"1 महीना में गवाएं लगभग 2 करोड़" #BiharPnachayatElection2021
Note:- मुझपर कोई आंच न आए इसलिए मैं इस तरह से शुरू कर रहा हूँ
'इस #HindiThread में दी गई सारी जानकारियां काल्पनिक, मनगढ़ंत और इस तरह से डिजाइन किया गया है कि आपको सच्ची लग सकता है, पर इसका किसी के साथ
कोई संबंध नहीं है।'
हमारी कहानी शुरू होती है अक्टूबर 2021 में जब बिहार पंचायत चुनाव शुरू होता है।
पंचायत समिति पद के दो उम्मीदवार सुनीता और मनोज (काल्पनिक नाम) के बीच टक्कर होने वाली थी,
दोनो ने चुनाव जीतने के लिए खूब पैसे खर्च किए,ओर सुनीता ने ज्यादा खर्च किया और परिणामतः
सुनीता चुनाव जीत जाती है,
मेरे हिसाब से सुनीता ने लगभग 6-7 लाख किये होंगे और मनोज 4-5.
मनोज के घर मातम छाया हुआ था क्योंकि वह चुनाव हार गया था।
और सुनीता के यहाँ मिठाईयां बट रही थी, जयकारा लग रहा था।
अब बिहार पंचायत चुनाव खत्म हो जाने के बाद प्रमुख,उप-मुखिया आदि के चुनाव
होने वाला था।
प्रमुख बनने के लिए उम्मीदवार पंचायत समिति, सभी पंचायत सचिवों का वोट पाने के लिए आधा से 1-2 ज्यादा उम्मीदवार को अपने तरफ करने में लग गए थे,
सुनने में आया कि इस बार का बेस प्राइस 5 लाख रुपए/वोट रहेगा,
उससे ज्यादा जो दे सके उसके लिए वोट करेगा प्रमुख चुनाव में
मान लीजिए 41 पंचायत समिति हैं तो 21 का वोट आपको मिलना चाहिए प्रमुख बनने के लिए यदि सिर्फ दो लोग खड़े हों तो...
20×5=1 करोड़ रुपए सिर्फ़ बेस प्राइस तय हो गया, असल रकम इससे कहीं ज्यादा हो सकता है
फिर महीनों तक उन सभी को खूब खिलाया-पिलाया गया, उनपर खर्चा किया गया, ताकि उनका वोट
मिल जाए,
और दूसरी तरफ का उम्मीदवार के साथ भी यही हुआ होगा,
फिर चुनाव से एक दिन पहले केंद्र सरकार के मंत्री नित्यानंद राय (काल्पनिक नाम) उस क्षेत्र की दौरा करतें हैं।
मुझे नहीं पता उनका उद्देश्य क्या होगा, पर वे यात्रा करतें हैं।
अब राजनीति दिमाग चकरा देगें...
ध्यान दीजिएगा..
CPI विधायक, BJP को Support करतें हैं,
सुनीता के खिलाफ प्रमुख पद की दावेदारी के लिए जो उम्मीदवार खड़ा था वो BJP का जिला प्रदेश सचिव था (काल्पनिक पदवी)
RJD के लोग भी BJP के सहयोगी को support करता है।
पर JDU के पूर्व विधायक दूसरे पार्टी को support कर देतें हैं मतलब सुनीता को
सपोर्ट कर देतें हैं।
यहाँ ध्यान रखने वाली बात यह है कि CPI, CPIM,RJD ये सब बड़े स्तर पर BjP का विरोध करनी वाली पार्टी है पर यहाँ सपोर्ट कर रही है।
और JDU जिसका Bjp से गहरा गठबंधन है बिहार में फिर भी इसके नेता, Bjp के विरोध को सपोर्ट करने लगतें हैं।
दिमाग चकरा गया न..?
कैसे ये नेता सब मिलकर लोगों को चु*# बनाने का काम करतें हैं, राष्ट्रीय स्तर पर!
बहरहाल जो भी हो, हम कहानी और वापस आतें हैं।
सुनीता चुनाव हार जाती है, और BJP Suported उम्मीदवार चुनाव जीत जाता है और प्रमुख (#प्रमुख) बन जाता है।
करोड़ो रूपये खर्च कर भी सुनीता चुनाव हार जाती है
घर में हर जगह मातम छा जाता है, क्योंकि करोड़ रुपये कम नहीं होता है, कई गवर्नमेंट जॉब्स करने वालों की भी जिंदगी बीत जाती होगी इतने पैसे बचाने में....
यहाँ सुनीता ने मात्र एक महीने से भी कम समय में गवां दिया.....
सुनीता की प्रमुख चुनाव में हार की खबर आग की तरह फैल जाती है
और तब पंचायत चुनाव में सुनीता से हारे उम्मीदवार खुश हो जाता है,
इतना खुश की वह बम जो अपने जीत के आश में फोड़ने के लिए लाया था वह सुनीता के हार पर फोड़ने लगता है।
मनोज़ हारकर भी जीत गया और सुनीता पंचायत चुनाव जीतकर भी आज हार गई,
क्योंकि वह जीत सुनीता को गरीब बना दिया...
