चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से सितंबर 2021 में निपटाए गए जीवन बीमा के दावे पिछले सात बिना महामारी वाले वर्षों के लिए इसी अवधि के औसत से लगभग 136 प्रतिशत अधिक थे। यह इस बात का एक स्पष्ट संकेत है कि वास्तव में कितने भारतीयों ने कोविड की दूसरी लहर के दौरान इसकी वजह से अपनी जान गंवाई।
दावों में आयी यह भारी वृद्धि भारत में ‘अतिरिक्त मृत्यु दर’ के बारे में व्यक्त किये गए उस संदेह की पुष्टि करती है, जो महामारी के दौरान होने वाली मृत्यु की संख्या में हुई बेहिसाब वृद्धि की तरफ संकेत करता है। परन्तु, यह उन कई अनुमानों के आस-पास भी नहीं है जो सरकार बता रही है।
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, महामारी की इस पूरी समय अवधि के दौरान कोविड संक्रमण से बुधवार शाम तक 5.05 लाख मौतें हो चुकी थी। 1 अप्रैल से 31 मार्च तक दावों में आयी यह तीव्र वृद्धि 2021 में दूसरी कोविड लहर के चरम के साथ की आई थी।
बजाज आलियांज लाइफ, ICICI प्रूडेंशियल, HDFC लाइफ, कोटक महिंद्रा, मैक्स लाइफ, प्रामेरिका, SBI और LIC के तिमाही वित्तीय खुलासों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2021-22 की जुलाई और सितंबर 2021 के बीच में, कुल 9,56,846 जीवन बीमा क्षतिपूर्ति संबंधी दावों का निपटारा किया गया।
यह वित्त वर्ष 2013-14 के बाद से किसी एक तिमाही में सबसे अधिक संख्या है। आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 के अनुसार, साल 2020 में भारत में लोगों तक जीवन बीमा की पहुंच 3.2 प्रतिशत थी।
वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी और चौथी तिमाही के बीच जीवन बीमा दावों में काफी वृद्धि हुई है, जो मोटे तौर पर कोविड की पहली लहर के बाद के समय से मेल खाता है।
वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही (अप्रैल और जून 2020 के बीच) में 2,39,656 दावों का निपटारा किया गया, लेकिन अगली तीन तिमाहियों में क्रमशः 4,98,409, 6,50,842 और 6,44,140 दावों का निपटारा हुआ।
वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में 4,97,909 जीवन बीमा दावों का निपटारा किया गया, जो दूसरी तिमाही में बढ़कर 9,56,846 हो गए।
वित्त वर्ष 2021-22 की पहली छमाही में लगभग 15 लाख जीवन बीमा दावों का निपटारा किया गया, जो कि वित्त वर्ष 2014-15 से लेकर वित्त वर्ष 2019-20 से बीच के सात वर्षों में इसी अवधि में निपटाए गए दावों के औसत- जो कि 6 लाख है – से दोगुने से भी अधिक है।
यह तथ्य कि ये आंकड़े महामारी के पहले वर्ष के दौरान केवल क्यू-3 और क्यू-4 – वह समय काल जब भारत में कोविड की संख्या पहली लहर के बाद कम होने लगी थी – के दौरान ऐसे दावों में बढोत्तरी दिखाते हैं, यह बताता है कि लहर की अवधि और दावों के निपटान की समयावधि के बीच अंतराल हो सकता है।
भारत में 97,000 से अधिक एक दिन में दर्ज किये गए मामलों की संख्या के साथ पहली लहर की ‘पीक’ सितंबर 2020 में दर्ज की गई थी, जबकि क्यू-3 और क्यू-4 अक्टूबर 2020 से मार्च 2021 तक की अवधि थी।
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ABG शिपयार्ड ने बैंकों को लूटा या ABG शिपयार्ड एक संगठित बैंक लूट का प्लॉट है?
क्रोनोलॉजी समझिए..
● 2004- 2014 : कांग्रेस का समय..ABG शिपयार्ड एक मुनाफे वाली उभरती हुई डिफेंस सेक्टर की कंपनी थी..कोई लोन डिफ़ॉल्ट नही, कोई घपला नही..
● 2015 : अचानक से ABG शिपयार्ड घाटे में आती है..ABG शिपयार्ड खुद को बेचने के लिए अडानी, जिंदल से बातचीत करती है..पर बात नही बनती..ABG शिपयार्ड के मालिक "बड़े साहब" के साथ पब्लिक में दिखाई देते है..
