायर किया जिसमें तेलंगाना सरकार द्वारा चेहरा पहचानने वाली तकनीक के
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इस्तेमाल को चुनौती दी गई है.
जी हाँ हम बात कर रहे हैं फेशियल रिकग्निशन की,भारत में अपनी तरह का यह पहला मामला है.मसूद की ओर से पेश एडवोकेट मनोज रेड्डी की दलीलें सुनने के बाद कोर्टकी पीठ ने तेलंगाना राज्य सरकारको नोटिस जारी किया है।
सत्ता मे आने के छह सालों मे हिटलर ने सैनिक उद्यमों को मजबूत किया, मजबूत सेना खड़ा की, और फिर युद्ध छेड़ दिया।
डेढ़ सालके भीतर पूरा यूरोप उसके कदमों मे था।और मजे की बात,इसमे लडाई कम और दौड़ाई ज्यादा थी।यही ब्लिट्जक्रीग,याने लाइटनिंग वार थीं। 11/1
जिस तरह शरीरमे तीर,या सूई घुसतीहै, ब्लिट्जक्रीग इसी तरह से दुश्मनकी डिफेंस लाइन पर हमला करती।
याने किसी एक बिंदु पर जबरजस्त हमला ... और उसी बिंदु से पीछे पीछे कतारबद्ध फौजका दौड़कर घुसते चले जाना।
तोप,आर्मर्ड व्हीकल,भारी हथियार तो सिर्फ सामनेके कुछ हजार सिपाहियों के पास होते।
पीछे हल्के हथियारों से मोटरसायकल पर फौजी होते, और उनके पीछे पैदल मार्च करते सैनिक..
सामने वाले रास्ता बनाते,आगे बढते जाते।पीछे वाले फैल कर इलाके मे छा जाते।वो दुश्मन के इलाके मे,डिफेंस पोजीशन के पीछे से घुसकर सप्लाई लाइन,कम्युनिकेशन काट देते।
दुश्मन कई पाकेट्स मे घिर जाता,11/3
आज सुबह अचानक खबर आयी कि इंडिया गेट पर बने अमर जवान ज्योति की हमेशा जलती रहने वाली मशाल अब 50 साल बाद हमेशा के लिए बंद हो जाएगी...इतनी बड़ी घटना पर कोई बहस नही ! कोई बात नही!....
दरअसल मोदी सरकार की शुरू से ही यही मोडस ऑपरेंडी रही है
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कि वह अचानक से ही कोई काम कर देतीहै उसके बाद उसे सही सिद्ध करने का काम किया जाताहै उसकी उपयोगिता को समझाया जाता है
अमर जवान की मशालको नेशनल वॉर मेमोरियल की मशाल के साथ मिलाया जा रहा है. इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि दो जगहों पर लौ(मशाल)का रख रखाव करना काफी मुश्किल हो रहा है
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वैसे तो 2019में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के अस्तित्व में आने पर अमर जवान ज्योति के अस्तित्व पर सवाल उठाया जा रहा था कि अब जब देश के शहीदों के लिए नेशनल वॉर मेमोरियल बन गया है,तो फिर अमर जवान ज्योति पर क्यों अलग से ज्योति जलाई जाती रहे।...इस मुद्दे पर पहले भारतीय सेना ने कहा था कि
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भारत की गुजरात सरकार के अनुसार करोना से मरने वालों की कुल संख्या गुजरात में लगभग "दस हजार"थी।
उसी सरकार द्वारा सूचित किया गया है कि "पचास हजार" से अधिक परिवारों को मुआवजा राशि दी गई है जिनके यहां करोना से किसी की मृत्यु हुई थी।
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ब्रिटेन में मास्क की पाबन्दियां खत्म कर दी गई है
लेकिन फरवरी प्रथम सप्ताह तक ओ मो क्रोन के तेजी से पीक पर जाने की चेतावनी भी दी जा रही है।
भारत के सम्बन्ध मेंJagadishwar Chaturvedi Sirकी सूचना
भारत में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच एक परेशान करने वाली खबर सामने आई है। देश में ओमिक्रॉन वैरिएंट का पता लगाने के लिए सैंपल्स की
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जीनोम सीक्वेंसिंग करने में रुकावट आ रही है। द इंडियन SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्शियम (INSACOG) की 38 लैब में से 5 लैब बंद हो गई हैं। इससे पिछले महीने की तुलना में इस महीने जीनोम सीक्वेंसिंग में करीब 40% की गिरावट आई।
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कल की जनसंघ जो आज की भाजपा है , उसमे जो जितना बड़ा लुटेरा,अपराधी,गुंडा, मवाली,बलात्कारी सब नेता हैं और टैक्स चोर बनियाँ जो हैं वे मिडिया घराने के मालिक हैं, लंपट मवाली सब सम्मानित नेता, रामराज्य के नागरिक हैं..
दूसरे विश्वयुद्ध को खत्म हुए कुछ ही साल हुए थे..यह विश्वयुद्ध भले ही दुनिया के लिये तबाही लेकर आया हो,लेकिन वरदान साबित हुआ बनियों के लिये,या उन्हीं की तरह पैसे से पैसा बनाने वालों के लिये,जिनकी आटे की चक्की या फुटपाथिया कपड़ेकी
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दुकान देखते ही देखते औद्योगिक साम्राज्य में बदल गयी..( और वैसे तो बुद्ध के समय से ही भारतवर्ष की केंद्रीय सत्ता किसी भी देशी - विदेशी के हाथ में रही हो, बनिया - ब्राह्मण प्रजाति पर कभी कोई आंच नहीं आयी..)
बीसवीं सदी के इस धनपति वैश्य समाज ने परम्पराओं का निर्वाह करते हुए किसी
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अखंड भारत के सड़क पार वाले राज्यके दो नेताओका तुलनात्मक अध्ययन।
वैसेतो विश्व परिदृश्यमें डोल आंड ट्रंप ऐसा नेता हुआहै जो किसीको भी कहींभी जलील करने से नहीं चूकताथा लेकिन व्हाइट हाउसमें उधर के दोनों नेताओने अपने आपको और अपने समाज को शर्मिंदा नहीं होने दिया इसकी तारीफ करनी चाहिए।1
मियां नवाज़ शरीफ़ भाईजान हमेशा छोटी छोटी पर्चियां लिखकर जेब में रखते थे और उन्हें पढ़कर बातचीत आगे बढ़ाते थे ( हालांकि मियां साहब बेहतरीन अंग्रेजी बोलना भी जानते हैं और कभी बकलोल नहीं करते )
इमरान खान का अपना औरा इतना मजबूत है कि बड़े बड़े नेताओं को भी हाजिर जवाबी और वक्त पर
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चुने हुए शब्दो से लाजवाब कर देता है ( शिक्षित होने का अंतर है, ऐसा ही बीबी बेनजीर भुट्टो भी थी )
भारत में महात्मा गांधी के अतिरिक्त नेहरू जी और श्रीमती इंदिरा गांधी को ही वो स्तर प्राप्त हुआ है जहां भाषा, विषय और परिस्थितियां भी उनको डिगा नहीं सकी।
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