अमेरिका में मंदी (=रिसेशन) के बीच,🧵यह समझने के लिए कि भारत ने अपनी कोविड नीति में किस तरह बाकि देशों से अलग होकर कामयाबी पायी। अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार के विजेता @paulkrugman कहते हैं कि अमेरिका में बेहद महंगाई & मंदी का कारन कोविड महामारी के दौरान अभूतपूर्व खर्च है| 1/16
जबकि अन्य सभी देश ने मुख्य रूप से डिमांड (=मांग) को प्रोत्साहित करने पर ही अपनी नीति केंद्रित की, भारत ने डिमांड & सप्लाई (=आपूर्ति) को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया। महत्वपूर्ण रूप से, भारत ने जल्दी ही पहचान लिया कि कोविड महामारी सप्लाई को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगी 2/16
सप्लाई में कमी को सीमित करने के लिए भारत ने 3 पहलू पर ध्यान दिया:1.बुनियादी ढांचे (=इंफ्रास्ट्रक्चर) के खर्च के लिए राजकोषीय नीति का पुनर्रचना, 2.सप्लाई-पक्ष के बाधाओं को कम करने के लिए सुधार (=रिफार्म), & 3.विशेष क्षेत्रों में उत्पादन को बढ़ाने के लिए कम्पनयों को प्रोत्साहन 3/16
कोविड के दौरान खर्च किए गए करदाता के प्रत्येक रूपये का अधिकतम उपयोग करने के लिए, भारत ने त्रि-आयामी डिमांड-पक्ष नीति अपनाई। 4/16
पहला, भारत ने अपनी सार्वजनिक वितरण प्रणाली (=प. डी. स. या राशन की दुकान) के माध्यम से 80 करोड़ नागरिकों को अनाज और दालों का मुफ्त वितरण किया। इसके कारन अतिरिक्त वित्तीय लागत नहीं हुई क्योंकि ये अनाज और दाल मौजूदा भंडार से वितरण किये गए। 5/16
दूसरा, सरकार ने आधार की डिजिटल पहचान और 2014 के बाद गरीबों के लिए बनाए गए 40 करोड़ से अधिक पी.एम.जे.डी.वाई. बैंक खातों का लाभ उठाकर कमजोर वर्ग के लोगों को पैसे ट्रांसफर कर प्रत्यक्ष लाभ दिया। 6/16
तीसरा, भारत ने माना कि बैंकों के पास उधारकर्ताओं के बारे में ऐसी बारीक जानकारी होती है जो की सरकार में कभी नहीं हो सकती| इसलिए, बैंकों द्वारा छोटे कंपनी (एस.एम.ई.) को और एम.एफ.आई. द्वारा शहरी गरीबों को ऋण देने के लिए, ऋण पर सरकार ने अपनी गारंटी प्रदान की। 7/16
चूँकि बैंक उधारकर्ता के क्रेडिट स्कोर पर नज़र रखती है, केवल ऐसा उधारकर्ता जो वास्तव में कठिनाई में है सिर्फ वही ऋण वापस नहीं करेगा। इसलिए संकटग्रस्त उधारकर्ताओं के लिए, सरकार की गारंटी यह सुनिश्चित करती है कि ऋण "नकद-हस्तांतरण" बन जाए। 8/16
अन्य सभी उधारकर्ता ऋण चुकाने के लिए प्रोत्साहित होते है, वर्ना उनका क्रेडिट स्कोर स्थायी रूप से बिगड़ जाएगा| इसकी तुलना में, सरकार जब मुफ्त पैसा देती है, तो उसमे यह प्रलोभन अपस्थित नहीं होता है। 9/16
हमने यह भी समझा कि गारंटी का भुगतान कोविड वर्ष में नहीं करना होगा, लेकिन बाद में जब अर्थव्यवस्था ठीक हो जाएगी तब करना होगा। 10/16
इस तरह 100 रुपये संकटग्रस्त लोगों को पहुँचाने के लिए सरकार को केवल 5 रुपये खर्च करना पड़ता है (ऋणों पर 5% की डिफ़ॉल्ट दर मानकर)। और यह 5 रुपये भी तब जब अर्थव्यवस्था ने गति पकड़ ली है। 12/16
इस तरह की दूरदर्शी नीति की तुलना 2008-09 में वैश्विक वित्तीय संकट (=जी.एफ.सी.) के बाद विफल आर्थिक नीति से करें। कृषि ऋण माफी, जिसका लाभ सिर्फ अमीर किसानों को गया था (इस पर मेरा शोध journals.uchicago.edu/doi/abs/10.108…), और छठे वेतन कमीशन (सी.पी.सी.) ने केवल अमीरों के हाथों में पैसा दिया 13/16
2008-09 में जी.एफ.सी. के दौरान महंगाई (=मुद्रास्फीति की दर) 1.5 वर्षों के लिए उच्च दोहरे अंकों में थी; यह सप्लाई में कोई प्रभाव नहीं पड़ने के बावजूद| अगर देश इस बार भी इस तरह की विफल नीति अपनाता, तो मुद्रास्फीति 20%+ होती >1.5 साल के लिए| और केवल अमीरों को फायदा होता| 14/16
जी.एफ.सी. के दौरान भारत की और बाकि देशों की कोविड के दौरान विफल नीति अर्थशास्त्री कीन्स के सुझाव का परिणाम है| विफल परिणाम वही है-अत्यंत महंगाई & आर्थिक मंदी| स्पष्ट विचार & दृढ़ विश्वास के संयोजन से कोविड में भारत ने सकारात्मक रूप से बाकि देशों से अलग होकर कामयाबी पायी है। 15/16
संक्षेप में, भारत ने जल्दी ही पहचानकर कि कोविड महामारी सप्लाई को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगी, डिमांड और सप्लाई दोनों को बढ़ाने पर अपनी कोविड नीति को केंद्रित कर किया। इसीलिए, दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में भारत की अर्थव्यवस्था बेहतर स्थिति में है।🧵का अंत 16/16