कर्ज में डाल दिया....
वे बचे 38 पंचायत समिति अब ज्यादा समझदार प्रतीत हो रहे थे जो पैसे लेकर बैठ गए या फिर जिन्होंने प्रमुख पद के लिए अपनी दावेदारी पेश नहीं किया....
कथित तौर पर,
वो दो वोटर जिन्होंने सुनीता से भी पैसे लिए और दूसरी पार्टी से भी....
ने वोट तो डाला पर उसपर मुहर ही
नहीं लगाया, इस तरह से धोखाधड़ी के साथ राजनीति हुआ...
आप अपनी भावना सुनीता के लिए मत प्रकट कीजिए....
क्योंकि दूसरे सभी लोग जितना ख़र्चा किये थे उनका पूरा वसूल हो गया...
अब वो अपने पंचायत का ईमानदारी से विकास करेगें....
और सुनीता, इसी पंचायत के किसी फंड से अपने करोड़ो रूपये के
नुकसान की भरपाई करने के लिए घोटाले, घूसखोरी सब करेगी....
ऐसा नहीं है कि सिर्फ सुनीता ही ऐसा करेगी... बल्कि वह भी करेगा जो सुनीता को प्रमुख के चुनाव में हराया है....
करोड़ो रूपये उसको भी जनता के ही किसी फंड से वसूल करने है...
प्रमुख का क्षेत्र ज्यादा बड़ा होता है तो वह आसानी से
कर लेगा.... और पंचायत समिति का पद छोटा होता है तो सुनीता को थोड़ा टाइम लगेगा....
"जितनी बड़ी पद, उतना बड़ा घोटाला"
जीता उसके लिए भी, और हारा उसके लिए भी
सोचिए सांसद, विधयक, मंत्री आदि के लिए कितना बड़ा खेल होता होगा...?
#HindiThreads
ख़बरदार यदि किसी ने फकेन्यूज़ फैलाया तो___
हमारे यहाँ फकेन्यूज़ फैलाने का copyright सिर्फ #GodiMedia और सरकार के पास ही है।
खुश मत होइए और गर्व भी मत कीजिए,
सरकार यह प्रयोग कर रही है बिल्कुल वैसा ही जैसा 21 दिन का Lockdown लगाने से पहले 1 दिन का lockdown लगाया था
और सरकार के मंत्री, कुछ बुद्धिजीवी समझदार और GodiMedia सबको ज्ञान दे रहे थे सिर्फ एक दिन के lockdown से कोरोना वायरस खत्म हो जाएगा!
अच्छी बात है कि यह किसी को फकेन्यूज़ नहीं लगा..
सरकार यूट्यूब और दूसरे सोशल मीडिया पर अपने खिलाफ उठ रहे आवाज को दबाने के लिए जल्द ही
एक कानून लागू कर रही है जिसमें सरकार बिना किसी एक्सक्यूज़ के किसी की भी यूट्यूब चैनल को बैन कर देगी,
अभी जो 20 चैनल बैन किए हैं सरकार ने, हमें उसके बारे में सही जानकारी प्राप्त कर ही विचार बनाना चाहिए,
कल को सरकार आपका चैनल भी बन्द कर देगी, सोशल मीडिया पर से आपका एकाउंट डिलीट
#HindiThread & #HindiThreads :-
बेचारा #बिपिन_रावत जी की मौत हो गई और News Channels वाला एकदम Background music, High level video editing, और Selective words का use कर उसे exciting अंदाज़ में लोगों को दिखा रहें हैं।
क्या कोई शोक संदेश ऐसे बताया जाता है लोगों को...!?
(1/2)
ऐसा लगता है #BipinRawat मरे नहीं बल्कि पैदा हुएं हैं
हमने किसी के मौत पर ऐसा न्यूज प्रोग्राम शो की कभी कल्पना नहीं किया था #SushantSinghRajput पर भी नहीं
आज अगर गांधी-नेहरू-अम्बेडकर जैसे पत्रकार होते तो बहुत दुःखी होते
(गाँधी सिर्फ वकील ही नहीं पत्रकार भी थे)
इसका जिम्मेदार वर्तमान सरकार भी है।
अगर सरकार चाहती तो इन News Channels को instructions दे सकती थी कि #GeneralBipinRawat की दुःखद मौत को मजाक नहीं बनाया जाए।
#HindiThreads
अंबानी के माथे पर लगभग 3.50 लाख करोड़ रुपये का कर्ज़ है!
और वह देश छोड़कर, लंदन निकल गए हैं इस दीवाली.....
अब आम जनता का दिवाला निलकेगा.....
पता नहीं कौन से बैंक डूबेंगे......
विजय माल्या भी लंदन में ही हैं जो कभी मोदीजी के दोस्त हुआ करते थे! और अब अम्बानी भी....
