अगस्त तक का लक्ष्य 30 करोड़ को वैक्सीन लगाना है, हर व्यक्ति तो दो डोज़ , यानि 60 करोड़ डोज़।
अप्रैल, 2021 के अंत तक केवल 12 करोड़ वैक्सीन डोज़ का ऑर्डर सरकार ने दिया था।
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28 अप्रैल, 2021 को अब 16 करोड़ वैक्सीन डोज़ का ऑर्डर दिया है।
इसमें 11 करोड़ कोविशील्ड बनाने वाली कम्पनी सीरम इन्स्टिटयूट को और 5 करोड़ कोवैक्सीन बनाने वाली भारत बीयोटेक को ऑर्डर दिया है।
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सीरम इन्स्टिटयूट ये ऑर्डर जुलाई-अगस्त तक पूरा कर सकेगा। भारत बायोटेक की क्षमता सिर्फ़ 4 लाख वैक्सीन प्रति माह बनाने की है। वो कब तक 5 करोड़ वैक्सीन देगा, राम जाने।
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गुरु तेग़ बहादुर ने अपना सर्वस्व बलिदान किया, ताकि हिंदुस्तान में धार्मिक कट्टरता ख़त्म हो।
वो गुरु नानक की परम्परा के वारिस थे, जिनके लिए कहा जाता था ‘बाबा नानक शाह फ़क़ीर, हिंदुओं का गुरु, मुसलमानों का फ़क़ीर’
ये परम्परा किसी धर्म के ख़िलाफ़ नहीं है, पर हर जुल्म के ख़िलाफ़ है
सिख गुरुओं की वाणी में जवाब है कि वे पाखंड, मूर्तिपूजा, धार्मिक विद्वेष, ऊँच-नीच, जातिवाद के ख़िलाफ़ क्यों लड़े
और
मानवीय मूल्यों की रक्षा, कर्म की महत्ता, सबकी सेवा और ‘मानव की जात सभै एको पहचान बौ’ के लिए उन्होंने सिख धर्म क्यों शुरू किया... 2/n
गुरुवाणी में सम्मिलित है ‘कोई बोले राम राम, कोई खुदाय, कोई सेवे गुसाईयां, कोई अल्लाय’
और
गुरु ग्रंथ साहिब, जिसको अंतिम रूप गुरु तेग़बहादुर के सुपुत्र गुरु गोविंद सिंह ने दिया, उसमें दर्ज है
'अव्वल अल्लाह नूर उपाया
कुदरत के सब बन्दे
एक नूर ते सब जग उपजया
कौन भले कौन मंदे'
Dalits, Tribals constitute over 26% of India’s population. That’s 1 out of 4 persons in India.
But do you see as many of them in your offices, high positions or apartment complexes?
Your answer sums up the ground reality. That’s why India needs to continue focusing on them...
Continued focus on Dalits, Tribals means education, capacity building, hand holding for upward mobility, affirmative action in every sector including private & continued reservations.
No nation can progress beyond a point if majority of its population remains dispossessed.
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Leaders who fought for independence and framed our constitution were overwhelmingly upper caste. Then why did they support reservations & focus on Dalits, Tribals?
Because
a) they believed in equality
b) they understood that if over 70% population is remains dispossessed...3/n
मुद्दा प्रधानमंत्री के नाम पर स्टेडियम का नहीं है।मुद्दा पाखंड का है।
आपने तो दीनदयाल उपाध्याय के नाम भी कितना कुछ कर दिया है, जबकि देश को आज भी उनके किसी योगदान का पता ही नहीं है।फिर सब चुप रहे न!
मुद्दा सरदार पटेल का नाम जपते जपते उन्हीं का नाम मिटा कर अपना नाम लिखने का है...
मुद्दा कांग्रेस की उम्रभर आलोचना करते करते वही कर चलने का है।
मुद्दा मायावती का इसी बात के लिए मज़ाक़ उड़ाते उड़ाते खुद जीते जी वही करने का है।
मुद्दा हर उस बात पर यू-टर्न का है जो आप दशकों से जनता को समझाते आए थे (केवल उस विभाजनकारी फ़लसफ़े को छोड़, जिस पर आप हमेशा स्थिर हैं)
मुद्दा उस नफ़रत का भी है जो आप नेहरू, इंदिरा, राजीव के लिए फैलाते हैं, हालाँकि आज भी आप न तो उनके बराबर लोकसभा सीट जीते हैं, न उनके बराबर कार्यकाल हुआ, न ही उपलब्धियाँ हुई हैं
मुद्दा उसी जनादेश को अपने लिए देववाणी समझने का है और आपसे बड़े जनादेश पाने वालों का मज़ाक़ उड़ाने का है