देश में MBBS की कुल 90675 सीट हैं, जिसमें सरकारी 44555 हैं।
सरकारी की फ़ीस कुछ हज़ार और प्राइवेट की 1.5 करोड़ तक है।
पिछले साल 15.4 लाख बच्चों ने NEET परीक्षा दी, पास हुए 8.7 लाख।
सीट 90675, पास 8.7 लाख! क्यों?
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यहीं खेल है!
NEET में अपनी अपनी कैटेगरी टॉप रैंकिंग वाले तो सरकारी मेडिकल कॉलेज में चले जाते हैं। बाक़ी 8.65 लाख बच्चों के लिए 46120 प्राइवेट सीट ही बचती हैं।
अगर बात सिर्फ़ मेरिट की होती, 46 हज़ार सीट के लिए थोड़े ही ज़्यादा बच्चे पास करते, 19 गुना नहीं!
समझते हैं, क्यों?
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19 गुना बच्चे पास करके हर प्राइवेट सीट के लिए 19 NEET पास बच्चों की मंडी सजा दी जाती है।
चूँकि इस मंडी में हर छात्र की क्षमता को करोड़ -डेढ़ करोड़ तक फ़ीस की नहीं होती है। इसलिए रैंकिंग और फ़ीस क्षमता के मैचिंग होती है।
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कई गरीब अच्छे छात्र ख़राब लेकिन सस्ते प्राइवेट कॉलेज में जाते हैं।
कई अमीर, या किसी तरह से पैसा जुटाने वाले छात्र बहुत अच्छे प्राइवेट कॉलेज में जाते हैं, चाहे उनकी रैंकिंग बहुत ख़राब ही क्यों न हो।
और बहुत से अच्छी रैंकिंग वाले भी पैसे की कमी से कहीं नहीं जा पाते हैं!
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पिछले साल 7.5 लाख रैंकिंग वाले और 21% NEET नम्बर वाले छात्र को भी प्राइवेट कॉलेज में दाख़िला मिल गया था।
इससे दो बात साफ़ है:
1. उससे ऊपर रैंकिंग वाले कम से कम 705445 बच्चों को दाख़िला नहीं मिला!
2. अगर 21% नम्बर वाले को भी नहीं देते तो प्राइवेट सीट ख़ाली रह जाती!
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प्राइवेट मेडिकल कॉलेज नुक़सान में न रहें, इसीलिए 19 गुना बच्चों को NEET पास दिखाया जाता है, चाहे उनके 18% नम्बर ही क्यों न हों!
NEET के बाद 90% कॉलेज ने फ़ीस ही 5-6 गुना बढ़ा दी, जो कैपिटेशन फ़ीस का ही दूसरा रूप है!
अब सवाल ये है कि नवीन के क्या 18% नम्बर भी नहीं थे?
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नवीन शेखरप्पा यूक्रेन इसलिए नहीं गया क्योंकि वो NEET पास नहीं कर सका।
सच तो ये है कि वहाँ भी एडमिशन NEET रैंकिंग के आधार पर ही मिलता है।मंत्री जी या सरकार को क्या ये मालूम नहीं है?
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नवीन शेखरप्पा इसलिए यूक्रेन गया था क्यूँकि 97% वाला छात्र था
यहाँ अच्छे प्राइवेट कॉलेज की एक-डेढ़ करोड़ फ़ीस नहीं दे सकता था और किसी बेकार से प्राइवेट कॉलेज में पढ़ना उसे मंज़ूर नहीं था।
यूक्रेन में क्वालिटी का और खर्च का अच्छा विकल्प था, इसलिए वो वहाँ गया था।क्या ग़लत था?
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सरकार को व इसके मंत्रियों को शर्म आनी चाहिए कि केवल अपनी नाकामी छुपाने के लिए वो इन प्रतिभाशाली छात्रों को बदनाम करने में जुट गए!
ये छात्र देश में पढ़ते यदि फ़ीस ठीक होती या सीट ज़्यादा होतीं। ये सभी NEET पास हैं व इनसे बहुत बहुत कम रैंकिंग वाले भारत में पैसा दे पढ़ रहे हैं
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और एक आख़िरी बात।
जेनरल, SC, ST, OBC, EWS सभी वर्गों के लिए कुल मिला कर केवल 44555 सीट ही सरकारी हैं।बाक़ी 46120 के लिए प्राइवेट मंडी है, जहां 18% नम्बर पर भी दाख़िला मिल सकता है।
प्रतिभा का, मेरिट की क्या ग़ज़ब परिभाषा है!
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This fall in India’s crude oil production is not without reason. It’s by design. Modi government is killing ONGC.
ONGC’s expenditure on exploratory wells fell from Rs 11,687 crore in FY14 to Rs 4,331 crore in FY20.
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Now Modi government has decided to give 60% stake and operatorship of Mumbai High and Bassein & Satellite (B&S) offshore assets to international partners for raising output and take it away from ONGC.
But in bhashans, they keep on harping on Aatmnirbhar!
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क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गाँधी और जवाहरलाल नेहरू एक दूसरे के ख़िलाफ़ थे?
1. जब नेताजी कांग्रेस के अध्यक्ष बने, तो 1938 में उन्होंने नैशनल प्लानिंग कमेटी गठित की, जिसका उद्देश्य आज़ाद भारत की योजना का ब्लू प्रिंट बनाना था। नेताजी ने उसका अध्यक्ष नेहरू को बनाया। 1/n
2. 1938 में जब बोस गाँधी जी के समर्थन से कांग्रेस अध्यक्ष बने थे।1939 में वे दोबारा अध्यक्ष का चुनाव लदे, तब गाँधी जी का समर्थन पट्टाभि सीतारमैया को था। लेकिन जीते बोस।बाद में वर्किंग कमेटी के गठन को ले कर गाँधी जी और बोसे एकमत नहीं थे।सो बोस ने अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया।2/n
3.1939 में नेता जी बोस के रास्ते अलग हो गए थे। लेकिन गाँधी जी में विश्वास बना रहा। 4.4 जून, 1944 को नेता जी ने ही रंगून से अपने अंतिम रेडियो सम्बोधन में गाँधी जी को ‘राष्ट्रपिता’ ‘Father of Nation’ कहा, जो बाद में पूरे देश ने स्वीकार किया। 3/n
Lok Sabha passes Farm Laws Repeal Bill without discussion.
Speaker keeps saying he will allow discussion, even after he allows for passing of bill without discussion!
In morning BAC meeting Govt said no discussion on repeal bills ever.
Every bit of above is wrong.
see list..
Some Repeal Bills discussed in Parliament:
1.The Displaced Persons Claims And Other Laws Repeal Bill,2004
2.The Judicial Administration Laws (Repeal) Bill,2000
3.The Cotton Cloth (Repeal) Act,2000
4.The Unit Trust of India (Transfer Of Undertaking And Repeal) Bill, 2002..
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5.The Special Courts (Repeal) Bill, 1980 6.Gold (Control) Repeal Bill, 1990
7.The Hindu Widows' Re-Marriage (Repeal) Bill, 1982
8.The Uttar Pradesh Cantonments (Control Of Rent And Eviction) I (Repeal) Bill, 1971….