इतने दिनों से जो कम्पनियाँ भारत में काम कर रही थी वो बेवकूफ़ थी क्या...?
इतने दिनों तक लोगों ने फ्री और सस्ता data इस्तेमाल किया.... अब हिसाब बराबर करने का समय आ गया है....
3.50 लाख करोड़ कोई भी आम नागरिक यदि कर्ज ले लेता है तो वह अम्बानी जितना महान बिजनेसमैन दिखने लगेगा....
बस उसे मोदी जी जैसे बड़े नेताओं से दोस्ती होनी चाहिए..... वरना बैंक न उतना कर्ज देगा और न ही सरकार विदेश जाने के लिए वीजा....
अब बस उस एक महान शब्द का इंतजार है
"हम कर्ज़ नहीं चुका पाएगें"
तब देखना उतना ही बड़ा तूफान उठेगा....
2024 से यदि पहले हुआ तो मोदी सरकार खत्म....
#HindiThreads:- #AryanKhan Case मामले में कोर्ट में हर रोज सुनवाई चल रही है। #ArnabGoswami Case मामले में अदालत देर रात को भी बेल देकर सुनवाई करता है।
और एक आम भारतीय #नागरिक को कोर्ट से किसी प्रकार का न्याय या राहत पाने में महीनों, कभी कभार तो वर्षों लग जाता है।
कब तक हम एक देश एक समान कानून का झूठा ढ़िढोरा पीटते रहेंगें?
हाल ही में,
उत्तरप्रदेश के एक महिला मंत्री ने उत्तरप्रदेश के महिलाओं से अपील किया है कि वो "रात में पुलिस स्टेशन न जाए"!? वरना कुछ भी हो सकता है.
क्या पुलिस रात में महिलाओं की रक्षा वो भी police station में ही करने में
असमर्थ है?
यह कोई छोटी बात नहीं जिसको दाँत चियारकर इग्नोर कर दिया जाए.
ऐसे बातें सुनकर एक लोकतांत्रिक समाज और उसकी जनता को सरकार के खिलाफ क्रांति कर देनी चाहिए.
क्योंकि यह जनता की सुरक्षा का मामला है।
मैं हैरान हूँ कि आखिरकार लोगों ने यह सुनकर बर्दास्त कैसे कर लिया?
#AirIndia बिकने के साथ ही अब भारत एक ऐसा देश बन गया है जिसके पास कोई भी शुद्ध सरकारी Airlines नहीं है,
लेकिन सरकारी उड्डयन मंत्री जरूर हैं (ज्योतिरादित्य सिंधिया)
कायदे से Private उड्डयन मंत्री होना चाहिए, वरना कैसी निजी कम्पनिया सरकार के समक्ष अपनी समस्याएं रखेगा? #HindiThreads
मतलब,
निजीकरण से निजी कंपनियों का भी कोई सुनने वाला नहीं है।
मुझे डर है, देश के सामने कौन इन Private company की बातों को रखेगा जब सरकार कोई नियम बनाकर इनपर अत्याचार करने लग जाएगी तब?
Logic के आधार पर तो संसद में भी कुछ देश के गिने चुने businessman का CEO/MD/वैगरह होना चाहिए
क्योंकि अब वह सिर्फ निजी कम्पनी (Private Companies) मात्र ही नहीं रह गई जो पहले कभी हुआ करती थी।
आज की private sector, अब देश चलाना शुरू कर दिया गया।
सरकार का क्या भरोसा, जो अपने खुद की जनता की नहीं हुई वो इन कम्पनियों का कैसे होगी? जब तक कोई नया मित्र न मिल जाए।
#HindiThread:-ये इवेंट भी बीत गया और किसी को पता भी नहीं चला!
बात 1-2या-10 की नहीं 1 करोड़ की हो रही है,इतनी बड़ी संख्या को भी ढंग से सेलेब्रेट भी नहीं किया गया तो कितना रोपण हुआ उसकी बात करना ही बेकार का,
जब से कागज का आविष्कार हुआ तब से एक ट्रेंड बनना भी शुरू हो गया
आप कुछ भी कागज पर कर सकते हो, कितना भी मुश्किल काम क्यों न हो!
चाहें आप सरकार हों या कवि, कहावत सुनी है न
"जहां न जाए रवि, वहां भी जाए कवि"
मतलब कविता रचयिता अपने कल्पना से सूर्य से से आगे निकल जाते हैं!
खैर अब हम वापस मुद्दे पर आ जातें हैं
सरकार एक बार फिर से चालाकी कर गईं, पर क्यों? और
किससे?
इसका क्या प्रभाव पड़ेगा पर्यावरण पर?
हर साल हजारों-करोड़ रुपए का बिल पास करा लिया जाता है सांसद से, और लोग देखतें ही रह जातें हैं।
पर्यावरण के साथ धोखा करना और फिर भी देशवासियों का चुप रह जाना बहुत भारी पड़ेगा एक दिन