● 2015 : ABG शिपयार्ड का 11,000 करोड़ का लोन "रिस्ट्रक्चर" कर दिया जाता है..कई क्रिमिनल केस दर्ज होते है..पर कंपनी के मालिक की गिरफ्तार तो दूर पूछताछ भी नही होती।
UP के खीरीहिंसा के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने जमानत दे दी है लेकिन, जमानत मिलने के बाद भी आशीष मिश्रा का जेल से बाहर आना अभी मुश्किल है। क्योंकि जमानत आदेश में धारा 302 और 120बी का जिक्र नहीं किया गया है।
पुलिस ने कोर्ट में जो चार्जशीट दायर की है, उसमें आशीष मिश्रा को आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 302, 307, 326, 34, 427 और 120बी के तहत आरोपी बनाया गया है. इसके साथ ही आर्म्स एक्ट की धारा 3/25, 5/27 और 39 के तहत भी केस दर्ज है।
जबकि, बेल ऑर्डर में आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 307, 326 और 427 के अलावा आर्म्स एक्ट की धारा 34 और 30 का जिक्र है. इसमें धारा 302 और 120बी का जिक्र नहीं है। धारा 302 हत्या और 120बी आपराधिक साजिश रचने से जुड़ी हुई है।
RBI द्वारा नवम्बर/21 में जारी आंकड़े बताते हैं कि, UP की Nominal Gross State Domestic Product – NGSDP ₹ 19,48,000 करोड़ था। जबकि तमिलनाडु ₹21,24,000 करोड़ दूसरे स्थान और महाराष्ट्र ₹30,79,086 करोड़ प्रथम था। 22.8 करोड़ की जनसंख्या वाले UP की GSDP दस साल से स्थिर है।
उत्तर प्रदेश की कुल प्रति व्यक्ति जीएसडीपी सिर्फ 65,431 रुपए है। बिहार को छोड़ अन्य सभी राज्यों से कम। बाकी सामाजिक व आर्थिक पैमानों पर भी प्रदेश, अंतिम छोर पर खड़े ‘बीमारू राज्य’ बिहार के आस-पास ही नज़र आता है।
उत्तर प्रदेश ने 2016-17 और 2019-20 के BJP राज के दौरान पूरे देश में सबसे कम आर्थिक वृद्धि दर्ज की। केवल गोवा और मेघालय की जीएसडीपी वृद्धि दर (स्थिर कीमतों पर) उ.प्र. से कम थी। उ.प्र. 33 में 31वां स्थान पर था।
इंडिया गेट भी एक युद्ध स्मारक ही है, पर वह युद्ध ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा प्रथम विश्वयुद्ध के रूप में लड़ा गया था। बड़ी संख्या में भारतीय सैनिकों ने उस युद्ध मे भाग लिया था और अपनी वीरता से दुनिया को अचंभित भी किया था। उन्ही बहादुर सैनिकों के नाम उस इंडिया गेट पर अंकित है।
इंडिया गेट को अंग्रेजों की ओर से शहीद हुए 90 हजार भारतीय सैनिकों की याद में अंग्रेजों ने 1931 में बनावाया था। यह सैनिक फ्रांस, मेसोपोटामिया, पर्शिया, पूर्वी अफ्रीका, गैलिपोली, अफगानिस्तान, दुनिया के कई अन्य हिस्सों में लड़े थे। यहां 13 हजार शहीद सैनिकों के नामों का उल्लेख है।
अब इंडिया गेट की उस ज्योति विहीन सूनी जगह का क्या उपयोग होगा, यह तो पता नहीं, पर दिल्ली शहर के उस सबसे आकर्षक स्थल से गुजरते हुए पहले, जिस अमर जवान ज्योति के दर्शन हो जाते थे, वह अब अतीत बन चुकी है। अब न वहां ज्योति दिखेगी, और न ही उसके बारे में कोई जिज्ञासा उठेगी।
संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार द्वारा किसानों से वादाखिलाफी के खिलाफ 31 जनवरी को देशव्यापी विश्वासघात दिवस मनाने का ऐलान किया है।
लखीमपुर खीरी हत्याकांड में बीजेपी की बेशर्मी और संवेदनहीनता के विरुद्ध संयुक्त किसान मोर्चा पक्का मोर्चा लगाएगा, मिशन उत्तर प्रदेश जारी रहेगा।
23 और 24 फरवरी को मजदूर संगठनों द्वारा घोषित राष्ट्रव्यापी हड़ताल का समर्थन और सहयोग करेगा संयुक्त किसान मोर्चा।
चुनाव में संयुक्त किसान मोर्चा का नाम नहीं होगा इस्तेमाल, चुनाव में भाग लेने वाले किसान संगठन और नेता संयुक्त किसान मोर्चा में नहीं।
आंदोलन के दौरान हुए केस को वापिस लेने के वादे पर हरियाणा सरकार ने कुछ कागजी कार्यवाई की है लेकिन केंद्र, MP, UP, उत्तराखंड और हिमाचल सरकार की तरफ से नाममात्र की भी कोई भी कार्यवाई नहीं हुई है। बाकी राज्य सरकारों को केंद्र सरकार की तरफ से चिट्ठी भी नहीं गई है।
पाकिस्तान के एक बुद्धिजीवी मियां आसिफ़ रशीद का एक लेख है 'मुस्लिम देशों का भविष्य'।
इस लेख में उन्होंने निष्कर्ष निकाला था कि जो मुस्लिम देश आधुनिक 'वर्ल्ड एजेंडा' को स्वीकार नहीं करेंगे वे नष्ट हो जाएंगे।
'वर्ल्ड एजेंडा' से उनका तात्पर्य था- लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, मानव अधिकार, स्त्री- पुरुष समानता, जनकल्याणकारी नीतियां, सहयोग, शांति और विश्व बंधुत्व की भावना।
मियां आसिफ़ रशीद के विचारों पर सऊदी अरब ने मोहर लगा दी है। संसार के सबसे कट्टर इस्लामी देश ने जिस उदारता और सुधार की ओर कदम बढ़ाया है वह सिद्ध करता है कि आधुनिक युग में धर्म के आधार पर राज्य नहीं चलाया जा सकता।