सरकार बनते ही जनहित/देशहित में राष्ट्रवादी, डबल इंजन सरकार, सन्यासी योगी आदित्यनाथ जी का बड़ा फैसला....
रिटायरमेंट की उम्र 60 साल से घटाकर 50 कर दिया गया है।
याद रखिए,
सरकारी नौकरी के अंतिम 5 वर्षों में उतनी कमाई होती है जितना शुरुआत के 10-15 साल में होता है।
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औसतन 25-26 साल में नौकरी होती है 20-25 हजार रुपये महीने पर....
55-60 साल की होते हुए यह 80-90 हजार रुपये महीने तक पहुंच जाता है।
तो इस तरह से 60 की जगह मात्र 50 की आयु में रिटायर करवाके योगी सरकार ने हजारों करोड़ रुपया बचा लिया है।
दूसरों शब्दों में यह भी कह सकते हो कि
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योगीजी ने सरकारी कर्मचारियों की ले ली है (गलत सेंस वाला).
पेंशन भी नहीं है सरकारी नौकरी में... राटायर भी 10 साल पहले....
ऐसा फैसला बहुमत की सरकार ही ले सकती है।विपक्ष को कमज़ोर रखने का फल दिया जा रहा है।
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•अटल जी पेंशन खत्म कर दिए,
•नीतीश और योगी जी सरकारी नौकरी करने की अवधि 60 से 50 साल कर दिए,
•नरेन्द्र मोदी जी सरकारी संस्थानों को बेचकर सरकारी नौकरी ही खत्म कर रहे हैं।
और ये सारे फैसले को अभूतपूर्व, अकल्पनीय, ऐतिहासिक, राष्ट्रवादी, देशहित में बताया गया अपने समय अनुसार (4/7)
• नेताओं ने अटल जी के फैसले के विपरीत अपना पेंशन शुरू कर लिया, अटल जी के जिंदा रहते उनके ही BJP सरकार ने
•नेताओं को चुनाव लड़ने की कोई आयु सीमा तय नहीं किया गया है आजतक
•भारत में सिर्फ 1 सरकारी विमान है मोदी जी का प्रधानमंत्री स्पेशल, संसद सरकारी बनाया जा रहा है(5/7)
तो जनता की उपयोग की जाने वाली सभी चीजें/संस्थाओ का निजीकरण किया जाना चाहिए
और नेताओं का इस्तेमाल किया जानेवाला सभी चीज सरकारी होना चाहिए.....!
काँग्रेस नेताओ ने भी भाजपा सरकार को इस मामले में साथ दिया इसलिए आज काँग्रेस का इतना बुरा हाल है। (6/7)
अगर कांग्रेस नेताओं ने नेताओं के लिए पेंशन व्यवस्था का विरोध किया होता,
अगर जनता के लिए उपयोगी PSU's के निजीकरण और नेताओं के लिए सरकारी उपक्रम का उपयोग करने का विरोध किया होता,
तो आज जनता का विश्वास काँग्रेस में जरूर रहता,जो अब नहीं है।
अब काँग्रेस के पास मुद्दा ही नहीं है
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Women Factor #SilentVoter
पुरुष #GodiMedia देखता है,बाहर जाता है,
किसी से डिबेट करके अपनी बेज्जती करवाता है तब या तो #अंधभक्त का certificate पाता है या फिर उसका दिमाग ठिकाने लग जाता है और वह Normal Humans की तरह सोचने लग जाता है।
On the other hand
महिलाएँ घर में बैठी रहती है, #GodiMedia देखती है, फिर TV सीरियल देखती है, कभी समझदार व्यक्ति से बात करने का मौका ही नहीं मिलता है उनको...
वो न सामान्य इंसान के रूप में सोच पाती है और न ही #अंधभक्ति का प्रमाणपत्र प्राप्त कर पाती है।
वैसे एक बात मानना पड़ेगा मोदी सरकार ने महिलाओं के लिए बहुत काम भी किया है #शौचालय,#राशन...
महिलाएँ इतने में ही खुश हो जाती है,उसका मरद कितना कमाता है और कितना कम बचा पाता है इसके लिए वो सरकार को नहीं, बल्कि अपने मरद को ही जिम्मेदार मानती है...
जबकि महँगाई सरकार ने बढ़ा रखी है।
#RavishKumar (@ravishndtv) जी ने बहुत साल पहले एक बात कहा था
• नागरिक को TV debate देखना बन्द कर देना चाहिए और
• विपक्ष को पूर्णतः GodiMedia का बहिष्कार कर देना चाहिए
दरसल उस समय रवीश बहुत बड़े पॉइंट की तरफ ईशारा कर रहे थे.....