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Amidst the US recession, #Thread to understand how India was +vely different in its Covid policy. @paulkrugman says "Take it as given that large fiscal stimulus and Fed complacency allowed the U.S. economy to get overheated." 1/n
While all other economies – both advanced and emerging – focused their policy primarily on stimulating demand, India’s policy focused on enhancing demand and supply. Crucially, India identified early that the Covid pandemic would negatively impact aggregate supply. 2/n
Reorientation of fiscal policy to infrastructure spending by sovereign, structural reforms to alleviate supply-side frictions, & incentives for firms to ramp up production in particular sectors formed the bulwark of India’s policy focus on limiting damage to aggregate supply 3/n
As employment is an area where uninformed/ misinformed narratives have been endemic, creating a #thread on #jobs to #inform. Again, let us go by the complete #evidence from NSSO's PLFS, which has a very reliable survey methodology 1/9
For the record, I supported Demonetization when I was NOT YET CEA. I've always formed my views using empirical evidence even if it meant standing alone based on my courage of conviction. So, to help evidence-based assessments, putting out a #Thread on #EvidenceOnDemon 1/12
Data from World Inequality Database shows inequality ↑ in India from 2004-14, when share of wealthy top 1% in national income ↑ from 18.4% to 21.3% but share of bottom 50% ↓ from 18.8% to 14.7%. Why? ↑ in cronyism & corruption from 2004-14. See indiabudget.gov.in/budget2020-21/… 2/12
Unlike the ↑ in inequality from 2004-14, demon had the effect of redistributing wealth from the rich to the poor. See sciencedirect.com/science/articl…. These findings, which carefully control for various confounding factors, suggest that demon would have helped to ↓ inequality. 3/12
Correct lesson to learn from this piece of history - JRD Tata's interview - is NOT if X or Y wud've made a better 1st PM bcos that is irrelevant today. Correct lesson is on Economic Policy: on the economic FALLACY of nationalization of industries. 1/5
Focus on the correct questions that JRD asks: "Nationalization of industries... FOR WHOSE BENEFIT?" Yes, nationalization FOR WHOSE BENEFIT? NOT for the benefit of the few workers in these nationalized industries that delivered very low productivity? 2/5
JRD continues "Will (nationalization) lead to MORE WEALTH FOR THE COUNTRY? Will they (i.e. nationalized firms) be better managed?" - precisely the questions that we answered in EcoSurvey 2019-20 indiabudget.gov.in/budget2020-21/… 3/5
Pearls of wisdom from @Jaspritbumrah93 that capture the spirit of #TheBhagwadGita after his incredible 6/19 display y'day. Lots to learn about how to be स्थितप्रज्ञ=Equanimous to results but keep putting 100% effort irrespective of outcome. Sharing as a #Thread
This is the beauty of cricket (and life), isn't it... One day you will see everything is going in your favour. Another day you can try whatever you want, but it doesn't work for you. That is exactly why you need to keep a stable head.
Every day is a new day. There will be days when you will get the edge 1st ball... & days you will bowl similarly all day but not get a single edge. You don't want to get desperate... That is why I rate stability a lot. Bcos at the end of the day there is very little in your hand.
I've shared an extensive 55-slide deck on LinkedIn to Disseminate THE INDIA STORY so that facts r separated from fiction. Pls view & share. This thread has relevant slides to India's external debt situation, which is COMFORTABLE! linkedin.com/feed/update/ur…