दोनों में से किसी ने #रवीश_कुमार की नहीं सुनी और नुकसान दोनों का हो रहा है
•GodiMedia जनता को सही और निष्पक्ष जानकारी नहीं देता और
•विपक्ष को बोलने का स्पेस नहीं देता है
विपक्ष को बैठाकर फकेन्यूज़ फैलाया जा रहा होता है और उसे स्पष्ट बोलने का मौका नहीं दिया जाता है तो...
अगर विपक्ष गोदी मीडिया के किसी भी डिबेट में शामिल नहीं होता तो जनता जरूर अनुपस्थित विपक्ष को ढूढती....उनका पक्ष जानने के लिए
जनता को ही विपक्ष बनने का मौका दिया जाना चाहिए... कांग्रेस (विपक्ष) उस समय का उपयोग जमीनी स्तर पर मजबूत कार्यकर्ताओं को खड़े करने में कर सकती है
लोग 5kg extra राशन से खुश क्यों हैं? #उत्तरप्रदेश का प्रतिव्यक्ति आय औसतन 74440₹/सालाना है, मतलब लगभग 204₹/रोजाना कमाई।
#पंजाब का प्रतिव्यक्ति आय औसतन 168550₹/सालाना है,मतलब लगभग 462₹/रोजाना
इसलिए UP में 5Kg राशन भी बहुत ज्यादा मायने रखता था जबकि पंजाब में नहीं! (1/6)
उत्तरप्रदेश में गरीबों को 5 kg राशन के लिए कम से कम 2-3 दिन काम करना पड़ेगा.
जबकि पंजाब के लोगों को इतना प्रतिव्यक्ति इनकम है की वे 10 kg #राशन हर रोज खरीद सकते हैं।
इसलिए मोदी सरकार का 5 kg राशन #PunjabElection2022 में अपना जादू नहीं चला पाया।
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सोचिए,
आपको गरीब बनाकर रखना राजनैतिक पार्टियों के लिए कितना जरूरी होता है!
मात्र 5kg राशन में आप किसी के अहसानों तले आ जातें हैं। मात्र 5किलो राशन इनके लिए भगवान मिलने के बराबर हो जाता है।
इससे बड़ी शर्मिंदगी की बात और क्या हो सकती है?
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हो सकता है कि आप अलग नजरिए से सोचतें हो..!
पर
सरकार विभिन्न सर्विसेज को देकर ही तो लोगों का भला करती हैं?
तो फिर क्यों नए रेलवे स्टेशन, रेलवे लाइन, नया एयरपोर्ट आदि बनाती है और उसका उद्धघाटन भी करती हैं?
मतलब सर्विसेज देना भी लोगों के लिए कल्याणकारी होता है? Now Do you Agree?
"क्यों दिल्ली या कहीं भी सरकार सरकारी बस,ट्रैन चलवाती हैं?"
Means सरकार का काम सर्विसेज देना भी होता है!
100% Agree,
लेकिन निजीकरण, सरकार और सरकारी व्यवस्था जितना कल्याणकारी नहीं होता है।
निजीकरण एक हद से आगे जब बढ़ने लगता है तो सबसे पहले सरकार उसके हांथों की कठपुतली बन जाती हैं और देखते ही देखते जनता गुलाम....
"1 महीना में गवाएं लगभग 2 करोड़" #BiharPnachayatElection2021
Note:- मुझपर कोई आंच न आए इसलिए मैं इस तरह से शुरू कर रहा हूँ
'इस #HindiThread में दी गई सारी जानकारियां काल्पनिक, मनगढ़ंत और इस तरह से डिजाइन किया गया है कि आपको सच्ची लग सकता है, पर इसका किसी के साथ
कोई संबंध नहीं है।'
हमारी कहानी शुरू होती है अक्टूबर 2021 में जब बिहार पंचायत चुनाव शुरू होता है।
पंचायत समिति पद के दो उम्मीदवार सुनीता और मनोज (काल्पनिक नाम) के बीच टक्कर होने वाली थी,
दोनो ने चुनाव जीतने के लिए खूब पैसे खर्च किए,ओर सुनीता ने ज्यादा खर्च किया और परिणामतः
सुनीता चुनाव जीत जाती है,
मेरे हिसाब से सुनीता ने लगभग 6-7 लाख किये होंगे और मनोज 4-5.
मनोज के घर मातम छाया हुआ था क्योंकि वह चुनाव हार गया था।
और सुनीता के यहाँ मिठाईयां बट रही थी, जयकारा लग रहा था।
अब बिहार पंचायत चुनाव खत्म हो जाने के बाद प्रमुख,उप-मुखिया आदि के चुनाव